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शुक्रवार, सितंबर 02, 2011

कौन दोषी है ?? चर्चा-मंच - 625

ईद  की  मीठी  सिवैन्याँ  खा  चुके,
ईश  का  आशीष-रहमत  पा  चुके |


अन्ना हमारे आमजन को भा चुके
 दीपावली  के  दीप  सुन्दर छा चुके |


जन्माष्टमी में कृष्ण प्यारे आ चुके
जम्हूरियत का गान सालों गा चुके ||

दुर्दशा पर देश  की  मिटती  नहीं --
कौन दोषी है ??

 ♥ गणेशोत्सव पर विशेष ♥

"गणेश वन्दना सुनिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
श्रीमती अमर भारती के स्वर में!
आज मेरी लिखी हुई यह गणेश वन्दना सुनिए
और आप भी साथ-साथ गाइए!
(१)
[DSC_9933.JPG]लोकेन्द्र  सिंह   राजपूत 

बिट्टो

बीना स्टेशन। स्वर्णजयंती एक्सपे्रस। २७ जुलाई २०११। सार्थक ग्वालियर से भोपाल जा रहा था। उसकी भोपाल में पोस्टिंग हो गई थी। वह वहां एक अखबार में काम करता है। बीना स्टेशन पर ट्रेन को रुके हुए १५ मिनट से ज्यादा वक्त बीत गया था। सभी यात्री गर्मी और उमस से बेहाल थे। महीना तो सावन का था, लेकिन भीषण गर्मी और पसीने से तरबतर शरीर से चैत्र मास का अहसास हो रहा था।
(२)
 "काटी   कूटी   माछरी   छीकैं   धरी   चहोरि। 
   कोउ एक आखर मन पर्यो, दह माँ परी बहोरि।।"
   -कबीर

स्वतन्त्रता

अपनी इयत्ता की सतर्क पहचान,
अपने वज़ूद की अभिज्ञा,
तथता अपनी;
अपने चतुर्दिक के प्रति सहज अभिमुख भाव,
स्वतन्त्रता है!
स्वतन्त्रता अभिव्यक्ति है,

(३)
"यहाँ देखो, भारतमाता धीरे-धीरे आँखे खोल रही है . वह कुछ ही देर सोयी थी . उठो, उसे जगाओ और पहले की अपेक्षा और भी गौरवमंडित करके भक्तिभाव से उसे उसके चिरंतन सिंहासन पर प्रतिष्ठित कर दो!" -----------स्वामी विवेकानंद

ज़िन्दगी से ....


ज़िन्दगी  से बस यूं ही
 चन्द बातें हुई
 चमन में आये बहार से
 एक मुलाकात हुई

(४)
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(५)

मुक्तक मंजरी

वंदन  में ,  देश- दीप  जलाने लगे  हैं लोग ,
नटवर को अँगुलियों में नचाने लगे हैं लोग ,
दुर्योधनों ,  दुशासनों  की  खैर  अब   कहाँ  ?
ध्वज-चक्र ,कृष्ण जैसा उठाने लगे हैं लोग  !
                      (६)
[Pic4227.jpg]

(७)


(८)
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चोट दिल पे थी तो कलम मचल गयी

   देश की जानी मानी पुलिस आफिसर
  अन्ना के रंग ढंग  में ढल गयी
  देशभक्ति के उन्माद में डूबी थी
 भड़ास अभिनय बनकर निकल गयी

(९)

[IMG_0545.JPG] 

गांधी और गांधीवाद- 65
आक्रमणकारियों के प्रति क्षमाभाव
समीक्षा

- हरीश प्रकाश गुप्त
प्रतिमा राय चण्डीगढ़ में रहती हैं। पत्रकारिता में परास्नातक कर रहीं हैं, जाहिर है अल्पवय हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले एक ब्लाग शुरू किया है – “दि फायर”। ब्लाग का नाम भले ही आग का पर्याय हो लेकिन आग हमेशा विध्वंसक नहीं होती बल्कि उपयुक्त स्थान पर सृजन का निमित्त भी बनती है। प्रकाशित हो रही हैं रचनाओं को देखते हुए प्रतिमा का यह ब्लाग सर्जना का पर्याय बनता दिख रहा है। इस पर पहली रचना उनकी एक कविता “आखिरी लम्हे” प्रकाशित हुई थी।
(१०)

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गणपति उत्सव पर हार्दिक बधाई !




हे गणपति ! हे विघ्न विनाशक !

हे गणपति हम तुझे चाहते
तुझसे बस हम प्रेम मांगते,
  

(११)

उसका भी फ़ैसला है

ऐ हुस्न तुझे इश्क़ का पता ही नहीं है।
पेश आया भी जैसे के कुछ हुआ ही नहीं है।।

      व्यवस्थापक 
 
                  
(१३)
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(१४)
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मुद्दा अस्पताल नहीं है ?

इन दिनों कुछ लोग ये सवाल उठा रहें हैं अन्ना इलाज़ कराने "कोर्पोरेट अस्पताल मेदान्ता सिटी गुडगाँव "क्यों गये ?यह भी कि उनकी कोर कमेटी में अल्पसंख्यक नहीं थे पहले सवाल का ज़वाब यह है -अन्ना के प्राणों की रक्षा के लिए लोक ने उन्हें अच्छे से अच्छा अस्पताल मुहैया करवाया है ,वे किसी अन्य भारतीय की तरह अमरीका इलाज़ कराने नहीं गए हैं .कैंसर के इलाज़ के लिए "राजीव गांधी कैंसर अस्पताल "की अनदेखी करके वे न्यूयोर्क के एक कैंसर अस्पताल में नहीं पहुंचे हैं . 


(15)
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दो उरों के द्वंद्व में

दो उरों के द्वंद्व में 
लुप्त बाण चल रहे 
स्नेह-रक्त बह रहा
घाव भी हैं लापता.

नयन बाण दोनों के 
आजमा वे बल रहे 
बाणों की भिड़ंत में 
स्वतः चार हो रहे.

(16)
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कुछ खबरें आपको बैचेन करती है... और जब बैचेनी हद से ज्यादा बढ़ ज़ाती है तो बन्दा बक बक करने लग जाता है.... यही 'बाबा की बक बक' है

बारिश और क्रांति

यूँ ही एक रिमझिम दुपहरी में ...
बलजीत नगर के चोहराए पर
फोटू क्लिक किया की ....
क्वोनो क्रांति के काम आएगी ..

जय राम जी की.
बारिशों जैसे -
क्रांतियों की भी रुत होती है.. 
और आजकल दोनों ही एक साथ हैं.....
दुपहिया वाला और रक्सेवाला सवारी सहित ..
बारिश से बचता है..... और क्रांति से भी

(17)

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बधाई

**********************
"ईद - चतुर्थी हर्ष के, गीतों का संचार.
बरसे बरखा नेह की, पावन हो संसार
 (१८)
[IMG_3356.JPG]

"वो आना तो चाहती थी !"


उसने  छिपाया  तो बहुत 
पर छुपा  न  पायी  
चेहरे की लाली 
सुर्ख आँखों  से बहे  काजल  का पानी 
वो छिपा  न  पायी  


 (१९)

खेल के नाम पर जनता के विशवास के साथ खेल

 

 (२०)

[vvv1.jpg]

हे विघ्नेश्वर - हे गणराया....

हे विघ्नेश्वर - हे गणराया
ज़रा दिखाओ अपनी माया,
महंगाई और घोटालों से
जन - जन का अब दिल बौराया...
किसी को रोटी नहीं नसीब
किसी ने आधा देश पचाया,
(२१) 
सिर
दर्द हो गया क्या ??? 
तो- पेश है --

"कॉफी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मित्रों!
परसों चाय पर एक रचना लिखी थी।
उस पर अपनी टिप्पणी में भाई अरुण चन्द्र राय ने
अपनी फरमाइश रख दी कि अब कॉफी पर भी
एक रचना लिख दीजिए।
उन्हीं की माँग पर पेश है कॉफी की यह रचना!
आप भी यदि कोई नया विषय सुझाएँ तो आभारी रहूँगा!



(२२)
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रंजीत 

ईमानदार एकांत

एकांत
ईमानदार एकांत
मिलता तो
एक कविता होती
पढ़ने की कोई किताब होती

(२३) 
रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं।
तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं।
------ डा. विष्णु सक्सेना



और  अंत में जाट-देवता को उनके 

जाट-देवता की 36 वीं वर्षगाँठ : 31 अगस्त को

मेरी हार्दिक बधाई  ||


जाट - देवता   से  सदा,  रहिएगा   हुसियार |
जाट-खोपड़ी  क्या  पता,  कब  कर देवे मार | 
  कब   कर   देवे   मार,  हाथ  माँ  डंडा  साजे  | 
 मिले  न  दुश्मन  तो,  दोस्त  का बाजा बाजे || 
लो "रविकर" पर जान, जान  देने  की  बारी |
मित्रों  पर  कुरबान,  रखे    पक्की   तैयारी ||

23 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर जी, सुबह सुबह एक नए अंदाज में इतनी रंग-बिरंगी और विविधता को लिए चर्चा देख कर बहुत अच्छा लग रहा है... आपका श्रम प्रशंसनीय है... आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. लीजिये आपकी छोड़ी हुई पहली पंक्ति के साथ दूसरी पंक्ति जोड़ दी मैंने,रविकर जी.
    दुर्दशा पर देश की मिटती नहीं
    हम हज़ारों बार ये बतला चुके.

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय कुसुमेश जी !
    चर्चा को आगे बढ़ाया--
    आभार ||

    जवाब देंहटाएं
  4. छंद पूर्ति ...

    दुर्दशा पर देश की मिटती नहीं
    कौन दोषी है, छिपा बैठा कहीं
    ++++++++++++++++++++

    ... सुन्दर लिंक्स एवं परोसने का लाजवाब ढंग... मन को बहुत भाया.
    ++++++++++++++++++++

    रविकर जी का संयोजन
    सुन्दर दरबार सजा है.
    मैं ढूँढ रहा हूँ खुद को
    पाया तो मिला मज़ा है.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर और सार्थक संग्रह ......गणेश चतुथी की बहुत -बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय --
    प्रतुल वशिष्ठ जी !
    चर्चा को आगे बढ़ाया--
    आभार ||

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/

    फिल्म महा-अभियोग : कुंडली

    अन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
    केजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |

    सारोकार-सुयोग, सुनों सम्वाद ओम के,
    फ़िदा किरण का नाट्य, वितरकी हुए रोम के |


    यह फ़िल्मी इतिहास, जोड़ता स्वर्णिम पन्ना,
    व्युअर-शिप का शेर, हमारा प्यारा अन्ना ||

    कुंडली की
    पूँछ

    महा नाट्य-शाला भरे, दीवारों को तोड़ |
    आगे चलते ओम जी, पीछे कई करोड़ ||

    जवाब देंहटाएं
  7. अहा! आनंद आ गया। बहुतं सुंदर लिंक।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया चर्चा | बहुत अच्छे लिंक्स | आभार रविकर जी |
    मेरी नई रचना भी देखें |

    जज्बात-ए-इश्क

    मेरी कविता:जज्बात-ए-इश्क

    जवाब देंहटाएं
  9. bahut badiya rang-birange links liye saarthak charcha prastuti ke liye aabhar!

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर चर्चा…………काफ़ी नये लिंक्स भी मिले………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर सूत्र, आराम से बैठकर पढ़ते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  12. भाई दिनेश चन्द्र गुप्ता जी!
    आपने समय लगाकर बहुत शानदार चर्चा की है!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  13. ravikar ji
    bahut badhiya charcha prastut ki hai aapne .aabhar meri rachna ko bhi yahan sthan dene hetu .

    जवाब देंहटाएं

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