कुछ ब्लॉगरों की पोस्टों को लेकर हाजिर हूँ!
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मित्रो आपके खासमखास याने दवे जी नाम के फ़ोकटचंद सलाहकार को दस धनपथ से बुलावा आया स्वयं सोनिया जी का। जाकर बैठे ही थे कि सोनिया जी गुनगुनाते हुये कमरे में ...
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" द्वारा लगाई गई कुछ पोस्ट
सुन्दर-सुन्दर खेत हमारे।*
*बाग-बगीचे प्यारे-प्यारे।। *
*पर्वत की है छटा निराली।*
*चारों ओर बिछी हरियाली।...
उच्चारण पर है-
हम तुम्हारे वास्ते दुनियॉ में फिर जीते रहे
चाक कर अपना गिरेवॉ रात दिन सीते रहे ...
प्रांजल-प्राची पढ़िए-
" चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर"
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'विचार प्रवाह'
*गया था खो , कुछ *
*यहाँ ढूँढा , वहां ढूँढा *
*चारो ओर ढूंढ का शोर ....*
*हुयी विस्मृत -*
*खोज ही खोज में *
*क्या खोया था * ...
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ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र ने आज तक किसी को अपना साक्षात्कार नही दिया लेकिन मिस समीरा टेढी ने किसी तरह महाराज को साक्षात्कार के लिये राजी कर ही लिया और अपने साथ...
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अभी कुछ ही दिनों पहले एक वेबसाइट के विषय में बताया गया था जहाँ से आप कंप्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं, इसी साईट में एक नया विडियो...
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क्या कहूँ और कहाँ से शुरुआत करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है। जब कभी इस विषय में कहीं कुछ पढ़ती हूँ या सुनती हूँ कि बेटी पैदा होने पर उसे गला घोंट के मार दिया...
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कोई लाख कहे हम इक्कीसवीं सदी में आ गए हैं और चाँद पर भी
पहुँच गए हैं , लेकिन सच तो ये है की हम शताब्दियों पीछे जा रहे हैं।
स्त्री का समाज में...
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कु दरती तौर पर नज़र आने वाली ज्यादातर चीज़ों के
पैदा होने का एक ख़ास तरीका होता है मगर भाषा के बदलने
और शब्दों के जन्म लेने के पीछे ...
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बड़े यत्न से संभाला था एक कतरा सपनों का आँखें खुली और वह खो गया पल पल सरकता जीवन बंजर सी भावभूमि पर जाने कितने आस के बीज बो गया निरंतर भागती राहों में ...
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कभी कभी तो कई कई दिनों तक मेरे पास लिखने को कुछ भी नहीं रहता और आज इतना कुछ है कि सोंच रहा हूँ कहाँ से शुरू करूँ... चलो ऐसा करता हूँ इस दिन की पोस्ट की शुरआत...
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जब जब मैं हठी की तरह सोती नहीं करवटें बदलती हूँ यादों की सांकलें खटखटाती हूँ - चिड़िया घोंसले से झांकती है चाँद खिड़की से लगकर निहारता है हवाओं की साँसे...
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यूँ तो अलग हो जाती है धारायें किसी ना किसी मोड पर
कभी ना कभी ये मोड देते है
दस्तक हर ज़िन्दगी मे पर अलगाववाद की सीमाओं पर
ये अहम के पहरेदार आखिर कब तक ?...
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कुँवर कुसुमेश जी के
प्लास्टिक-पॉलीथीन पर दोहे.
जीव-जन्तु खाकर इसे, गवाँ रहे हैं जान.
अक्सर नदियों में दिखी,बहती पॉलीथीन ...
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*जब सवेरे आंख खुलती है*** श्यामनारायण मिश्र *
जब सवेरे आंख खुलती है***
*इस तरह महसूस होता है।***
*हम धकेले जा रहे हैं***
* म्युजियम से जंगलों में।*** ...
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Sehar जी की शायरी भी देख लीजिए ज़नाब!
मैं चाँद पर रहना चाहती हूँ
बिखरी हुई शीतलता में बहती हुई चांदनी में
जहाँ कोई बाहरी भीड़ नहीं
कोई शोर नहीं तब ठीक से सुनाई देगा
भीतर शब्दों की भीड़ से ...
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-डॉ० डंडा लखनवी
राजनीति के घाट पर, अभिनय का बाज़ार।
मिला डस्टबिन में पड़ा, जनसेवा उपकार॥1 ...
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Akanksha
जीवन में पंख लगाए आसमान छूने को
कई स्वप्न सजाए साकार उन्हें करने को |
उड़ती मुक्त आकाश में खोजती अपने अस्तित्व को
सपनों में खोई रहती थी सच्चाई से दूर बहुत ...
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डा. दिव्या श्रीवास्तव जी अपने ब्लॉग ‘ज़ील‘ पर शायद अब और न लिखेंगी, कारण उन्होंने यह बताया है कि किन्हीं अनुराग शर्मा जी ने एक पोस्ट लिखकर उनका अपमान कर दिय...
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परियों के पंखों पर : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत
परियों के पंखों पर बदली से रंग ले-लेकर,
ख़ुशियों को संग ले-लेकर,
परियों के पंखों पर मैं चित्र बनाऊँगी! ...
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सुन्दर चर्चा पर लिखूं--
जवाब देंहटाएंबधाई-बधाई बधाई ||
आखेट मानव का सदा,करता रहा है राक्षस |
जवाब देंहटाएंमाँस से ही पेट भरता आ रहा है राक्षस ||
उस गाँव का तब एक बन्दा जान देता था वहाँ--
आज झुंडों में निवाला खा रहा है राक्षस
हाथ करते हैं खड़े, यमुना में इच्छा शक्ति धो--
सुरसा सरीखा मुँह दुगुना, बा रहा है राक्षस |
मौत ही सस्ती हुई, हर जीन्स महँगा बिक रहा -
हर एक बन्दे को इधर अब भा रहा है राक्षस |
ताज की हलचल से आया था कलेजा मुँह तलक-
अब जेल में भी मस्त गाने गा रहा है राक्षस ||
bahut sarthak charcha....ismei meri post ko shamil karne ke liye dhanybad....aabhar
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्र।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा पर --
जवाब देंहटाएंबधाई-बधाई बधाई ||
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंachche sootra mile sundar charcha.
जवाब देंहटाएंमोदी टोपी पहनते, क्या खो जाता तोर ??
जवाब देंहटाएंसेक्युलर का काला हृदय, खिट-पिट करता और |
खिट-पिट करता और, उतरती उनकी टोपी |
वोट बैंक की नीत, बघेला बेहद कोपी |
कटते हिन्दू वोट, देख कर हरकत भोंदी |
घंटा बढ़ते और, समर्थक मुस्लिम मोदी ||
कट्टर हिन्दू-मुसल्मा, हैं औरन से नीक |
इंसानियत उसूल है, नहीं छोड़ते लीक |
नहीं छोड़ते लीक, नहीं थाली के बैगन |
लुढ़क गए उस ओर, जिधर जो जमते जन-गन |
मोदी तुझे सलाम, कहीं न तेरा टक्कर |
मूरत अस्वीकार, करे मुस्लिम भी कट्टर ||
सुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान दिया,आभार.
धन्यवाद विद्या जी!
जवाब देंहटाएंआज तक की गई आपकी चर्चा में यह चर्चा बहुत शानदार रही है।
मेरी पोस्टों के लिंग देने के लिए आभार!
mere post ko shamil karne ke liye hardik dhanyavaad... any post mein se kuchh post bahut achhi lagi...
जवाब देंहटाएंbahut badiya charcha prastuti ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा ..
जवाब देंहटाएंमेरे शिशुगीत को चर्चा में लाना बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंआप सब का धन्यवाद ,मुझे उत्साह देने के लिए ,
जवाब देंहटाएंइसी तरह आप सब मेरे साथ रहे
धन्यवाद........
विस्तृत चर्चा
जवाब देंहटाएंcharcha-manch ke sanyojakon ka yah prayas prasansaneey hai....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!
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