मित्रों!
आप सभी को चर्चा मंच के डाकिये
अरूणेश सी दवे का सादर नमस्कार!
सुबह सवेरे भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी का सोनिया मम्मी को खत लेकर चला ही था कि शास्त्री जी ने रोका बोले आपके कहने से लिखा है सोनिया मम्मी नाराज होगी तो आप ही जानो "हास्यगीत-चप्पल-जूता मम्मी जी!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") लीजिये साहब लिखें आप और पिटे डाकिया ये भी सही है । खैर साहब आगे बढ़ा तो खरे जी ने भी अपना पत्र थमाया एक पाती बाबा जी के नाम फ़िर आगे बढ़ा तो भाई ललित शर्मा मूछॆ एठते बिना टिकट की डाक लिये खड़े थे । बोले डाक मन करता है मोहन तु्मसे, पूछूँ एक सवाल ! ---- ललित शर्मा समय से न पहुंची तो ठीक न होगा । मन ही मन भुनभनाता सोच रहा था कि सबको आज नेता बाबा को ही खत लिखना है कोई प्रेम पत्र मिलता तो पढ़ने में मजा भी आता । इतने में बाजू खड़े शेखावत जी ने याद दिलाया डाकिया बाबू जैसी करनी वैसी भरनी आप दूसरो का खत पढ़ोगे तो कोई और आप का भी पढ़ लेगा । तभी वीरू भाई ने रोका बोले डाकिया बाबू काहे ये सब लोग नेता बाबा को खत लिखता है
खैर बात तो सही ही है इस देश में पिछले एक हफ़्ते मे बाबा से लेकर मम्मी तक और रीढ़ विहीन विपक्ष ने जो किया वह अक्षम्य है । यही सोच रहा था कि सर मे दुनाली आ टिकी बोले क्या जानते हो जो बड़बड़ा रहे हो सीखो पहले ''रामलीला में महाभारत'' के बाद राजनीतिक परिभाषाएं पढ़ते ही दिमाग खुल गया फिर सोचा अच्छा हुआ किसी को मालूम न पड़ा हमारा आई क्यू लेवल । लेकिन वन्दना बहन से क्या छुपा था मुस्कुराई भाई आखिर अपनों से कैसी पर्दादारी? पोल खुलने के बाद क्या करें सोचते ही हबीब जी ने संवाद की दवाई दे दी । दवाई लेकर बढ़ा ही था कि संजीव जी की डाक अफगानिस्तान - दिलेर लोगों की खूबसूरत जमीन पढ़ते ही मन प्रसन्न हो गया लेकिन मित्रों खुशी और ग़म डाकिये के साथ-साथ चलता है । ई-मेल मिलने पर गूगल आकर ढाँढस नही बँधा सकता एसएमएस मिलने पर नोकिया आपको साहस नही दिला सकता । ऐसे ही दौर में गगन शर्मा जी दुखी थे भारतीय होने की असहायता पर आज मन बहुत व्यथित है, अपने आप को जान कर !!! उनका मन बहलाने के लिये मैंने उनको राज भाटिया जी का एक छोटी सी भूल और सॊंहलवा जन्म दिन दिखाया और कहा भी भाई शर्मा जी मेरी हर सोच ...............केवल राम से काम होने वाला नही है । देश हित में सर्व समाज सर्व धर्म हित में हमे लिखना होगा ।संक्रमण काल मे लेखक ही समाज को नई दिशा और धारा दिखाता है । आज मीडियासुर के बिकाऊ होने की स्थिति में हमे जिम्मेदारी से लेखन करते हुये देश हित में काम करना है ।
धरा -प्रवाह डाक को सटीक पते पर वितरित करते हुए संकलन -संपादन सराहनीय है / अच्छा प्रयास साधुवाद जी /
ReplyDeleteइस बीच आई मेरी पसंद की पोस्ट 'अफगानिस्तान - दिलेर लोगों की खूबसूरत जमीन' का जिक्र देख कर अच्छा लगा. (वैसे यह संजीव जी की नहीं, बल्कि उनके द्वारा अपने ब्लॉग पर लगाई अतिथि डाक है.)
ReplyDeleteachhi charchaa
ReplyDelete...डाक वाले ने क्या खूब रोड मेप बनाया है .....शुकिया हमारी डाक भी उपलब्ध है यहाँ ...!
ReplyDeleteअच्छे लिंकों के साथ सधी हुई चर्चा!
ReplyDeleteअब तो बुधवार की प्रतीक्षा रहती है!
रोचक चर्चा !
ReplyDeleteसुंदर चर्चा ..... आभार
ReplyDeleteसार्थक चर्चा अरुणेश जी ! बधाई !
ReplyDeleteसारे लिंक्स एक साँस में पढ़ गये।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा चर्चा...अच्छे लिंक मिले ...
ReplyDeletejo padhne mei acchi lage or sanjh aaye wo....sarthak charcha kahugi
ReplyDeletebahut khub
बहुत सुंदर। सचमुच आपने गम भुलाने मे सहायता की है। ऐसा ही सहयोग सदा बना रहे यही आकांक्षा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित सार्थक चर्चा…………बधाई।
ReplyDeleteati sunder
ReplyDeleteSundar Samyeanusar sanklan, sabhi post ek se bdh kar ek, meri post ko charhca yogye samjhne ke liye abhaar!
ReplyDeleteसुंदर चर्चा है देव,
ReplyDeleteगुरु सानिध्य में प्रतिभा निखर रही है।
शुभकामनाएं।
क्या किया जाए - ब्लॉग भी और टिप्पणी भी - लिखने वाले भी तो मनुष्य ही हैं ना - ईश्वर तो नहीं .. कि उनकी बात सर्वमान्य हो जाए [वैसे रामायण और महाभारत पढ़ें, या यीशु या मुहम्मद की कथाएँ , तो लगता है - जिसे ईश्वर मान भी लिया जाए - उसकी ही कौन सी बात हम मान लेते हैं? ]
ReplyDeleteहम लोग आज हर ब्लॉग पर यह बात कर रहे हैं - फिर - एक महीने तक बिका हुआ मीडिया रामदेव के बारे में या तो दिखायेगा नहीं -और यदि दिखायेगा भी तो इस तरह से कि "आधी रात रामदेव को यह ड्रामा करने की क्या ज़रुरत थी ?" - कि midnight नाटक रामदेव ने किया था ??
बालकृष्ण "नेपाली है" कि उनके पिता जी नेपाली थे - तो
--
सोनिया हिन्दुस्तानी हैं तो बालकृष्ण क्यों नहीं??
तो कुछ तो बिके हुए मीडिया की लीपा पोती , और कुछ हमारी जल्दी भूल जाने की आदत - बात को आई गयी कर देगी - कितने लोगोंको याद है कि रामदेव पिछले पांच दिनों से भूखे हैं - अन्ना के बारे में तो मीडिया बोल भी रहा था - अभी तो यह बात ही नहीं हो रही - क्या रामदेव अमर हैं कि इस बहसा बहसी में हम सब यह भूल ही गए हैं ??? यही टिप्पणी गिरिजेश जी के यहाँ भी करी है .. पर क्या किया जाए?
संवाद के साथ की गयी चर्चा बहुत सुन्दर लगी ...शिल्प मेहता जी की टिप्पणी पर भी गौर किया जाये ... सरकार जो चाहती थी फिलहाल वो हो रहा है ..भ्रष्टाचार और काले धन से हट कर अब लोंग लोकतंत्र की हत्या की बात पर जोर दे रहे हैं ...
ReplyDeleteरोचक चर्चा ....
ReplyDeleteगज़ब की डाक मिली आज तो .बढ़िया चर्चा.
ReplyDeleteye charcha manch to post office ho gaya hai.bahut sundar prayas badhai.
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा चर्चा.....
ReplyDeletesundar charcha... kuch samay pehle main Shukrvaar kee charchaa kiya karti thee...ummid hai kee aap bhi hame usee tarah se man lagaa kar achhe links uplabhdh karvayenge...
ReplyDeleteदवे साहब एक तारतम्य बनाए आप सारी चर्चा को आगे बढाते रहे .हम पीछे पीछे आते रहे .शुक्रिया !बधाई क्या बधाया आपको
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा....
ReplyDeletesundar aur sarthak charcha
ReplyDeleteवाह ! बहुत खूब . सार्थक चर्चा की सराहनीय प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार .कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं और देखें -आपके स्वागत में है -
ReplyDelete'किस दुनिया के जन्तु ?'