साथ ही एक निवेदन भी करना चाहता हूँ कि आपकी पोस्टों पर कमेंट करना पाठकों का काम होता है! मैं चाहता हूँ कि आपके लिंक पर अधिक से अधिक पाठकगण जाएँ और अपने मन के उदगार प्रकट करें! शुभकामनाओं के साथ- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" ताऊ तुम जुग-जुग जियो, बने रहो वागीश।। मैं स्वयं काल यानि समय हुं. अक्सर लोग कहते हैं कि जब कुछ काम नही होता तब हम समय काटने के लिये ब्लागिंग करते हैं. पर उन मूर्खानंदों को यह समझ नही आता कि मुझ... |
पर्यावरण आज विश्व की गम्भीर समस्या हो गई है। प्रकृति को बचाना अब हमारी ज्वलंत प्राथमिकता है। लेकिन प्राकृतिक सन्तुलन को विकृत करने में स्वयं मानव का ही ... |
बीमार के लिये वेजिटेबल सूपलौकी ४ छोटे टुकड़े बिना बीजगोभी ४ फ्लोरेट मुलायम डंठल के साथ परवल एक कटा हुआ बिना बीजटमाटर आधा कटामूंग की भीगी हुई दाल २ चम्मच ... |
पड़ोसन के बच्चे को मिट्टी खाते देख मैं बोली बहन जी ! आप का बेटा मिट्टी खा रहा है.... बहन जी बोली ,खाने दो किसी का क्या जा रहा है ... |
दो सौ रुपये घूस के, गए नौकरी लील | बड़ी कोर्ट मानी नहीं, कोई दया दलील | कोई दया दलील, भ्रष्टता छोटी - मोटी | कौआ हो या चील, ... |
चाँद छुप जाओ बादलों में अभी, * * कहीं ज़माने की तुम्हें नज़र न लगे।* *प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,*... |
*तेरह-ग्यारह से बना, दोहा छन्द प्रसिद्ध।* *सरस्वती की कृपा से, मुझको है यह सिद्ध।१।* *चार चरण-दो पंक्तियाँ, करती गहरी मार।* *कह देती संक्षेप में, जीवन का सब सार।२।... |
बिटिया मेरी ओ लाडली बिटिया मेरी तुम हो, मेरे जीवन की खुशी बड़ी प्यारी लगती है तुम्हारी भोली निश्छल हँसी ईश्वर ने वरदान दिया तुम आई दुनिया में मेरी जी चाहता... |
अगली प्रस्तुति में;- डॉ रमा द्विवेदी जी सारे चित्र गूगल से साभार.. |
आ मेरी चाँदनी तुझे कौन से दामन मे सहेजूँ कैसे तेरी राहो को रौशन करूँ कौन से नव पल्लव खिलाऊँ जो तू मुस्काये तो मै मुस्काऊँ ये जग मुस्काये हर कली खिल... |
अस्पताल के गलियारे में वो मुझे यदा कदा टहलते मिलतीं, छोटा सा कद, भारी भरकम शरीर हम दोनों की नज़रें मिलती लेकिन संवाद कोई नहीं होता. एक सुबह जब मैं ... |
*अल्हड़ लहरों में तेरी चंचलता देखी*** *गंगाजल में तेरी ही पावनता देखी*** *जो श्रद्धा तेरी पलकों में झाँकी मैंने*** *हर मंदिर में श्रद्धा की निर्मलता दे... |
अगर आपका या मेरा चार सदस्यों वाला परिवार शहर में रहकर रोज बत्तीस रूपए और गाँव में रहकर रोज छब्बीस रूपए में अपने दो वक्त के भरपेट भोजन का इंतजाम कर... |
*मुक्ति::* जाओ....... मैं सौंपती हूँ तुम्हे उन बंजारन हवाओं को जो छूती हैं मेरी दहलीज और चल देती हैं... |
श्रुत के आधार पर किसी क्रिया-प्रणाली का यथारूप अनुगमन करना परम्परा कहलाता है। परम्परा के भी दो भेद है। पूर्व प्रचलित क्रिया-विधि के तर्क व्याख्या में न ... |
बत्तीस और छब्बीस रुपयों में घर चलाना सीखें ..... कुछ रेसेपीस ... साथियों हाय तौबा मचने से कुछ नहीं होगा | सरकार हमारा मान रखती है तो हमें भी हमें सरकारी ... |
हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं बहार आई गई , पत्ता पत्ता बिछड़ा बदल के बात ... |
जब मोबाईल ना होता था - जब मोबाईल ना होता था ---- वो दिन भी क्या दिन होते थे,जब मोबाइल ना होता था एक काला सा चोगा अक्सर, हर घर की शोभा होता था टिन टिन टिन ... |
नाशा की आशा जगी, अमरीकन अभियान | * *अन्तरिक्ष में ढूंढ़ता, मंगल का वरदान |* *मंगल का वरदान, ढूंढ़ता भारत वासी |* *जीवन में भरपूर, रहे मंगल-श... |
कवि -राधेश्याम बंधु संपर्क -09868444666 दूरसंचार विभाग में सेवा के दौरान टेलीफोन से लोगों के दिलों को जोड़ने का काम करते हुए अपने शब्दों और उम्दा लेखनी के... |
मर्तूब नफ़स से उठती हैं शाम ढलते मज़तरब मेरी आहें, लोग कहते हैं राज़े आतिश का पता नहीं, |
Anita मन पाए विश्राम जहाँ चलो उगा दें चांद प्रीत का चलो झटक दें हर उस दुःख को, जो तुमसे मिलने में बाधक चाहो तो तुम्हें अर्पण कर दें, बन जाएँ अर्जुन से साधक ! |
Kirtish Bhatt, Cartoonist |
पंकज शुक्ल। क़ासिद बिरले ही होते हैं ऐसे जो मायानगरी में अपना नाम बनाने का ख्वाब लेकर आएं और किस्मत की दस्तक उनके दरवाजे पर उम्मीद से पहले सुनाई दे जाए। पंजाब के मलेरकोटला से मुंबई आए इरशाद कामिल का नाम भी ऐसे ही बिरलों में शामिल हैं। इन दिनों मेरे ब्रदर की दुल्हन और मौसम फिल्मों के लिए लिखे उनके गानों की हर तरफ धूम है, और गुरुवार को हुए जीमा अवार्ड्स में उन्हें ... |
RAJEEV KULSHRESTHA: ये दोनों बातें मुझे पता नहीं । किसने कही हैं । पर जिसने भी कही हैं । दमदारी से कही हैं । अनुभव से कही हैं । आप भी सुनिये - कुदरत में प्रीत की । रीति भी अजीव है । दिल आया गधी पर । तो परी क्या चीज है । इसी के ठीक विपरीत सी भी एक बात किसी दिलजले ने नहले पर दहला मारा है - अजब तेरी दुनियाँ का । अजब दस्तूर है । लंगूर की गोद में । जन्नत की हूर है । ... |
Prem Prakash: पूरबिया चाव के साथ चुनाव और राजनीति की बात करने वाले कह सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में बदलाव आ गया है। पर यह बात यहां की राजनीति के लिए भले सही बैठे लेकिन जहां तक यहां के जीवन और समाज का सवाल है, उसकी तबीयत को तारीखी रौशनी में ही पढ़ा जा सकता है। दरअसल, बंगाल की धरती परंपरा और परिवर्तन दोनों की साझी रही है। बात नवजागरण की करें कि जंगे आजादी की इस क्रांत ... |
पत्रकार-अख्तर खान "अकेला" |Akhtar Khan Akela बिना हेलमेट के स्कूटर वाले को पुलिस वाले ने रोक लिया। स्कूटर वाले ने रिश्वत देकर चालान से पीछा छुड़वाया और पूछा, आगे कोई रोकेगा तो? पुलिस वाले ने कहा : तुम कह देना कौवा। वो तुम्हें जाने देगा। आगे एक और पुलिस वाले ने रोका। स्कूटर वाले ने कहा : कौवा पुलिस वाले ने जाने दिया। दो दिन बाद यह फिर जब रोक लिया गया तब स्कूटर वाले ने कहा: कौवा। पुल ... |
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन : आवाज़ 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में अनुराग शर्मा की कहानी "टुन्न परेड" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य "बदचलन", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। |
रविकर |: "कुछ कहना है" नाशा की आशा जगी, अमरीकन अभियान | मंगल-ग्रह पर ढूंढ़ता, जीवन जीव निशान | |
RAJEEV KULSHRESTHA BLOG WORLD.COM यमुनानगर । हरियाणा । भारत में रह रहे श्री दर्शन लाल बबेजा बिज्ञान अध्यापक हैं । और एक अच्छे अध्यापक की तरह अपनी सामाजिक भूमिका के प्रति जागरूक हैं । इनके कई ब्लाग्स और विचार को देखकर तो यही लगता है । बहुत कम लोग ऐसे होते हैं । जो जिस समाज में रहते हैं । परस्पर व्यवहार करते हैं । उसके प्रति अपने दायित्व को न सिर्फ़ समझते हैं । वरन यथासंभव उसे न ... |
lokendra singh rajput अपना पंचू यो जनाआयोग ने भारतीय गरीबी का जिस तरह मजाक बनाया है। उस पर हो-हल्ला होनालाजमी है। योजना आयोग की ओर से गढ़ी गई गरीबी की नई परिभाषा से भला कौन,क्यों और कैसे सहमत हो सकता है। २० सितंबर २०११ मंगलवार को आयोन नेसुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामें में कहा है कि खानपान पर शहरों में ९६५रुपए और गांवों में ७८१ रुपए प्रति माह खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीबनहीं ... |
VIJAY PATNI |Dil ki kalam se मैं जब भी तेरे ग़मों में, डूब के लिखता हूँ लोग कहते है ....वाह... क्या खूब लिखता हूँ || तेरे आंसुओं से, शब्दों को सींचा है तेरे दर्द को दिल से समझा है हर शब्द बयाँ करते है, खालिस सच्चाई कोई साबित तो करें, की झूट लिखता हूँ ! मैं जब भी तेरे ग़मों में, डूब के लिखता हूँ लोग कहते है ....वाह क्या खूब लिखता हूँ || |
कहते हैं अब रात हो गयी ... अन्धकार छा गया ... किन्तु रात के इस अन्धकार में भी ... मेरी यात्रा तो जारी है... मैं पंछी बन उड़ चली हूँ .... |
"आओ ज्ञान बढ़ाएँ-पहेली:100" (श्रीमती अमर भारती)पहेली नं. 100 का सही उत्तर देने वालों को ब्लॉगश्री की मानद उपाधि से अलंकृत किया जाएगा!
पहेली के विजेताओं को ऑनलाइन प्रमाणपत्र भी दिया जायेगा! अमर भारती साप्ताहिक पहेली-100 में आप सबका स्वागत है! निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए! 1- काव्य की आत्मा किसे कहा जाता है? 2- काव्य का भूषण किसे कहा जाता है? 3- छन्द के प्रमुख अंग कौन-कौन से होते हैं? 4- जयशंकर प्रसाद का वह कौन सा उपन्यास है, जिसे वे पूरा नहीं कर पाये? 5- दिल्ली से पहले भारत की राजधानी कहाँ थी? उत्तर देने का समय उत्तर प्रकाशित करने में25 सितम्बर, 2011, सायं 5 बजे तक! आपके पास आज शाम तक का समय है जी! |
और अन्त में देखिए! |
"न जाने प्यार है कितना" |
आज की चर्चा तो गजब रही ।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आज की सभी चर्चाएँ बेहतरीन लगीं|
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर,मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार|
रंगीन और प्रभावी .
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी मेरी पोस्ट को इस सुंदर चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी मेरी पोस्ट को इस सुंदर चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र।
जवाब देंहटाएंचर्चा का उद्देश्य है, हिंदी सेवा मित्र |
जवाब देंहटाएंशत-प्रतिशत है सफलता, खुश्बू सूँघ विचित्र ||
बधाई शास्त्री जी |
shukriaya !
जवाब देंहटाएंसभी चर्चाएँ बेहतरीन .
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंbehtareen charcha...
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति . आभार .
जवाब देंहटाएंअच्छे पोस्टस।
जवाब देंहटाएंआभार।
बेहतरीन लिंक्स का संकलन | शास्त्री जी धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना देखें-
मेरी कविता:सूखे नैनसंकलन | शास्त्री जी धन्यवाद |
मेरी नई रचना देखें-
मेरी कविता:सूखे नैन
बेहतरीन लिंक्स का संकलन | शास्त्री जी धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना देखें-
मेरी कविता:सूखे नैनसंकलन | शास्त्री जी धन्यवाद |
मेरी नई रचना देखें-
मेरी कविता:सूखे नैन
बेहतरीन लिंक्स का संकलन |आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा. मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी .नमस्कार.. मेरी रचना को स्थान देने के लिए.. आपका बहुत बहुत धन्यवाद....सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं.
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति स्तुतनीय है, भावों को परनाम |
जवाब देंहटाएंमातु शारदे की कृपा, बनी रहे अविराम ||
shastri ji namaskar...badhia links...abhar meri kavita chayan ke liye.....
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी, आपका प्रयास सफल रहा, मेरी कविता को कई पाठक मिले...आभार!
जवाब देंहटाएंsorry sashtri ji late se commt karane ke liye
जवाब देंहटाएंkuch kam tha esliye kal net pe nahi beth pae
mare kavita ko yaha sesthan dene ke liye sukariya
आज की चर्चा तो गजब रही ।
शास्त्री जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं.
बड़ी शानदार चर्चा की है मान्यवर शास्त्री जी!!
जवाब देंहटाएंआभार इस चर्चा के लिए।
साथ ही शानदार कृतियो से परिचय हुआ।