आप सभी को चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
बातें हिन्दी व्याकरण की -डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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लिंक 2-
बलात्कार करो!...मैं हूँ न!.. मैं बचा लूंगी (क्योंकि मैं कांग्रेस हूँ)-दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
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लिंक 3-
जाने सारा देश, रेप वह कर न सकता -दिनेश चन्द्र गुप्त ‘रविकर’
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लिंक 4-
आर्थिक जगत की विश्वस्नीय साथी -डॉ. शरद सिंह
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लिंक 5-
दिन का बुलावा -रजनीश तिवारी
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लिंक 6-
सबकी अपनी मर्ज़ी -अमृता तन्मय
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लिंक 7-
यूं ही नहीं जीता -आशा सक्सेना
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लिंक 8-
गरजत बरसत साहब आयो रे -निवेदिता श्रीवास्तव
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लिंक 9-
दिन के उजाले पर रात की स्याही कैसी -निरन्तर
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लिंक 10-
मंजिल पास आएगी -शालिनी कौशिक
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लिंक 11-
God Particle का रहस्य -राजीव कुलश्रेष्ठ
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लिंक 12-
गंगोत्री चलें -डॉ. निशा महाराणा
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लिंक 13-
बेच रहे तरकारी लोग -श्यामल सुमन
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लिंक 14-
हर राह पर कुछ कह रही -प्वाइंट
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लिंक 15-
नेकी अभी ज़िन्दा है -पुरुषोत्तम पाण्डेय
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लिंक 16-
ईश्वर कण -डॉ. श्याम गुप्त
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लिंक 17-
मछली बोली -स्व.डॉ.रवीन्द्र ‘भ्रमर’, प्रस्तोता- डॉ.व्योम
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लिंक 18-
समाज सुधार के लिए इंसान को उसका मक़सद याद दिलाना होगा -डॉ.अनवर जमाल
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लिंक 19-
चेष्टा -नूतन
और अन्त में
लिंक 21-
परदादा को याद करते हुए -माधवी शर्मा गुलेरी
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
"बढिया से भी बढिया चर्चा ,प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -
शुक्रवार, 6 जुलाई 2012
वो जगहें जहां पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले ज़रासिमों ,जीवाणु ,विषाणु ,का डेरा है )
आज बहुत सी सामिग्री दी है पढने के लिए गाफ़िल जी | साधुवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंकई तरह के स्वाद के साथ महत्वपूर्ण चिट्ठों के संकलन का सार्थक प्रयास प्रशंसनीय है महोदय
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति बेहतरीन लिंक
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंदिलकश चर्चा.
सुन्दर चर्चा के लिए, गाफिल जी आभार |
जवाब देंहटाएंबारी बारी से पढूं, उलटे क्रम अनुसार |
परदादा को याद करते हुए -माधवी शर्मा गुलेरी
जवाब देंहटाएंसादर नमन श्रद्धेय को, जीवन परिचय नाम |
अल्पायु से क्या हुआ, किये अनोखे काम |
किये अनोखे काम, लिखा बुद्धू का कांटा |
हो सुखमय संसार, नहीं गीला हो आंटा |
उनके लेख विचार, हमारी घुट्टी प्यारी |
बचपन से पी रहे, सभी घुट्टी से न्यारी ||
आपकी आँखों में हम डूबे हुए हैं साहिब -डॉ.आशुतोष मिश्र
जवाब देंहटाएंलयबद्ध - दर्द |
शुभकामनायें ||
चश्मे लेकर के चलें, तरह तरह के लोग |
सूखा कैसे खलेगा, हरा लगा के भोग ||
लिंक :21
जवाब देंहटाएंउसने कहा था
माधवी को परदादा
चंद्र धर शर्मा गुलेरी
की याद आई है
संस्मरण लिखा है बेजोड़
जानकारी पाठक की भी
बढा़ई है । साधुवाद !
चेष्टा -नूतन
जवाब देंहटाएंउद्यम करता आदमी, हरदम लागे नीक |
पूजा ही यह कर्म है, बाकी लगे अलीक |
बाकी लगे अलीक, बसे वह कण कण में हैं |
मंदिर मस्जिद ढूंढ़, स्वयं के अर्पण में हैं |
लैबोटरी में आज, लगाया जो सबने दम |
हुआ सार्थक देख, कई वर्षों का उद्यम ||
लिंक : 20
जवाब देंहटाएंMy Unveil Emotions
डॉ.आशुतोष मिश्र
बहुत शातिर तरीका अपनाये हैं
अपने चश्में के शीशे फोड़ आये हैं
साहिब के आँखों में डेरा जमाये हैं
जमे रहिये
लाजवाब !!
लिंक 19-
जवाब देंहटाएंचेष्टा -नूतन
ब्रह्मांड के कण
ऊर्जा और विघटन
सिखा रहा है कुछ
कुछ मनुष्य को
और उकसा रहा है
कुछ करने को
बहुत सुंदर !
बलात्कार करो !...मैं हूँ न !.. मैं बचा लूंगी (क्योंकि मैं कांग्रेस हूँ )
जवाब देंहटाएंZEAL at ZEAL
राहुल की हुलकी गजब, चला रेप का केस |
देते सही दलील वह, जाने सारा देश |
जाने सारा देश, रेप वह कर न सकता |
रविकर सारा झूठ , तेवरिया जो भी बकता |
भारत लड्डू बाँट, ख़ुशी से रहा नाचता |
इक शाखा नि:शेष, पहाड़ा विकट बांचता ||
लिंक 18-
जवाब देंहटाएंसमाज सुधार के लिए इंसान को उसका मक़सद याद दिलाना होगा -डॉ.अनवर जमाल
भटके हुऎ इंसान को
रास्ते पर लाना चाह रहे हैं
बहुत सार्थक और सुंदर
तरीके से उसे उसका
मकसद समझा रहे हैं ।
लिंक 17-
जवाब देंहटाएंमछली बोली -स्व.डॉ.रवीन्द्र ‘भ्रमर’, प्रस्तोता- डॉ.व्योम
बहुत मेहनत से व्योम ढूँढ के लाये हैं
भ्रमर का नवगीत लाके हमे भी सुनाये हैं ।
आभार !
लिंक 16-
जवाब देंहटाएंईश्वर कण -डॉ. श्याम गुप्त
बोसोन को बहुत सुंदर से छंदो पर सवारी कराई है
ऋगवेद में भी था ये सब जानकारी हमारी बढा़ई है।
इक्कीस लिंकों से सजा, चर्चा मंच अनूप।
जवाब देंहटाएंपहले नम्बर पर लगा, व्याकरण का रूप।।
--
बढ़िया चर्चा!!
लिंक 15-
जवाब देंहटाएंनेकी अभी ज़िन्दा है -पुरुषोत्तम पाण्डेय
दमालू खान ने हथियार गिरा दिया
बन्धू को मरने से बचा लिया
दिखा दिया वाकई नेकी
अभी जिंदा है ।
लिंक 14-
जवाब देंहटाएंहर राह पर कुछ कह रही -प्वाइंट
यादों की राख है
और जिंदगी है
बहुत अच्छी सी
कविता एक बनी है ।
लिंक 13-
जवाब देंहटाएंबेच रहे तरकारी लोग -श्यामल सुमन
कैसे कैसे हो गये लोग
सरकारी या व्यापारी लोग
कुछ भी तो बेचे जा रहे लोग
यहाँ तक बेच गये तरकारी लोग।
बहुत सुंदर भाव हैं !!
तरकारी का भी अच्छा भाव मिलेगा !
लिंक 12-
जवाब देंहटाएंगंगोत्री चलें -डॉ. निशा महाराणा
मनोहारी चित्रों के साथ
सुंदर यात्रा वृतांत !
लिंक 11-
जवाब देंहटाएंGod Particle का रहस्य -राजीव कुलश्रेष्ठ
सब कुछ है
गोड है पार्टिकल है
दोनो है साथ साथ
गृहस्त है प्रेम है
वासना है और
बक्से में बंद
आत्मा भी ।
लिंक 10-
जवाब देंहटाएंमंजिल पास आएगी -शालिनी कौशिक
मंजिल जरुर पास आयेगी
हाकी का गोल्ड भी लायेगी ।
लिंक 9-
जवाब देंहटाएंदिन के उजाले पर रात की स्याही कैसी -निरन्तर
बहुत सुंदर रचना !
लिंक 8-
जवाब देंहटाएंगरजत बरसत साहब आयो रे -निवेदिता श्रीवास्तव
मूँछ का एक बाल
कर गया दगाबाजी
हो गया सफेद
अब मूँछ के काले
बचे बालों की
होने वाली है बर्बादी ।
सुंदर !!!
लिंक 7-
जवाब देंहटाएंयूं ही नहीं जीता -आशा सक्सेना
पीने वाले की चलो
किसी को तो
याद आई है
उसके गमों की
फोटो भी दिखाई है।
वाह वाह !
रोचक लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंलिंक 6-
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी मर्ज़ी -अमृता तन्मय
सबकी अपनी मर्जी
सबका अपना ढंग
पढ़ कर कर रहा है मन
मचाने को कुछ हुड़दंग ।
लिंक 5-
जवाब देंहटाएंदिन का बुलावा -रजनीश तिवारी
बहुत अच्छी रचना!
लिंक 4-
जवाब देंहटाएंआर्थिक जगत की विश्वस्नीय साथी -डॉ. शरद सिंह
बहुत सुंदर आलेख
स्त्री शक्ति के बढ़ते सशक्त कदमों की आहट दिख रही है साफ साफ !!
लिंक 3-
जवाब देंहटाएंजाने सारा देश, रेप वह कर न सकता -दिनेश चन्द्र गुप्त ‘रविकर’
रविकर जो ना करे
उस पर कौन क्या कहे?
लिंक 2-
जवाब देंहटाएंबलात्कार करो!...मैं हूँ न!.. मैं बचा लूंगी (क्योंकि मैं कांग्रेस हूँ)-दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
कैसे कहें कुछ
कहीं फंसा दिया
हमको भी कहीं
क्यौकि वो "काँग्रेस" है।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंऔर अंत में वो जो हमारे समझ में कम आता है पर शास्त्री जी की बलिहारी बहुत सुंदर तरीके से बताया है ।
जवाब देंहटाएंलिंक 1-
बातें हिन्दी व्याकरण की -डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
लिंक न० १ पर,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर क्या बात है,बढ़िया बात बताई,
शिशु की हिन्दी से, वर्णमाला पढ़वाई
वर्णमाला पढवाई, बढ़िया याद कराया
व्याकरण में,व्यञ्जन का पाठ पठाया
शास्त्री,ने व्याकरण,कुछ कमी बतलाई
आज हमलोगो ने उम्दा जानकारी पाई
चर्चा मंच की चर्चा का है अंदाज़ निराला ,
जवाब देंहटाएंइतने सारे लिंक से खूब सजा डाला.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
वाह बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिंक सजाये हैं गाफिल जी बहुत शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंइन्द्र धीर हो जाय तो बनेगी कैसे बात।
जवाब देंहटाएंहो अधीर धीरेन्द्र जी अब दो मेरा साथ।।
अब दो मेरा साथ पढ़े क्या लिंक एक ही,
हो अधीर अब बुला रहे हैं सादर सब ही,
'रविकर' और 'सुशील' पढ़ लिए अब तक सबको,
चूक रहे क्यूं आप न जाने इन्द्र धीर हो।।
सुन्दर सूत्रों में सजी अति सुन्दर चर्चा के लिए बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा....
जवाब देंहटाएंलिंक 16-
ईश्वर कण -डॉ. श्याम गुप्त ...रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद श्री चन्द्र भूषण मिश्र जी
गाफिल जी की टिप्पणी पर,
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ने कल कहा आज गए है भूल
इसी बात को लेकर मन में उठ रहा शूल
मनमें उठ रहा शूल,अपना वचन निभाओ
अच्छे टिप्पणीकार का,पहले नाम बताओ
अच्छी टिप्पणी करने में समय है लगता
पढ़ना पडता पोस्ट, फिर लिखना है पडता
पिछड़ गये धीरेन्द्र जी, उल्लू जी हैं बीस।
जवाब देंहटाएंरविकर तो बरसात में, उनसे हैं उन्नीस।।
भूल गये आदेश को, उनका ग़ाफ़िल नाम।
जवाब देंहटाएंदिये अमूल्य सुझाव पे, आगे होगा काम।।
गिन लेना सब टिप्पणियाँ, श्रीमती राजेश।
जवाब देंहटाएंकल की चर्चा में करो, नम्बर वन सन्देश।।
acche links avm acchi prastuti aabhar nd dhanyavad.......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ चर्चा प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंकेवल संख्या मात्र से, मत तय कर उत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंगुणवत्ता की जांच कर, उलट-पुलट के पृष्ट |
उलट-पुलट के पृष्ट, सात हर हफ्ते चुनिए |
नियमित चर्चाकार , सदा ही बाहर गिनिये |
कम से कम की तीन, टिप्पणी जिन लोगों ने |
उस में से ही चुने, टिप्पणीकार सलोने ||
शास्त्री जी के हुक्म का ज़रा नहीं था भान।
जवाब देंहटाएंमाना की ग़फ़लत हुई माफ़ करो श्रीमान्॥
Bahut dhanywaad ,chandrbhooshanji,sadaa kee tarah ,mujhe aur meree rachnaa ko sthaan dene ke liye
जवाब देंहटाएंगाफिल जी की टिप्पणी पर,,,,
जवाब देंहटाएंरविकरजी की बात से पूरी तरह सहमत
गुणवता की जाच हो फिर दे अपना मत
फिर दे अपना मत, संख्या पर न जाये
सारगर्भित टिप्पणी,वाले का नाम बताये
ऐसा करना मंच के लिए होगा हितकर
बाकी सब ठीक जैसा बतारहे है दिनकर
--पहले लिंक--टिप्पणी --
जवाब देंहटाएंक्या टिप्पणी भी विवाद रहित होती है....????????????.. विवाद के बिना टिप्पणी का क्या अर्थ है...हाँ विबाद संयत, शालीन होना चाहिए...
--विवाद = यदि बिना वाद तो उसका कोइ मूल्य ही नहीं वह तो आज्ञा =डिककटेटरशिप हुई ...अतः विवाद का अर्थ विशिष्ट वाद ...
लिंक-१..व्याकरण ..
--- ट ठ ड ड़ ढ ढ़ ण।---सही नहीं ...बच्चों को उचित जबाव देना था कि .....इन अक्षरों पर नीचे बिंदु लगाने से ये बनता है ... ये व्याकरण का एक छोटा सा नियम है..
-वस्तुतः ..संस्कृत में बिंदु का प्रयोग नहीं के बराबर होता है अनुस्वार आधे न से प्रयोग होता है अथवा अंग्(आधा ग् व ड व बिंदु का मिश्रण) या इयाँ ..परन्तु हिन्दी में आधा न व बिंदु दोनों समानार्थी हैं..
----अन्यथा फिर यह बताएं कि बिंदु का प्रयोग कहाँ होगा ..इसके लिए क्या नियम है...कब आधा ..न ..तथा कब बिंदु प्रयोग होना चाहिए...
----न ..अनुस्वार रूप ..विशिष्ट वर्ण है ......अन्यथा बाकी सभी वर्ण तो आधे के लिए आधे प्रयोग होते ही हैं कोइ व्यवधान नहीं ..
-- हिन्दी वर्णमाला जो बनी हुई है बहुत सशक्त है ..परिवर्तन की आवश्यकता शायद ही कोइ विद्वान अनुभव करता हिगा..\-पहले लिंक--टिप्पणी --
क्या टिप्पणी भी विवाद रहित होती है....????????????.. विवाद के बिना टिप्पणी का क्या अर्थ है...हाँ विबाद संयत, शालीन होना चाहिए...
--विवाद = यदि बिना वाद तो उसका कोइ मूल्य ही नहीं वह तो आज्ञा =डिककटेटरशिप हुई ...अतः विवाद का अर्थ विशिष्ट वाद ...
लिंक-१..व्याकरण ..
--- ट ठ ड ड़ ढ ढ़ ण।--- बच्चों को गलत पढवा रहे हैं मास्टरजी ...बच्चों को उचित जबाव देना था कि .....इन अक्षरों पर नीचे बिंदु लगाने से ये बनता है ... ये व्याकरण का एक छोटा सा नियम है..न कि बच्चों की मान कर गलत पढ़ाना प्रारम्भ ...
-वस्तुतः ..संस्कृत में बिंदु का प्रयोग नहीं के बराबर होता है अनुस्वार आधे न से प्रयोग होता है अथवा अंग्(आधा ग् व ड व बिंदु का मिश्रण) = ड.- या इयाँ = ञ. परन्तु हिन्दी में आधा न व बिंदु दोनों समानार्थी हैं..
---हिन्दी में गंगा व गन्गा दोनों ही सही हैं..
----अन्यथा फिर बिंदु का प्रयोग कहाँ होगा ..इसके लिए क्या नियम है...कब आधा ..न ..तथा कब बिंदु प्रयोग होना चाहिए...?
----न ..अनुस्वार रूप ..विशिष्ट वर्ण है ......अन्यथा बाकी सभी वर्ण तो आधे के लिए आधे प्रयोग होते ही हैं कोइ व्यवधान नहीं ..
-- हिन्दी वर्णमाला जो बनी हुई है बहुत सशक्त है ..परिवर्तन की आवश्यकता शायद ही कोइ विद्वान अनुभव करता होगा..
--पहले लिंक--टिप्पणी --
जवाब देंहटाएंक्या टिप्पणी भी विवाद रहित होती है....????????????.. विवाद के बिना टिप्पणी का क्या अर्थ है...हाँ विबाद संयत, शालीन होना चाहिए...
--विवाद = यदि बिना वाद तो उसका कोइ मूल्य ही नहीं वह तो आज्ञा =डिककटेटरशिप हुई ...अतः विवाद का अर्थ विशिष्ट वाद ...
लिंक-१..व्याकरण ..
--- ट ठ ड ड़ ढ ढ़ ण।---सही नहीं ...बच्चों को उचित जबाव देना था कि .....इन अक्षरों पर नीचे बिंदु लगाने से ये बनता है ... ये व्याकरण का एक छोटा सा नियम है..
-वस्तुतः ..संस्कृत में बिंदु का प्रयोग नहीं के बराबर होता है अनुस्वार आधे न से प्रयोग होता है अथवा अंग्(आधा ग् व ड व बिंदु का मिश्रण) या इयाँ ..परन्तु हिन्दी में आधा न व बिंदु दोनों समानार्थी हैं..
----अन्यथा फिर यह बताएं कि बिंदु का प्रयोग कहाँ होगा ..इसके लिए क्या नियम है...कब आधा ..न ..तथा कब बिंदु प्रयोग होना चाहिए...
----न ..अनुस्वार रूप ..विशिष्ट वर्ण है ......अन्यथा बाकी सभी वर्ण तो आधे के लिए आधे प्रयोग होते ही हैं कोइ व्यवधान नहीं ..
-- हिन्दी वर्णमाला जो बनी हुई है बहुत सशक्त है ..परिवर्तन की आवश्यकता शायद ही कोइ विद्वान अनुभव करता हिगा..\-पहले लिंक--टिप्पणी --
क्या टिप्पणी भी विवाद रहित होती है....????????????.. विवाद के बिना टिप्पणी का क्या अर्थ है...हाँ विबाद संयत, शालीन होना चाहिए...
--विवाद = यदि बिना वाद तो उसका कोइ मूल्य ही नहीं वह तो आज्ञा =डिककटेटरशिप हुई ...अतः विवाद का अर्थ विशिष्ट वाद ...
लिंक-१..व्याकरण ..
--- ट ठ ड ड़ ढ ढ़ ण।--- बच्चों को गलत पढवा रहे हैं मास्टरजी ...बच्चों को उचित जबाव देना था कि .....इन अक्षरों पर नीचे बिंदु लगाने से ये बनता है ... ये व्याकरण का एक छोटा सा नियम है..न कि बच्चों की मान कर गलत पढ़ाना प्रारम्भ ...
-वस्तुतः ..संस्कृत में बिंदु का प्रयोग नहीं के बराबर होता है अनुस्वार आधे न से प्रयोग होता है अथवा अंग्(आधा ग् व ड व बिंदु का मिश्रण) = ड.- या इयाँ = ञ. परन्तु हिन्दी में आधा न व बिंदु दोनों समानार्थी हैं..
---हिन्दी में गंगा व गन्गा दोनों ही सही हैं..
----अन्यथा फिर बिंदु का प्रयोग कहाँ होगा ..इसके लिए क्या नियम है...कब आधा ..न ..तथा कब बिंदु प्रयोग होना चाहिए...?
----न ..अनुस्वार रूप ..विशिष्ट वर्ण है ......अन्यथा बाकी सभी वर्ण तो आधे के लिए आधे प्रयोग होते ही हैं कोइ व्यवधान नहीं ..
-- हिन्दी वर्णमाला जो बनी हुई है बहुत सशक्त है ..परिवर्तन की आवश्यकता शायद ही कोइ विद्वान अनुभव करता होगा..