स्वाभिमान कहने लगा, करो खुशामन्द बन्द।
अपने बल पर आज भी, लिंक धरो निर्द्वन्द।।
अपने बल पर आज भी, लिंक धरो निर्द्वन्द।।
मोपासाँ की कहानी - चाँदनी पढ़कर तेरी शादी किसी गधे से कर दूंगा ! *झुकी पलके उठाकर के, खुली जुल्फें सवारेगी...कौतुक-स्वांग ! पढ़ लीजिए अच्छी तरह आपके लिए भी खुल रहे हैं अवसर फिल्म आएगी 2012 में तब आप बनेंगे दर्शक....हिन्दी चिट्ठाकार को बनाया फेसबुक ने फिल्म का हीरो ! गज़लों के दौर से निकल कर हाजिर हूँ आज कविता के साथ ... तेरा वजूद ...आशा है आपको पसंद आएगी ..."बातें हिन्दी व्याकरण की ! इसी लिए तो गांधी परिवार दुनिया में सबसे अच्छा है! । चंचल चितवन के सैनों से ,क्यूं वार किया तुमने | तुम हो ही इतनी प्यारी सी ,मन मोह लिया तुमने || टटोलती हू्ं खुद को कई बार, झांकती हूंअपने अंदर और पूछती हूं अक्सर खुद से ये सवाल....... कि जो रिश्ता है हमारे बीच वो प्यार का है, समर्पण का या वृक्ष और लता का! क्या किसी भी गज़ल का बहर में होना जरूरी है ? बिछोह -घड़ी*** *सँजोती जाऊँ आँसू*** *मन भीतर*** *भरी मन -गागर।*** *प्रतीक्षारत*** *निहारती हूँ पथ*** *सँभालूँ कैसे*** *उमड़ता सागर।***..कहें गिरधर उसे हम पल में मुरलीधर बना लेते ! 'क्योंकि बज़्म..' में उनकी लूटा आया.. कारवां-ए-अश्क़.. ३३ % एक्स्ट्रा ऑफर याद आया था.. फ़क़त.! हम इस पाखंडी दुनिया से अक्सर दूर दूर से रहते हैं, जो मन में आता उल्टा सीधा ज़ोर ज़ोर से कहते हैं, ये बेढंगापन है मेरा,ये पागलपन है मेरा स्वीकार करो तो कर लो, नहीं तो..चोर चोर मौसेरे भाई!! लेकिन “वो दौर और था, ये दौर और है..” ज़नाब! चंद्रमुखी ...........मधुरिमा ...मनोरमा हो तुम ...!! न अपनाया मैंने न जमाने ने मेरा चलन यूँ ही गुजर गयी साथ-साथ चलते हुए हमने गुजारी है हम ही जानते हैं कैसे! तुम भी गुजार दो बस यूँ ही साथ-साथ चलते हुए! हमारे जीवन के हर पहलू पर पड़ता "सामाजिक प्रभाव" [लीजिये साब, गायब आया ! कुछ विशाल ग्रंथों में उलझा था। कई सुलझे, कई सिर पर पड़े हैं अभी ! शोक का एक सन्देश क्या आया, मैं यहाँ चला आया ! मुक्ताकाश....! एक पिता का दर्द.... तो वो ही जानता है! चंद्रकांत देवताले की कविता और स्त्री विमर्श....!मंदिर मस्जिद एक धार्मिक समस्या है इसे धर्म के स्तर पर ही हल किया जाना चाहिए। राजनीति करने वाले समस्याओं को ख़त्म नहीं करते ताकि उनके हाथ से मुददा न निकल जाए! माँ की ममता और पिता का फ़र्ज़ कैसे कम होगा हमारे बच्चों के सिर पर लदा कर्ज़? खेती को भी मिलना चाहिए उद्योग का दर्जा! अब करते हैं बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी को शत - शत नमन! चतुर्वर्ग फल प्राप्ति और वर्तमान मानव जीवन !
चलते -चलते ....! क्यों पहनें हम रूपा के जांघिये ? हम अपने ख़ुद के पहन लें, तो ही बड़ी बात है! सही तरीका तो यह है कि "रोज हाट से लौकी लाओ"
अन्त में- स्वप्न का स्वर्ग *****देखिए दो कार्टून!
बढ़िया चर्चा ...अच्छे लिनक्स प्रस्तुत किये ..आभार
जवाब देंहटाएंबड़े रोचक ढंग से प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरोचक ढंग चर्चा का |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बढ़िया व मन मोह लेने वाली चर्चा | क्या किसी भी गज़ल का बहर में होना जरूरी है ? भाग नंबर-१
जवाब देंहटाएंको इस चर्चा में शामिल करने के लिए दिल से धन्यवाद |
टिप्स हिंदी में
बढ़िया..रोचक प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंso many flowers at a glance ......very nice sir
जवाब देंहटाएंabhinav,,,,,,,,,,,,,,,
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी नमस्कार ..बड़ी रोचक चर्चा की है आज .....मुझे स्थान मिला ...आभार ...!!
जवाब देंहटाएंरोचक प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंआभार ||
Aabhaar shashtri ji !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या लिंक्स संयोजन के साथ बेहतरीन चर्चा के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंचर्चा तो शानदार है ही, आज अंदाज भी निराला है।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स के साथ बेजोड चर्चा ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...मेरी रचना भी देखे .......
जवाब देंहटाएंसंयत व सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंकमाल की मालिका बनायी है आपने शास्त्री जी!! एक अनोखा अंदाज़ चर्चा का!!
जवाब देंहटाएंअनोखे अंदाज में सुंदर प्रस्तुति,...बधाई ...
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंdr.saheb bahut hi sarahaniyan pryaas hai aapaka sadhuwad
जवाब देंहटाएंsarthak prastuti.....achchhe links .internet ki gadbadi ke karan blogs nahi khul paa rahen hain .der se hi sahi aapko v amar ji ko vaivahik varshgathh ki hardik shubhkamnayen .
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच पर डॉ. कुमार विमल पर मेरे संस्मरण का उल्लेख करने के लिए आभार व्यक्त करता हूँ ! पिछले एक पखवारे से विमलजी की यादों में विचरण कर रहा है मेरा मन. उन यादों को आप सबों के साथ बांटने का मन हुआ. वितरण की व्यवस्था करने में आपका भी सहयोग मिला है, आप साधुवाद के पात्र हैं ! आनंद व. ओझा.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स।
बढि़या लिंक्स संयोजन के साथ बेहतरीन चर्चा के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंPlease see this nice article also
http://raviwar.com/news/626_three-hundred-ramayanas-ak-ramanujan-gatade.shtml