मित्रों! बिना किसी भूमिका के चलता हूँ आज की चर्चा की ओर!
सबसे पहले ग़ाफ़िल की अमानत मे पढ़िए!
साथियों! फिर प्रस्तुत कर रहा हूँ एक पुरानी रचना, तब की जब 'बेनज़ीर' की हत्या हुई थी; शायद आप सुधीजन को रास आये- उनके पा जाने का है ना इनका खो जाने का है। ...
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के.सी.वर्मा जी कह रहे हैं!
अंधेरों में तीर चल रहे हैं ,
बम धमाको में बेगुनाह मर रहे हैं ,
क्यों चिल-पों मचा रही जनता ,
हम जाँच तो कर रहे हैं ,...
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अब लो क सं घ र्ष पर पढ़िए!
महान आदमी पैदा नहीं होता है,
बल्कि मामूली आदमी जब महान कार्य करता है तो वह महान बन जाता है, अन्ना हजारे के बारे में यही बात सच है। ...
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यह भी खूब रही!
नाम "संस्कृत जगत" और लिपि आंग्लभाषा की!
खैर हमें देववाणी से प्यार है, इसीलिए यह पोस्ट चर्चा में ली गई है!
मित्राणि अद्य यदा अहं स्वजालचालके एकं चित्रं अन्वेष्टुं गूगलइमेजपृष्ठम् उद्घाटितवान् , अहं प्राप्तवान् गूगलइमेजपृष्ठस्य एका नूतनी सुविधा ...
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मेरे मन की में
अर्चना चाव जी बता रहीं हैं!
मुझे ऐसा लगता है कि हम अपनी हर बात किसी से प्रेरित होकर ही कहते हैं,या तो वो कोई घटना होती है, या अनुभव । अब मुझे ही लीजिए- मैनें पिछली पोस्ट लिखी ...
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रेत के महल हिंदी में
देखिए रामायण का १२वां अंक
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ZEAL पर
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने एक पीड़ा को शब्द दिए हैं!
जीते जी जो मिल जाए वही सब कुछ है , मरने के बाद जो मिला
तो क्या ख़ाक मिला। अनेक विद्वानों और कलाकारों को
उनके मरने के बाद उनके योगदान के लिए सम्मानित किया...
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डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी
मिसफिट Misfit वाले कह रहे हैं!
क्या होना चाहिए आप खुद ही देख लीजिए!
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कभी कभी कुछ चित्रों को देख कर बहुत कुछ मन मे आता है
इस चित्र को देख कर जो मन मे आया वह प्रस्तुत है।
यह चित्र अनुमति लेकर सुषमा आहुति जी की फेसबुक वॉल से...
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पर विद्या जी लेकर आई हैं यह मनभावन गाना!
कहिए आप को कैसा लगा *
*मै इसको जितनी बार सुनती हूँ
लगता है ......
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रजनी मल्होत्रा नैय्यर हकीकत बयान कर रहीं हैं!
निशाने पर दिल्ली, मुम्बई, कभी बंगलोर है.
काला चश्मा, तेल कान में डाले सरकारे आला बैठिये,
जब हो जाएँ हादसे कहते हैं कैसे आ गए घुसपैठिए...
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Junbishen पर पढ़िए
यह शानदार ग़ज़ल - - -
कि अब जीना है फितरत को बहुत नादानियाँ जी लीं.
तलाशे हक में रह कर अपनी हस्ती में न कुछ पाया,
कि आ अब अंजुमन आरा!...
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नई विधा हिन्दी-हाइगा का आनन्द लीजिए!
*रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' सर के हाइकुओं पर आधारित हाइगा;*
*अगली प्रस्तुति में:- डॉ हरदीप कौर सन्धु जी*...
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*ईद**, **होली के दिनों में**,
* *प्यार के दस्तूर को पहचानते हैं।***
*हम तो वो शै हैं, ***
*जो कि पत्थर को मनाना जानते हैं।***
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हकीकत...
अक्सर खौफज़दा मोड़ से गुजरती है
क्योंकि उस मोड़ पे सिर्फ हम नहीं होते
बिना हमारे चाहे नाम अनाम कई लोग
शुभचिंतक की लिबास में ...
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न जाने कहाँ खो गई मिट्टी की वो असली खुशबू गुम हुए आधुनिकता में मीठे-सुरीले वो लोकगीत | कर्ण-फाड़ू संगीत ही रहा वो असली रंगत नहीं रही मूल भारत की याद दिलाती ...
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anupama's sukrity. पर देख लीजिए!
अरे ये तो कुमुदिनी की कली है!
प्रभु प्रदत्त ...
लालित्य से भरा ये रूप....
बंद कली में मन ईश स्वरुप...
खुलतीं हैं धीरे-धीरे ..
मन की बंद परतें...
जैसे पद्मश्री की पंखुड़ी ...
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अरुण कुमार निगम जी (हिंदी कवितायेँ) में आज लाए हैं!
**** *उम्र भर की तलाश है तू***
*तू जमीं **,** आकाश है तू.***
*मौत तुझसे पूछता हूँ*** *किसलिये उदास है तू.***
*बुझ सकी ना ज़िंदगी से*** *अनबुझी-सी प्यास है तू...
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*साहित्य प्रेमी संघ* पर पढ़िए!
*चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर * *अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे *
*क्या थे हम और * *खुद को क्या बना बैठे .....
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हमारे पड़ोसी नगर पीलीभीत की
रोशी अग्रवाल जी अपनी व्यथा के बारे में बता रही हैं!
दुखवा मै का से कहूँ ?
किसी ख़ुशी में भी, दर लगा रहता है नजर को जाती है फ़ौरन ख़ुशी भी जब कभी पंख लगाकर उड़ना चाह हमने आसमा में ढेरो गिद्द-बाज मडराते नजर आये फ़ौरन उड़ना भूल ...
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न्यू यॉर्क अग्निशमन दस्ता 11 सितम्बर के आतंकवादी आक्रमण की दशाब्दी निकट है। इसी दिन 2001 में हम धारणा, धर्म और विचारधारा के नाम पर निर्दोष हत्याओं के एक दान...
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पर भी तो एक सुन्दर ग़ज़ल है!
*माना जीने के सलीके हमको आते नही हैं *
*मगर तजुर्बे जिंदगी के क्या सिखाते नही हैं * * *
*जिंदगी हमको कबूल हुए ये इल्जाम सारे *
*मगर हम गलतियां कभी दोहराते नहीं हैं...
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Akanksha पर पढ़िए
उस दिन तो बरसात न थी
मौसम सुखमय तब भी न लगा
सब कुछ था पहले ही सा
फिर मधुर तराना क्यूं न लगा...
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दिल की बातें पर है!
कोहरे की बिछी चादर अब सिमटने लगी है |
क्योंकि सूरज की किरणें , अब विखरने लगी है |
मुंदी हुई अपनी आँखों को खोलो , और खोजो , अपना गंतव्य ...
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मनोज कुमार जी बता रहे हैं!
* *एक पाठक समीक्षा* पिछले एक सप्ताह से ब्लॉगजगत से प्रायः दूर ही रहा। दो बार तो दिल्ली ही जाना पड़ा और सरकारी काम से भी व्यस्तता बनी रही... |
दिल के दर्द-ओ-गम का बयान हैं
आँखें कभी ज़मीं तो कभी आसमान हैं
आँखें जाने क्या क्या अफसाने लिखे हैं
इनमे कौन कहता है इबारत आसान हैं ...
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अन्त में कार्टून का मजा लीजिए!रथयात्रा का रूट प्लान [Cartoon]
भाग लेना न भूलिए!
अमर भारती साप्ताहिक पहेली-100
18 सितम्बर को प्रकाशित होगी!
जिसका उत्तर प्रकाशित करने में
हमारी टीम को 15 दिनों का समय लग जाएगा!
जिसमें आद्योपान्त लेखा-जोखा निकाल कर ही
परिणाम दिये जाएँगे।
पहेली नं. 100 का सही उत्तर देने वालों को
ब्लॉगश्री की मानद उपाधि से
अलंकृत किया जाएगा!
आपका स्वागत है!
इस पौधे का नाम बताइए!.... |
आदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंसारे लिंक्स बहुत अच्छे हैं|इतनी अच्छी रचनाएँ पढ़वाने के लिए धन्यवाद|
मेरी रचना को यहाँ शामिल करने कर लिए हार्दिक आभार|
सादर
ऋता शेखर 'मधु'
बहुत अच्छे लिंक्स से सजा चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर रचनाओं
जवाब देंहटाएंका सागर ||
डुबकी लगाता हूँ ||
बहुत अच्छे लिंक्स आभार . सभी चर्चाकारों एवं चर्चामंच के पाठकों को अनंत चतुर्दशी की हार्दिक बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी नमस्कार ...बढ़िया लिंक्स ....बढ़िया चर्चा ...मेरी कविता को यहाँ स्थान देने के लिए आभार आपका ...!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंशानदार और जानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएं------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
nice
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंसारे लिंक्स बहुत अच्छे हैं|इतनी अच्छी रचनाएँ पढ़वाने के लिए धन्यवाद|
मेरी रचना को यहाँ शामिल करने कर लिए हार्दिक आभार|
सादर
behtareen links ke bich khud ko paaker achha lagta hai
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण. बहुत-बहुत बधाई और आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र पिरोये हैं।
जवाब देंहटाएंshastri ji parnam ...meri rchna ko itna samman dene ke liye aabhar...
जवाब देंहटाएंbest
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स दिए हैं आपने, खासकर कार्टून्स तो बड़े ही रोचक हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स दिये हैं सर। चर्चा मे मुझे भी शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय शास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंइस श्रमसाध्य चर्चा के लिए आपको नमन। एक से बढ़कर एक सुन्दर प्रस्तुतियों को स्थान दिया है आपने। आभार।
bahut sundar aur sarthak charcha kafi links par ho aayi hun......aabhar.
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी प्रणाम | बहुत ही सुन्दर चर्चा रही, बहुत अच्छे लिंक्स | मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंbahot sunder......
जवाब देंहटाएंआदरणीय, बहुत खूबसूरत लिंक्स चुने हैं.मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंbehtreen liks babu ji...ismei meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad....
जवाब देंहटाएंआदरणीय बन्धु
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम तो आपने इस चर्चामंच पर संस्कृतजगत् का लेख प्रकाशित किया जिसके लिये आपको हार्दिक धन्यवाद ।
आपने यहाँ पर एक व्यंग किया है 'नाम संस्कृतजगत् और लिपि आंग्ल'
आपका यह व्यंग्य सही भी है और उचित भी । निश्चय ही संस्कृतजगत् देवनागरी में ही लिखा होना चाहिये था किन्तु समस्या यह है कि इस बैनर को आनलाइन मेकर से बनवाया गया है । इस बैनर में बहुत कोशिश करके भी मैं देवनागरी लिपि नहीं डाल सका । देवनागरी लिपि डालने पर प्रश्नचिन्ह मात्र बन जाते थे । हारकर लिपि आंग्ल में ही रखनी पडी ।
फिर यह बैनर इतना पसंद आया कि इसे हटाना भी उचित नहीं लग रहा । इस बात पर हमने संस्कृतजगत् के सभी अधिकारियों से चर्चा की और सभी इस बात पर एकमत थे कि लिपि आंग्ल है तो क्या हुआ, शब्द तो संस्कृत का ही है । और फिर किसी लिपि या भाषा से हमारा वैर तो है नहीं, संस्कृतजगत् - वर्ड आफ संस्कृत के अलावा अन्य सभी चीजें संस्कृत में ही हैं । तकनीकि का अधिक ज्ञान न होने से हम मनचाहा टेम्प्लेट भी नहीं बना सकते और यह टेम्प्लेट संस्कृतजगत् के अन्य अधिकारियों द्वारा अनुमोदित भी है अत: हमने इसे परिवर्तित करना उचित नहीं समझा ।
जवाब देंहटाएंअब आप ही बतायें, क्या हमने कुछ गलत किया । हमारा संस्कृत के प्रति समर्पण पूरे चिट्ठाजगत् में मशहूर है । हम लेखों में भी अन्य भाषाओं का प्रयोग न्यूनतम करते हैं ।
आशा है , आप हमारी भावनाओं और संस्कृतप्रेम को समझेंगे । आपकी आलोचना के लिये धन्यवाद । जैसे ही हमें कोई तकनीकिविशेषज्ञ मिल जाता है हम इन कमियों को भी सूधार लेंगे , इस आश्वासन के साथ ।
सधन्यवाद
आपका - आनन्द पाण्डेय
प्रमुख
संस्कृतजगत्
आनन्द पाण्डेय जी!
जवाब देंहटाएंआप हमें अवसर दीजिए!
हम इससे भी अच्छा बैनर बनाने की क्षमता रखते हैं!
चर्चा मंच के साथ-साथ आपके ब्लॉग की भी यह निष्काम सेवा करेंगे!
shastri ji
जवाब देंहटाएंagar aap isi header me SANSKRITJAGAT
WORLD OF SANSKRIT ki jagah
devnaagri me sanskritjagat
sanskritasya vishvam likh den to ati uttam ho
WORLD OF SANSKRIT ki jagah
devnaagri me sanskritjagat
sanskritasya sansaarah likh den to ati uttam ho
sanskritjagat me halant rahega..
जवाब देंहटाएंshabdon ke rang vahi rakhen
yadi ye ho sake to kripaya avashya karen.. yadi aapke pas koi sanskritik template ho jo aapko sanskritjagat k liye uchit lage to kripaya sujhaayen..
dhanyvaddon ke rang vahi rakhen
yadi ye ho sake to kripaya avashya karen.. yadi aapke pas koi sanskritik template ho jo aapko sanskritjagat k liye uchit lage to kripaya sujhaayen..
dhanyvad
नये लिन्क्स भी मिले, आभार..
जवाब देंहटाएंhardik aabhar shashtri ji post ko yahan tak lane ke liye ..... bahut se link par gayi , aur sath bahut se links chhu gaye, server slow ho gaya hai jiske karan hindi me nahi likh pa rahi ,sath hi page load error likh ja raha jisas.kai links chhut gaye .....baki links me baad me jaungi.....
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