जी जनाब मुंबई की व्यस्त दिनचर्या किसी को भी भुलक्कड़ बना देती है. आखिर एक इंसान एक साथ कितने काम कर सकता है? इसी लिए तो कहा जाता है घर संभाल लो या दफ्तर. किसी ने कहा महिला घर संभाले तो क्या मैंने कहा फिर ले आएं घर मैं रहने वाले बच्चों के लिए दूसरी माँ. अपने जायज़ रिश्तों के प्रति वफादार रहिये |
आज वो हर बात बिकती है जिसके खरीददार अधिक हों. मीडिया वाले भी वही बेच रहे है जो अधिक बिक रहा है. आवश्यकता है आम इंसान को जागरूक करने की. जिस दिन ऐसी ख़बरों को बकवास कह के आम इंसान नकार देगा मीडिया स्वम इनका प्रचार बंद कर देगी. डॉ मनोज मिश्रा जी ने एक अच्छी शुरूआत की है आप भी पढ़ें. |
सड़क से गुजरते हुए अप्रयास ध्यान उस घर की ओर चला जाता। घर की बैठक बिलकुल सामने है। उस बैठक की एक दीवार पर बड़ी सी पेंटिंग टंगी हुई है। यह पेंटिंग बार-बार मेरा ध्यान खीचती। |
मेरी पसन्द ♥मित्रों! आज 27 जून, 2009 को रचितअपनी पसन्द कीएक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ!जलने को परवाना आतुर, आशा के दीप जलाओ तो।कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो |
आज प्रकृति से कर घात ,पहाड़ों के हृदय को दे भारी आघात ,बांधकर नदियों को ऊंची घाटियों में |
चलिए तो आज आपकी नाराज़गी दूर करने के लिए मैं कुछ बहुत ही रोचक प्रसंग लेकर आपके लिए ले कर आई हूँ और उम्मीद करती हूँ कि आप इसे पढ़ कर निराश नहीं होंगे. आज मैं आधुनिक हिंदी साहित्य की शुभश्री महादेवी वर्मा जी के जीवन के बारे में बताते हुए उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को भी आपके साथ साझा करुँगी |
तुम्हारी याद में माँ यह सावन भी बीत गया माँ , ना आम, ना अमलतास, ना गुलमोहर, ना नीम, ना बरगद, ना पीपल किसी पेड़ की डालियों पे झूले नहीं पड़े !मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ; मौत आकर के मेरे पास आज लौट गयी . |
वकीलों के कान की ताक़त देखिये सुरसुराहट अगर शुरू हो जाए तो बस समझ लीजे खबर भी आनी है. दिनिश राए जी देखिये क्या कह रहे हैं? कुछ दिनों से कान में सुरसुराहट हो रही थी, लग रहा था पेट्रोल के दाम अब बढ़े, अब बढ़े। दिन भर अदालत में व्यस्त रहे वकील बाबू शाम को थक कर घर पहुँचे तो खबर इंतजार ही कर रही थी। |
नजर टेढ़ी जवानो की भिची जो मुट्ठिया हो फिर भगत आजाद अशफाको की रूहे झूम जाती है, जय हिंद के उदघोष से सारा गगन काँपे तमिलनाडु से लहरे जा हिमालय चूम आती है. भगत सिह की अध्यक्षता मे मेरा अभिभाषण |
इंसानों मैं हमेशा यही देखा गया है कि जो पति खाता है वही पत्नी और बच्चे भी खाते हैं. जूठन खाते तो जानवरों को देखा जा सकता है.यहाँ लेखिका ने ने जानवरों कि परम्परा को इंसानों से जोड़ के एक बेहतरीन लेख लिखा है |
हिंदी बोला तो नौकरी नहीं मिलेगी.आज हिंदी दिवस है और हिंदी ब्लॉगजगत के लिए तो यकीनन विशेष दिन है. सभी तरफ से हिंदी दिवस कि शुभकामनाओं के लेख़ पढने को मिल रहे हैं. लोग इसकी उन्नति कि दुआएँ कर रहे हैं. लेकिन क्या हम स्वम ही अपनी राष्ट्र भाषा के साथ सौतेलेपन का व्यवहार नहीं कर रहे?हिंदी बोला तो नौकरी नहीं मिलेगी. |
मन कै अँधेरिया अँजोरिया से पूछै, टुटही झोपड़िया महलिया से पूछै, बदरी मा बिजुरी चमकिहैं कि नाँहीं, का मोरे दिनवाँ बहुरिहैं कि नाँहीं। माटी हमारि है हमरै पसीना, कोइला निकारी चाहे काढ़ी नगीना, धरती कै धूरि अकास से पूछै, Read entire article » |
खैर ब्राजील में क्या हुआ और क्या नहीं हुआ यह बहुत ज़रुरी बात नहीं है । ज़रुरी है यह समझना कि दरअसल यह सौंदर्य प्रतियोगिता होती क्या है । कई लोगों का कहना है कि ऐसी प्रतियोगिताओं में रूप-रंग, बुद्धि-विवेचना, ज्ञान, जोश, हाज़िर-जवाबी, सभी कुछ जांचा परखा जाता है |
अब तो दीपावली में लगभग एक माह रह गया है सो आइये दीपावली के तरही मुशायरे की तैयारियां प्रारंभ कर देते हैं । आज मिसरा-ए-तरह तय किया जाए । दीपावली, संधिकाल का दूसरा त्यौहार । संधिकाल का मतलब होता है जब दो ऋतुएं आपस में मिलती हैं । ये संधिकाल हमारे जीवन में भी आते हैं । जब दो अवस्थाएं आपस में मिलती हैं । |
नया सलीका यह विकास का बेमानी हैं जब रिश्ते फटे आसमां को शब्दों से सुमन सिये जाते हैं |
छोटी सी है जिंदगी --- प्यार करें या तकरार ?आजकल टी वी पर हमारे मन पसंद कार्यक्रम --कौन बनेगा करोडपति -- की पांचवीं कड़ी चल रही है । पसंद इसलिए कि इसमें जनता के साथ साथ हमें भी अपनी औकात टेस्ट करने का अवसर मिल जाता है । कभी कभी तो लगता है कि यदि हम हौट सीट पर पहुँच गए होते तो पता नहीं कुछ जीत भी पाते या नहीं ।छोटी सी है जिंदगी --- प्यार करें या तकरार ? |
अपनी मात्रभाषा सभी को प्यारी होती है लेकिन ज्ञान प्राप्त करने के लिए दूसरी भाषाओँ को सीखना भी आवश्यक हुआ करता है और सीखना भी चाहिए. हाँ अब यदि कोई विज्ञान अंग्रेजी मैं पढ़े और हिंदी बोलने वालों को अपने से कम समझे तो यह अपनी मात्र भाषा का अपमान होगा. |
और यह हकीकत है कि हमने इन्सान को अपने मां बाप के हक पहचानने की खुद ताकीद की है। उसकी मां ने निढ़ाल (दु:ख) पर निढ़ाल होकर उसे पेट में रखा। दो साल उसके दूध छूटने में लगे (इसीलिएमां बाप के साथ सुलूक |
आप भले ही कितनी भी सावधानी रख लें, लेकिन जाने - अनजाने में बच्चे चोट की चपेट में आ ही जाते हैं। अगर आपका बच्चा कुछ गलत चीज खा ले , आइए जानते हैं कि आप पहले सही क्या सावधानियां बरत सकते हैं : |
अरे नहीं सर, हम लोग को तो अईसा परेसान कर देता है कि पूछीये मत. बोल देगा कि यहाँ काहे खरा किया है. परमिट, लायसेंस, ई लाओ, उ लाओ... हेन-तेन… पचास ठो नाटक है.’ ‘गांधी मैदान?… बैठिये… अरे आइये ना महाराज. केतना तो जगह है. आगे-पीछे हो जाइए थोडा-थोडा.’ एक सवारी बैठाने के बात वार्ता आगे बढ़ी: |
मैं और मेरी कवितायेँ...: बहने लगे आंसू... संध्या शर्मा बहने लगे आंसू... संध्या शर्मा. फिर चोट लगी भर आई आँखे पर आंसू नहीं बहे नहीं बहने दिया उन्हें अपने सीने से लगा लिया छुपा लिया... फिर टूटे ख्वाब रोया दिल भर आई आँखे |
पिछले कुछ दीनों में देखने में आया था एक लेख जो लिखा गया था, नारी के विवाह को लेकर की क्या किसी भी स्त्री का विवाह करना ज़रूर है। क्या बिना विवाह किये जीवन जीने लायक नहीं रहता. क्या औरत कि जिंदगी में विवाह का होना ज़रूरी है ? |
दिमाग तो सात तालों में बंद है.....!स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय के लम्बे सफर के बादज्ञान हुआ मेरे पास भी दिमाग है लेकिन जब भी काम लेना चाहता धोखा देता काम नहीं आता |
कहीं आप भी खुद को "गांधी" तो नहीं समझ रहे ? जब रोम जलरहा था तो "नीरो" शहनाई बजा रहा था। आज जब हमारे देश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है , कहीं भ्रष्टाचार पाँव पसार रहा है तो कहीं मासूम नागरिक आतंकवादी हमले का शिकार हो रहे |
मक्खनी को मक्खन से बड़ी शिकायत थी कि वो बेटे गुल्ली की पढ़ाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता... कई दिन ताने सुनने के बाद मक्खन परेशान हो गया. |
मन को मनाने के अंदाज निराले है हुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं उसने कसम दी तो न पी अभी तकहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है |
अपने जायज़ रिश्तों के प्रति वफादार रहिये |
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शनिवार, सितंबर 17, 2011
भुलक्कड़ तो मैं भी हूँ क्यों कि एक इंसान हूँ
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मासूम साहब!
जवाब देंहटाएंआपका चर्चा करने का स्टाइल बहत अच्छा है!
आभार!
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मेरा पासवर्ड चोरी हो गया है!
बार-बार रिकवरी का अनुरोध भेजने पर 24 घंटे के लिए इसको पाने में रोक लगा दी है गूगल ने!
--
यदि कोई मित्र इसका कोई हल जानते हों तो कृपया मुझे बताएँ!
बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंकाफी विविधताभरी पोस्टें आप चर्चा के लिए लाए हैं, यह देख कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं------
दूसरी धरती पर रहने चलेंगे?
उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..
शास्त्री जी गूगल में तो पासवर्ड रिकवरी के लिए उनके सवालों के जवाब दे दें. आसानी से वापस आ जाता है पासवर्ड. मुझे मेल करें कि आप ने क्या किया?
जवाब देंहटाएंअच्छे सूत्र सजाना तो फिर भी नहीं भूले।
जवाब देंहटाएंअन्य चर्चाकारों को प्रेरित करने वाला संकलन ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
ख़ुशी का मन्त्र है यारो,
नहीं रोना न शर्मिंदा |
बुरी बातों को भूलो जी,
रहो बिंदास फिर जिन्दा |
बढे पेट्रोल सब्जी दुग्ध,
राशन बम इलेक्ट्रिक बिल-
पुरानी दुश्मनी भूलो,
रखो न याद आइन्दा ||
मासूम साहब!
जवाब देंहटाएंआपका चर्चा करने का स्टाइल बहुत अच्छा है!
आभार!
Bahut hi acche links diye masum ji..
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा है आज की मासूम भाई ! मेरी रचना को भी इसमें आपने स्थान दिया आभारी हूँ ! बहुत बहुत शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंपोस्ट रंगारंग है और चटपटी भी .
जवाब देंहटाएंसामाजिक मुददों की तरफ़ बख़ूबी ध्यान दिलाती है ।
अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंशामिल करने का शुक्रिया
सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स दिये हैं आपने ...आभार ।
जवाब देंहटाएंविविधता लिए हुए,अनेक पहलुओं को छूती रोचक चर्चा.
जवाब देंहटाएंभोजपुरिया होने के नाते "मन कै अँधेरिया अँजोरिया से पूछै" में तो डूब गया.
बहुत सुन्दर चर्चा... मेरी रचना को भी आपने इसमें स्थान दिया आभारी हूँ...बहुत बहुत शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंअलग अंदाज़ में, विस्तृत, बहुआयामी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअनवरत को लिंकित करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सुसज्जित सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंमा पलायनम को लिंकित करने के लिए आभार.
बहुत सुन्दर चर्चा मासूम जी। शुक्रिया॥
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ,आभार ।
जवाब देंहटाएं