(1)अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)करेलात्वचा-खुरदरी, कड़ुआ स्वादगुण के कारण आये याद. अवगुण पर गुण होते भारी सिद्ध करे इसकी तरकारी. स्वादिष्ट , पौष्टिक सब्जी खाकर देखें जरा भुर्जी. कोई भरवाँ इसे बनाये मेहमानों में शान बढ़ाये. |
ब्लॉग भ्रमण के दौरान कुछ नन्हे-मुन्ने बालकों को चिंतित देखा! वे कह रहे थे की वे व्यर्थ ही हिंदी ब्लॉगिंग में सेवारत हैं! न तो उन्हें कोई पढता है, न ही टिपण्णी करता है! फिर क्यूँ इस अवयस्क पाठकों के लिए अपन...
(4) बद्धपद्मासन है कई रोगों का इलाज़दाहिना पाँव बाईं जाँघ पर और बायाँ पाँव दाहिनी जाँघ पर ऐसी रीति से रखें कि उनकी ए़ड़ियाँ पेट के नीचे के भाग से सटकर बैठे। पश्चात दोनों हाथ पीछे फेरकर दाहिने पाँव का अँगूठा दूसरे हाथ की तर्जनी और दो उँगलियों की चुटकी में पकड़ें, फिर ठोड़ी हृदय में लगाकर दबाएँ, इसके अनन्तर नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि स्थिर करनी चाहिए, इसको बद्ध पद्मासन कहते हैं। |
कौशाम्बी में सोमदत्त नामक ब्राह्मण रहते थे. वसुदत्ता उनकी पत्नी थी. ये ही मेरे पिता और माता हैं. मेरे शैशव में ही पिता का स्वर्गवास हो गया. माता ने बड़े कष्ट उठा कर मुझे पाला. |
ओशो भक्त एक ऊँची जगह से भीमताल का अवलोकन करते हुए। भीमताल के ओशो कैम्प के प्रवचन हॉल में मुझे सिर्फ़ दो प्रवचन में बैठने का मौका मिला जिससे काफ़ी कुछ सीखने को मिला। यह मैं पहले ही बता चुका हूँ कि मेरी दि... |
(7)
.नरेंद्र मोदी जी को ऐसे शुभ -आरम्भ हेतु हार्दिक शुभकामनायें !
जेठ की गर्मी में ये ठंडी हवाओं जैसी खबर है . शीत में गर्म रजाई सी खबर है- नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय नेताओं की ख़राब होती छवि को सुधारने का सार्थक प्रयास किया है .खबर इसप्रकार है -
''अहमदाबाद।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सद्भावना' दिखाते हुए सूरत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया और राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाने वाले होर्डिंग्स लगाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की जमकर खबर ली और इन्हें तुरंत हटाने का निर्देश दिया।
शिखा कौशिक
[vicharon ka chabootra ]
बाग बहार सी सुन्दर कृति , अभिराम छवि उसकी | निर्विकार निगाहें जिसकी , अदा मोहती उसकी || जब दृष्टि पड़ जाती उस पर , छुई मुई सी दिखती | छिपी सुंदरता सादगी में, आकृष्ट सदा करती || |
(9)आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं...... !!!तन्हा बैठी आज कुछ लिखने जा रही हूँ... खुली आखों से कुछ सपने बुनने जा रही हूँ..... सालो पहले कुछ सवाल किये थे खुद से, उन सवालो के जवाब लिख रही हूँ मैं.... आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं...... |
(10)
शाकाहार जागृति अभियान : निरामिष ब्लॉग परिचय
निरामिष-आहार, निर्मल-विचार, निर्दोष-आचार, निरवध्य-कर्म, निरावेश-मानस।
अहिंसा जीवन का आधार है, सहजीवन का सार है और जगत के सुख और शान्ति का एक मात्र उपाय है। अहिंसा के कोमल और उत्कृष्ट भाव में समस्त जीवों के प्रति अनुकम्पा और दया छिपी है। अहिंसा प्राणीमात्र के लिए शान्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। स्पष्ट है कि किसी भी जीव को हानि पहुँचाना, किसी प्राणी को कष्ट देना अनैतिक है। यूँ तो सभी धार्मिक सामाजिक परम्पराओं में जीवन का आदर है परंतु "अहिंसा परमो धर्मः" का उद्गार भारतीय संस्कृति की एकमेव अभिन्न विशेषता है। अपौरुषेय वचन के तानेबाने अहिंसा, प्रेम, करुणा और नैतिकता के मूल आधार पर ही बुने गये हैं।
(11) मुद्दत हुए....मुद्दत हुए हाल-ए-दिल तुमसे बयान किये हुए फुर्सत में,तन्हाई में लम्हें ढूँढ़ते हुए इश्क-सागर की गहराई नापने चली थी मैं पर तुम मिले - गीली रेत पर कदमों के निशाँ ढूँढ़ते हुए |
(12)अहसासएहसासात... अनकहे लफ्ज़.शहरे अलफाज का सौदागर, अहसासों के गुलशन में, ले कर झोली भर गीत मधुर, बैठा है लब खामोश लिए । कुछ भीगे से, कुछ खिलते से, कुछ मुरझाते, कुछ सपनीले, कुछ उलझे से, कुछ सुलझे से, कुछ ख्वाब हसीं आगोश लिए । |
आज संसार का वातावरण इतना दूषित हो चूका है कि मानव के नैतिक मूल्यों की समाज के सामने कोई कीमत नहीं रही| इस वातावरण का हमारे समाज पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है तथा सत्य,निष्ठां व उदारता जैसे आवश्यक व्यक्तिगत गुणों को खोकर हमने हमारे निर्माण के आधार को खंडित व क्षय विक्षत कर दिया है| पाखण्ड व फरेब को आज दुनिया में सफलता के लिए आवश्यक उपकरण समझा जाने लगा है जिसके परिणाम स्वरूप वचन की गरिमा व परस्पर विशवास की भावना का लोप होता जा रहा है| लोग नहीं जानते कि घटिया माल बाजार में अच्छे माल के अभाव की स्थिति में ही खपता है| पाखण्ड व फरेब का अस्तित्व तब तक है जब तक लोग सत्य निष्ठा की और उन्मुख नही होते| घर्म की जड़ सत्य है,जो उदारता के जल से सिंचित होने पर बढ़ता है| आज लोग वचन की गरिमा को खोकर तथा पाखण्ड व फरेब का आश्रय लेकर मात्र धर्म के पालन की बात करते है,तो इसे विडंबना ही कहा जाएगा| |
(14)दिन भर ऊर्जित रहने के लिए (FOODS TO BOOST ENERGY)जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए दमखम के साथ आपका खुश रहना भी ज़रूरी है यहाँ हम कुछ ऐसे खानों की तिकड़ी प्रस्तुत कर रहें हैं जिनका 'कोम्बो 'न सिर्फ आपको ऊर्जावान रखेगा ,अवसाद और उदासी से भी निपटेगा रात को घोड़े बेचके सोने में भी विधाई भूमिका निभाएगा .POWER OF THE THREE /TO LEAD A QUALITY LIFE YOU NEED TO BE ENERGETIC AND HAPPY .THERE ARE MAGIC FOODS THAT CAN HELP YOU WHEN CLUBBED IN A TRIO/MUMBAI MIRROR /DEC 13 ,2011/P21. दिन भर ऊर्जित रहने के लिए (FOODS TO BOOST ENERGY) दिन भर में ऐसा वक्फा आता ही है जब शरीर में बे दमी का एहसास होता है चाहे बाद दोपहर या फिर कसरत के लिए जाते आते .यदि ऐसी ही बेदमी महसूस होती है और आपका ध्यान किसी भी काम में टिक नहीं पा रहा है मन रम नहीं रहा है तब ऐसा कुछेक विटामिन बी की कमी के कारण भी हो सकता है . |
हरीश प्रकाश गुप्त
जयपालसिंह गिरासे किसी राजपूत नेता या व्यक्ती द्वारा महाराज,महाराणी,कुंवर,ठाकूर,भंवर,श्रीमंत आदी विशेषणों का प्रयोग अगर होता हो तो वह तुरंत बन्द कर देना चाहिए...ऐसा युवराज राहुल गाँधी ने कहा है! (माफ़ कीजिये हमने न चाहते हुए.. |
(17)समापनभगवती शांता परम सर्ग-8सृंगी अपने शोध में, रहते हरदम खोय || शांता सेवा में जुटी, परम्परा निर्वाह | करे रसोईं चौकसी, भोजन की परवाह || |
(18)हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संगलगे रहो मुन्नाभाई । वैसे तो कौन नहीं अपने आपको को ज्ञानी कहलाना चाहेगा। लेकिन ज्ञानी बनना इतना आसान काम नहीं। वास्तविकता यह है कि अधिकांष लोगों को अधिकांष चीजों की सतही जानकारी होती है। उनके अंदर गहरे ज्ञान का अभाव रहता है। जनसंख्या वृद्धि को हीं ले लीजिए। जनसंख्या वृद्वि के फायदे को आखिर कितने लोग जानते है। सभी लोग आपसे यहीं कहते मिलेंगे कि, जनसंख्या वृद्वि रोके बिना गरीबी दूर नहीं हो सकती। अर्थव्यवस्था की सेहत सुधर नहीं सकती। ऐसा कहने वाले लोगों में मौलिक सोच का अभाव होता है। वे लकीर के फकीर होते हैं। दुर्भाग्यवष जनसंख्या वृद्वि के संदर्भ में न व्यक्ति दूरदर्षिता का परिचय दे रहा है और न राष्ट्र। जबकि दूरदर्षिता के महत्व को हर कोई जानता है। |
बेख्याली में ही गुज़ार दी सारी उम्र इसी इंतज़ार में कि कभी तो कोई रखे कुछ ख्याल और जब आज कोई अपना रखता है ज़रूरत से ज्यादा ख़याल तो अनिच्छा की रेखाएं खिंच जाती हैं चेहरे पर, वाणी में भ...
वन्दना राख कहो या देह हथेली कहो या लकीर मगर राखो की कब होती है तकदीर कभी पीकर देखा है घोलकर राख को देखना एक बार कोशिश तो करना पीने की और फिर जीने की सच कहती हूँ अपना वजूद नही पाओगे राख मे ही तब्दील हो जा... |
(21) मेरे सपनेछाप तिलक सब छीनी रेछाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइकेप्रेम भटी का मदवा पिलाइके मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके |
(22)
ठाले बैठे
ये पूछ ना हमसे
ये पूछ ना हमसे, कि क्यूँ ग़म पी रहे हैं हम?
शक़-ओ-शुबा के दायरों में, जी रहे हैं हम||
मोहताज़ है - एक-एक 'क़तरे' को, तो क्या हुआ?
वो भी ज़माना था - कि जब - 'साकी' रहे हैं हम||
बन के अहिंसक, खा रहे, 'अधिकार' लोगों के|
सच ही तो कहते हैं - कभी - 'हब्शी' रहे हैं हम||
अब बात करना भी, गवारा है नहीं उन को|
ताउम्र जिनकी 'डेली डायरी' रहे हैं हम||
शक़-ओ-शुबा के दायरों में, जी रहे हैं हम||
मोहताज़ है - एक-एक 'क़तरे' को, तो क्या हुआ?
वो भी ज़माना था - कि जब - 'साकी' रहे हैं हम||
बन के अहिंसक, खा रहे, 'अधिकार' लोगों के|
सच ही तो कहते हैं - कभी - 'हब्शी' रहे हैं हम||
अब बात करना भी, गवारा है नहीं उन को|
ताउम्र जिनकी 'डेली डायरी' रहे हैं हम||
अगले दो सप्ताह की छुट्टी मंजूर करें || --रविकर |
(23)
चर्चित ब्लागर आकांक्षा यादव भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित
भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने युवा कवयित्री, साहित्यकार एवं चर्चित ब्लागर आकांक्षा यादव को ‘’डाॅ0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2011‘‘ से सम्मानित किया है। आकांक्षा यादव को यह सम्मान साहित्य सेवा एवं सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान के लिए प्रदान किया गया है। उक्त सम्मान भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा 11-12 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित 27 वें राष्ट्रीय दलित साहित्यकार सम्मलेन में केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला द्वारा प्रदान किया गया.(24)
"नारी की व्यथा " (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मैं
धरती माँ की
बेटी हूँ
धरती माँ की
बेटी हूँ
इसीलिए तो
सीता जैसी हूँ
मैं हूँ
कान्हा की मुरलिया,
इसीलिए तो
गीता जैसी हूँ।
बहुत अच्छी चर्चा!
जवाब देंहटाएं23 दिसम्बर की छुट्टी तो भाई ग़ाफि़ल जी ही मंजूर करेंगे। क्योंकि मैं 23 दिसम्बर को दिल्ली मे रहूँगा। 30 तारीख की चर्चा मैं लगा दूँगा। सभी सहयोगी चर्चाकारों की सेवा में सूचनार्थ!
बहुत सुन्दर चर्चा रविकर जी। छुट्टी का भरपूर सदुपयोग कीजिये और वापस आकर मिलिये, इसी दिन, इसी जगह!
जवाब देंहटाएंरोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंwah behtarin links ke liye sabhar ......prastutikaran bhi lajwab
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिनक्स का संकलन ...
जवाब देंहटाएंचैतन्य को शामिल किया , आभार
रविकर जी नमस्कार अच्छे लिंक देकर व अवकाश लेकर, आप भी शास्त्री के साथ साँपला ब्लॉगर मीट में आ रहे है क्या?
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा!
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंपढनीय लिंक्स।
ऐसा कम ही पाता है कि स्वास्थ्य की ख़बर ऊपर ली जाए। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिंक संयोजन्…………सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या लिंक्स संयोजन ।
जवाब देंहटाएंGreat links--Thanks Dinesh ji.
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर समायोजाना .छा गए बाबू रविकर जी .
जवाब देंहटाएंअच्छी लिंक्स और चर्चा |बधाई |
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना शामिल करने के लिए |
आशा
bahut badiya links ke sath sarthak charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा... पठनीय लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल राय की अपेक्षा करती है हमारी यह पोस्ट-
http://shalinikikalamse.blogspot.com/2011/12/blog-post.html
सुन्दर रंगविरंगी चर्चा.
जवाब देंहटाएंaabhar...bahut sunder links se sajaya hai charcha manch ko...meri post ko yaha samman dene k liye aabhar.
जवाब देंहटाएंरविकर जी, बहुत सुंदर लिंक्स लगाये हैं,अभी पढ़ कर तृप्त हुये हैं.
जवाब देंहटाएंचुन चुन कर मोतियों को पिरोया है इस संकलन रूपी माला में। 'ठाले-बैठे' को इस माला के योग्य समझने के लिए दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा है,
जवाब देंहटाएंनिरामिष के परिचय को सम्मलित करने के लिए आभार!!
शाकाहार जागृति के लिए यह प्रसार आवश्यक भी है।