आज मासूम साहिब फिर से चर्चा करना भूल गये!
मगर मैं नहीं भूला हूँ।
अतः फटाफट कुछ लिंक खोज ही लिए हैं!
इसलिए बहुत मुमकिन है ख़्वाबों को हकीकत नाम मिल…देश मेरा आजाद होगा एक दिन हर एक बुराई से जाति धर्म की लडाई से दिल कहता है .....
जिस वक्त मर रहा था मैं
केवलकृष्ण बता रहे हैं:
जरा इधर भी
--
--
मर रहा था मैं जिस वक्त और कोई नहीं था पास सिवा तुम्हारे
शिखा कौशिक जी vicharon ka chabootra पर लेकर आईं हैं-
ये पूछने का हक़ हर भारतीय मुसलमान को है !
--
अब क्रमवार कम्प्यूटर और इंटरनेट के बारे में जानकारी पढिये--
पत्रकार-अख्तर खान "अकेला" | Source: Akhtar Khan Akela
दोस्तों इंटरनेट हमारे देश और विश्व के लियें एक विकास क्रान्ति है तो दूसरी तरफ सरकारों के इसे नियंत्रित नहीं कर पाने के कारण यह विकास क्रान्ति विनाश क्रान्ति साबित हो रही है .हम भारत देश को ही लें यहाँ प्रतिदिन करोड़ों लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं..लेकिन कई इस माद्यम से आतंकवाद फेला रहे हैं तो कई वायरस फेला रहे हैं कई जासूसी कर रहे हैं तो कई लो ...
--
--
हम इस पल में कैसा महसूस करते है, वो किसी भी दूसरी चीज़ से जयादा important है . क्योंकि हमारा वर्तमान ही हमारी आगे की जिन्दगी का रूप तय करता है .
Author: Ghotoo | Source: *साहित्य प्रेमी संघ*
न नौ मन तेल होगा,न राधा नाचेगी ------------------------------------------ (कुछ प्रतिक्रियाएं ) १ राधा को नाचना तो नहीं आता, मगर बहाने बनाती है कभी आँगन को टेढ़ा बताती है तो कभी नौ मन तेल मांगेगी क्योंकि वो जानती है, न नौ मन तेल होगा होगा, न राधा नाचेगी २ राधा, नाचने के लिए, अगर नौ मन तेल लेगी तो इतने तेल का ..
--
--
मनोज पटेल | Source: पढ़ते-पढ़ते
येहूदा आमिखाई की कविता...
--
--
Navin C. Chaturvedi ठाले बैठे
--
--
Suresh Kumar | Source: मेरी कल्पनायें...
कभी-कभी ही सही,
--
--
vinay bihari singh | Source: divya prakash
--
--
शालिनी कौशिक | Source: kaushal
तू ही रज्ज़ाक,तू ही मोहसिन है हमारा.
रहे सब्ज़ाजार,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा.
--
--
रवीन्द्र प्रभात | Source: परिकल्पना
वटवृक्ष हिंदी जगत की एकमात्र पत्रिका जो चिट्ठाकारिता को साहित्य से जोड़ती है दृढ़ता के साथ मिथक को तोड़ती है और- चटखती हुई आस्थाओं के बीच देती है साहित्यकारों को सृजन का असीम सुख.....
--
--
एम के मिश्र | Source: तत्वमसि
गाँव को देखो कभी दिल्ली की नजर से बेहतर इनको पाओगे किसी भी शहर से भूखा वहाँ अब एक भी इंसान नहीं है गरीबी से आज कोई परेशान नहीं है बीड़ी दारु की एक भी दूकान नहीं है जान खुद की लेता किसान नहीं है ऐसा हमने जाना है टीवी की खबर से गाँव को देखो कभी दिल्ली की नजर से मिलता है सबको पीने को साफ़ पानी मजबूरी अब नहीं है ...
--
--
Goyal | Source: तुम्हारे लिये.......
तुम्हें देखा है मैंने कि वो हो तुम तुम्हीं हो..... कोई और नहीं क्यूँ सोचते हो तुम कि तुम मुझे याद नहीं मेरी जान हो तुम मेरा अरमान हो तुम मेरी रग रग में बिखरी गर्म खून की हर इक बूँद हो तुम मेरी नीम आँखों में लहराता समंदर हो तुम मेरी महकती हुई सांसों का हर इक आता-जाता क्षण हो तुम मेरी बलखाती बाहों की लहरों में उतराता जीवन संगीत ...
--
--
SANJU | Source: मेरे जज्बात
हर इक चेहरे में तेरा चेहरा लगे है
--
चिठियाना-टिपियाना संवाद--
हिज्र में मुझको सब सेहरा लगे है...
--
मनोज कुमार विचार --
चिठियाना-टिपियाना संवाद *नोट : यह एक पुरानी पोस्ट है। जनवरी 2010 में ‘मनोज’ ब्लॉग पर किसी खास सन्दर्भ में प्रकाशित किया था। तब के सन्दर्भ अलग थे। आज ब्लॉगजगत में बहुत कुछ बदल गया है। फिर भी … शायद आपको ...
--
"कैक्टस के फूल"
--
"कैक्टस के फूल"
काँटों-भरी
अपनी हरियाली के संग
जीते रहे जीवन पर्यंत,
भूलकर अपना सारा दर्द
मुस्कुराते रहे
अभावों के शुष्क रेगिस्तान में,
समय के बेरहम थपेड़ों से
बेहाल
करते रहे
बारिस के आने का इन्तजार ,
जीते रहे जीवन पर्यंत,
भूलकर अपना सारा दर्द
मुस्कुराते रहे
अभावों के शुष्क रेगिस्तान में,
समय के बेरहम थपेड़ों से
बेहाल
करते रहे
बारिस के आने का इन्तजार ,
संगीता पुरी गत्यात्मक ज्योतिष
इंगलैंड टीम के खिलाफ खेले गए मैच में भारत चार टेस्ट मैचों की सीरीज़ 0-4 से हारने के साथ ही भारत टेस्ट क्रिकेट में अपना शीर्ष स्थान भी गंवा बैठा. वैसे तो इंग्लैंड कभी भी टेस्ट मैचों के हिसाब से वनडे में अच्...
बी एस पाबला BS Pabla हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन
आज, 3 सितम्बर को आदत.. मुस्कुराने की वाले संजय भास्कर का जन्मदिन है बधाई व शुभकामनाएँ....
DR. ANWER JAMAL हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल HBFI
जिस ब्लॉग पर एक ही ब्लॉगर लिखता है वह निजी ब्लॉग कहलाता है और वह ब्लॉग साझा ब्लॉग कहलाता है जिस पर एक से ज़्यादा ब्लॉगर लिखते हैं। ब्लॉगर डॉट कॉम की वेबसाइट पर साझा ब्लॉग के लिए 100 ब्लॉगर्स तक संख्या नि...
Anil Pusadkar अमीर धरती गरीब लोग
केजरीवाल से नौ लाख रुपये की वसूली बहुत ज़रूरी है?और जो राजा,कन्नीमोज़ी,मारन एण्ड कम्पनी ने किया उसमे,उसमे तो मारन के खिलाफ़ सबूत भी नही मिल रहे हैं।नोट काण्ड़ में अमर सिंह के खिलाफ़ तो सबूत मिलते हैं,मगर अ...
सुधाकल्प बालकुंज
गणेश चतुर्थी आप सबको मंगलमय हो*** । कल भी ,आज भी और कल भी | मतलब --पूरे वर्ष * आइये एक साथ दिल से बोलें ---- *एक -दो -तीन -चार * गणपति की जयजयकार। पाँच -छह- सात -आठ गणपति करते मालामाल। नौ- दस -ग्यार...
सारा सच Sara Sach
अब तो घूसखोरी, बिना पैसे के कोई काम नहीं..सरकारी सभी विभागों मे, घूसखोरी/बिना पैसे के कोई काम नहीं, पहले पैसा दो फिर काम होगा CPWD के एक division मे ऊचे पद पैर बैठे Engineer बिना घूसखोरी/ बिना पैसे के कोई...
M.A.Sharma "सेहर" Sehar
भीड़ में खोये व्यक्ति की तरह उलझे सहमे हैरान परेशान बेखबर से ये शब्द कभी यूँ ही बिखर जाते हैं सादे कागज के टुकड़े पर मुझसे मांगते हैं मेरी बीती उम्र का हिसाब रिश्तों को ना निभा सकने का क़र्ज़ थमा देती हूँ...
ऋता शेखर 'मधु' at हिन्दी-हाइगा
*पूजनीया डॉ सुधा गुप्ता जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगा*
रिंकू सिवान at Computer Tips & Tricks
अगर आप अपने ब्लॉग पर अपने ट्विटर अकाउंट का उडती हुई चिडया का "फालो मी" बटन लगाना चाहते हैं तो आईये देखे की इस को केसे लगाया जा सकता है | सबसे पहले आप अपने ब्लॉगर अकाउंट में लाग इन कीजिये और अपने टेम्पलेट ...
Arunesh c dave अष्टावक्र
*इससे पहले की घटनाओं के लिये - *रामू बाबा का अनशन * * * गतांक से आगे* *24 सितंबर* अखबारों मे हेड लाईन(सरकारी न्यूज) *प्रधानमंत्री ने कहा- " हमारे पास कोई जादू की छड़ी नही है*" हमने वकतव्य जारी किया - " ...
Maheshwari kaneri अभिव्यंजना
*पगडंडी* * **दबी हुई ,कुचली हुई* *बेबस लाचार * *उदास सी एक पगडंडी* *राहगीरों को पनघट * *तक ले जाती* *उनकी प्यास बुझाती* *खुद प्यासी रह जाती* *रोज़ टूटती ,रोज़ बिखरती* *सोच-सोच रह जाती* *मेरा भी घर हो...
अभिषेक प्रसाद 'अवि' खामोशी... बहुत कुछ कहती है
दयनीय आम आदमी, सादर प्रणाम. आशा करता हूँ आप हमेशा की तरह दयनीय ही होंगे. मैं भी सकुशल दयनीय हूँ. मैंने आप लोगों को न ही प्रिय लिखा और न ही आदरणीय क्योंकि न ही आप लोग मुझे प्रिय है और न ही आदरणीय....
जब हुए विवाह के लायक तो भी रीतिरिवाज न बदले क्यूंकि तब सुना था माँ के मुह की लड़की के हालात न बदले वही दान, वही दहेज़, माँ बाप को चाहिए और लड़के को रंग गोरा पहले न था शिक्षा पर इतना जोर पर व्याह पर खर्च था...
बादलों की प्रदक्षिणा से सीख रहा हूँ द्वन्दरहित अंतहीन भिगोने की कला क्या इस अनुभूति में अंतर्लीन होना साक्षात्कार की सहमती है या फिर थाह किन्ही कल - कल स्मृतियों की.....
हमारे ब्रॉडबैण्ड को तो मस्तिष्क ज्वर हुआ है अतः स्लो कनेक्शन के साथ आज की चर्चा में बामुश्किल इतने ही लिंक दे पाया हूँ! कल फिर मिलूँगा कुछ और ब्लॉग पोस्टों को लेकर....!
नमस्कार!!
अब ब्रॉडबैण्ड चल गया है! कुछ और पोस्ट भी देख लीजिए!
jagran junction forum
--
तुम्हारे है.... !!! - कुछ मैंने लिख दिए हैं, कुछ अधलिखे हैं, वो सारे गीत तुम्हारे है... कुछ ख्वाब मैंने देख लिए हैं, कुछ अनदेखे हैं, वो सारे सपने तुम्हारे हैं... कुछ मैंने कह द...
--
फूलमुनी - ** swaminathan elayaraja स्वामीनाथन इलयरजा रचित एक तैल - चित्र ( पेंटिंग ) को देखकर लिखी गई **यह कविता उन्हीं को सादर समर्पित है - * कितनी भोली ...
1200 हिट्स नवभारत टाइम्स की साइट पर - जी हां, आज एनबीटी की वेबसाइट पर बने हुए अपने ब्लॉग ‘बुनियाद‘ पर एक नई पोस्ट सबमिट करने गया तो देखा कि हमारी पोस्ट पर 1200 से ज़्यादा हिट्स हुए हैं। हमारी ...
मीठी सीख - *हे प्रिय बालक ! लड़ना छोडो,* *क्रोध कपट से भी मुख मोड़ो.* * * *कड़वे वचन कभी मत बोलो,* *सदा मिठास वचन में घोलो.* * * *मधुर वचन जो बालक बोलें,* *मन चाहे जहा...
अफीम के पौधे .. - * माने अफीम के पौधे ..* *जो केसरी या लाल फूलों से सजे लहराते , खूबसूरत नज़ारा पेश कर रहे हैं...* *या फिर कई रंग में खिलनेवाले बोगन्वेलिया ...जिनमें खुशबु ...
अब ब्रॉडबैण्ड चल गया है! कुछ और पोस्ट भी देख लीजिए!
jagran junction forum
जिस थाली में खाया उसी में छेद! धिक्कार.
मेरा ये आलेख ऐसे देश विरोधी व्यक्ति,नेताओं व लेखक-लेखिकाओं की भर्त्सना है,जो देश का खाकर देश की जड़ें खोदते हैं.बचपन से एक कहानी पहले स्वयं पढी ,फिर बच्चों को भी सुनायी.है,शायद आप सबने भी पढी सुनी होगी.परन्तु विषय से सम्बद्ध है,अतः यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ.दो बिल्लियों जो अच्छी मित्र थीं, को एक रोटी मिली ,बिल्लियाँ उस रोटी को परस्पर बाँट कर खाने व अपनी क्षुधा मिटने की सोच रही थीं कि एक वानर जो बड़े ध्यान से देख रहा था,अवसर देख कर उस वानर ऩे दोनों बिल्लियों को एक दूसरे के विरुद्ध चढ़ा दिया ये कह कर कि दूसरी बिल्ली तो तुम्हारी रोटी अकेले ही हज़म करना चाहती है.परिणाम वही , ,दोनों बिल्लियों में झगडा होने लगा. पेड़ पर बन्दर बैठा जो आग लगाकर तमाशा देख रहा था,इसी प्रतीक्षा में था कि रोटी मै हड़प लूं. ,और उसको अवसर भी मिल ,गया ,उन को लड़ता देख कर चतुर .बन्दर मीठी मीठी बातें करता हुआ बिल्लियों के पास पहुंचा और बोला ,लड़ो मत लाओ तुम्हारा झगडा सुलझा दूं, आपस में लडती ,बिल्लियों ऩे उस पर विश्वास कर लिया,और बन्दर के कहे अनुसार एक तराजू उसको ला दी.नियत में खोट तो बंदर की था ही,आधी आधी रोटी तराजू के दोनों पलड़ों पर रखी और जिधर अधिक थी उधर से एक बड़ा टुकड़ा तोड़ कर मुख में रखा और खा गया.अब दूसरी ओर की रोटी अधिक हो गयी थी,इस बार उधर का टुकड़ा खा गया,सारी रोटी समाप्त हो गयी थी बस अंतिम टुकड़ा बच रहा था बन्दर बोला ये मेरी विवाद सुलझाने की फीस और वो भी हड़प गया.....--
--
हम सपने में भी ना ना चिल्लाते रहे -- - पिछले महीने सारा देश अन्नामयी रहा । लोगों का जोश देखकर सरकार को भी झुकना पड़ा । जनता जनार्दन में ऐसा जोश बहुत कम देखने को मिलता है । लेकिन इस दौरान कुछ ...
--
--
क्या किया जाए .... - अभी कुछ दिन पहले एक ब्लॉगर जिनके ब्लॉग की मैं नियमित पाठिका हूँ , ने मेल कर एक समस्या के समाधान में मदद मांगी . दरअसल उनकी एक महिला ब्लॉगर पाठिका मानसिक ...
--
औचित्य - चुभ गयी कलम , रिसने लगा खून ' लिखने लगा....... बनने से विखरने तक की गाथा ...... जब तक चमक है ,तजा है ,गतिशील है, तब तक , संवेदना है,आकर्षण है , वेदना लिए ...
--
--
--
तुम कभी मुझे मत चाहना - तुम कभी मुझे मत चाहना मेरे जैसी लाखों मिल जायेंगी खुशबू सी फ़िज़ाओं मे बिखर जायेंगी मैं एक हाड माँस का पुतला ही तो हूँ मुझे देख वासना के कीडे मचलते तो हो...
--
'चुप्पी' डायन खाए जात है.... - सखी दिव्या तो खुब्बये बडबडात है, चुप्पी डायन खाय जात है। राहुल तो कुर्सी आजमात है , घोटालों की भईल बरसात है, रोटी छोड़ सब डालर चबात हैं चुप्पी डायन खाय ...
आज के लिए बस इतना ही!
क्योकि कल के लिए भी तो कुछ लिंक बचा कर रखने हैं!
एक ही जगह इतना सब कुछ, बहुत सुंदर प्रस्तुति और इस अथक परिश्रम के लिए पुन: साधुवाद| दुष्यंत कुमार की शायरी में मुहब्बत और ज़िंदगी तलाशता आलेख शामिल करने हेतु आभार|
जवाब देंहटाएंशास्त्री साहब आपकी मेहनत, लगन और निष्ठा ने ही इस मंच को इतनी लोकप्रियता और ऊंचाई दी है।
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत मिले तो ज़रा इसको फ़ॉर्मेट कर दीजिएगा। एक पोस्ट से दूसरे के बीच जगह नहीं होने से थोड़ी दिक़्क्त हो रही है।
मस्त चर्चा ||
जवाब देंहटाएंआभार ||
facebook पर तो संजय भास्कर जी इनका जन्म दिन ३ जुलाई लिखा हुआ है.
जवाब देंहटाएंयहाँ लगाई हुई BS Pabla जी की पोस्ट बताती है की उनका जन्म दिन आज है.
कौन-सा सही है भाई ?
thanks a lot .
जवाब देंहटाएंaap etne jaldi mai bhi kiase etna achchhe se charchaa kar lete hai ..
sach aap se hameshaa sekhane ko milta hai
pranaam ...
जरा इधर भी-पर चर्चा के लिए धन्यवाद। आभार।
जवाब देंहटाएंshastri ji aabhari hun manch me sthan dene ke liye,manch sach me mahatvapoorn manch hai aur ispar sthan pana mere liye saubhagya hai.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के चर्चे दिलोदिमाग पर छाये हुए हैं| विभिन्न साहित्यकारों व विशिष्ट लोगों के रचना संसार से अवगत होते हैं और एक जुडाव सा अनुभव करते हैं | आपका यह कदम प्रशंसनीय है |
जवाब देंहटाएंसुधा भार्गव
शास्त्री जी,अलग-अलग फूलों का इतना सुन्दर बगीचा लगाने के लिए धन्यवाद.मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत-बहुत आभार .यहाँ आकार एक नई दुनिया देखने को मिली .
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए बहुत-बहुत
धन्यवाद एवं आभार|आप मेरे ब्लॉग पर सदस्य के रूप में शामिल हुए, इसके लिए हार्दिक आभार|
सादर
ऋता
सचमुच आज की चर्चा बहुत सुंदर और जानकारी से भरपूर है ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
चर्चा मंच पर मेरी रचना की चर्चा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआज पहली बार चर्चा मंच पर आना हुआ...सारे links बहुत अच्छे लगे....
आपका ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है.....
ये नव आगत रचनाकारों के लिए एक बेहतरीन मंच है ... no doubt
धन्यवाद
चर्चा मंच पर मेरी रचना की चर्चा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसचमुच आज की चर्चा बहुत सुंदर और जानकारी से भरपूर है ।
..सारे links बहुत अच्छे लगे....
आपका ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है.....
धन्यवाद
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयं...
ji aap to kamal ke hai
बहुत रोचक लिंक्स...विभिन्न विधाओं को संजोए बहुत सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंआज की लिंक्स का गुलदस्ता बहुत महक रहा है |
जवाब देंहटाएंआशा
आपकी बात ही और है। आप तो आपातकाल सुरक्षा हैं एकदम से
जवाब देंहटाएंआज कि चर्चा हमेशा की तरह बहुत सुंदर और जानकारी से भरपूर है मुझे स्थान देने के लिये ...आभार।
जवाब देंहटाएंchaliye achchha hua ki aap nahi bhoole varna aj ke charcha manch se vanchit rahna padta hame .bahut sundar v sarthak post ka chayan kiya hai aapne.meri gazal ko sthan dene ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंरहे सब्ज़ाजार,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा.
बड़े सुन्दर मोती निकाल लाये हैं।
जवाब देंहटाएंsarthak charcha -badhiya links .mere aalekh ko yahan sthan dene hetu hardik dhanyvad .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स के साथ बेहतरीन चर्चा ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर जी
जवाब देंहटाएंये फटाफट खोजे गए लिंक थे तो फुरसत में खोजे जाने वाले लिंक्स की तादाद क्या होगी?
हा हा हा
@ Kunwar Kusumesh जी
जवाब देंहटाएंसही ज़वाब आपको इस लिंक पर मिल जाएगा जहाँ संजय जी ने अपने पिछले जनमदिन पर प्रतिकिया दी थी
श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी, मेरी रचना "कभी कभी ही सही.." को आज के चर्चा मंच में स्थान देने के लिये मैं आपका आभारी हूँ..उम्मीद करता हूँ आप सभी बन्धुओं को ये रचना पसन्द आयेगी...आभार
जवाब देंहटाएंफ़टाफ़ट चर्चा तो काफ़ी शानदार लगाई है।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी , आज की चर्चा तो पूरा एग्रीगेटर की तरह है ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर ।
बहुत ही बेहतरीन लिक्स का समायोजन... सुन्दर प्रस्तुती... साथ ही मेरे ब्लॉग को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी , आभारी हूँ इस सुन्दर चर्चा के लिए। आपके श्रम को नमन ।
जवाब देंहटाएंcharcha manch pe apni rachna dekh kar khushi hui..yah rachna mujhe bahut priy hai ..aabhaar .
जवाब देंहटाएं