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शुक्रवार, जून 03, 2011

"अपनी मुस्तैदी पूरी है" (चर्चा मंच-533)


पहले मैं बुधवार की चर्चा करता था! 
मगर मंगलवार को मुझ पर काम का भारी बोझ पड़ जाता था! 
मेरे आग्रह-अनुग्रह पर अरुणेश सी दवे ने 
बुधवार की चर्चा की जिम्मेदारी संभाल ली है! 
मैं इनका आभारी हूँ और चर्चा मंच पर अरुणेश सी दवे का 
स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ!

सबसे पहले देखिए अरुणेश सी दवे के ब्लॉग 
अष्टावक्र पर छपा यह व्यंग्य!

आधे इधर आधे उधर बाकी बाबा रामदेव के साथ

 नुक्कड़ से रैली बाबा रामदेव की जय का नारा लगाते निकल रही थी । भाई सोहन शर्मा ने डूबी हुई आवाज से कहा ये बाबा भी न फ़ालतू मे बवाल कर रहे हैं ।  बाजू  खड़े दीपक भाजपाई ने प्रतिवाद किया ए कांग्रेसी मेरे बाबा के बारे मे कुछ न कहना वरना ठीक न होगा । शर्मा जी हसें बोले मिया ये बाबा है किसका इसकी ही तो खबर नही है  तुम फ़ोकट मे मत लड़ो । वैसे भी दीपक जी आज बाबा ने दिन भर हमारे नेताओ से चर्चा की है हमारी पार्टी ने खर्चा भी किया ही होगा अब यह बाबा हमारा होने वाला है जल्दी ही 

 अब चलते हैं राजीव शर्मा के ब्लॉग 
यहाँ पढ़िए!
श्रीमती वन्दना गुप्ता लिखती हैं!
इनकी बात भी सही है
क्योंकि महत्वपूर्ण को बुक मार्क करना बहुत आवश्यक है!
में राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ बता रहे हैं! 
हैलो सर ! मेरा नाम हरमिना बरा है । अब शादी के बाद मैं हरमिना चड्डा हो गयी हूँ । मैं आस्ट्रेलिया में रहती हूँ । हमारे घर कल डाली जी आयी थीं । उस समय हमारे घर सिर्फ़ मैं .. मेरी सास और मेरी छोटी बहन थी । मैं बेसिकली चंडीगढ से हूँ । शादी से पहले तक मैं इंडिया में ही थी । मेरे पापा आर्मी आफ़िसर थे । अब रिटायर हो चुके हैं । हम सिर्फ़ दो बहने हैं । ..
यहाँ पर न कार्टूनों की चर्चा करना भी बहुत प्रासंगिक है!
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Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com) 

कार्टून: लोकपाल ... बढ़िया चीज़ है ये.

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Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)
मीनाश्री पन्त कह रहीं हैं!
कोई काफिला  तेरे कुचे से  जब गुजरता होगा  
 ana  अपने ब्लॉग पर
कविता में कर रहीं हैं!
मेरी ख़ामोशी का ये अर्थ नही की तुम सताओगी  
तुम्हारी जुस्तजू या फिर तुम ही तुम याद आओगी  

 SANJU  मेरे जज्बात में लेकर आये हैं 

रूमानियत की यह शानदार ग़ज़ल
तेरी कुर्बत-ओ-रफ़ाक़त के ज़माने चले

जेहन से जब कभी तुझको भुलाने चले  
 अमीत तोमर  योगी भारत में बता रहे हैं सदाचार क्या होता है?
यह बात तो स्वयं के समझ में आनी चाहिए कि "हमें जन सेवक बनना है और इस भारत भूमि (जिसे माता कहने में कहीं संकोच नहीं होना चाहिए) की गरिमा विश्व पटल के उच्चतम शिखर पर स्थापित करेंगे.अगर ऐसी सोच का निर्माण हम हमारे दिल-ओ-दिमाग में बसा लें तो फिर "दिल्ली दूर है ही कहाँ?" जैन संत स्वर्गीय आचार्य तुलसी कहते थे"निज पर शासन फिर अनुशासन".वास्तव में इस ... 

निगाहों से उसने रूह पर लिख दिया ..


उसने एक दिन  अपनी मासूम  नजरों की कलम से  यूँ मेरी  रूह पर लिख दिया ... 
हाँ मुझे प्यार है तुमसे  यकीन मानिये  
नाजाने कोनसी लिखावट थी वोह  
आज तक किसी को  दिखी भी नहीं  
और मेरी रूह के केनवास से  मिटी भी नहीं 
 बस यूँही कभी  कुछ जख्मों को  
यह लिखावट  ऐसे ताज़ा कर देती है '
 के इन जख्मों से  दर्द ओस की बूंदों की  तरह टपकता है ...  
झरोख़ा पर 


बड़ी खुशियों की तलाश में , 
दम तोड़  जाती नन्हीं खुशियाँ...  
जब होती हैं तो


साथ-साथ चलतीं हैं! 
डॉ.दिव्या श्रीवास्तव भी बहुत खूब लिखतीं है!
नमूना देख लीजिए न!
टिप्पणीकारों के कमेन्ट पढ़कर 
इस मस्तिष्क में एक नयी पोस्ट जन्म ले लेती है 
और मैं वापस आ जाती हूँ आप सभी का ह्रदय छलनी करने। 
लीजिए जान!
क्योंकि यहाँ है,

 राजीव तनेजा कह रहे हैं!


 अरे! 
Mushayera पर छपी
इस ग़ज़ल को तो सबसे पहले ही 
चर्चा में लिया जाना चाहिए था!
मगर माँ और बच्चों का तो


पर है यह खुशखबरी!

Akela Chana जा रहा है!


आशा जी 
Akanksha पर लेकर आईं हैं!


पहले उनका इन्तजार बड़ी शिद्दत से किया करते थे 
हर वक्त एक उम्मीद लिए नजरें बिछाए रहते थे... 
र एक आशीष भी दीजिए
हिन्दी ब्लॉगिंग के मसीहा को!  

मनोज कुमार जी लाएँ हैं!


पर पढ़िए
फिराक गोरखपुरी और नीरज को!


दर्द का कैसे,तुम्हें अहसास कराऊँ 
मन में जो बात है भला कैसे बताऊँ 
कई दिन बीत गए सुबह से शाम गुजर जाती है 
पर मुंह से एक लब्ज भी बाहर नहीं निकल पाती है ..

लड़की के जन्म पर लड़की के जन्म पर 
उदास क्यों हो जाते हैं परिवारीजन ? 
क्यों उड़ जाती है रौनक चेहरों की 
और क्यों हो जाती है नए मेहमान के आने की ख़ुशी गायब.. 
--
 क्या ऐसे ही मातृशक्ति


अगज़ल भी देख लीजिए!

तेरे जाने के बाद लगा दिल को ऐसे

कोई ग़ज़ल अधूरी छूट गई हो जैसे ... 

चर्चा करना तो छोटी ही चाहता था 
आज की चर्चा को यहीं विराम देता हूँ! 

15 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी ,आज की चर्चा और नए अरुणेश जी का हार्दिक स्वागत है |व्यंग बहुत अच्छा लगा |
    चर्चा मंच पर मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय ,डॉ. रूपचंद जी सप्रेम साहित्याभिवादन ...
    आपको बहुत -बहुत हार्दिक बधाई .. आज का चर्चा मंच बहुत अच्छा लगा
    मेरे कविता को शामिल करने के लिए आभार ब्यक्त करता हूँ ...
    सादर
    लक्ष्मी नारायण लहरे
    shahil.goldy@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत मुस्तैदी से की गयी चर्चा ... अच्छे लिंक्स को समेटे हुए .. आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मे व्यंग्य शामिल करने के लिये आपका आभार और चर्चा मंच के चर्चाकारो मे शामिल कर आपने मेरा मान ही बढ़ाया है ।

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छे लिंक्स के साथ बहुत ही सुन्दर और शानदार चर्चा रहा!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  7. shastri ji,ab to charcha manch aur bhi aakarshak ho gaya hai.aur aapke blog bhandhar bhi jyada bhar gaye hain.bahut sundar dhang se aapne ye charcha prastut kee hai.meri kavita ko bhi yahan sthan diya hai iske liye main hriday se aabhar vyakt karti hoon.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुंदर और विस्तृत चर्चा आज की..सभी लिंक्स पर जाना हुआ।

    जवाब देंहटाएं
  9. aap charcha manch ko sanjone me bahut mehnat karte hain shastri ji.aaj bhi aapki mehnat shandar hai.meri kavita ko sthan dene ke liye aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  10. आज का चर्चा मंच बहुत अच्छा लगा
    अरुणेश जी का हार्दिक स्वागत है
    चर्चा मंच पर मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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