मैं चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ फिर हाज़िर हूँ चर्चामंच पर रंगबिरंगी चर्चा के साथ। साथियों इधर हाल के वक्त की गाड़ी, तमाम उहापोहों, दुःख-सुख, तीज-त्योहारों के मिले-जुले खट्टे-मीठे अनुभवों को आत्मसात् किए हुए अब शायद कुछ-कुछ पटरी पर आ रही है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाला समय खुशहाली में बीतेगा। अब तो राजा को अक्ल आ जाय! और प्रजा सुखी हो जाय! आमीन। शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर आदरणीया आशा जी, जो स्वयं एक अनुभवी शिक्षिका रह चुकी हैं, तथा सभी गुरुजनों को प्रणाम अर्पित करता हूँ आशा जी की ही प्रस्तुति 'शिक्षक दिवस पर कुछ विचार' से-
शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन पर्यंत चलती रहती है। पूरे जीवनकाल में न जाने कितने लोगों से हम कुछ न कुछ सीखते हैं। शिक्षक एक मार्ग दर्शक होता है जो विद्यार्थी को अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है। वह एक ऐसी मशाल है जो जल कर अन्य सब का पथ प्रदर्शन करती है।शिक्षक यदि विद्वान हो और व्यक्तित्व का धनी हो तो अपना ऐसा प्रभाव छोड़ता है कि उसे जीवन पर्यंत भुलाया नहीं जा सकता। शिक्षक तो जन्म जात होता है जो दुनिया के प्रलोभनों से दूर रह कर खुद शिक्षा ग्रहण करता है तथा मुक्त हस्त से दूसरों को बांटता है। इसे ही अपना लक्ष्य और कर्तव्य मान कर संतुष्ट होता है।शिक्षा का व्यवसायीकरण करने वाले लोग शिक्षक नहीं हैं केवल व्यवसायी हैं।अच्छा शिक्षक सदा याद किया जाता है।
शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन पर्यंत चलती रहती है। पूरे जीवनकाल में न जाने कितने लोगों से हम कुछ न कुछ सीखते हैं। शिक्षक एक मार्ग दर्शक होता है जो विद्यार्थी को अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है। वह एक ऐसी मशाल है जो जल कर अन्य सब का पथ प्रदर्शन करती है।शिक्षक यदि विद्वान हो और व्यक्तित्व का धनी हो तो अपना ऐसा प्रभाव छोड़ता है कि उसे जीवन पर्यंत भुलाया नहीं जा सकता। शिक्षक तो जन्म जात होता है जो दुनिया के प्रलोभनों से दूर रह कर खुद शिक्षा ग्रहण करता है तथा मुक्त हस्त से दूसरों को बांटता है। इसे ही अपना लक्ष्य और कर्तव्य मान कर संतुष्ट होता है।शिक्षा का व्यवसायीकरण करने वाले लोग शिक्षक नहीं हैं केवल व्यवसायी हैं।अच्छा शिक्षक सदा याद किया जाता है।
लीजिए हार्दिक शुभ कामनाएं आज शिक्षक दिवस पर कुछ पंक्तियाँ देखिये शायद अच्छी लगें-
महाकाल की नगरी उज्जैनी
राजा विक्रम की उज्जैनी
द्वापर में थी शिक्षा स्थली
कृष्ण और सुदामा की।
दूर दूर से बच्चे आते थे
गुरु कुल में रह शिक्षा पाते थे
आश्रम था गुरु संदीपनि का
था नहीं भेद भाव जहां।
ऊच नीच और गरीब अमीर
में अंतर कहीं नहीं दीखता था
था सद भाव और प्रेम इतना
सब मिल जुल कर रहते थे।
लिखते थे जिस पट्टिका पर
धोते थे उसे तलैया में वह क्षेत्र
आज भी अंक पात कहलाता है
द्वापर की याद दिलाता है।
महाकाल की नगरी उज्जैनी
राजा विक्रम की उज्जैनी
द्वापर में थी शिक्षा स्थली
कृष्ण और सुदामा की।
दूर दूर से बच्चे आते थे
गुरु कुल में रह शिक्षा पाते थे
आश्रम था गुरु संदीपनि का
था नहीं भेद भाव जहां।
ऊच नीच और गरीब अमीर
में अंतर कहीं नहीं दीखता था
था सद भाव और प्रेम इतना
सब मिल जुल कर रहते थे।
लिखते थे जिस पट्टिका पर
धोते थे उसे तलैया में वह क्षेत्र
आज भी अंक पात कहलाता है
द्वापर की याद दिलाता है।
-आशा
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अब चलते हैं चर्चा की ओर-
- ‘कर्ज नहीं चुकाया जा सकता’ -डॉ. आशुतोष मिश्र ‘आशू’ : यह तो हमारी परम्परा भी नहीं है डॉक्टर साहब!
- ‘मेंहदी’ -प्रियंका राठौर : अच्छी लग रही है
- 'स्कूल चलें हम’ -देवेन्द्र पाण्डेय : ओ. के.
- ‘श्रमजीवी महिलाओं को लेकर कानूनी जागरूकता’ -शालिनी कौशिक : सराहनीय प्रयास...धन्यवाद
- ‘मेरी मोहब्बत’ -कनुप्रिया गुप्ता : हमें भी मिल जाय!
- ‘मैं नन्हा गाँधी’ -रश्मि प्रभा : शाबाश! जय हो गाँधी बाबा की
- ‘तुम्हारे लिए....एक घर बनाना चाहता हूँ' -मृदुला हर्षवर्द्धन : नेक काम में संकोच कैसा?
- ‘मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ’ -भावनाएं : इस सादगी पे कौन न मर जाय ऐ ख़ुदा!
- ‘चलो आखिर इरोम शर्मीला की सुध तो आयी...’ -अरविन्द कुमार : कोई याद नहीं दिलाया होगा अब तक
- रघुवीर सहाय की कविताएं –3 ‘रामदास’ -मनोज कुमार : वाह! शुक्रिया
- ‘कई सोपान’ -आशा : वो तो है ही
- ‘पिया जो नहीं पास है' -अमृता तन्मय : इतनी विह्वलता?...आ भी जाएगा! आपका ऐसा जो प्रयास है
- ‘रहने दो’ -माधवी शर्मा ‘गुलेरी’ : अब आप कहती हैं तो ठीक है वैसे हम इस मंच पर इसकी चर्चा तो कर ही दिए
- ‘खांडा विवाह परम्परा (तलवार के साथ विवाह)’ -रतन सिंह शेखावत : चलो तलवार के साथ ही, बम के साथ तो नहीं!
- ‘संबंधों की काँवर...’ -निवेदिता : इसे तो ढोना ही पड़ेगा कैसे भी
- ‘इंतजार...’ -नीलकमल वैष्णव"अनिश" : इसका फल अक्सर मीठा ही होता है!
- ‘जिसे करते है प्यार’ -विद्या : और जिसे नहीं करते?... हम कहाँ हैं? इसमें या उसमें!
- ‘जुबां ख़ामोश रहती है इशारे बोल उठते हैं’ -गिरीश पंकज : इशारे अपना फ़र्ज बख़ूबी निभाते हैं और हम???
- ‘लेह (लद्दाख) से चुमाथांग (हॉट स्प्रिंग)१४००० फीट की झलकियाँ’ -राजेश कुमारी : आभार... यात्रा में शामिल करने का!
- ‘ख़बर है कि आदमी ने सांप को काटा’ -डॉ. अरविन्द मिश्र : रोमांचक...! आदमी जो कर डाले वही कम
- ‘सूफ़ी संत मंसूर’ -महेन्द्र वर्मा : संत की बात ही निराली
- ‘स्वामी अग्निवेश ने हजार रुपये रिश्वत देकर बनवाया था फर्जी वोटर कार्ड?’ पत्रकार-अख्तर खान "अकेला" : चलो बन तो गया यह कम है?
- ‘दर्दांत हत्यारों को, फांसी ना मेरे भाई है...’ -राकेश गुप्ता : पूछ कर बताते हैं आकाओं से
- ‘जन-जन का आधार चाहिए’ -विजय : वो तो चाहिए ही
- ‘बलमुआ लउटि चलौ वहि ठाँव’ -ग़ाफ़िल : फ़रमाइश क़ाबिले ग़ौर है
itne dher sarl link..aaur har link ko link ko sarthak karte aapke behtarin shabd..wakai anand aa gaya...hamesha ki tarah sahitya ke bibidh pahluon se rubaru karane ka aapka yah prayas bhi safal raha hai..meri rachna ko bhi charcha manch me shamil karne ke liye bhi hardki dhanyawad..aan to meri rachna bhi pahle no per hai aaur mere comment bhi pahla hai..kya sanyog hai..punah dher sari badhayee aaur pranam ke sath
जवाब देंहटाएंबहुत खूब मिश्र जी , इतने सारे प्रसून एक साथ देख मन प्रफुल्लित हुआ , शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें /
जवाब देंहटाएंएक सर्थक और सटीक चर्चा |शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंकई फूलों से आपने अच्छा गुलदस्ता सजाया है|बधाई आभार मेरी रचनाएँ शामिल करने के लिए |
आशा
रोचक चर्चा !
जवाब देंहटाएंहमारी भी ऐसी ही अभिलाषा है कि राजा को अक्ल आये और प्रजा सुखी हो जाए . सुन्दर चर्चा आप सबों को शुभकामना .
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा पच्चीसी बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएं--
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन!
shikshak divas par shubhkamnayen...aaj ki charcha kuchh vishesh hai ...bahut badhia links hain ...abhar.
जवाब देंहटाएंसृष्टि निर्माता शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बधाई हो आपको
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
गुरुजनों का सादर अभिनन्दन ||
जवाब देंहटाएंगाफिल की चर्चा --
बेहद सुन्दर और गुणवत्ता से परिपूर्ण ||
बधाई भाई ||
अच्छे लिंक दिये हैं आपने। मौका मिलते ही जरूर पढ़ेंगे।..आभार।
जवाब देंहटाएंबड़े ही मोहक सूत्र पियोये हैं।
जवाब देंहटाएंचन्द्र भूषण जी बहुत सुदर लिंक दिए हैं आपने इसके लिए शुक्रिया !और मेरी लेह यात्रा को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार !लिंक के साथ आपके उत्तरों को पढ़कर तो मजा आ गया !शिक्षक दिवस की आप सबको बधाई!
जवाब देंहटाएंbahut acchi charcha...ismei meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad...aabhar
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स दिये हैं आपने आभार ।
जवाब देंहटाएंshiskshak dewas ki bahut bahut shubhkamnaein.sundar links se post ko sajane ke lie aabhar....
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की शुभकामनायें.
शिक्षक दिवस की सभी पाठकों को हार्दिक बधाई ! सुन्दर लिंक्स से सजी बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंMere ghar ko apne dil mein jagah dene ke liye abhaar
जवाब देंहटाएंNaaz
बहुत सुन्दर चर्चा बहुत सारे शानदार लिंक्स दिए हैं आपने.आभार मेरे आलेख को यहाँ स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
शिक्षक दिवस की बधाइयाँ
गाफिल जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
बहुत सुंदर चर्चा।
मुझे स्थान देने के लिए आभार।
चर्चा काफी अच्छी लगी .....शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा शानदार लिंक्स
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम मिश्र जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
मुझे स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
लाल पतंगों पर नीले पुछल्ले चर्चा मंच के आकाश पर मन को भा गये.
जवाब देंहटाएंvilamb se aayaa, par aayaa... sundar charcha huee. ek line mey blog ka saar bataa dena bhi kalaa hai. badahi, dhanywad bhi..
जवाब देंहटाएंवाह मिश्र जी आपने तो गागर में सागर कर दिया . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंbahut sundra charcha
जवाब देंहटाएंbest charcha
जवाब देंहटाएंआप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएं