namaskaar shastri ji.. kal ki charcha dekh lijiyegaa.. mai kaam se pune ja raha hu... 1 hafte me laut jaungaa |
चालबाज, ठग, धूर्तराज सब, पकडे बैठे डाली - डाली | आज बाज को काज मिला जो करता चिड़ियों की रखवाली | |
कॉलेज की वे यादें आज भी भूल नहीं पाती मन में ऐसी बसी हैं अक्सर याद आती हैं |..... |
सुरेश राजपूत सागर के बारे में ऐ सागर तू कैसा हैं, सब को समा लेता है, हर किसी को अपना लेता है, इसीलिए तुझे सागर कहते हैं,.... |
तुम किसी खोह - खन्दक से उभरी हो, या गहरे पाताल से निकली हो। |
किसी व्यक्ति पर ऐसी बुराई का आरोप लगाए जो उसमें न पाई जाती हो दोषारोपण कहलाता है. |
मेरे विचार से आचार्य परशुराम राय जी की गणना संस्कृत वाङ्मय के मनीषियों में कीजाती है मनोज ब्लॉर पर देखिए! |
अमृतरस में चंद्रग्रहण के नज़ारे! |
वीर बहुटी पर पढ़िए निर्मला कपिला जी लेकर आईं हैं यह बढ़िया गज़ल |
हालात कुछ ऐसे नहीं कि कुछ कह सकूं , बस आपने भेजा औरमैंने आप लोगों के सामने रख दिया। इससे अधिक कुछ भीकहने लायक नहीं। आपके अनुभव प्रस्तुति में विलम्ब हो सकताहै इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। लेकिन अपना स्नेह बनाये रखें औरमुझे भेज अवश्य दें। रश्मि प्रभा: गर्मी की छुट्टियां ??????????? |
लिखें या टाइप करेंइस विषय में कोई संशय नहीं कि लिखित साहित्य ने पूरे विश्व की मानसिक चेतना का स्तर ऊपर उठाने में एक महत योगदान दिया है। सुनकर याद रखने के क्रम की परिणति कालान्तर में भ्रामक हो जाती है और बहुत कुछ परम्परा के वाहक पर भी निर्भर करती है। व्यासजी ने भी यह तथ्य समझा और स्मृति-ज्ञान को लिखित साहित्य बनाने के लिये गणेशजी को आमन्त्रित किया। व्यासजी के विचारों की गति गणेशजी के द्रुतलेखन की गति से कहीं अधिक थी अतः प्रथम लेखन का यह कार्य बिना व्यवधान सम्पन्न.....। |
स्वर्ग वासियों को भी ब्लॉग का चस्का लग गया. और उन्होंने भी इन्द्रलोक में ब्लॉगिंग... शुरू कर दी है... |
कार्टून: ये चलेगी?? |
कभी इस देश का हाल यह था कि रानी लक्ष्मीबाई ने ज़नाना लिबास उतार कर मर्दाना लिबास पहन लिया और घोड़े पर बैठकर दुश्मन की तरफ़ हमला करने भागीं और आज यह आलम है कि जो लड़ने निकला था भ्रष्टाचारियों से वह मर्दाना लिबास उतार ज़नाना लिबास में लड़ाई के मैदान से ही भाग निकला और फिर औरतों की ही तरह वह रोया भी।... |
अमर वीरांगना झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान-दिवस पर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान की यह पूरी अमर कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ। सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटि तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी, गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी, चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।.... |
सभी सुधि पाठकों को प्रणाम! बाकी को राम-राम! |
आज की चर्चा और मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहतरीन कोशिश महत्वपूर्ण चिट्ठों को एकत्रित करने की.
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
अच्छी चर्चा रही.
जवाब देंहटाएं‘धार्मिकता की सच्ची कसौटी‘ शीर्षक से आपने मेरा लेख अपनी चर्चा में शामिल किया, शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंयह मंच नियमित रूप से इतने अच्छे लिंक देता है कि पढ़कर वाक़ई मज़ा आ जाता है।
सार्थक ,व मनोहारी चर्चा , सफल संकलन & संपादन को बधाई /
जवाब देंहटाएंhindi blogign kon aek sutr me pirokar usme is knkar ko bhi sthan diyaa bahut bahut shukriyaa jnaab dr sahb u r the great .akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स, पढ़कर नयापन मिला।
जवाब देंहटाएंसारे महत्वपूर्ण लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंआभार !
बहुत बढ़िया चर्चा ....आभार
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंलिन्क बाहर खोलने का उपाय करे..
सच में आपने तो सत्यम जी के स्टाइल की चर्चा कर दी है। बहुत अच्छे लिंक्स दिए हैं। जाता हूं एक-एक कर।
जवाब देंहटाएंnamaskar Shastri ji ,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स ...चर्चा क्या है ..चर्चा का अम्बार है ...!!
आज तो दिन भर का काम है ...!!
main bhi hun charcha me ... shukriyaa
जवाब देंहटाएंसार-संक्षेपिका के सुंदर प्रस्तुतिकरण में आपकी तत्परता और तन्मयता साफ़ झलकती है.कई अच्छे चिट्ठों की चर्चा आकर्षित करती है. मेरी कविता को भी आपने जगह दी. बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को यहाँ शामिल कर सम्मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंइस चर्चा में 'साइंस ब्लौगर्स असोसिएशन' की मेरी पोस्ट 'खोया - खोया चाँद' को शामिल करने का आभार.
जवाब देंहटाएंअति सुंदर चर्चा। लिंक सचमुच बहुत प्यारे हैं।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्टें...
Respected sir ji,
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा मे मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार. पढ़कर वाक़ई मज़ा आया है।
्बहुत ही सुन्दर और सार्थक चर्चा। सुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को भी आपने जगह दी. बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार .. मेरी पोस्ट को चर्चा में रखने योग्य समझा ..चर्चा भी रंगबिरंगी कई ब्लोग्स और सुन्दर पोस्ट मिली हैं ..आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स, अच्छी चर्चा रही.
जवाब देंहटाएंसुंदर और महत्वपूर्ण लिंक्स से सजी सार्थक चर्चा|
जवाब देंहटाएंसमस्या पूर्ति मंच को स्थान देने के लिए आभार|
ब्लागर का सागर |
जवाब देंहटाएंआभार ||
सुन्दर लिंक्स से सजी सार्थक चर्चा..
जवाब देंहटाएंसार्थक व पठनीय लिंक चयन से सज्जित चर्चा हेतु आभार...
जवाब देंहटाएंshastri ji aapne charcha manch ko aaj apne naye dhang se prabhavit kiya hai bahut sundar charcha .aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और विस्तृत चर्चा ... आभार
जवाब देंहटाएंकई महीनों बाद लौटा हूं इस ब्लॉग पर। अच्छी चर्चाएं हैं। भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए भी आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा.आभार मुझे भी स्थान देने का.
जवाब देंहटाएंmera iss page pe aana kamyab raha
जवाब देंहटाएं______________________________________________
मैं , मेरा बचपन और मेरी माँ || (^_^) ||
राजनेता - एक परिभाषा अंतस से (^_^)