नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा में अपने पसंद की बीस लिंक्स के साथ। |
20 अस्पतालों के वेटिंग एरिया का वातावरण अस्पतालों के वेटिंग एरिया की तरफ़ शायद इतना ध्यान दिया नहीं जाता। मैंने अपने एक लेख में लिखा था कि अकसर अस्पतालों में आप्रेशन के द्वारा निकाली गई रसौलीयां या ट्यूमर आदि का प्रदर्शन वेटिंग एरिया में किया जाता है। |
19 कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए किसके लिए ज़रूरी हैं स्तेतिंस ? |
18 दि 39 स्टेप्सअल्फ्रेड हिचकाक दुनिया के महानतम फिल्म निर्देशकों में से एक माने जाते हैं। उन्हें मास्टर आफ सस्पेंस कहा जाता है। लेकिन यह उनका अधूरा परिचय ही है। फिल्मों में हिचकाक के योगदान को देखते हुए उन्हें एक फिल्म स्कूल कहना ही ज्यादा उचित होगा। हिचकाक आम दर्शकों को जितना पसंद आते हैं उतना ही वह फिल्म बनाने वालों को भी प्रभावित करते हैं। फिल्मी भाषा में जिसे फिल्म का क्राफ्ट कहते हैं उसमें हिचकाक अन्यान्य हैं। |
17 नही चलेगी ये अन्नागिरी... |
16 गुटबंदी का कोई इलाज नहींपूर्वांचल की माटी ने एक से एक साहित्य सृजनकार पैदा किए हैं। वे अपनी प्रतिभा से पूरे विश्व को साहित्य रस में डुबोते हैं। विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को जब बिड़ला फाउंडेशन 2010 का व्यास सम्मान देने की घोषणा हुई तो यहां की प्रतिभा ने एक बार फिर लोगों को चमत्कृत कर दिया। परमानंद श्रीवास्तव के बाद वह पूर्वांचल के दूसरे साहित्यकार थे, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया। |
15 सितारों को सब पता हैहथेलियों की सतह पर |
14 हम और वहहम अहसान जताते उस पर, जिसको अल्प दान दे देते किन्तु परम का खुला खजाना, बिन पूछे ही सब ले लेते ! |
13 "ग़ज़ल" कठिन गुजारा लगता है (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")सुमनों की मुस्कान भुला देती दुखड़े खिलता गुलशन बहुत दुलारा लगता है जब मन पर विपदाओं की बदली छाती तब सारा जग ही दुखियारा लगता है |
12 मेरा शहर उदास है |
11 याद आये फिर तुम्हारे केश याद आये फिर तुम्हारे केश, |
10 फिल्म समीक्षा : डबल धमाल |
09 कॉल करती….ना मिस कॉल करती- राजीव तनेजा “वोही तो….आप क्या चिकन-शिकन या फिर दारू-शारू का कोई शौक रखते हैं?” “सिर्फ पूछ रहे हैं या फिर खिलाने-पिलाने की भी सोच रहे हैं?” “अभी फिलहाल तो सिर्फ पूछ ही रहा हूँ" “ओह!….फिर तो मैं इन चीज़ों से कोसों दूर रहता हूँ" “दैट्स नाईस"… |
08 मैं पिट्सबर्ग हूँ [इस्पात नगरी से - 42] |
7 राजभाषा की अवधारणा, हमारे कर्तव्य और मनमानी व्याख्याएँएक सरकारी कर्मचारी के नाते मुझे यदि किसी कार्यालय आदेश में नियम विरुद्धता नजर आती है तो मुझे इसे सक्षम अधिकारी या प्राधिकारी के संज्ञान में लाना है। यदि फिर भी मुझे नियम विरुद्धता प्रतीत होती है तो मुझे न्यायालय में अपील करनी है। निचली अदालत के निर्णय से संतुष्टि न मिलने पर उससे बड़ी, यहा तक कि सर्वोच्च अदालत तक जाया जा सकता है। सर्वोच्च अदालत की व्याख्या अंतिम और सर्वमान्य है। |
6 दो मुफ्त एंटीवायरस प्रोग्राम के नए संस्करण मुफ्त एंटीवायरस के क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय दो एंटीवायरस प्रोग्राम के नए संस्करण आपके कंप्यूटर को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए अब उपलब्ध है । |
05 { तुम्हें ही भेदना है } पल रहा अन्याय उर में , तो उसे अभिव्यक्ति भी दो , गाँठ मन की खोल दो, अंतःकरण की शक्ति भी दो / देश यह पालक पिता है और धरती माँ सभी की , इसलिए इसको समर्पण भाव दो,अनुरक्ति भी दो / |
04 भविष्य में क्या बनना है, इस विषय में हर एक के मन में कोई न कोई विचार होता है। बचपन में वह चित्र अस्थिर और स्थूल होता है, जो भी प्रभावित कर ले गया, वैसा ही बनने का ठान लेता है बाल मन। अवस्था बढ़ने से भटकाव भी कम होता है, जीवन में पाये अनुभव के साथ धीरे धीरे उसका स्वरूप और दृढ़ होता जाता है, उसका स्वरूप और परिवर्धित होता जाता है। एक समय के बाद बहुत लोग इस बारे में विचार करना बन्द कर देते हैं और जीवन में जो भी मिलता है, उसे अनमने या शान्त मन से स्वीकार कर लेते हैं। धुँधला सा उद्भव हुआ भविष्य-चिन्तन का यह विचार सहज ही शरीर ढलते ढलते अस्त हो जाता है। |
03 तुम मेरे उनींदरे से बनी सलवट हो ..कल चाँद संतूर बजा रहा था ; सलवटों से भरा था हवा का बिस्तर |
02 एक नन की आत्मकथा |
01 क्या बनोगे बच्चे क्या बनना है बच्चे को? |
आज बस इतना ही।
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
बहुत बढ़िया लिंकों से सजी हुई सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंइतने लिंक तो आराम से पठनीय हैं!
अच्छी चर्चा के लिए साधुवाद |
जवाब देंहटाएंआशा
इस बार की चर्चा काफी अलग सी है जिसमे कई सामयिक और तथ्यपूर्ण पोस्ट्स को चयनित किया गया है. फिर मनोज जी का अनूठा अंदाज गीतमाला के काउंट डाउन की तरह. इस तरह से चर्चा काफी मनोरंजक बन जाती है. बहुत बधाई इस सुंदर चर्चा के लिए.
जवाब देंहटाएंsunder charcha sarthak links.aabhar.
जवाब देंहटाएंbahut sunder charcha hui,
जवाब देंहटाएंthanks manoj ji..
bahut sarthak prastuti Manoj ji .aabhar
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक नये भी मिले
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स मिले ... आभार !
जवाब देंहटाएंकॉम्पैक्ट चर्चा! आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से सजी शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स...बधाई
जवाब देंहटाएंsarthak charcha
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिंक्स लिए हुए अच्छी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंक्या बनोगे बच्चे ...बहुत पसंद आई
उम्दा लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक चर्चा...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ,बहुत सुन्दर लिंक्स...बधाई
जवाब देंहटाएंNice post.
जवाब देंहटाएंकुछ मशहूर ब्लॉग के तहत आपके ब्लॉग का लिंक इस ब्लॉग पर लगाया गया है.
दुनिया की पहली हिंदी ब्लॉगिंग गाइड
bahut acchhe links saheje hain...abhi kuchh ko dekhna baaki hai.
जवाब देंहटाएंअच्छे चयन के लिए आपका आभार .संयोजन खूबसूरत रहा .
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