मैं चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ फिर हाज़िर हूँ चर्चामंच पर रंगबिरंगी चर्चा के साथ। बमबारी, हत्या, लूट-पाट, आगजनी, राहजनी, बलात्कार, भ्रष्टाचार, भूकम्प, अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि तमाम प्राकृतिक तथा मानवकृत आपदाओं के हम तो आदी हो चुके हैं इन बातों में क्या रखा है अब? यह हमारी नीयति सी हो गई है...छोड़िए! इन मामूली बातों को...आइए! लेते हैं लिंकों का आनन्द-
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1-
विजय जी बता रहे हैं 'जीवन-सार', यह जानना बहुत ज़ुरूरी है
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2-
'अपनी वही ज़ुबान, जो कि हो हिन्दुस्तानी' यह कहना है भाई नवीन C चतुर्वेदी जी का, सपोर्टिंग लाइन है 'निज भाषा उन्नति अहै'
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3-
'यादों में बरसता सावन-भादों'...फिर आयेगा कविता जी!
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4-
'पगडंडी का राही हूँ मैं'...निगम जी आपका रास्ता बहुत सही है, कम से कम प्लेन-क्रैश का ख़तरा तो नहीं
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5-
'मन तो पागल हो जाता है'--- आशू जी! कम से कम इसका एहसास तो है उसे
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6-
'कुछ लोग'... ऐसे भी होते हैं महेन्द्र जी!
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7-
'मुस्कान रूठ जाएगी'... च् च् च्!
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8-
'बच्चों को दें पौष्टिक आहार'...ये हुई न बात!
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9-
अब तो मनु नहीं नादान
सृष्टि-ध्वंस का है उसे ज्ञान
जब प्रकृति पर भारी है विज्ञान
तब तो प्रलय की आहट पहचान
...अमृता जी ! ग़ज़ब का आह्वान
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10-
'जीने की कला' सीखिए बेचैन आत्मा देवेन्द्र पाण्डेय जी से...शायद चैन आ जाए!
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11-
'लेता देता हुआ तिहाड़ी, पर सरकार बचा ले कोई'...रविकर भाई! हमें तो नहीं फ़ुरसत, हमारा हाथ उठा ही जाने
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12-
'जब से तुमको पाया मैंने' ...वर्षा जी! अब हम क्या कहें कि मेरा क्या हाल है???
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13-
'सब तीरथ बार-बार तिहाड़ जेल एक बार'...वाह! नई ईज़ाद...शुक्रिया रवीन्द्र जी!
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14-
'चलो-चलो रे! ब्याही जाती, सरकारी-शहजादी'...आप चलिए! हम आते हैं
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15-
'जब औरत घर की जिम्मेदारियां ना संभालना चाहे तो क्या करें?'...मेरे ख़याल से आपसे टिप्स लें
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16-
'अमर सिंह निर्दोष और अन्ना भ्रष्टाचारी हैं'...ये जुमले सरकारी हैं? डब्बू बाबू!
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17-
'मुछ्छड़ पहाड़ और हम'...बिना मूँछ के
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18-
'दिग्विजय सिंह ने किया दावा- मेरे पास है अन्ना को आरएसएस के समर्थन की चिट्ठी'...भई होने को तो कुछ भी हो सकती है जब उसे होना ही है
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19-
'बीते पल के आँगन में'...भाई बबन जी! क्या बात है???
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20-
'भारतीय काव्यशास्त्र–83' -आचार्य परशुराम राय, प्रस्तोता- मनोज कुमार
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21-
'सम्राट अशोक का शिलालेख, कालसी' की यात्रा करा रहे हैं जाट देवता संदीप पवाँर जी एकदम फ्री में मौक़ा मत चूकें!
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22-
'शिक्षक दिवस की संगोष्ठी में' वही हुआ जो होना चाहिए? जानिए डॉ0 जे0 पी0 तिवारी से
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23-
'आदमखोर'...डॉ0 व्योम
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24-
'व्यंगात्मक बदबूदार टिप्पणियां'...-दिव्या
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25-
'धूप फिर से आज भू पर'... डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' उच्चारण
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26-
'हाँ! इबादत-सी बन गया है तू' ...-अतुल कुशवाहा
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27-
'लफ़्ज़ों के बैरी पत्रकार'...-बीरू भाई
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28-
'तुम बिन मेरी परिभाषा'...-सुरेश कुमार
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29-
'जीने के लिए ज़िन्दगी में दर्द भी चाहिए'...निरंतर
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और अन्त में
30-
'कहैं सब गालोबीबी' पर ध्यान मत देना
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आज के लिए इतना शायद पर्याप्त होगा, फिर मिलने तक नमस्कार!
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'आदमखोर'...डॉ0 व्योम
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24-
'व्यंगात्मक बदबूदार टिप्पणियां'...-दिव्या
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25-
'धूप फिर से आज भू पर'... डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' उच्चारण
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'हाँ! इबादत-सी बन गया है तू' ...-अतुल कुशवाहा
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27-
'लफ़्ज़ों के बैरी पत्रकार'...-बीरू भाई
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28-
'तुम बिन मेरी परिभाषा'...-सुरेश कुमार
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'जीने के लिए ज़िन्दगी में दर्द भी चाहिए'...निरंतर
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और अन्त में
30-
'कहैं सब गालोबीबी' पर ध्यान मत देना
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आज के लिए इतना शायद पर्याप्त होगा, फिर मिलने तक नमस्कार!
badhia links ....shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...अच्छे लिंक दिये हैं आपने
जवाब देंहटाएंभैया है गाफिल निरा, जैसे नदी बहाव |
जवाब देंहटाएंचंचल बूंदों सी गिरा, डुबकी तनिक लगाव ||
गिरा = वाणी , टिप्पणी
सतत प्रेरणा आपकी, धन्य हुआ - आभार |
मिले टिप्पणी पोस्ट पर, गुण-अवगुण अनुसार ||
मेरे ब्लाग पर चर्चा के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंगाफ़िल जी मिश्र जी ,मिश्र भाव की ऐसी मनभावन चर्चा लाते रहें मिश्र शिवरंजनी सी मनमोहक ,सार्थक विचार प्रेरक श्रृंगारिक आर व्यावहारिक ,दिग्विजय के प्रलाप सी .
जवाब देंहटाएंsundar charcha...aabhar
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah sarhniya prayas...sarthak links...behtarin charcha...charcha ka ajaaj aaur ant bhi manhawan..meri rachna ko aapka sneh mila isliy dhanywad...hardik badhayee aaur naman ke sath
जवाब देंहटाएंशीर्षकों के साथ सुंदर पुच्छ्ल्ले और बहुरंगी लिंक्स.शानदार !!!! मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंmeree rachnaa ko sthaan dene ke liye dhanyawaad
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र पिरोये हैं।
जवाब देंहटाएंसप्तरंगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंमुझे भी सम्मिलित करने के लिए आभार।
गाफ़िल जी..अद्भुत लिंक पिरोया है आपने...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद..आभार
sundar links se susajjit badhiya charcha.
जवाब देंहटाएंabhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंMeri post shamil karne aur sundar links ke saath charcha prastuti ke liye bahut bahut aabhar.... yah meri khushnaseebi hai ki aap sabhi ke sneh bus mein dauti-bhagti jindagi ke beech der-saber apni baat share kar paati hun..
जवाब देंहटाएंsadar!
सुन्दर और रोचक चर्चा .......
जवाब देंहटाएंग़ाफ़िल जी, आपका चर्चा मंच बड़ा ही रोचक लगा। भारतीय काव्यशास्त्र-83 को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक मिले है।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’जी ,
जवाब देंहटाएंपोस्ट के शीर्षकों के साथ लाजवाब जुमले....
वाह! क्या खूबसूरत चर्चा तैयार की है आपने !
इतने अच्छे संयोजन के लिए वाकई बधाई के पात्र हैं आप !
और इस खूबसूरत चर्चा में आपने मुझे भी स्थान दिया......
आपके इस अनुग्रह के लिए आपको यदि शुक्रिया मात्र कहूं तो वह नाकाफी रहेगा। बहुत-बहुत आभार......
Galif jee ,itni sundar charcha keliye aapka bahut-bahut aabhar.
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स- गाफ़िल जी ने कोई गफ़लत नहीं की :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...लिंकों के साथ आपकी टिप्पणी जैसे सोने में सुहागा...मजेदार हो जाती है चर्चा, बार-वार यही पढ़ने को जी करे, लिंक्स तो बाद की बात हो जाते हैं। धन्यवाद और आभार
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक चर्चा और लिंक्स के साथ आपकी टिप्पणी लाज़वाब...बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा का ज़वाब नहीं ग़ाफ़िल साहब! लिंकों पर आपकी टिप्पणी के हम क़ाइल हैं। लिंक की बात ही अज़ब पर आपकी टिप्पणी गज़ब
जवाब देंहटाएंआप हैं ग़ाफ़िल जी ना माने...क्या मज़ेदार चर्चा...वाह!
जवाब देंहटाएंये ग़ाफ़िल की चर्चा है!!! नहीं नहीं यह तो किसी ज़हीन और जिम्मेदार की चर्चा है। समझ में नहीं आ रहा कि हम ग़ाफ़िल या वो ग़ाफिल जो इतनी सुन्दर चर्चा की...बधाई
जवाब देंहटाएंआप सभी शुभचिन्तकों का बहुत-बहुत आभार जो हमारी चर्चा को इतना मान दिया वर्ना हम क्या और हमारी औक़ात क्या...आख़िर हम हैं ग़ाफ़िल ही तो भूल-चूक लेनी-देनी
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही सोमवासरीय चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
आपका नाम भले ही ग़ाफिल हो मगर चर्चा में कहीं भी ग़फ़लत दिखने को नहीं मिली।
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सभी लिंक बहुत शानदार मिले पढ़ने के लिए!