नवाब कसाब
काश हम भी बच्चे होते
ग्रहण आपका कुछ बिगड़ेगा या नहीं
आओ चुप्पी तोड़कर इन सबका भांडा फोड़ दें
खिसिया सिब्बल फेसबुक नोंचे
जर्नलिस्ट तो ठीक है, पर करते क्या हैं ?
इदं अल्लाहाये स्वाहा इदं खुदाए स्वाहा
फेसबुक टेली ब्रांड स्काई शॉप
गुलाम मानसिकता के मध्य स्वतंत्र अभिव्यक्ति की कल्पना !
काश हम भी बच्चे होते
ग्रहण आपका कुछ बिगड़ेगा या नहीं
आओ चुप्पी तोड़कर इन सबका भांडा फोड़ दें
खिसिया सिब्बल फेसबुक नोंचे
जर्नलिस्ट तो ठीक है, पर करते क्या हैं ?
इदं अल्लाहाये स्वाहा इदं खुदाए स्वाहा
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भगवती शांता परम सर्ग-7-भाग दो
चवन्नी का अवसान : चवनिया मुस्कान
सोने पे सुहागा
आदम जात की बात नहीं..
भांडा फोड़ .
जख्म कैसे और क्यों?
नज़र के सामने जो कुछ है अब सिमट जाये ...
हर बला से नजरें मिलाने का हौसला रखते हैं ,
हम तो कयामत तक साथ निभाने का जिगर रखते हैं,,
यही तो है जूनून !
क्या अन्ना को सपने में सताते हैं राहुल?
जिन्दगी के लिये -*क्यों नहीं छोड़ देते*** *उसे एक बार***
ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण में योगदान....
आओ चुप्पी तोड़कर इन सबका भांडा फोड़ दें!
ये फूल........
सुबह सुबह देखो तो इन फूलों की पंखुड़ियों पर
पानी की चंद नन्ही नहीं बूँदे पड़ी होती हैं ।
तो क्या ये फूल भी किसी की याद में सारी रात रोते हैं।.....
ऐसा कभी खुदा न करे
तुझे भुलाऊँ मैं , ऐसा कभी खुदा न करे
मेरे ख़याल से सूरत तेरी जुदा न करे ....
क्षणिकायें और मुक्तक -
(1) चुरा के रख ली है आवाज़ तेरी अंतस में,
सताने लगती है जब भी तनहाई,
मूँद आँखों को सुन लेता हूँ।....
विनिमय
नैन बरसे कहीं भींग जाते रहे ,
जो हृदय में बसी थी सुनाते रहे............
बोझ क्यूँ समझा है इसे ....
है नाम जिंदगी इसका....
सोने पे सुहागा
आदम जात की बात नहीं..
भांडा फोड़ .
जख्म कैसे और क्यों?
नज़र के सामने जो कुछ है अब सिमट जाये ...
हर बला से नजरें मिलाने का हौसला रखते हैं ,
हम तो कयामत तक साथ निभाने का जिगर रखते हैं,,
यही तो है जूनून !
क्या अन्ना को सपने में सताते हैं राहुल?
जिन्दगी के लिये -*क्यों नहीं छोड़ देते*** *उसे एक बार***
ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण में योगदान....
आओ चुप्पी तोड़कर इन सबका भांडा फोड़ दें!
ये फूल........
सुबह सुबह देखो तो इन फूलों की पंखुड़ियों पर
पानी की चंद नन्ही नहीं बूँदे पड़ी होती हैं ।
तो क्या ये फूल भी किसी की याद में सारी रात रोते हैं।.....
ऐसा कभी खुदा न करे
तुझे भुलाऊँ मैं , ऐसा कभी खुदा न करे
मेरे ख़याल से सूरत तेरी जुदा न करे ....
क्षणिकायें और मुक्तक -
(1) चुरा के रख ली है आवाज़ तेरी अंतस में,
सताने लगती है जब भी तनहाई,
मूँद आँखों को सुन लेता हूँ।....
विनिमय
नैन बरसे कहीं भींग जाते रहे ,
जो हृदय में बसी थी सुनाते रहे............
बोझ क्यूँ समझा है इसे ....
है नाम जिंदगी इसका....
भाई कमल सिंह जी!
जवाब देंहटाएंआपने बढ़िया लिंकों के साथ अच्छी चर्चा की है!
आभार!
सुन्दर सटीक चर्चा के लिए बधाई और आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
बड़े ही सुन्दर सूत्र चुनकर लाये हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स से सजा है आज का ये चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिनक्स प्रस्तुत किये आपने ...धन्यवाद ..
जवाब देंहटाएंgood links.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा ,अब दर दर भटकना नहीं पड़ेगा .
जवाब देंहटाएंयहीं से डाइरेक्ट बस पकड़ लेंगे .
बड़े ही सुन्दर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंआखिर क्या कुछ ख़ास है, चर्चा में मोशाय |
जवाब देंहटाएंबीस से ज्यादा टिप्पणी, मुझको बारह आय ||
बहुत बहुत बधाई ||
अच्छे लिंक्स।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंNice links.
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंdher saare badhia links ...
जवाब देंहटाएंbadhia charcha ..
बहुत बढ़िया लिनक्स प्रस्तुत किये
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रही आज की चर्चा |
जवाब देंहटाएंएक और बात, समय के अभाव में आज कल ज्यादा सक्रिय नहीं रह पा रहा हूँ ब्लॉग की दुनिया में | सभी ब्लॉगर से कश्म चाहता हूँ अपनी उपस्थिति न दिखा पाने के लिए | स्नेह बनाये रखें |
बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा |
जवाब देंहटाएंपोल खोल बोल
भाई कमल सिंह जी!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा |