अंक : 927 चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन! आइए “चर्चा मंच” में कुछ महत्वपूर्ण चिट्ठों की ओर आपको ले चलता हूँ! शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी .... क्यूँ बेचैन है दिल तुम्हारे लिए तुम जो बहुत दूर हो मुझसे... शायद || तुम तक पहुँचना भी मेरे लिए मुमकिन नहीं ... |
"हमारे घर में रहते हैं, हमें चूना लगाते हैं"*जिन्हें पाला था नाज़ों से, वही आँखें दिखाते हैं हमारे दिल में घुसकर वो, हमें नश्तर चुभाते हैं।। | *कहते हैं हर रिश्ता मोहब्बत पर टिका होता है .....मगर कुछ रिश्तों की आदत पड़ जाती है........फिर उनमे प्यार हो न हो वे टूटते नहीं....... |
मुझे गर्व है कहने में , मै हूँ इस भारत का वासी *न कोई तस्वीर न कोई निशानी थी ! न कोई जंजीर न कोई कहानी थी !! आपका दोस्त होना इत्तफाक था शायद ! या फिर खुदा की हम पे कोई मेहरबानी थी.. | मैनू यार दी नमाज़ पढ़ लैण दे.. "मेरे शहंशाह ! तुम्हारी कमीज़ में टंके हुए बटन क़ीमती लगते हैं.. पानी के बटन सीने का हुनर रखने वाले तुम्हारे दर्ज़ी को मेरे शहर के उस दरिया की उमर लग जाए ... |
देख खोखली देह, दहल जाता दिल नन्हा- नन्हा-नीम निहारता, बड़ी बुजुर्ग जमात । छैला बाबू हर समय, हरी लता लिपटात । हरी लता लिपटात, सुखाते चूस करेला । नई लता नव-पात, गुठलियाँ फेंक झमेला । | क्या होता है सही में पूर्वाभास ? ज़िंदगी में अक्सर हमे पूर्वभास होने लगता है .किसी का ख़्याल अचानक से आ जाता है, संसार में जो कुछ होता है उसके पीछे कुछ ना कुछ कारण ज़रूर होता है .... |
हम अपनी जगह है , गिरे सावन की थमी, बूँदों की तरह , जो जहाँ गिरे ..... तो खुद को ही छुपा लिया ...| रूट के हमसे तो खुश है , ख़ुशी .. जो अब दिलजले कहलाये , तो दिल कुछ शुकून पाता है | ओ साथी ,, तेरे बिना ...... |
Vandana Singh द्वारा कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली...... * * *ख़ामोशी कभी बन जाते हैं * *कभी सन्नाटों में चिल्लाते हैं * * * *अजीब हैं लफ़्ज़ों के रिश्ते !!* * * *- वंदना * | गत 25 माई को राजस्थान की एक * *दिलेर जांबाज सुपुत्री दीपिका राठौर ने एवरेस्ट पर फ़तेह हासिल कर इस स्थान पर झंडा फहराने वाली पहली राजस्थानी महिला होने का गौरव प्राप्त किया . |
यह मेरे ब्लॉग की सौवीं पोस्ट है । मेरे ब्लॉग्गिंग के इस सफ़र में आप सभी ने मुझे ढेर सारा प्यार दिया । मेरे ड्राइंग्स को सराहा और मुझे प्रोत्साहित किया । मेरे फोटोस को भी प्यारे प्यारे कमेंट्स दिए । | *ये कैसा हैं रिश्ता ! मेरी आँखों से इन अश्को का दुनिया मुझे खफा हो भी जाए , तो भी ये जालिम साथ निभाते हैं जिंदगी का.. |
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हे शुक ! तोता हे सारिके ! तुम क्यों व्यर्थ विवाद करते हो ? नर-नारी द्वंद्व तो सदियों पुराना है, क्यों कलह-निनाद करते हो ? किस उपमेय-उपमान को - सुलझाने का प्रयत्न करते हो ? |
द्वारा बनारस में सालों से यानि कि जन्म से ही रह रहे उमेश सेठ ने दुनिया को देखने की नज़र बनारस में ही पैदा की है।यहीं की आबोहवा में रहते रेलवे की नौकरी और स्पिक मैके जैसे मंच के ज़रिये... | रस्ते में दिखते हैं रोज ही कांपते/हाँफते/घिसटते/दौड़ते अपनी-अपनी क्षमता/स्वभाव के अनुरूप सड़कों पर भागते पहिये। इक दूजे पर गुर्राते/गरियाते ... | इक शहीद को याद करके रोना उसका अपमान माना जाता है पर उसके लौट आने की आस तो परिवारों से कोई नहीं छीन सकता वो दुसरे मुसाफिरों की तरह ही यात्रा पर जाता है वो लौटकर आए ना आए ... | कुछ मजबूरियां रही होंगी वर्ना हम बेवफा नहीं होते स्वतन्त्र राष्ट्रों की कुछ मजबूरियां होती हैं। उनके हित होते हैं. अपने को सर्वोच्च साबित करने के लिए एक दूसरे के खिलाफ षड़यंत्र भी करते रहते हैं. षड़यंत्र ... |
*डल लेक **आइये आपको डल लेक जो श्रीनगर में है उसकी सैर कराती हूँ सबसे पहले कुछ जानकारी की बातें हो जाए ।**डल लेक श्रीनगर की दूसरी सबसे बड़ी झील है ... | पर न जाने बात क्या है -लखनऊ का असह्य ताप, प्रशिक्षण की गम्भीरता, सायं तरणताल में निस्पंद उतराना, कार्य से कहीं दूर आधुनिक मनीषी की तरह बहते दिन। | बरसे नैना जैसे बादल कोई आई है याद । दूर सजन सताता है सावन याद सहारा । | मायूस - तेरे रास्तों में नही आऊंगा मै , तुझे छोड़कर के चला जाऊंगा मै. मुझे लाख ढुंढ़ेगी तेरी नज़र , दुबारा ना तुझको नज़र आऊंगा मै. त... |
महेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा आधा सच... अब मुझे तो नहीं पता कि ये कौन सा आसन है ?देश में योग की बहुत चर्चा हो रही है, पर सच मे योग है क्या ? इसे लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम हैं। लिहाजा मैं कोशिश करुंगा कि आप को योग के बारे में आसान शब्दों मे... ज़ख्म…जो फूलों ने दियेयूँ ही नहीं कुर्बान होती मोहब्बत वक्त के गलियारों में ........... - अहसासो ख्यालो की एक अनूठी दुनिया की सैर पर निकला हो कोई और जैसे पांव किसी सुलगते दिल को छू गया हो ……… "मूल्यांकन" - *हेलो हेलो हेलो बोलो जी बोलो परीक्षा मूल्यांकन का काम ऊपर से विशेष आपके लिये ही आया है तीन तीन सौ कापियों के पूरे बीस बंडलों का लौट हमने अभी ट्रक से उतरवाया है... दिलबाग विर्क द्वारा बेसुरम् यादों का पाखी मेहमान हमारा बिन बुलाया । नहीं उड़ता दिल के कंगूरे से याद का पाखी । यादों का पाखी बैठा शाखे-दिल पे बरसे आंसू । भेज दिए हैं तूने यादों के पाखी खुद न आया । यादों का पाखी कलरव करता ... सौवीं पोस्ट और आप सबका अपार स्नेह .... थैंक यू.....! चैतन्य का कोना करता चित्त प्रसन्न अति,शुभ कोना चैतन्य | पोस्ट शतक पहला हुआ, पढ़कर पाठक धन्य | ज्यादा देर आन लाइन रहना माने टेक्नो ब्रेन बर्न आउट - *एक वयस्क व्यक्ति दिन भर में आठ साढ़े आठ घंटा इंटर नेट से जुड़ा रहता है .सबके अपने अपने शगल है अपने अपने तकाज़े ,टारगेट्स कोई विडीयो देख रहा है कोई मोबाइल ... इक दिन रह जाओगे , समुंदर में मोती की तरह बेशकीमती, पर, कैद अपने ही दायरे में अपनी ही तनहाइयों के साथ .......... चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -15 -प्रतियोगिता में शामिल सभी रचनाएं मेरी भागेदारी कुंडलिया दोहे ******************* पुस्तकें मानव की सबसे बड़ी मित्र हैं, कह दो तो ये जीवन का पूरा चरित्र हैं । स्वस्थ्य चित्त का विकास करके ये, भरती प्रेरणा और विश्वास का इत्र.... पी.सी.गोदियाल "परचेत" द्वारा अंधड़ ! |
कार्टून को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंनमस्कार शास्त्री जी ...विस्तृत सुंदर चर्चा है ...आज की ...!!
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा , बेहतरीन लिंक्स ....
जवाब देंहटाएंआभार !
बहुत बढ़िया चर्चा.....लाजवाब लिंक्स....
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया शास्त्री जी.
सादर
अनु
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंkaartuun mast hain -
पंज -प्यारो के चित्र पर, करते हो खिलवाड़ |
मैया हो जाये खपा, बहुत पड़ेगी झाड़ |
बहुत पड़ेगी झाड़, देखिये पहला लालू |
ममता को भटकाय, मुलायम दूजा चालू |
तीजा वोही बंग , दाहिने लुंगी वाला |
पी एम् पीछे हाथ, छुपाता मन का काला ||
बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है शास्त्री जी हार्दिक आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंसच में कमाल कर डाला
जवाब देंहटाएंनये किस्म का मंच
आज चर्चा को दे डाला
प्यारे हमारे प्रधानमंत्री
को लगे ना किसी
की नजर यहाँ पर
एक से पाँच को ढूंड
कर बुला डाला
गजब ही कर डाला ।
आभार !!
रोचक हलचल..
जवाब देंहटाएंडॉ.रूपचंद्र शास्त्री मयंक की रचना पर.........
जवाब देंहटाएंहँसा रहा है चित्र पर, रुला गये हैं भाव |
कैसी अंधी दौड़ है , कैसा ये बदलाव ||
नये जमाने के नये चलन को बड़ी सरलता से कह गये.न जाने कब आँख खुलेगी ???????
बाँधी पट्टी आँख पर करने चला इलाज
बाप न मारी मेंढकी , बेटा तीरंदाज
बेटा तीरंदाज , गधे को बाप बनाता
रिश्ते-नाते भूल, जोड़ता धन से नाता
सतयुग उजड़ा चली,क्रूर कलियुग की आँधी
ये है अंधी दौड़ , सभी ने पट्टी बाँधी ||
अजनबी जो साथ चल रहा है.............
जवाब देंहटाएंअनु जी को सुंदर रचना के लिये बधाई....
उहापोह मन में उठे, यही प्रेम संकेत
ज्यों ज्यों मुट्ठी बाँधिये, त्यों त्यों फिसले रेत.
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स संजोजन
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार सर जी....
बेहतरीन चर्चामंच...
:-)
नन्हा नीम पर.............
जवाब देंहटाएंनीम निबौरी आंगना ,आया नन्हा नीम
बेल करेला झूमती, खाकर आज अफीम
खाकर आज अफीम,हुआ खुश बूढ़ा दादा
मूँदूँ अब जो आँख,नहीं दुख होगा ज्यादा
सुन दादा की बात, चढ़ी दादी की त्यौरी
टुकुर-टुकुर बिटवा की देखे नीम निबौरी ||
राम कुँवारे पर......
बापू माँ की मानता, करता होता राज
राम कुँवारे रह गया,क्वाँरा ड़िंड़वा आज
क्वाँरा ड़िंड़वा आज,जवानी व्यर्थ गँवाई
उसके सारे मित्र बन चुके आज जवाँई
कल था नैनीताल,दिखे अब निर्जन टापू
माँ माँ कह कह रोय,कहे कभी बापू बापू ||
टांका महुवा से...........
झुलसी सारी वनस्पति, नीम रोज हरियाय
जेठ दुपहरी दंग है , भेद जान नहिं पाय
भेद जान नहिं पाय,भिड़ा महुआ सँग टाँका
खड़ा राज - पथ खूब , वसूले चुंगी नाका
कोई आया बीच, लिपट कर महुआ हुलसी
हरा भरा है नीम , वनस्पति सारी झुलसी ||
आदरणीय रविकर जी, तीनों नीमी कुंडलिया अलग अलग रंग में देख कर मन नीम-नीम .....क्षमा करें ...बाग-बाग हो गया.
आधा सच,..महेंद्र श्री वास्तव,के लेख पर,,,,,,
जवाब देंहटाएंमहेंद्र जी अपने मिशन में हो गए पास
बाबा गर पढ़ ले इसे, रुक जाएगी सांस
रुक जायेगी साँस, लेख है पोल खोलता
आधा सच ब्लॉग हमेशा सच ही बोलता
रामदेव जी आजकल भूल गए है योग
कालाधन के नाम पर जुटा रहे है लोग
जुटा रहे है लोग, दवाव बनाने खातिर
तिकडममें तेज,दिमाग उनका है शातिर,
बाबा जी माफ़ करना,गलती म्हारे से हो गई ,,,,
शास्त्री जी हार्दिक आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए....बहुत बढ़िया चर्चा.....लाजवाब लिंक्स....
जवाब देंहटाएंकुछ यादगार लम्हे........पर......
जवाब देंहटाएंसुंदर छवि डल लेक की मुफ्त देख ली आज
सचमुच यह काश्मीर का रत्न जड़ित है ताज |
महानगर कस्बा जिला या हो कोई गाँव
मेरे स्टेट बैंक की,सभी जगह है छाँव |
गर्म पकौड़े नाव पर, अद्भुत दें आनंद
कोई भी मौसम रहे, आयें खूब पसंद |
मन भाया सरपंच का, आलीशान मकान
आगत का स्वागत करे, मेरा देश महान |
नदिया पर्वत झील और धूप छाँव का खेल
जीवन जिसका नाम है,वो सुख दुख का मेल |
nice
जवाब देंहटाएंचैतन्य का कोना......पर............
जवाब देंहटाएंशतक वीर हम भी बने, चौके छक्के मार
छोटा है तो क्या हुआ, बल्ले का आकार |
छोटी गेंद क्रिकेट की,क्यों न हुई फुटबॉल
छोटे में पॉवर बड़ा, छोटा था नंद लाल |
अब शतकों के शतक का,लक्ष्य रखो चैतन्य
सुंदर कृतियों से करो, ब्लॉग जगत को धन्य |
शायद मैं......पर......
जवाब देंहटाएंजीवन-सा छलिया नहीं,छलना इसका काम
नाहक सारे लोग सब , होते हैं बदनाम |
मन भी चंचल है बड़ा, देखो तो करतूत
इच्छों को छेड़ दे , देखे नहीं मुहूर्त |
@अरुण कुमार निगम
जवाब देंहटाएंमहाभयंकर रोग है, ढूँढो नीम हकीम |
जान निकाले कवितई, ऐसी वैसी नीम ||
दीर्घायु के लिये ........पर.....
जवाब देंहटाएंदीर्घायु कैसे जियें , बतलाते हैं मंत्र
रखरखाव नित मांगता,है शरीर का यंत्र
है शरीर का यंत्र, बनें खुद ही मैकेनिक
चिंता मत कीजे ,हम बैठे हैं देने ट्रिक
कबिरा खड़ा बजार , मिलेंगे वीरु ताऊ
बतलाते हैं मंत्र , जियें कैसे दीर्घायु ||
बढ़िया चर्चा SIR
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंजिन्हें पाला था नाज़ों से, वही आँखें दिखाते हैं।
जवाब देंहटाएंहमारे दिल में घुसकर वो, हमें नश्तर चुभाते हैं।।
क्या बात है शास्त्री जी सुन्दर गज़ल बेहेत्रिन अलफास
भँवर में थे फँसे जब वो, हमीं ने तो निकाला था,
मगर अहसान के बदले, हमें चूना लगाते हैं।
आज इसे लोग दस्तूर बना लिए हैं एहसान जल्दी भूल जाते हैं हास्य पूर्ण मनभावन चित्र के साथ प्रस्तुति बहुत बढ़िया है गज़ल की हर लाईन सटीक है ..बधाई ...
बहुत सुन्दर चर्चा ,खास कर रीना जी की रचना पसंद आई.बाकि लींक्स भी बेहतर हैं.बिलकुल रंग बिरंगे फूल जैसे हैं.प्रधान मंत्री जी को भी सही सम्मान मिला है.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
वाह! बहुत बढ़िया चर्चा... सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
लिंक्स संयोजन और प्रस्तुति बहुत ही बढिया. आभार आपका.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका मेरी 'शुक-सारिका- ....डा श्याम गुप्त "रचना को शामिल करने ...
जवाब देंहटाएंआदित्य जी की लेखनी राष्ट्रीयता अंगार
जवाब देंहटाएंगजल राजेन्द्र भाई की सुन्दर करे श्रृंगार
काजल जी के कार्टून मनमोहन है पांच
सोते सोते चला रहे फोटो कह गई सांच
रविकर हम सब नीम से सूख रहे हैं आज
इठलाती यौवन फिरे लिए उम्र का ताज
गुरुर चढे महुवा सम चढा नशा अन्तरंग
मदमाता दर दर फिरे लीवर हुवा सुरंग
आज की चर्चा मंच को सादर मेरा प्रणाम
सार्थक करती लेखनी रचनाकार का नाम
आदरणीय शास्त्री जी ..मनोरम ......खूबसूरत संकलन ...बिभिन्न रंग छलक पड़े .....मेरे चिट्ठे बाल झरोखा सत्यम की दुनिया से बाल रचना आप ने शामिल की ख़ुशी हुयी जल्दबाजी में शीर्षक नीचे रह गया ..सो शीर्षक शीर्षक हीन ही रह गया ..............आभार
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
सादर स्वागत आपका, मिला आपका स्नेह |
जवाब देंहटाएंश्रीमन के ये दो वचन,करे सिक्त ज्यूँ मेह ||
शास्त्री जी से
जवाब देंहटाएंकरूँ निवेदन आपसे, गुरुवर दीजे ध्यान |
रिप्लाई के आप्शन, करें काम आसान |
करें काम आसान, टिप्पणी का प्रत्युत्तर |
एक साथ स्थान, चमक फैले वृहत्तर |
उमा, धीर सर अरुण, पुराने जोशी आदिक |
विश्लेषण कर मस्त, प्यार फैलाय चतुर्दिक ||
सुव्यवस्थित चर्चा. बढ़िया लिंक्स .
जवाब देंहटाएंमुझे भी चर्चा में शामिल किया आभार आपका....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर कश्मीर के संस्मरण को देखकर अरुण कुमार निगम जी ने जो दोहे कहे हैं उन्होंने तो दिल मोह लिया मेरी लेखनी को सार्थक कर दिया ...वाह बहुत सुन्दर दोहे बहुत आभारी हूँ निगम जी
जवाब देंहटाएंGreat charcha. Thanks.
जवाब देंहटाएंBahut achchi charcha ..aabhar
जवाब देंहटाएंचैतन्य का कोना......पर............
जवाब देंहटाएंकरता चित्त प्रसन्न अति,शुभ कोना चैतन्य |
पोस्ट शतक पहला हुआ, पढ़कर पाठक धन्य |
पढ़कर पाठक धन्य, बढ़ी उम्मीदें बेशक |
है रविकर विश्वास , करोगे कोशिश भरसक |
रहो सदा चैतन्य, जगत में नाम का कमाओ |
कई क्षेत्र शुभ अन्य, सभी में शतक जमाओ ||
इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब ,के लगाए न लगे और बुझाए न बने ..एक से एक बढिया सेतु लिए आए आप ,जागे हम सारी रात ,सात समुन्दर पार ,करते हुए इंतज़ार ,..... ..... .बहुत सुन्दर चर्चा आज की है . बहुत बढ़िया प्रस्तुति आज की है .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
रविवार, 1 जुलाई 2012
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
डरा सो मरा
http://veerubhai1947.blogspot.com/
इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब ,के लगाए न लगे और बुझाए न बने ..एक से एक बढिया सेतु लिए आए आप ,जागे हम सारी रात ,सात समुन्दर पार ,करते हुए इंतज़ार ,..... ..... .बहुत सुन्दर चर्चा आज की है .शामिल किए आप सेहत के लिए खाद्य ,मेहरबानी आपकी ,सलामत रहे निगरानी आप की ... बहुत बढ़िया प्रस्तुति आज की है .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram भैअनी
रविवार, 1 जुलाई 2012
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
डरा सो मरा
http://veerubhai1947.blogspot.com/
नमस्कार जी ...सुंदर चर्चा है .. .
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