मित्रों।
ब्लॉगिस्तान में घूमकर, मंगलवार के लिए हम अपनी पसंद के कुछ लिंक आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं।
कहते हैं कर्म ही जीवन है इसलिए पहले किचन में जाते हैं क्योंकि रसोई घर- सबसे बड़ी पाठशाला है जहाँ,हर कदम ऊर्जा के साथ ज्ञान मिलता है। परोपकार करना चाहिए, ऐसा सभी कहते मिलेंगे लेकिन इस दिशा में प्रयासरत विरले ही होते हैं ! सभी अपनी-अपनी ऊर्जा के साथ कमाने में लगे हुए हैं! चलिए कुछ मीठा हो जाए ?--या फिर थोडा सा परोपकार ? …… इसलिए मेरी नज़र से भी देखिये " टूटते सितारों की उड़ान क्या भारतीय मीडिया डरपोक या प्रायोजित या बिका हुआ या अवसरवादी, या उपरोक्त सभी ? जी हाँ ये सवाल मै अपने पूरे होशो हवास मे कर रहा हूँ " संसद पर हमले की दसवीं बरसी: अफजल गुरू पर फॉसी के लिए अनशन क्यों नहीं? क्या ये सच है लेखक की कल्पना का कोई अंत नहीं ... ? कवि की सोच गहरे सागर में गोते लगा कर सातवें आसमान तक जाती है ... ? स्वप्न मेरे. चाहते हैं मुक्ति ... -हौसले जब जवान होते हैं, ज़ेर पा आसमान होते हैं. ग़म को पीकर जो मुस्कुतारे हैं, आदमी वो महान होते हैं...हौसले जब जवान होते हैं ...जैसा की विदित है, इस साल दिल्ली अपनी राजधानी बनने की सौवीं वर्षगाँठ धूम-धाम से मना रही है! मैंने भी सोचा कि क्यों न मैं भी दो शब्द इस अवसर पर कहता चलूँ ...। गुड्डे और गुड़ियों का व्याह जो रचाती है | अगले ही पल वह , ख़ुद दुल्हन बन जाती हैं | जो पिता नहीं कह पाती, वह पत्नी क्या कहलाएगी | जो दूध अभी पीती है, क्या बाल विवाह एक अभिशाप से कम नहीं है? प्रेम -- किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता, किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जा सकता; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है माँ......प्रेमकाव्य....सप्तम सुमनान्जलि -वात्सल्य! हमारी किताबों की दुनिया श्रृंखला के आज के शायर आप सब के जाने पहचाने हैं. किताबों की दुनिया - 64- हवा के झोकों को.... तेरी यादो से जोड़ने में , हमें बड़ा मजा आता है | यही तो है-मेरी बेकरारी । पढ़िए एक नवगीत-*पूस के जाड़े में* *ठिठुर रही धूप। ब्लाग क्यों बांचें भई ? शुद्ध अन्तःकरण से मनसा वाचा कर्मणा पढ़िए- हनुमान लीला - भाग २ *जिन्दगी* ** *बिखर जायेगी* *या सवँर जायेगी* *ना मालूम मुझे* *पर......* *तेरे साथ ने* *जिन्दगी के* *मायने बदल कर रख दिए हैं। जरा देखो तो इस दरख्त को। कभी इसके साथ भी बहार थी...?
ही देख रहा था।
"आशा पर संसार टिका है"
आशा पर ही प्यार टिका है।
आशाएँ अंकुर उपजातीं,
आशाएँ विश्वास जगातीं,
आशा पर परिवार टिका है।
तुमसे मिलकर ...
जुबां खामोश थी,
मन फिर भी तुमसे
बहुत कुछ बोल रहा था
ये कैसा मंजर था,
मैं हर तरफ तुम्हें
मन फिर भी तुमसे
बहुत कुछ बोल रहा था
ये कैसा मंजर था,
मैं हर तरफ तुम्हें
"आशा पर संसार टिका है"
आशा पर ही प्यार टिका है।
आशाएँ अंकुर उपजातीं,
आशाएँ विश्वास जगातीं,
आशा पर परिवार टिका है।
*प्यारा-प्यारा मोर *
*कैसा लगा आप सबको
मेरे हाथ से बनाया यह मोर :) *
शब्दों का सफर भी देख लीजिए न!
कार्टून :- संस्कृत, संस्कृति और संस्कार
और अन्त में-
"अदम गोंडवी" को चर्चा मंच की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि *
चल दिए सू-ए-अदम - अदम गोंडवी - *"अदम गोंडवी" को यह श्रद्धांजलि **श्री सलिल वर्मा द्वारा उनके ब्लॉग चला बिहारी ब्लॉगर बनने पर दी गई है।* *रामनाथ सिंह "अदम" गोंडवी* (22 अक्तूबर 1947 - 18 दिसम्बर,2011)...पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी - अदम गौंडवी -अदम गौंडवी 22 अक्तूबर 1947 - 18 दिसम्बर 2011 काल के गाल ने इस साल एक और माटी के लाल *श्री राम नाथ सिंह उर्फ अदम गौंडवी जी * को अपना शिकार बना लिया।
महत्त्वपूर्ण चर्चा...अदम साहब को, जो कि हमारे गोण्डा की ही सरज़मीं के थे भावभीनी श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं सार्थक लिंक के साथ संजोई है ये चर्चा।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा .
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि..
जवाब देंहटाएं"अदम गोंडवी" को चर्चा मंच की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि *
जवाब देंहटाएंNice links .
सार्थक लिंक .
जवाब देंहटाएंअदम गोंडवी को श्रद्धांजलि...नमन
जवाब देंहटाएंइस सधी चर्चा में चैतन्य को शामिल किया आभार आपका
धन्यवाद...मेरे गीत के लिन्क के लिये..
जवाब देंहटाएंगौंडवी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित हैं...
एक अच्छी चर्चा के लिए शुक्रिया शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का बहुत आभार ...आप सभी को सदैव कुछ नया देने की तीव्र इच्छा के साथ प्रस्तुत ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स सहेजे हैं आज तो
जवाब देंहटाएं" शुद्ध अन्तःकरण से मनसा वाचा कर्मणा पढ़िए- हनुमान लीला - भाग २"
जवाब देंहटाएंआपका मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' व मेरी
पोस्ट 'हनुमान लीला -भाग-२' का चर्चा मंच
में शामिल कर इस प्रकार से चर्चा करना आनन्दित
कर रहा है शास्त्री जी.
बहुत बहुत शुक्रिया आपका.
विनम्र श्रद्धांजलि...गौंडवी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित..बहुत सुंदर लिंक्स सहेजे हैं ..aapka tahe dil se sukriya meri post ko yahan sthan dene ke liye
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक लिंक सजोए है ...मेरी पोस्ट
जवाब देंहटाएं'कर्म ही जीवन है' को शामिल करने के लिय आभार...
Bahut badhiya ur sarthak charcha.
जवाब देंहटाएंAabhar..
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंनेट मीडिया को मीडिया का २०-२० माना जाता है... इसमें कंटेंट्स की इतनी अधिक भरमार होती है की पाठक टाइटल पर नजर डालते हुए आगे बढ़ जाते है. इसका परिणाम है छोटी -छोटी कॉमन प्रतिक्रिया जैसे :- "बहुत अच्छा लेख, सुन्दर अभिव्यक्ति, सार्थक पहल, बहुत अच्छे इत्यादि इत्यादि".
परन्तु चर्चा मंच के पाठक विषय और सामग्री के प्रति इतने गंभीर और प्रेक्टिकल है की वे बिना वजह या बिना विश्लेषण किये कभी प्रतिक्रिया नहीं करते अर्थात वे २०-२० नहीं टेस्ट खेलकर और अपनी प्रतिक्रियावो में लेख की कमिय और खूबिय गिना जाते है .. जब से मेरी पोस्ट चर्चा मंच में शामिल होना शुरू हुई है तब से मुझे मेरे आलेखों पर जो प्रतिक्रिया मिली है उस से मेरा उत्साह बहुत बढ़ गया है.. मै आभारी हु आपका की इतने विचारो और प्रतिक्रियावो से भरी भीड़ में से भी मेरी पोस्ट को महत्व दे देते है और उसके परिणाम में इतने सुधी पाठको की प्रतिक्रियाये मुझे मिलती है, और प्रोत्साहन के साथ ही सुधार करने का मौक़ा मिलता है.. मै विश्वास से कह सकता हूँ की चर्चा मंच के पाठक ऑनलाइन मीडिया का २०-२० नहीं, बल्कि टेस्ट खेलते है..
badhiya charcha...
जवाब देंहटाएंविविध रंगों से सजाया है आपने आज का चर्चा मंच ......आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअदम जी को श्रध्दासुमन....
लेखकों को प्रेरित करके उनका उत्साह वर्धन किया है..सुन्दरता से स्थान दिया गया है ,हर एक लेखक की कृति उसके लिए अमूल्य होती है... आपने, उसे पहचानने का अवसर प्रदान किया है ..
जवाब देंहटाएंऋतू बंसल
बेहद सार्थक श्रेष्ठ लिंक है, आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं………सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स मिले ...मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंmanmohak .
जवाब देंहटाएंmanmohak .
जवाब देंहटाएं