"बुधवार की बातें" (चर्चा मंच-531)
मित्रों!
आप सभी को चर्चा मंच के नवनियुक्त डाकिये अरूणेश सी दवे का सादर नमस्कार
बुधवासरीय चर्चा में आप सभी का स्वागत है ।
शाखाओं पर बैठ परिन्दे, मन ही मन हर्षाते हैं।
इनके पीले-पीले गहने, उनको बहुत लुभाते हैं।।
उनसे क्षमा मांगी कहा " काम काज किय बिने मोहे कहा विश्राम" आगे बढ़ा तो अजय कुमार झा जी ने अपनी गजलों का पुलिंदा थमा दिया बिखरे आखर . सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूँ मैं ...... वह ले आगे चला ही था कि डा. मोनिका जी ने रोक लिया पूछा डाकिया बाबू एंटी स्मोकिंग डे पर कोई संदेश है कि नही । मेरे इनकार मे सर हिलाते ही सामने परवाज़.....शब्दों के पंख पैसिव स्मोकिंग के खतरे का संदेश था । मामला इतने पर ही खत्म न हुआ इसी विषय पर एस एम हबीब साहब की "दावत" भी सबको वितरित करना ही थी । इसके बाद आगे बढ़ा ही था कि उषा बहन ने रोक लिया और दुराचार के बाद महिलाओं की मानसिक यंत्रणा पर एक गंभीर चिंतन बलात्कार के बाद का बलात्कार सौंपा । मेरा मन कुछ भारी सा हो ही गया था कि भारतीय नागरिक-Indian Citizen ने अपनी नज़्म सुना खुश कर दिया ।
आया वो इस तरह से मेरी महफिल में ।
मेरा होना न रहा न रहा उसका होना ॥
खैर साहब जैसे-तैसे आगे बढ़ा तो कुछ बच्चे बीच सड़क पर चल रहे थे मैंने मना किया तो बोले-
अंकल, हम बेवकूफ नहीं हैं ... अब आप ही बतायें भलाई का तो जमाना ही नही है । खैर साहब आगे बढ़े तो अपना दुख भूल गये वंदना जी ने हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी सुना पूरे ब्लाग समाज के दुःख मे हमें डुबो दिया। इस ग़म को मिटाने की इच्छा मे सिंहावलोकन करने सरोवर किनारे रुका तो मगर पर राहुल जी से जानकारी मिली लोगो की निःस्वार्थ सेवा देख मन प्रफ़ुल्लित हो उठा । आगे बढ़े तो एक गुमनाम कवि से मुलाकात हुई उन्होंने न कुछ कहा न हमने पूछा पर सारी दुनिया में - धर्म कुछ ऐसा चलाया जाए .बाकी सब ... पढ़ मन मोहित हो गया । आगे बढ़ा ही था कि प्रवीण पांडे जी ने प्रेयसी के नाम ख़त थमा दिया (वही दैन्यं न पलायनम् वाले ) काश तुम्हें होता यह ज्ञात वे प्रेमिका को रो रहे थे । भाई साहब कुश्वंश शहर की एक और जात व्यवस्था पर क्रोधित हो रहे थे । मुझे भी भोजन करना ही था देखा तो ललित भाई ललितडॉटकॉम जायका इंडिया का की तर्ज पर सामिष बिरयानी और गोल लच्छेदार पराठे बना रहे थे वहीं निरामिष परिवार के बंधु हिंसा का अल्पीकरण करनें का संघर्ष भी अपने आप में अहिंसा है सिखा रहे थे। खाते-पीते समय तो कट गया था पर मुख्य बात से ध्यान हमारा बँट गया था । सुनिये!
मित्रों आज का काम पूरा हुआ
स्नेह रूपी तन्खवाह नही मिली है ।
याद रखें स्नेह न मिला तो नौकरी छोड़ तिहाड़ चला जाऊँगा।
वहाँ बंद नेताओं और अफ़सरों को हरकारे की सख्त जरूरत है !
नवनियुक्ति पर बधाई स्वीकारें...... आलेख्नुमा पोस्ट में मिले सभी लिनक्स बेहतरीन ...
ReplyDeleteअच्छी चर्चा ...मुझे स्थान देने का आभार
डाकिया जब डाक लाता है, मन प्रसन्न हो जाता है, सुन्दर सार्थक चर्चा।
ReplyDeleteचर्चा मंच से कई ऐसे लिंक मिल जाते है, जिनके बारे में जानकारी नहीं होती है,
ReplyDeleteबढ़िया आलेखनुमा सुंदर सार्थक चर्चा ..!!प्रथम ..सफल चर्चा के लिया बधाई स्वीकारें ....!!
ReplyDeleteआकर्षक चर्चा के लिये आपको बहुत सी बधाइयाँ एवं शुभकामनायें ! प्रस्तुति का अनोखा तरीका बहुत अच्छा लगा !
ReplyDeleteसाधुवाद वत्स,
ReplyDeleteनित इसी तरह चर्चियाते चलो
ब्लॉगिंग की गंगा बहाते चलो ।
सीधी सुंदर चर्चा.
ReplyDeleteचर्चा कार्य में शामिल होने के लिए बधाई
ReplyDeleteआशा
आलेखनुमा सुंदर सार्थक चर्चा .प्रथम सफल चर्चा के लिया बधाई
ReplyDeleteकेवल संयत, शालीन और विवादरहित टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी!
ReplyDeleteलगा फिल्म निर्माता हूँ सेंसर बोर्ड के सामने खड़ा हूँ . भाई दवे जी यहाँ तो संस्कृति - दरोगा बन ना खड़े होयें . मेरा बस चले तो कट - पेस्ट कम्पयूटर से हटा दूं . यह क्या रचना से काटा - बहुत खूब लिखा और इति श्री . डाकिये का स्वागत है .
चर्चा का रोचक प्रस्तुतिकरण
ReplyDeleteवाह वाह वाह अरुनेश जी हम आपको कहीं जाने देंगे तब ना जायेंगे………अब ऐसी चर्चा की आदत लगायेंगे तो रोज ही डाकिये का इंतज़ार रहेगा देखें किसकी चिट्ठी लाता है……………पहली चर्चा लाजवाब रही बेहद उम्दा लिंक संयोजन्…………इतनी सुन्दर चर्चा के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
ReplyDeletenavniyukt Charcha ke daakiye ko hamaraa abhinandan... aur ummid hai kee aap charcha me yun hee nit budhvaar ko sundar sundar charcha aur link pradaan karengeN... Sadar
ReplyDeleteवाह दवे जी ,
ReplyDeleteआपने चर्चा मंच को बहुत ही रोचक और मज़ेदार ढंग से प्रस्तुत किया है |
बधाई स्वीकारें ...
गज़ब ! क्या रोचक प्रस्तुतीकरण है ! मज़ा आ गया ! चर्चा अभी नहीं पढ़ सकी हूँ ! अभी तो प्रस्तुतीकरण तक ही पहुँची हूँ ! :-)
ReplyDeleteरोचक प्रस्तुति...बेहतर लिंक्स
ReplyDelete-----देवेंद्र गौतम
बहुत सार्थक और रोचक चर्चा...
ReplyDeletebahut rochakta ke sath prastut ki hai aapne pahli charcha .mere aalekh ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, शानदार और रोचक चर्चा!
ReplyDeleteस्वागत है आपका और बधाई बहुत अच्छी चर्चा लगे है.
ReplyDeleteनवनियुक्ति पर बधाई ... अच्छी चर्चा ...
ReplyDeleteचर्चा का यह सिम्पल अंदाज अच्छा लगा । मेरे पोते आर्जव के जन्मदिन पर शुभाषिर्वाद मे वृद्धि करवाने के विशेष सहयोग हेतु आपको अनेकों धन्यवाद सहित...
ReplyDeleteanokhe tarike sae prastuti..
ReplyDeletechar chand laga diya aap ne is manch men
http://shayaridays.blogspot.com
ReplyDeleteइस कामयाब गुफ़्त -गु पर आपको मुबारक भी आपका शुक्रिया भी ,कई ब्लोगियों से मिलवाया आपने .
ReplyDeleteचर्चा मंच पर आपका स्नागत है!
ReplyDelete--
आपने बहुत सुन्दर ढंग से चर्चा की है!
main abhi naya hun .
ReplyDeleteapko yh naya maqam mubarak ho.
अलमस्त अंधेरों के मुक़ाबिल खड़ा हुआ,
हिम्मत की इक मिसाल ये जुगनू हवा में है.
अच्छे-बुरे को अपनी कसौटी पे तौलती,
जो दिख न सके ऐसी तराज़ू हवा में है
उत्साह वर्धन हेतु समस्त मित्रो को धन्यवाद आगे भी आपकी अपेक्षाओ पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा ।
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