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शनिवार, जुलाई 14, 2012

"ब्लॉग ट्राफिक बढ़ाने के लिए" ( चर्चा मंच - 940 )

केवल बाइस ब्लॉग की, चर्चा है श्रीमान।
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पोस्ट के शीर्षक के ठीक नीचे
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(१)
My Photo
छन्द और मुक्त छन्द दोनों में 
उन्होंने बेजोड लिखा है ..
आप भी पढ़िए...
(२)
*कल की वो शाम 
जब हम हाथों में हाथ लेकर
 बैठे थे उस शिला खंड पर 
सामने झेलम नदी अपने पूर्ण उफान के साथ 
उन्मादित पत्थरों को छलान्गती बलखाती,
गुनगुनाती बह रही थी अपने तीव्र प्रवाह के साथ...
(३)
झूमो, नाचो, मौज मनाओ बाबाजी 
जीवन का आनन्द उठाओ बाबाजी 
ये क्या, जब देखो तब रोते रहते हो ? 
घड़ी दो घड़ी तो मुस्काओ बाबाजी...
(४)
दो कमी'जो की कमी'ने - दी पटक रविकर जमीं पर । 
काव्य कैसा कल रचा था - खुश हुई कलियाँ, हटी पर । 
कल ग़लतफ़हमी घटी थी आज भौंरे हैं घटी पर...
(५)
*सच! ही कहा है ...किसीने !!!
"अपने ही होतें हैं ,जो दिल पर वार करते हैं ...
वरना गै़रौं को क्या खबर ...
कि दिल किस बात पे दुखता है "...
(६)
प्यारे दोस्तों, भारतीय ब्लॉगिंग की दुनिया में 
श्री सुभोरूप दासगुप्ता के नाम को 
किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है. 
नि:संदेह वे एक उच्च श्रेणी के लेखक हैं....
(७)
दिल खोलकर सखियों में मेरा ज़िक्र करती थी, 
ज़रा सी देर क्या हो जाए बहुत फिक्र करती थी......... 
तेरी याद आती है माँ, 
हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ.....
(८)
ब्लोगर इतनी मेहनत से आर्टिकल लिखता है ,
ऐसे में अगर पाठक ही ना आयें या कम आयें
या जो आयें वो भी कमेंट्स ना दें 
तो जल्द ही ब्लोगर का दिल टूटने लगता है...
(९)
*उस* व्यक्ति को अचानक 
अपने अगले जन्म का दिवज्ञान हुआ। 
जब वह बूढ़ा हो चला 
और मौत की घड़ी नजदीक आयी, 
तो वह अचानक बहुत परेशान हो उठा। 
जोर-जोर से विलाप करने लगा...
(१०)
कि‍तने छोटे-छोटे होते हैं खुशि‍यों के पल 
छोटी चिड़ि़या की तरह 
देखते ही देखते फुर्र हो जाते हैं 
और हम भौचक्‍के हो.... 
तकते रह जाते हैं....
(११)
अमर प्रेम के ऐतिहासिक प्रतीक ताज महल की प्रष्ठभूमि में, 
भीगते मेघ की बूंदों से जब पकड़ कर तुम्हारी मादक हथेली 
खींचीं थीं कुछ काल्पनिक लकीरें अपनी किस्मत की,...
(१२)
ग़ाफ़िल ग़ज़ल 
My Photo
 जानते हो तुम कि तुमसे ही है 
मेरी मलाहत भरी मुस्कुराहट 
बेसबब बेसमझ बेपरवा सी 
न थमने वाली खिलखिलाहट.... 
और तुम खामख़ाह फुरकते ग़म देते हो....
(१३)
सफ़र लम्बा था ...बहुत लम्बा ,उतना ही कठिन ...
सूर्य देवता मानो सर पर विराजमान थे ..
मंजिल का कोई अता -पता  न था..
पैरो के निचे जलती रेत  ..
मस्तिष्क शून्य , मन...
 वो तो शायद संग था ही नहीं ....
(१४)
एक ग़ज़ल आप सब के लिए
My Photo 
बच्चों के बीच दादी के किस्से संभालिये 
बाबा की आन-बान के खूंटे संभालिये

अम्माँ की याद, तुलसी के बिरवे संभालिये
फसलों के साथ आपसी रिश्ते संभालिये
(१५)
फूलदान में खिल रहा है 
किसलिए, नूर तेरी बात का. 
* * *
सोचो, ये कैसी है, चुप्पी
अजगर के आलिंगन सी...

(१६)

मेरे बचपन की तस्वीर !
(१७)

मेरी आज की रचना उस ख़ास व्यक्ति के लिए 
जिसने मुझे इस काबिल बनाया 
कि मैं मन में आये भावों को 
आज शब्दों में अभिव्यक्त कर सकूँ . 
"और एक प्यास है मन" 
ऐ चाँद तुमसे पूछूं, 
फिर क्यूँ उदास है मन 
कहने को दूर तन...
(१८)
My Photo
मैं स्वयं ब्लॉग के माध्यम से अपने बचपन की 
एक हृदय विदारक घटना को सबके सामने लाने में सफल रही.
ये मेरे गाँव की घटना थी,वहाँ करीब छब्बीस साल पहले 
एक गरीब परिवार की अशिक्षित,नाबालिक लड़की का 
बलात्कार हुआ था,जिससे वो गर्भवती हो गयी,
समाज के डर से उसकी अशिक्षित माँ ने 
उसका गर्भ गिराने के लिए उसे पता नहीं कौन सी दवाई दी...
(१९)

* ज़िंदगी और मैं... *

My Photo
मैं आगे..., ज़िंदगी मेरे पीछे चलती रही...
रेशमी ख्वाबों के, मखमली एहसासों के अनमोल लम्हे....
अपनी साँसों में लपेट....हर मोड़ पर सहेज ..
मैं उसको थमाती रही...!
(२०)
My Photo
*दस सालों तक कुछ ना किया हो 
बस घर में बैठ के वेतन लिया हो 
ऎसा अनुभव नहीं बटोर पाया 
निविदा निकली थी अखबारों में 
सर्वोच्च पद के लिये मुझ पति ने 
उस पति के आसन तक पहुँचने का 
हाय बहुत सुंदर मौका यूँ ही है दिलाया...
(२१)
उच्चारण
योगिराज के नाम का, सब करते गुणगान।
कलियुग में आओ प्रभो, करने को कल्याण।१।
कुरीतियों के जाल में, जकड़े लोग तमाम।
खोलो ज्ञानकपाट को, मेधा से लो काम।२।....
(२२)
खाता ना बही, जो ताऊ कहे वही सही
.

ज्यादातर लोगों को यह पता नही होगा कि 
मिस समीरा टेढी ने अपने रूतबे का इस्तेमाल करके 
किसी तरह एक पेट्रोल पंप अपने नाम कबाड लिया था. 
लोगों से सुन रखा था कि पेट्रोल पंप में बहुत कमाई है....
आज के लिए बस इतना ही!

71 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात ...!बढ़िया रोचक चर्चा ...!!

    जवाब देंहटाएं
  2. @बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

    सादर नमन

    अलबेला जी !!

    आप की इस अलबेली बात पर-





    फटा पड़ा दिल शर्ट फटी है अलबेली ।

    उलट पुलट कर रात कटी है अलबेली ।

    हाथ जोड़कर पैर पड़ा पर वो न माने-

    ताल ठोक ललकार डटी है अलबेली ।

    तीनों बच्चों को लेकर के भाव दिखाए-

    सन अस्सी, चुपचाप पटी है अलबेली ।

    एक छमाही दिल्ली रहती पुत्र पास वो-

    दूजा पुत्री संग बटी है अलबेली ।

    घटी शक्ति अब रोटी को मुहताज हुआ-

    रविकर के संग करी घटी है अलबेली ।

    भाई बहिनों पुत्र-पुत्रियों को ही माने-

    कैसे कह दूँ बहुत लटी है अलबेली ।।

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया चर्चा शास्त्री जी..
    आभार

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. (१६)

    @मेरे बचपन की तस्वीर

    समय गुजरते न लगी, गुजरा कल गुजरात ।

    तख्ते-ताउस पर बिठा, चित्र खींचते तात ।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कोटि कोटि आभार!

      हटाएं
    2. लिंक - न० १६ पर,,,,


      बचपन में जब छोटा था, करता बड़ा अमोद
      बबलू कह मुझे बुलाते, नाम है मेरा प्रमोद,,,,,,

      हटाएं
  5. अच्छे ब्लोग्स की लडियां......
    धन्यवाद....!!

    जवाब देंहटाएं
  6. @मेरे गुरू "मयंक" जी

    गुरुभाई की पोस्ट पर, आकर होता धन्य ।

    गुरु बिन हो सकता नहीं, मानव मन चैतन्य ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उच्चारण जी ,की पोस्ट पर,,,,


      बढ़िया दोहे रच रहे, क्या है उसका राज
      कमेंट्स कर पोस्ट बनाया,एक पंथ दो काज,,,

      हटाएं
    2. कोटि कोटि आभार!

      हटाएं
  7. @"निविदा खुलने का समय है आया "
    सुशील at "उल्लूक टाईम्स "


    आज खिंचाई हो गई, पति की क्यों उल्लूक |
    निविदा को कर दो विदा, भरी चूक ही चूक |
    भरी चूक ही चूक, पार्टी एक अकेली |
    तीन लिफ़ाफ़े डाल, छीनता सत्ता डेली |
    बड़े बड़े संस्थान, खुले विद्वानों खातिर |
    रहें उसी में कैद, नहीं तो होंगे शातिर ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उल्लूक टाइम्स,,पोस्ट पर,,,,,,,,,,,,


      निविदा को कर बिदा,समझे पति उल्लूक
      निविदा के इस खेल में, हो जायेगी चूक,,,,,,

      हटाएं
  8. और एक प्यास है मन

    करे प्रगट कृतज्ञता, कुसुम चढ़ाए भाव ।

    हृदय-पटल पर आज भी, अंकित अमित प्रभाव ।।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर चर्चा से सजा मंच..आभार..

    जवाब देंहटाएं
  10. 1.
    (२२)
    खाता ना बही, जो ताऊ कहे वही सही
    हर शाख पर जब ताऊ बैठा हो
    खाते में उसका चाचा लेटा हो
    जैसा कहे देते चले जाइये
    खाली पीली अपनी मिट्टी
    क्यों कर करवाईये
    ताऊ बहुत सही जा रहे हैं
    जमाने का मीटर बना रहे हैं
    हमारे गुरु ने भी
    ये बात आज नहीं
    बहुत साल पहले थी कही
    खाता ना बही, जो ताऊ कहे वही सही!
    ताऊ की जय हो !

    जवाब देंहटाएं
  11. 2.
    उच्चारण का लिंक नहीं बन पा रहा है
    यहाँ क्लिक करने पर नहीं खुल पा रहा है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जोशी जी!
      आप रिफ्रेश करके देखिए। उच्चारण के चित्र पर भी तो लिंक है और अब पहली लाइन में बी लिंक लगा दिया है।
      आभार।

      हटाएं
  12. चर्चा मंच का दिल से आभार.मोहब्बत नामा या मास्टर्स टेक ब्लोग्स की पोस्ट का चर्चा मंच में शामिल होना मेरे लिए सम्मानित होने जैसा है.जब भी मेरी लिखी पोस्ट्स शामिल होती है मै खुद को सम्मानित महसूस करता हूँ.ये चर्चा मंच का स्नेह है जो मेरी ज्यादातर पोस्ट चर्चा मंच टीम को पसंद आ रही है.शुक्रिया ,आभार.सही मायनो में तो चर्चा मंच ही ब्लॉगस का प्रमोशन कर रही है.


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आमिर दुबई जी लिए,,,,


      कल आपकी पोस्ट पर मैंने किया कमेंट्स,
      आज देखा तो गायब है,एक दम परमानेंट,,,,

      हटाएं
    2. कल आपने मास्टर्स टेक पर कमेन्ट किया था ,और आप उसे मोहब्बत नामा में तलाश कर रहे होंगे.इसलिए वो गायब है.दोनों ब्लॉग पर एक जैसी पोस्ट भेजने के कारण शायद आप भूल गये.आप मास्टर्स टेक पर अपना कमेन्ट और मेरी तरफ से जवाब भी देख सकते हैं.आभार.स्नेह बनाये रखिये.

      हटाएं
  13. बहुत सुन्दर मंच है, और बहुत बढ़िया ब्लॉग्स! मेरी पोस्ट को इसमें शामिल करने के लिए अनेक धन्यवाद् डॉ.शास्त्री!

    जवाब देंहटाएं
  14. (७)
    तेरी याद आती है माँ

    माँ ,ये देखने में एक छोटा सा शब्द ही है ,लेकिन कुजे में समंदर लिए हुए है.आज चर्चा मंच पर ''तेरी याद आती है माँ,'' के जरिये परदेस में रहकर मुझे अपनी माँ के करीब कर दिया.माँ , एक ऐसा सब्जेक्ट जिसपर किताबें लिखने वाले साड़ी उम्र लिखें तब भी ना लिख पायें.और दुनिया के हर कलम की स्याही ख़त्म हो जाये ,मगर माँ ''की शान में एक लाइन भी पूरी ना हो.मेरी शुभकामना ,इस ब्लोगर को.जिसने लिखा ''तेरी याद आती है माँ ''


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आमिर भाई बहुत- बहुत शुक्रिया. भाईजान ये सिर्फ एक रचना नहीं है ये मेरे जीवन का एक अटल सत्य है. जिसे मैं चाहकर भी भुला या बदल नहीं सकता.

      हटाएं
    2. खुश किस्मत है वो माँ जिसे आप जैसा पुत्र मिला.आपको मेरी शुभकामना.

      हटाएं
    3. लिंक न० - ७
      अरुण शर्मा जी की पोस्ट पर

      तेरी आँखोंसे आसुओ का सिसकता किनारा
      त्याग,तपस्या,और तेरी ममता की धारा
      माँ की दुआ बढकर, कोई दुआ नही
      माँ के जैसा पवित्र रिश्ता दूसरा नही,,,,,,,,,,

      हटाएं
  15. 3.
    (२१)
    उच्चारण
    जी आभार अब आ गया है।
    बहुत ही सुंदर दोहों का गुलदस्ता सजाया है
    एक एक मन के अंदर तक भाया है

    दोहा संख्या 12 माननीय हरभजन सिंह चीमा जी के लिये भिजवाया है ।
    भिन्न-भिन्न हैं मान्यता, मिन्न-भिन्न परिवेश।
    गुलदस्ता सा लग रहा, अपना भारत देश।१२।

    जवाब देंहटाएं
  16. (२०)

    आभार !!
    निविदा खुलने का समय है आया "
    उल्लूक टाईम्स की खबर आई है
    अभी राज्यपाल ने लिस्ट नहीं बनाई है
    कुलपति जी जाने वाले है और
    कुलपति जी आने वाले हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  17. आभार शास्त्री जी ...
    बढ़िया चर्चा मंच सजाया है !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यादें'-- लिंक न० - ५ पर,,,,,


      जमाने ने मारी ठोकर,सब कुछ दिया सिखाय
      आज अकेला आता नजर,कोई न साथ निभाय,,,,,,

      हटाएं
  18. बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।

    जवाब देंहटाएं
  19. 5.
    (१९)
    * ज़िंदगी और मैं... *

    किसी के साथ चलती है
    जिंदगी सुना था कभी
    जिंदगी पीछे चल रही है
    लम्हा लम्हा क्या बात है!

    बहुत सुंदर नज्म !

    जवाब देंहटाएं
  20. 6.
    (१८) महिला मुद्दे और ब्लॉग
    डा0 सुनीता का शोध पत्र बहुत सटीक और सार्थक तरीके से अपनी बात रख रहा है । वाकई में रमाशंकर यादव 'विद्रोही' जी की कविता आकर्षित करती है.

    “इतिहास में वह पहली औरत कौन थी,
    जिसे सबसे पहले जलाया गया,
    मैं नहीं जानता,
    लेकिन जो भी रही होगी,
    मेरी माँ रही होगी.
    लेकिन मेरी चिंता यह है कि
    भविष्य में वह आखिरी औरत कौन होगी,
    जिसे अंत में जलाया जाएगा,
    मैं नहीं जनता,
    लेकिन जो भी होगी
    मेरी बेटी होगी,
    और मैं ये नहीं होने दूंगा.”

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत ही सुन्दर चर्चा आदरणीय शास्त्री जी. मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  22. लिंक न० - १९
    जिंदगी और मै, पोस्ट पर,,,,,


    लम्हा लम्हा गिंनती रही,चुनती रही मै साँस,
    वक्त तकाजा कर रहे, लिए यादों की मै आस,,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत अच्छी सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  24. सुंदर चर्चा... उम्दा लिंक्स...
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  25. प्रभावशाली चर्चा...दिलचस्प लिंक्स से सजी

    जवाब देंहटाएं
  26. चर्चा मंच पर आना अच्छा लगा......आभार !

    जवाब देंहटाएं
  27. 7.
    (१७)और एक प्यास है मन


    बहुत ही खास है वो मन !

    जवाब देंहटाएं
  28. 8,
    (१६)

    मेरे बचपन की तस्वीर !

    मेरे गुरू "मयंक" जी !

    वाह जी वाह
    हमे भी मिल गये
    गुरू जी और चेला
    ऎसे गुरू के चेले
    हो गुड़ नहीं रहोगे
    पक्का शक्कर हो जाओगे
    चेले रविकर से भी
    आगे निकल के जाओगे !

    जवाब देंहटाएं
  29. 9.
    (१५)
    देखा तो पाया कि शाम है

    वाकई शाम ही है !!

    जवाब देंहटाएं
  30. 10.
    (१४)
    एक ग़ज़ल आप सब के लिए

    बहुत अच्छे मौदगिल जी
    हम तो संभाल ही लेंगे
    पर उसके बाद आप
    हमें भी तो सम्भालिये !!

    जवाब देंहटाएं
  31. 11.
    (१३)
    मैत्री ..दोस्ती और मैत्री !!!
    राधा जिसका दोस्त कन्हैया हो
    उसका दोस्त कौन नहीं होगा ।
    सुंदर लेख !

    जवाब देंहटाएं
  32. 12.
    (१२)
    ग़ाफ़िल ग़ज़ल

    बहुत खूबसूरती से कहा है
    तेरी प्रीत है झूठी कहती रहूँगी........
    ताकि तुम यूँ ही
    बेहिसाब ग़ाफ़िल ग़ज़ल गाते रहो
    और बेताबी से बस मुझे मनाते रहो .

    जवाब देंहटाएं
  33. 113.
    (११)
    खामोशी की जुबां

    कैलाश जी एक शख्सियत
    गीता से लेकर ताजमहल तक
    कितना कुछ है !!

    जवाब देंहटाएं
  34. 14.
    (१०)
    खुशि‍यों के पल
    सुंदर !!
    फुर्र मत करिये
    भर लीजिये
    बहुत हैं
    खुशियों के पल !

    जवाब देंहटाएं
  35. 15.
    (९)
    सूअर बनकर खुश हूं, मत मारो

    कुछ नहीं कह सकता मैं
    बस कह सकता हूँ इतना
    सूअर कहीं का !!

    जवाब देंहटाएं
  36. 16
    (८)
    ब्लॉग ट्राफिक बढ़ाने के लिए कुछ टिप्स

    सब सबके समझ में आता है
    टिप्स नहीं काम आता है
    गधा वहीं जायेगा जहाँ घास पाता है
    कहीं कुछ नहीं होता वहा सब लोग जाते हैं
    कहीं होता है कुछ लोग आते हैं
    फर्क इससे कुछ नहीं पड़ने वाला
    जिसको जो समझ में आयेगा
    वो वहीं तो समझन एको जायेगा ।

    जवाब देंहटाएं
  37. 17.
    (७)
    तेरी याद आती है माँ
    अरुण
    ज्यादा कुछ नहीं
    इतना ही कहूंगा
    माँ है अभी भी
    कहीं नहीं गयी
    इसी लिये इतनी
    सुंदर कविता
    तुमने है कही !

    जवाब देंहटाएं
  38. 18.
    (६)
    सफ़रनामा.
    बहुत खूब
    किसी के लिये
    कुछ लिखना
    बहुत कुछ
    लिखना !!

    जवाब देंहटाएं
  39. 19.
    (५)
    देखता हूँ ....अपने दिल के आइने में..

    हमें मान लीजिये
    ना अपने साथ
    बस मान ही लीजिये
    अकेले नहीं हैं आप !!

    जवाब देंहटाएं
  40. 20.
    (४)
    एक ठो रचना लटी पर । कह गये रविकर फटी-चर ।

    फटीचर ही तो कहा गलत कहाँ कहा ?

    जवाब देंहटाएं
  41. 21.
    (३)
    बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी
    अरे ये तो अल्बेला खत्री है !!

    जवाब देंहटाएं
  42. 22.
    (२)
    झेलम के किनारे
    बहुत सुंदर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  43. 23
    (१)

    तीन कवितायें .... गीत चतुर्वेदी
    तुम गुब्बारा हो
    मैं तुममें हवा भरता हूँ
    वाह क्या बात है
    मैं उड़ चला !!!!

    जवाब देंहटाएं
  44. सभी टिप्पणीदाताओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  45. 24.
    चर्चाँमंच में आप क्यों आते हैं
    बुरा मत मानियेगा
    बतायेंगे क्या? अपनी राय ?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रविकर तुम तो बता दो
      क्यों आते हो ?

      हटाएं
    2. नमस्कार कहने
      हूँ मैं यहाँ आता
      इतना ही ना
      कह पाया बस
      बस इतना कहने में
      तेरा क्या जाता
      कुछ और बात होती तो
      अब तक पता नहीं
      कितनी कुण्डली
      तू बना जाता ।

      हटाएं
  46. बहुत सुंदर रचना चर्चा है

    जवाब देंहटाएं
  47. धन्यवाद शास्त्री जी - रोज की रोटी

    जवाब देंहटाएं
  48. एक से एक सुंदर लिंक्स ...बधाई सभी को ...

    मेरा ब्लॉग शामिल करने के लियें
    शास्त्री जी ! आपका बहुत-बहुत आभार ..

    शुभ कामनाएँ
    गीता पंडित

    जवाब देंहटाएं
  49. बहुत अच्छी कोशिश। कृपया मेरी नयी पोस्ट को भी अवश्य पढ़े ।धन्यवाद

    मेरी नयी पोस्ट है - "क्या आप इंटरनेट पर ऐसे मशहूर होना चाहते है ?"

    मेरा ब्लॉग पता है - harshprachar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

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