मित्रों!
बुधवार की चर्चा के लिए कुछ लिंकों का चयन मैंने निम्नवत् किया है।
जाने किस बंदरगाह पर जा कर उस जहाज ने लंगर डाला होगा ? उस जहाज के साथ मेरा मन चला गया, और यहाँ, जहां में किसी को नहीं जानता , ना कोई मुझे जानता, कहीं, यह पारादीप तो वह नहीं! देश ये पूरा है धुंध की चपेट में, चारो ही तरफ है इसका ही साया; जीवन अस्त-व्यस्त आमो-खाश भी परेशान, रेल, सड़क, वायु तक हर मार्ग है बाधित! हमारे सर पे भी एक आसमान रहता है, दुआओं सा जो कोई निगहेबान रहता है, तुम नमाज़ी हो तो क्या समझोगे कभी, खुदा काफिरों पे कहाँ मेहरबान रहता है! कितना खोया कितना पाया (जन्मदिन पर एक आत्मविश्लेषण) इस हंसी रात में जो कुछ माँगू., तो माँगू सिर्फ तुम्हारा साथ | और जो अगर कुछ देखना चाहू , तो देखू मुझसे जुदाई का गम आपकी भी आँखों में | अपने अन्दर का ही ख्याल - सन्नाटा मुझे पसंद नहीं नहीं अच्छा लगता मुझे जब अन्दर सांय सांय सा होता है न दिल धड़कता है न दिमाग कुछ सोचता है चेहरे पर अवाक सी लहरें उठती रहती हैं ....! कल मैं खुद ही खुद से मिली, खुद को समझाया, खुद को ही डाँटा, खुद ही परेशान रही. खुद से बातें की, पर खुद को न बदल पाई, कितनी मुश्किल है खुद से मुलाकात..! शाकाहार और मांसाहार को लेकर पिछले कई दशकों से चल रहे विवाद में भले ही दोनों पक्षों के पास अपने अपने प्रबल तर्क हों, लेकिन शाकाहार के पक्ष में यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि शाकाहार से प्रकृति और पर्यावरण को लाभ ही होता है ! झुक जाता है सर मेरा, जब कोई मंदिर दीखता है , करता लेता हूँ इबाबत जब कोई मस्जिद दीखता है , प्रेयर , करके इसा की, कुछ और आनंद ही आता है , स्वर्ण मंदिर देख...साँप ! कुछ अलग सा लेकिन अजब-गजब - प्रकृति ने हमारे चारों ओर अजब-अनोखे, विचित्रताओं से भरे खूबसूरत किरदार रचे हुए हैं। राज भाटिया जी भारत में : हिन्दी चिट्ठाकारी में उफान 24 दिसम्बर 2011 शनिवार को आएगा, आप पहुंच रहे हैं - श्री राज भाटिया जी आजकल दिल्ली में हैं और आप उनसे 09999611802 बात कर सकते हैं। शनिवार 24 दिसम्बर 2011 को सांपला में ब्लॉगर मिलन के लिए! दर्द तो होता रहता है, दर्द के दिन ही प्यारे हैं - जब चाहा इकरार किया, जब चाहा इनकार किया देखो, हमने खुद ही से, कैसा अनोखा प्यार किया....! जिंदगी के मेलों में... मैं देख रहा हूँ तमाशे कहीं ठेलों पर बिकती चाट, और कहीं पानी बताशे * खट्टा सा है स्वाद खुशी का....! एक परिचर्चा ! अवैध यौन संबंधों में कानून द्वारा लिंग भेद! हिन्दी साहित्य में गुलेरी जी की लोकप्रिय कहानी ‘उसने कहा था’ आज हमें एक दूसरे संदर्भ में याद आयी। हुआ यूं कि जब से लखनऊ कलक्ट्रेट में तैनाती पायी...कोलाहल से दूर.....एक और रवि (वार) की दुखद हत्या ....! रविकर जी को "कुछ कहना है" मेरा पहला खंड-काव्य -- - आपकी सेवा में प्रस्तुत है || आपका मार्गदर्शन मिला बहुत बहुत आभार- - भगवती शांता परम सर्ग-5 : इति - भगवती शांता परम सर्ग-4....! मौत की झोली आलू, भिन्डी, गोभी के साथ मौत की झोली घर आयी हमने चटखारे लेकर खाई बचे रोटी, चावल, सब्जी के छिलके कर दिए फिर झोली के हवाले:...! चेहरा दिखाकर छुप जाते हैं लोग जब भी चाहते भूल जाते हैं लोग दिल लगाने को बातें करते हैं लोग हँसा हँसा कर फिर रुलाते हैं लोग...! " भ्रष्टाचार का वायरस " आने वाले समय में .... चिड़ियों की चह-चहाट गुम हो जाएगी ! सुबह सवेरे हमें मोबाईल फोन से जगाया करेंगी ! कोशिश - *पर्वतों से निकलती टेढ़ी मेढ़ी धारा से * * मैं श्वेत निर्मल नदी सी बहुंगी * *ऊँचे नीचे ,पथरीले ,रास्तों से गुज़र के....जिससे अब तक नफरत की थी, वो ही रिश्तेदार हो गया। नवयुग के इस नये दौर में, वो अपना परिवार हो गया।। आओ पृथ्वी की परिधि नापें Earth Experiment सी. वी. रमण विज्ञान क्लब के सदस्य और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अलाहर के विद्यार्थी २१और२२ दिसम्बर को पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग करेंगे ।
सी. वी. रमण विज्ञान क्लब के सहयोग से स्कूल के छात्रों ने सम्बन्धित उपकरण तैयार कर लिए हैं ।
इस प्रयोग को अर्थ एक्सपेरीमेंट के नाम से जाना जाता है ।
अन्त में देखिए यह कार्टून-

सुंदर सधी हुई चर्चा .... अच्छे लिनक्स मिले.....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारे लिंक सहेजे हैं आपने। बधाई।
ReplyDelete------
आपका स्वागत है..
.....जूते की पुकार।
सुंदर रचनाऔं के लिंक्स के लिए आभार आपका.
ReplyDeleteNice links .
ReplyDeletehttp://www.testmanojiofs.com/2011/12/1.html
रोचक चर्चा ...
ReplyDeleteआभार!
सुंदर सार्थक चर्चा ....
ReplyDeleteआभार.
nice
ReplyDeleteachhi charcha
ReplyDeleteरोचक चर्चा, शेष सूत्र भी पढ़ते हैं।
ReplyDeletebahut sundar kuch naye sootra bhi mile padne ko.saarthak charcha.aabhar.
ReplyDeleteअच्छी चर्चा।
ReplyDeleteबेहतर लिंक्स।
बहुत बहुत आभार ....
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ,व आभार..
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग
kalamdaan.blogspot.com
कृपया अधिकाधिक पधार कर मेरा मार्गदर्शन कर मुझे प्रेरित करें..
सहज प्रवाहमय चर्चा!! बहुत ही अच्छे आलेख पठन हेतु उपलब्ध हुए!! आभार
ReplyDeleteनिरामिष के आलेख को स्थान देने के लिए आपका आभार
बहुत ही अच्छे लिंक सहेजे हैं आपने।
ReplyDeleteवाह, बहुत सुंदर चर्चा
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छे लिंक्स दिये हैं आपने ..आभार ।
ReplyDeleteसुंदर लिंक्स...चर्चा प्रस्तुति का रोचक अंदाज...आभार
ReplyDeleteअच्छी चर्चा.
ReplyDeletebahut badiya links ke saatha saarthak charcha.aabhar!
ReplyDeleteलिंक्स के लिए आभार.......
ReplyDeletecould see nice links.
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा
ReplyDeletenice links ,
ReplyDeleteअतुल जी का बहुत आभार जो मैं उनकी वजह से इतनी अच्छी रचनाओ को पढ़ पा रही हूँ और आप सभी की कृपया और मार्गदर्शन की इच्छुक हूँ ...
ReplyDeleteडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी आपका हमेशा उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteaaderniy shastri jee..itne saare link itne behtarin tareeke se samayojit kiya hai..aapka protsahan hamesha hee kuch naya likhne ki urja deta hai..sadar pranam aaur badhayee ke sath
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