आदरणीय शास्त्री जी की अतिव्यस्तता
और
हम लोगों पर आई अतिरिक्त जिम्मेदारी का
प्रतिफलन,
मुझ ‘ग़ाफ़िल’ द्वारा
प्रस्तुत की जा रही आज की चर्चा
का
लिंक नम्बर वन-
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उलझन

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आस का दीपक जलाना चाहती हूँ

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गुजर गया ये भी साल

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शानदार तमाचा मिलेगा (हास्य कविता )

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19-
नयना

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सुगंधित बयार

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अब कुछ पुरानी रचनाओं की याद ताज़ा कर ली जाय-
नं. 22-
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और अन्त में
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
बेहतरीन लिंक । अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआभार चन्द्र भूषण जी
पर्याप्त और अच्छी लिंक्स से सजी चर्चा |
ReplyDeleteबधाई और आभार |
आशा
ज़ोरदार चर्चा ...बहुत अच्छे लिंक्स और प्रस्तुतीकरण ...आभार मुझे स्थान देने के लिए .....
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स,सुन्दर सजावट ;आभार .
ReplyDeleteबहार हो कि खिज़ां मुस्कुराए जाते हैं,
ReplyDeleteहयात हम तेरा एहसाँ उठाए जाते हैं |
सुलगती रेत हो बारिश हो या हवाएं हों,
ये बच्चे फिर भ़ी घरौंदे बनाए जाते हैं |
ये एहतमाम मुहब्बत है या कोई साज़िश,
जो फूल राहों में मेरी बिछाए जाते हैं |
समझ सको तो हैं काफी ये आँख में आंसू,
के दिल के ज़ख्म किसे कब दिखाए जाते हैं |
कोई भ़ी लम्हा क़यामत से कम नहीं फिर भ़ी,
तुम्हारे सामने हम मुस्कुराए जाते हैं |
अच्छे लिंकों से सजी बहुत ही सुन्दर चर्चा !
ReplyDeleteमेरी ग़ज़ल को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु धन्यवाद !
बड़ी दिलकश लिंक्स लगी हैं, रात को फिर मिलते है सारी लिंक्स पढ़ने .
ReplyDeleteasari links ko padh rahi hu ek ek karke...acchi links.mujhe sthaan dene ke lie aabhar
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुतिकरण्।
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स...
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक । अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसभी ३२ लिनक्स बेजोड़ हैं..मुझको स्थान देने के लिए धन्यवाद व आभार..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
आपके श्रम को नमन । विस्तार से इतनी सारी सुंदर पोस्टों का लिंक्स और सबके चेहरों से भी रूबरू करवाया आपने । शैली अदभुत और आकर्षक है ।बधाई और शुभकामनाएं आपको और इस मंच को भी और पूरे अंतर्जाल को
ReplyDeleteविविधता लिए अनुपम चयन और विनीत प्रस्तुति गाफिल साहब की .बधाई .
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या लिंक्स का संयोजन ...आभार ।
ReplyDeleteनए पुराने लिंक्स से सजी चर्चा सुन्दर है.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeletemeri post shamil karne ke liye bahut aabhar...saare link bahut achche hai...aabhar :)
ReplyDeleteपुराने और नये लिंक का सुंदर संगम॥
ReplyDeleteआप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteअच्छी लिंक्स से सजी चर्चा|
ReplyDeletemujhe samman dene ke liye bahut dhanywaad
ReplyDeleteगज़ल सुनाता है मस्ती में संगज़ार शहर
ReplyDeleteचंद्र भूषण की मोहब्बत का ये असर तो नहीं
अच्छे लिंक्स सब पर जा कर पढूंगी । मेरी रचना को इस चर्चा में सम्मिलित करने का अनेक आभार ।
ReplyDeleteअपने पोस्ट पर जगह देने के लिए धन्यवाद....
ReplyDeleteआभार