काली साड़ी बहुत दिन हो गए कोई पोस्ट नहीं लिखी.सोचते सोचते एक महिना बीत गया ,ऐसा नहीं इस बीच कोई विचार मन में न आया हो लेकिन बस लिखा ही नहीं गया.हम महिलाएं छोटी छोटी कितनी बातें सोचती रहती है और उनको किन किन बातों से जोड़ लेती है और बस बातों ही बातों में वाकये बन जाते है.एक छोटी सी घटना है कम से कम हमारे इंदौर में तो काफी प्रचलित है की वार के अनुरूप कपडे पहने जाये.खास कर वृहस्पतिवार को पीले और शनिवार को काले या नीले .तो कल शनिवार को जब स्कूल जाने के लिए साडी निकालने लगी तो हाथ काली साड़ी पर ठहर गया .शनिवार के दिन काली साड़ी.शनि महाराज का रंग.बस वही निकाल ली.स्कूल पहुँच कर रजिस्टर में साइन किये ही थे की पीछे से आवाज़ आयी. अरे आज में भी बिलकुल ऐसी ही काली साडी पहनने वाली थी . फिर पहनी क्यों नहीं ?अच्छा लगता हम दोनों एक जैसी साड़ी में होते . -0-0-0- |
तुम्हारी मुहब्बत बहुत याद आई चमन में जो कोई कली मुस्काई तुम्हारी मुहब्बत बहुत याद आई... |
* *कल जब मै तुम्हारे घर की तरफ आई* *तो देखा दरवाजे और खिड़कियाँ खुले थे* *मेरे अंतर्मन में हजारों पुष्प खिल गए * ** *पर देखते-देखते दरवाजे और ... |
आओ दिखलाती हूँ तुमको सियाटेल की एक रंगी शाम ....शहर में बारिश और दिमाग में खारिश चल रही थी ... जब सुबह सवेरे मेरी फ्लाईट पहुंची सियाटेल के रोमांटिक शहर में .... अब आप पूछेंगे की भाई रोमांटिक तो बन्दे होते हैं ... कोई शहर रोमांटिक कैसे हो सकता है ? अरे जनाब अगर आप सियाटेल के मौसम को तनिक देख लेंगे तो जान पाएंगे की कोई शहर आशिकाना कैसे बनता है .... टेम्पेरचर में कमी, हवा में नमी, सांसें थमी - थमी ... यू डमी....आपको नहीं ...खुद को कह रही हूँ .. क्योंकि मैं तो झिलमिल के बारे में कहने जा रही थी और शहर पर ही अटक गयी.. Hindi poems by Archana Panda उत्तराखंड / उत्तरांचल~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मेरे देश के माथे का सिरमौर हिमालय धाम है, और बसा जिस राज्य में, उसका उत्तराखंड नाम है, राज्य अनूठा, लोग भी अनुपम, अपनापन है फैला, बारह वर्षों में लगता है जहाँ कुम्भ का मेला,.... |
डिम्पल मल्होत्रा सपने जो सोने नहीं देते एक साधारण कविता.. कविता काल्पनिक भी है.. .. हालाँकि नाम वास्तविकता के कुछ करीब हो सकते है.. पर पात्र कविता की तरह साधारण ही है.. सोना.. |
Scene 23 रनिवास का दृश्य। पलंग पर रानी डरी-सहमी एक कोने में खड़ी है। उसकी सभी सेविकाएँ किसी न किसी चीज़ (ड्रेसिंग टेबल, सोफा वगैरह) पर जा चढ़ी हैं।... |
*मनुष्य क्या चाहता है**?* *मनुष्य हर पल नया देखना चाहता है**, **हर पल नया सुनना चाहता है**, **हर पल नये को स्पर्श करना चाहता है**, **हर पल नये की संगति ... |
हे मानवश्रेष्ठों, यहां पर मनोविज्ञान पर कुछ सामग्री लगातार एक श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत की जा रही है। पिछली बार हमने व्यक्तित्व के संवेगात्मक-संकल्पनात... |
स्वार्थLife creates Art and Art reciprocates by refining the Life मुझे वहम है मित्र कि तुम्हे मुझसे परहेज़ है शायद डर है तुम्हे मेरे नाम का वायरस तुम्हारे कम्प्यूटर को हैंग कर देगा। एक गुमान अपने बारे में भी है कि मैं सच ... |
अब देखिए कुछ नियमित पोस्ट! |
एक दिन वासुदेव प्रेरणा से कुल पुरोहित गर्गाचार्य गोकुल पधारे हैं नन्द यशोदा ने आदर सत्कार किया और वासुदेव देवकी का हाल लिया जब आने का कारण पूछा तो गर... |
शरीर में रक्त की कमी होने वाला रोग एनीमिया ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसकी अधिकांश महिलाएं शिकार हो जाती हैं। आंखों के नीचे घेरे, थकान आदि इसके लक्षण हैं। ... |
बोलोनिया शहर संग्रहालयों का शहर है. गाइड पुस्तिका के हिसाब से शहर में सौ से भी अधिक संग्रहालय हैं. इन्हीं में से एक है दीवारदरियों (Tapestry) का संग्रहालय... |
भारत में सितम्बर माह का दूसरा पखवाडा राज भाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर केन्द्रित रहता है . हिन्दी दिवस के दिन १४ सितम्बर से इसकी शुरुआत हो जाती है .... |
*डॉ रमा द्विवेदी जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगा ; * *अगली प्रस्तुति में; - डॉ भावना कुँअर जी* |
"ग़ज़ल-नई बोतल बदलते हैं" *वही साक़ी वही मय है, नई बोतल बदलते हैं*** *सुराखानों में दारू के नशीले जाम ढलते हैं*** *कोई गम को भुलाता है, कोई मस्ती को पाता है,*** *तभी तो शाम होते ही, यहाँ अरमां निकलते हैं... |
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कुछ दिल की बात दिल की गहराइयों में इतना दर्द सा क्यूँ है. बेबसी, बेताबी और बेचैनी का आलम क्यूँ है।.... |
मन की खुशी मेरे होठों की मुस्कान बिटिया है, घर की दहलीज़ वो आंगन की शान बिटिया है । किस्मत बदल जाती है जन्म लेने से जिसके, दो कुलों का ... |
तू बरगद का पेड़ और मैं छाँव तेरी है यदि तू जलस्त्रोत मैं हूँ जलधार तेरी | तू मंदिर का दिया और मैं बाती उसकी अगाध स्नेह से पूर्ण मैं तैरती उसमे |... |
* * *बहुत शोर हो रहा था * * क्रांति आ रही है... **क्रांति आ रही है...?* * वह सो रहा था* * उठकर बैठ गया* * खड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी* * ... |
*बस यूँ ही कुछ लिखा है आज..* ... "जाम-ए-उल्फत लिखा है आज.. रूह को बेगैरत लिखा है आज.. १.. कहते हैं ख्वाइशों के रेले..कुछ.. बेगानों को अपना लिखा है आज.... |
कितने रूप ,धरे हैं,तूने बन बहुरूपिया, छलिया सा तू कहीं,फूल सा महका है ... |
*मेरी उपासना * *मेरी आकांक्षा * *मेरी पूँजी * *मेरा अह्म्मान !* *मेरी यामिनी * *मेरी भोर * *मेरी जिंदगी * *साँसों की डोर !* *मेरा अस्तित्व * *इन्द्रधनुषी सपना... |
*पढ़ता हूँ कुछ साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त कहानियाँ और कवितायें नये जमाने की और सोचता हूँ:* शब्द शब्द जोड़ कुछ ऐसा सजाऊँ जैसे काढ़ी हो सलीके से कुछ बूट... |
* * मास्टर साहब * * सर ! ..फीस तो सिर्फ पिच्चासी रूपये हैं … मैंने... |
हर साल कंही बाढ के कहर की तो कंही सूखे की खबरें दिल दहलाती है। बाढ का तांडव तो अब लाईव नज़र आ जाता है। क्या ये सब हमारे देख के ठेकेदारों को नज़र नही आता.... |
नई किरणों के लिए*** *श्यामनारायण मिश्र* दिन कटा, ज्यों किसी सूमी महाजन का पुराना ऋण पटा। कल सुबह की नई किरणों के लिए, पी रहे आदिम-अंधेरा आंख... *गांधी और गांधीवाद-* *70* *बा से कलह*** *1897 : * गांधी जी का जीवन सादगी भरा था। बाहरी ताम-झाम और तड़क-भड़क से उन्हें कोई मतलब नहीं था। तड़के उठने की त... |
बेटी बचाओ अभियान : कन्या भ्रूण ह्त्या निश्चित तौर पर एक जघन्य सामाजिक बुराई है. बेटी बचाओ अभियान कन्या भ्रूण ह्त्या निश्चित तौर पर एक ... |
शाखों से अलग पत्ते, हवा के हल्के झोंके से दूर चले जाते है। मैं तुमसे अलग, इतना जड़ कैसे हूँ। जंगल में पेड़ से अलग सूखे पत्ते, यूँ ही जल जाते हैं। ... |
क्या ? देश के आइन -ए- इबारत को, बिलकुल साफ किया जाये, गद्दार ,कातिलों कसाब, अफजल ,नलिनी को माफ़ किया जाये , यह कहने वाले जरा झांक कर देखें, अपने दिलों में ... |
मेरी भगनी कपडे धो रही है... क्या करेगी आखिर माँ भी जॉब करती है और उसके पा भी... घर का काम तो उसे ही करना होगा न... |
तेरी आँखों में घर हो ,शहर हो सफ़र हो , वन्दगी का शिवाला तुम सारी उमर हो - होंठ मुसकाये तो ,कोपलें खिल उठे , नैन तिरछे हुए ,दामिनी ... |
*कुछ गिरहें जिनमे * *बंधी हुई हूँ मैं * *जो जकड़े हुए हैं * * मेरे वजूद को * * * *जिन्हें ...जब कभी * *धीरे धीरे सुलझाने * *की कोशिस करती हूँ * ... |
अन्त में यह पोस्ट भी देख लीजिए! खिलनेवाली थी, नाज़ुक सी डालीपे नन्हीसी कली...! सोंचा डालीने,ये कल होगी अधखिली,परसों फूल बनेगी..! जब इसपे शबनम गिरेगी, किरण मे सुनहरी सुबह की ये कितनी प्यारी ... |
बहुत ही प्यार से चर्चा मंच को सजाया है। बधाई।
जवाब देंहटाएं------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...क्या कहती है तबाही?
बहुत ही प्यार से चर्चा मंच को सजाया है। बधाई।
जवाब देंहटाएं------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...क्या कहती है तबाही?
चर्चा बहुत अच्छी तरह सजाई है |कई लिंक्स |बहुत आभार मेरी कविता शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
आदरणीय सर एवं विद्या जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच खूबसूरत लिंकरुपी फूलों से सुवासित है|
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार..
सादर
ऋता
बहुत सजगता से किया है आपने लिनक्स का चयन ....अच्छी रही चर्चा ...हमारी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा --
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ||
बहुत सुंदर सार-संकलन . कई सराहनीय लिंक्स मिले . आभार .मेरे दिल की बात को भी आपने कृपापूर्वक जगह दी ,इसके लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंआभार आपका !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा .आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे से प्यारे प्यारे रंगों और लिंकों से सजा है यह चर्चा मंच !मेरी नन्ही परी को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंमैँ चाहता था कि मेरे उन प्रश्नोँ के जवाब मिले जो मैँ अपने ब्लॉग 'इबादत' मेँ 'दहशत' नामक पोस्ट मेँ डाली थी। आपके सहयोग के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लिनक्स ....अच्छी चर्चा ...हमारी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स से आपने आज का चर्चा मंच सजाया है ...जिसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका बहुत-बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंएक और सुंदर चर्चा प्रस्तुत करने के लिए बधाई....
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंनये और प्रतिभावान लेखकों से परिचय का आभार।
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha... Aur bahut bahut dhnyvaad mujhe bhi is charcha me shamil karne ke liye...
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha prastuti ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत चर्चा लगाई है आपने। काफ़ी अच्छे लिंक्स मिले।
जवाब देंहटाएं.अच्छी चर्चा , आभार...
जवाब देंहटाएंsunder charcha manch...mujhe shamil karne ke liye shukriya..
जवाब देंहटाएंaaj to aapne kai nae logo tak pahuncha diya.bahut bahut aabhar acchi links dene ke lie
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा....
जवाब देंहटाएंसादर आभार..
माँ की कृपा सब पर बनी रहे।
जवाब देंहटाएंमयंक साहब..
जवाब देंहटाएंइस चर्चा-मंच पर आपने स्थान दिया, बहुत आभारी हूँ..!!!
डा. रमा द्विवेदी
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी ,
चर्चा मंच पर आपने मुझे भी स्थान दिया इसके लिए बहुत -बहुत हार्दिक आभार ....सुन्दर और सार्थक लिंक देने के लिए शुक्रिया .....