आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
11 जुलाई को जनसंख्या दिवस था , भारत में जनसंख्या एक प्रमुख समस्या है , ऐसे में कितना अहम् है यह दिवस, यही विचारणीय है ।
11 जुलाई को जनसंख्या दिवस था , भारत में जनसंख्या एक प्रमुख समस्या है , ऐसे में कितना अहम् है यह दिवस, यही विचारणीय है ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आज फिर से नम्बर एक टिप्पणी दाता रहे,
आदरणीय सुशील जोशी जी!
आज फिर से नम्बर एक टिप्पणी दाता रहे,
आदरणीय सुशील जोशी जी!

ये Almora, Uttarakhand, भारत में कुमायूँ विश्वविद्यालय में भौतिक-रसायन विभाग में कार्यरत हैं। इनका ब्लॉग है- "उल्लूक टाईम्स "...इन्होंने बुधवार की चर्चा में लगाए गये सभी लिंकों पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की हैं। चर्चा मंच की ओर से आपको शुभकामनाएँ और धन्यवाद!
***
राम राम भाई
***
उच्चारण
पढ़िए दोहे रंग-बिरंगे
***
स्पंदन
नैचरुल - अन नैचरुल
***
स्वप्न मेरे...
भगवे हरे रंग का नाम हो भारत
***
ये भारत है मेरे दोस्त
अच्छी बुरी - हमारी मान्यताएं
***
स्वास्थ्य
खाइए चाकलेट , बढ़ाइए याददाश्त
***
***
स्पंदन
नैचरुल - अन नैचरुल
***
स्वप्न मेरे...
भगवे हरे रंग का नाम हो भारत
***
ये भारत है मेरे दोस्त
अच्छी बुरी - हमारी मान्यताएं
***
स्वास्थ्य
खाइए चाकलेट , बढ़ाइए याददाश्त
***
नई कलम - उभरते हस्ताक्षर
***
कलम से
लालटेन की रौशनी में लिखे ख़त
***
जो मेरा मन कहे
रात दिन चमके ये चाँद
***
अपनी बात
समाज न समझे अन्नदाता की वेदना
***
कलम से
लालटेन की रौशनी में लिखे ख़त
***
जो मेरा मन कहे
रात दिन चमके ये चाँद
***
अपनी बात
समाज न समझे अन्नदाता की वेदना
***
त्रिवेणी
***
कम्प्यूटर दुनिया
सोने पे सुहागा
***
क्रिएटिव मंच
***
मोहब्बत नामा
दस्तांने -दिल
***
सुरभित सुमन
साहित्य सुरभि
***
हिंदी हाइगा
***
आधा सच
आज की चर्चा में बस इतना ही
धन्यवाद
व्वस्थित चर्चा...पठनीय सूत्र...हिंदी हाइगा शामिल करने के लिए आभार !!
ReplyDeleteसिर्फ अभी विहंगावलोकन किया है चर्चा में स्थान पाए सेतुओं का ,पढ़ना बकाया है .शीर्षक खासे ललचाऊ हैं .बधाई .
ReplyDeleteram ram bhai
बृहस्पतिवार, 12 जुलाई 2012
घर का वैद्य न बनें बच्चों के मामले में
घर का वैद्य न बनें बच्चों के मामले में
http://veerubhai1947.blogspot.de/
बढ़िया चर्चा।
ReplyDeleteखास आदमी पूछता, आम आदमी कौन।
खास-खास को पूछते, आम हो रहा गौण।।
अच्छे पठनीय सूत्र ...!!
ReplyDeleteअच्छी चर्चा ...!!
शुभकामनायें..!
(1)
ReplyDeleteदिलबाद अपने ही अंदाज
में चर्चा लगाता है
अभार कहना ही है
जब ऊल्लूक को भी
सबसे पहले टाँक जाता है
फिर से फोटो लगी हुई
ऎसी लग रही है
जैसे कोई वान्टेड
हो जाता है ।
(2)
ReplyDelete"OBO लाइव महा उत्सव" अंक २१
नयन ही नयन
बहाये हैं
उलझाये नहीं
उसी से सुलझाये हैं
दिलबाग किस नयन
में जाके तैर आये हैं
बस यही तो नहीं
वो बताये हैं ।
सरकारें तो आती जाती, यह किस्सा बड़ा आलमी है |
ReplyDeleteसकारात्मक रहें हमेशा, खाम -ख्याल जालिमी है ||
संसाधन जोखिम की कुव्वत , हो निवेश मुस्तैद दिमाग-
झटके सहने की ताकत भी, होना बहुत लाजिमी है ।
(3)
ReplyDeleteमेरा सरोकार
आम आदमी कौन है ?
जो नौ में हो ना तेरह में
वो ही तो आम आदमी होता है
रेखा जी का आलेख बहुत
सटीक बातें कहता है ।
दोहे लगते *दोहली , गुरुवर का आभार ।
ReplyDeleteशोक मिटे इस वाटिका, आओ बारम्बार ।
*अशोक वृक्ष
आधा सच
ReplyDeleteजानिए नेताओं का पूरा सच
महेन्द्र जी का जवाब नहीं
बहुत सटीक आलेख हे
आधा नहीं पूरा सच दिखाया है
मुझे नहीं लगता है कि काँग्रेसी
मानसिकता की बात जहाँ तक उठती है
उससे इस देश का कौन नेता
कौन वोटर बच पाया है
जहाँ मौका मिला हर किसी ने
इसी मानसिकता को भुनाया है ।
स्वप्न मेरे...
ReplyDeleteभगवे हरे रंग का नाम हो भारत
बढ़िया कल्पना
इन्द्रधनुष ।
बने हकीकत ।।
बेगाने बैगनी को, नीला भी समुदाय ।
लाल रक्त से खेलता, पीला को अपनाय ।
पीला को अपनाय, भला जीवन नारंगी ।
आसमान का रंग, हरा भगवा भी संगी ।
मेरे तेरे स्वप्न, चले जो सरपट चक्का ।
निर्मल शुद्ध सफ़ेद, सहे न भारत धक्का ।।
(5)
ReplyDeleteहिंदी हाइगा
गूंजी है झंकार हाइगा में
ऋता शेखर ने पेश किये हैं
बहुत सुंदर हाईगा जैसे हों फूल
बना के गुल्दस्ता !
(6)
ReplyDeleteसाहित्य सुरभि
हाइकु
सच सच लिखे है
हाईकु गजब
के लिख दिये हैं
इसी लिये तो
बागे दिल हैं
दिलबाग ।
ये भारत है मेरे दोस्त
ReplyDeleteअच्छी बुरी - हमारी मान्यताएं
इक अच्छा उद्देश्य है, लेखक का आभार ।
नई चेतना के लिए, होना है तैयार ।
होना है तैयार, मिटाना है यह शंका ।
पर्यावरण अन्यथा, फूंक देगी यह लंका ।
चलो करें शुरुवात, नई पीढ़ी तो जागे ।
आदत से मजबूर, जागते नहीं अभागे ।।।
(7)
ReplyDeleteख्वाबों के दामन से
फिर तुम्हारी याद
विजय जी के ख्वाबगाह
से चाँद ला कर दिखाये हैं
बहुत बेहतरीन है नज्म है
जो दिलबाग पेश करने
यहाँ पर ले आये हैं ।
पहले तो आभार हमारे ब्लॉग क्रिएटिव मंच की पोस्ट को को आप ने चर्चा में शामिल किया.
ReplyDeleteएक लाईन सरीखा यह अंदाज़ अच्छा लगा ,सरलता से सभी लिंक्स पर निगाह रुकती है.
इस चर्चा में अच्छे पठनीय लिंक भी मिले.
धन्यवाद.
(8)
ReplyDeleteसुरभित सुमन
विनाश और सृजन का खेल
सुमन जी के प्रश्न
हर किसी के प्रश्न है
उतर देने का ऊपर
वाले को समय कहाँ है
वो अपने आप में ही
बहुत व्यस्त है ।
स्वास्थ्य
ReplyDeleteखाइए चाकलेट , बढ़ाइए याददाश्त
हरी सब्जियों में होती है फोलिक एसिड की भरमार ।
पागलपन से दूर रखे यह, कमी से दिखते हैं आसार ।
दुहराना रात्रि बेला में, किये और करणीय काज को
आयु बाधा से निपटेगा, ढल जाओ इनके अनुसार ।।
(9)
ReplyDeleteदस्तांने -दिल
मेरी हस्ती मिटाने को तुला है
अरुण को लगता है
कोई फंसाने में तुला है
डरना नहीं बिल्कुल
हमें मालूम है तुममें
बहुत बड़ा हौसला है ।
नई कलम - उभरते हस्ताक्षर
ReplyDeleteमाँ मेरी बहुत प्यारी है
बहुत बढ़िया ढंग से माँ को नमन -
किया
साधुवाद ।।
लेकिन उस आधुनिकता का क्या , जो इसको ही बोझा समझे ।
एकाकी काकी न बनती, माँ की झंझट में क्या उलझे?
स्वार्थ पूरिता सुख अपना ही, जब जीवन का बने उसूल -
कैसे उस जीवन की मुश्किल, कठिन समय पर भ्राता सुलझे ।
bahut badiya links ke saath saarthak charcha prastuti.
ReplyDeleteAabhar!
(10)
ReplyDeleteदस्तांने -दिल
मेरी हस्ती मिटाने को तुला है
प्रसून जी
बहुत सुंदर गढ़ते है शब्दों को गजल के रूप में
आप भी तो जाकर बस एक बार उसे देखिये
कलम से
ReplyDeleteलालटेन की रौशनी में लिखे ख़त
चिट्ठी आंसू से भीग गई , लालटेन से तप्त हुई फिर ।
समय सड़ाता गया खाद सा, उर्वरा शक्ति तुमने पाई ।
कर गए किन्तु तुम अधमाई ।
यह कसक मौत सी रास आई ।
(11)
ReplyDeleteप्रेमरस.काम
देह व्यापार का घृणित जाल
बहुत से शर्मनाक सच है
कई आसपास
कोई देखता है कोई कह देता है
पर जिसे देखना है ये सब कुछ
वो इन चीजों से दूर रहकर
तमाशा देखता है ।
शेष लिंक्स : स्कूल से आने के बाद !!!!!
जो मेरा मन कहे
ReplyDeleteरात दिन चमके ये चाँद
फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |
किस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
वाह!!!!! अच्छी चर्चा है...
ReplyDeleteकम से कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा पोस्ट्स शामिल करके चर्चा मंच सजाना ,यक़ीनन ये दिलबाग जी का ही हिस्सा है.आज की चर्चा से खास कर मै इसलिए आकर्षित हुआ की आज काफी पोस्ट शामिल की गई है.हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeleteमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
अपनी बात
ReplyDeleteसमाज न समझे अन्नदाता की वेदना
देने खातिर अन्न उगाता, रक्त पसीने से सींचे है ।
खुद की बिगड़ी हुई दशा पर, होंठ स्वयं के जब भींचे है-
कैसे देगा श्राप जगत को, अपनी कठिनाई को झेले -
खुला गगन है बिन बादल का, सूखी धरती जब नीचे है ।
सोने पे सुहागा
ReplyDeleteजानिए ब्लागिंग को
बढ़िया विषय -
इंटरवल के बाद लोग जब, कथा समझने आते हैं ।
एक पक्ष की बातें अक्सर, नहीं समझ वे पाते हैं ।
खलनायक नायक से केवल, पिक्चर आगे नहीं बढ़े है -
कुछ पात्र सकारण आ जाते, मुश्किल में घिर जाते हैं ।
बहुत बहुत शुक्रिया , चर्चा मंच में मेरी नज़्म शामिल करने के लिए... अपनी इस नज़्म क बहाने बहुत सारे खूबसूरत लिंक्स भी मिल गए.. चर्चा मकसद पूरा हो गया..
ReplyDeleteशाहिद "अजनबी"
आधा सच
ReplyDeleteजानिए नेताओं का पूरा सच
आइस मिलती फ्री में, चिदंबरम को रोज ।
व्हिस्की का पैसा लगे, दो हजार का भोज ।
दो हजार का भोज, गरीबी वो क्या जानें ।
आइसक्रीम का रेट, प्रेस में खूब बखाने ।
पानी बोतल अगर, गरीबी ले पंद्रह में ।
राशन कैसे आय, बताओ फिर सत्तरह में ??
बहुत बहुत शुक्रिया , चर्चा मंच में मेरी नज़्म शामिल करने के लिए... अपनी इस नज़्म क बहाने बहुत सारे खूबसूरत लिंक्स भी मिल गए.. चर्चा मकसद पूरा हो गया..
ReplyDeleteशाहिद "अजनबी"
दिलबाग जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मुझे स्थान दिया है !
बेहतरीन चर्चा मंच पर लिंक्स सजा दिए है ....आभार !
रविकर जी को धन्यवाद उनका अक्षय काव्य कोष हमेशा प्रभावित करता है
आभार !
राम राम भाई,,पर
ReplyDeleteजियें आशावाद बन,निराशा करता हास
आशा हर बाधा का, पार करता प्रयास,,,,
मोहब्बत नामा ,,,,पर
ReplyDeleteडेविड और गोविंदा की, जोड़ी नम्बर वन
राजा बाबू भी बने, और हीरो नम्बर वन,,,,,,
स्वप्न मेरे,,,,पर
ReplyDeleteअच्छा कितना होता, सब एक रंग में रंग जाये,
नए रंगों का मिश्रण कर,एक भारत नया बनाए,,,,,,,,
आधा सच,,,,पोस्ट पर
ReplyDeleteसत्ता में मदहोश है, मदहोशी के बोल,
अपने हाथ लुटा रहे,खोल रहे है पोल,,,,,,
दास्ताने दिल,,,पोस्ट पर
ReplyDeleteइन रास्तों जब कभी, आप भी आयेगें
हमें भी ,इन्ही की तरह रोते हुए पायेगें,,,,,,
रविकर जी, धीरेन्द्र जी और सुशील जी आप तीनो का जो ताल-मेल होता है टिप्पणियों के जरिये पढ़ कर बड़ा आनंद आता है.
ReplyDeleteनई कलम,,,, पोस्ट पर
ReplyDeleteमाँ की दुआ से बढ़कर कोई दुआ नही
माँ जैसा पवित्र रिश्ता कोई दूसरा नही,,,,,,
बहुत सुंदर मंच सजाया है भाई दिलबाग जी
ReplyDeleteआज कल मंच में कुछ अतिरिक्त ऊर्जा दिखाई दे रही है, सब की टिप्पणियों को पढने का अलग आनंद है।
भाई सुशील जी और रविकर जी सच में आपकी मेहनत काबिले तारीफ है।
सुरभित सुमन,,,पर
ReplyDeleteकभी कभी हो जाता है, ऐसा चमत्कार,
विनाश ओर सृजन का,ईश ही रचनाकार,,,,,,
जो मेरा मन कहे,,,,पोस्ट पर
ReplyDeleteचाँद चाँद में फर्क है,निकलते दोनों सम
एक निकले में खुशी हो, दूजे में हो गम
बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है दिलबाग जी हार्दिक बधाई आपको
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteHamne subah ek tippani likhi thi.
ReplyDeleteAb dikhaayee nahin de rahi ,
Please check your spam box.
श्री दिलबाग विर्क के लिए!
ReplyDeleteजापानी इस छन्द का, हिन्दी में प्रयोग।
हाइकु लिखकर कर रहे, शब्दों का उपयोग।।
राम राम भाई...
ReplyDeleteखाम-खयाली में नहीं, रहना यहाँ ज़नाब।
काम बिना कोई यहाँ, बनता नहीं नवाब।।
उच्चारण...
ReplyDeleteमधु के लालच में कभी, धोखा भी हो जात।
सोच-समझकर प्यार से, छत्ते में दो हाथ।।
स्पन्दन में देख लो, कुदरत का व्यवहार।
ReplyDeleteप्राकृतिक का साथ दो, तभी मिलेगा प्यार।।
स्वप्न मेरे...
ReplyDeleteसात रंग की कल्पना, मन को करे प्रसन्न।
एक रंग के साथ में, कैसे हों सम्पन्न।।
ये है भारत मेरे दोस्त...
ReplyDeleteभिन्न सभी की मान्यता, मिन्न-भिन्न परिवेश।
गुलदस्ता सा लग रहा, अपना भारत देश।।
स्वास्थ्य...
ReplyDeleteचाकलेट की खोल दी, आज ढोल की पोल।
खाकर मीठी टौफियाँ, मीठा-मीठा बोल।।
चाकलेट की खोल दी, आज ढोल की पोल।
ReplyDeleteखाकर मीठी गोलियाँ, मीठा-मीठा बोल।।
मेरी माँ बहुत प्यारी है...
ReplyDeleteमाँ सबको प्यारी लगे, ममता का पर्याय।
मां के आदर-मान से, सब सम्भव हो जाय।।
लालटेन की रौशनी, बीते युग की बात।
ReplyDeleteअब चिठिया कैसे लिखे, मोबाइल है हाथ।।
to the point charcha..bahut sundar.
ReplyDeleteजो मेरा मन कहे...
ReplyDeleteचाँद चमकती है तभी, जब यौवन ढल जाय।
पीले पत्तों में नहीं, हरियाली आ पाय।।
चर्चा तो कमा है ही ... आज तो टिप्पणियाँ भी धमाल हैं ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete(12)
ReplyDeleteअरुन शर्मा
आभार !
हमारा मकसद है सब लोग सारे लिंक्स पढे़ और कुछ कहें । अगर ऎसा हो जाये तो सोचिये कितना मजा आ जायेगा । चर्चाँमंच कनाट प्लेस हो जायेगा ।
(13)
ReplyDeleteमोहब्बत नामा
कामेडी का बादशाह
आमिर भी कमाल कर ले जाता है
आज ला के गोविंदा को नचाता है
मोहब्बत नामा देखिये तो जा कर जनाब
कैसे कैसे गुल खिलाता है ।
अपनी बात...
ReplyDeleteधरती के भगवान का, होता है अपमान।
फिर भी अन्न उगा रहा, सबके लिए किसान।।
सावन पर चोका...
ReplyDeleteसावन आया झूम के, पड़ती सुखद फुहार।
तन-मन को शीतल करे, बहती हुई बयार।
(14)
ReplyDeleteक्रिएटिव मंच
अपने समय से आगे थे गुरुदत्त
'गुरुदत्त' - जो अपने समय से बहुत आगे थे !
इसीलिये अभी भी उसी अंदाज से याद किये जा रहे है।
क्रिऎटिव मंच में अपनी क्रिऎटिविटी शानदार अंदाज में
दिखवा रहे हैं ।
कम्प्यूटर दुनिया....
ReplyDeleteकम्प्यूटर का दे रहे, घर बैठे विज्ञान।
पढ़कर सुन्दर पोस्ट को, मिला हमें भी ज्ञान।।
(15)
ReplyDeleteमेरा काव्य संग्रह
तन्त्र को लोक का अर्थ समझा
रघुनाथसिंह ''यादवेन्द्र'
बहुत सुंदर तंत्र का लोक समझाया है
समझ में भी हमारे लोकतंत्र अब आया है ।
नारी...
ReplyDeleteजिस घर में मिलता सदा, नारी को सम्मान।
वो घर मन्दिर सा लगे, मानो स्वर्ग समान।।
(16)
ReplyDeleteसोने पे सुहागा
जानिए ब्लागिंग को
में
कह्ते हैं: आपकी ब्लॉगिंग में आपकी शख्सियत झलकती है
वाकई कुछ हम झलकाते हैं
कुछ छलकने से भी तो बचाते हैं ।
(17)
ReplyDeleteमहेन्द्र जी आभार !
हम तो चाहते हैं
सब कहें कुछ तो कहें
कहेंगे तभी लिखने वाले को
पता चल पायेगा
उसको भी लिखने मै
और मजा आयेगा
चर्चाकारों को उनकी
की गयी मेहनत का
मेहनताना इसी तरह
ही तो दिया जायेगा ।
जानिए ब्लॉगिंग को...
ReplyDeleteजो ब्लॉगिंग में फँस गया, वो है रचनाकार।
पागलपन इसको कहे,सारा ही संसार।।
प्रसून....
ReplyDeleteभोली चिड़िया बाज को, समझ रहीं है मीत।
रक्षक ही भक्षक बने, ये दुनिया की रीत।।
(18)
ReplyDeleteनारी
आसान तकनीकें
बहुत सुंदर और
बहुत सारी जानकारी
दे रही है भारतीय नारी
आशा है पुरुष भी
काम में ले आयेंगे
नहीं घबरायेंगे ।
(19)
ReplyDeleteकम्प्यूटर दुनिया
फुल वर्जन में बदलिए अपने IDM को
गुरू मयंक गजब का सामन लाते हैं
बहुत आसान तरीके से उसे समझाते हैं
मैं भी उनका चेला बनना चाहता हूँ
शक्कर होना दूर अभी गुड़ भी नहीं हो पाता हूँ ।
बहुत ही सार्थक और सारगर्भित चर्चा |आशा
ReplyDelete(20)
ReplyDeleteत्रिवेणी
सावन पर चोका
बहुत सुंदर रचनाऎं !
करते करते हवन हाथ जलने लगे....
ReplyDeleteदेखिए-
रचना
5:14 pm (11 मिनट पहले)
मुझे
आप निरंतर ऐसे लोगो के ब्लॉग पर वाह वाह करते हैं जहां नारी का अपमान होता हैं
वहाँ आप का बड़ा अच्छा , सार्थक इत्यादी लिखा दिख जाता हैं
आप का यहाँ कमेन्ट करना और वो भी विषय को ना देखते हुये हास्यास्पद लगा
2012/7/12 डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) has left a new comment on your post "कुछ बहुत आसान तकनीकी जानकारियाँ दे रही हूँ":
जिस घर में मिलता सदा, नारी को सम्मान।
वो घर मन्दिर सा लगे, मानो स्वर्ग समान।।
अपने सहयोगी चर्चाकारों को बाध्य तो नहीं कर सकता लेकिन सुझाव है कि भविष्य में "नारी" ब्लॉग को चर्चा में न सम्मिलित किया जाये!
ReplyDeleteमित्रों!
महाकवि निराला की एक कविता को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अश्ळील रचना की संज्ञा देकर अपनी पत्रिका में नहीं छापा था।
आज प्रसंगवश् याद आ गया कि बहन अल्पना वर्मा के ब्लॉग "व्योम के पार" की पोस्ट मैं पहले अक्सर चर्चा में लेता था। एक बार उन्होंने मुझे मेल करके कहा कि मुझे चर्चा मंच की कोई आवश्यकता नहीं है। आप मेरी पोस्ट चर्चा में न लगाया करें।
मैंने उनका आदेश मानकर उस दिन के बाद उनकी किसी पोस्ट को मंच पर नहीं लगाया।
आज मुझे खुशी है कि वो भी चर्चा मंच पर कमेंट करने आयीं है।
चर्चा मंच उनका आभारी है।
(21)
ReplyDeleteअपनी बात
समाज न समझे अन्नदाता की वेदना
बहुत सुंदर रचना
अन्नदाता की है वेदना
शब्दों मे गढा़ है जिसे
कुमार आदित्य ने !!!
(22)
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी मैने कुछ ही देर पहले कमेंट देते समय लिखा था
सोने पे सुहागा
जानिए ब्लागिंग को
में
कह्ते हैं: आपकी ब्लॉगिंग में आपकी शख्सियत झलकती है
वाकई कुछ हम झलकाते हैं
कुछ छलकने से भी तो बचाते हैं ।
सब कुछ छलकता है
अब तो ये लगता है ।
(23)
ReplyDeleteजो मेरा मन कहे
रात दिन चमके ये चाँद
यशवन्त माथुर
दोनो वक्तों में उगता
चाँद दिखाया है
पर ये नहीँ बताया कि
उसके पास कहीं से
पैसा भी आया है ।
(24)
ReplyDeleteकलम से
लालटेन की रौशनी में लिखे ख़त
सुधीर मौर्या की
बहुत सुंदर
अभिव्यक्ति
लालटेन के साथ !!
(25)
ReplyDeleteनई कलम - उभरते हस्ताक्षर
माँ मेरी बहुत प्यारी है
वाकई बहुत ही प्यारी है
उसकी उँगलियों में न जाने कौन सा जादू है
हाथ मेरे सर पे रखती है
और खुद अपनी आँखों को भिगो देती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है ।
(26)
ReplyDeleteस्वास्थ्य
खाइए चाकलेट , बढ़ाइए याददाश्त
हम तो चाकलेट खाते हैं
फिर भी भूल जाते हैं
ये टिप्स शायद वो
काम में लाते हैं
जो अपने दिमाग में
कुछ दिमाग पाते हैं।
(27)
ReplyDeleteये भारत है मेरे दोस्त
अच्छी बुरी - हमारी मान्यताएं
आदतों पर अच्छा व्यंग
पर क्या करे मजबूर हैं हम !!
(28)
ReplyDeleteस्वप्न मेरे...
भगवे हरे रंग का नाम हो भारत
भगवे और हरे को मिला
एक नया रंग बना दें
उसे “भारत” नाम दे दें ...
सुंदर सपना है
पर सपना नहीं है
सच है
रंग तो दोनो मिले हैं
आँख खोलिये
देखिये तो सही
भारत बना है ।
(29)
ReplyDeleteस्पंदन
नैचरुल - अन नैचरुल
कितना आसान लगता है ना सुनने में यह सब. कोई समस्या ही नहीं. बच्चा पैदा करने के लिए एक स्त्री एक पुरुष का होना जरुरी नहीं ..जैसे बस खाद लेकर आइये खेत में डालिए और आलू प्याज की तरह उगाइये.
ये तो कुछ समझ में जैसा आ रहा है लग रहा है । बाकी बहुत कनफ्यूजन है । समय लगेगा अभी शायद और समझने में ।
(30)
ReplyDeleteउच्चारण
पढ़िए दोहे रंग-बिरंगे
बहुत ही शानदार दोहे !!!
(31)
ReplyDeleteराम राम भाई
खामख्याली में न रहना जनाब
इसलिए सब कुछ आशावाद के ऊपर नहीं छोड़ा जा सकता जैसा प्रणव दा जाते जाते प्रलाप रहें हैं .
वीरू भाई दा जवाब नईं !!!
सावन का एक दोहा और भी है, जो रविकर जी को समर्पित है-
ReplyDeleteचपला चमके व्योम में, बादल करते शोर।
रिमझिम पानी बरसता, मन में उठे हिलोर।।
अल्पना वर्मा has left a new comment on your post "बीता जनसंख्या दिवस ( चर्चा - 938 )":
ReplyDeleteachchee charcha.
(32)
ReplyDeleteकाजल कुमार कार्टून लाये हैं
बस डाक्टर तक ही पहुँच पाये है
हमारे यहाँ आ जाईये
कुलपति की निविदा ले जाईये ।
आदा सच....
ReplyDeleteनेताओं की बात का, नहीं रहा विश्वास।
वाह-वाही के वास्ते, चमचे सबके पास।।
(33)
ReplyDeleteक्रिएटिव मंच-Creative Manch – (July 12, 2012 2:10 PM)
Hamne subah ek tippani likhi thi.
Ab dikhaayee nahin de rahi ,
Please check your spam box.
क्रिएटिव मंच की टिप्पणी कौन खा रहा है
क्या कोई बता रहा है?
क्रिएटिव की टिप्पणी, सपैम की सैर कर रही थी।
ReplyDeleteअब मैंने प्रकाशित कर दी है।
मेरा काव्यसंग्रह...
ReplyDeleteलोकतन्त्र है नाम का, नहीं लोक का तन्त्र।
नेताओं के हाथ में, खेल रहा है यन्त्र।।
(33)
ReplyDeleteअंतिम चौका कौन लगा रहा है
टिप्पणी का शतक बनाने भी
क्या यहाँ कोई तेंदुलकर आ रहा है ?
सावन में बरसात की, भीनी पड़े फुहार।
ReplyDeleteटिप्पणियों की हो रही, चर्चा में भरमार।।
(34)
ReplyDelete़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
11 जुलाई – विश्व जनसंख्या दिवस और इंडिया बनाम भारत
Posted on जुलाई 11, 2012
बधाई एवं शुभकामना
आज विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है । इस अवसर पर मैं अपने देशवासियों को बधाई और शुभकामना देना चाहता हूं ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
हमारी और चर्चामंच की ओर से भी बधाई !!!
शतक लगाने आ गया, मैं चर्चा में आज।
ReplyDeleteकल रविकर जी आयेंगे, लेकर ब्लॉग समाज।।
(35)
ReplyDeleteऔर बाउंड्री के बाहर गई बाल
चर्चामंच का एक और हुआ कमाल !!
चर्चामंच को 100 की बधाई !!!
@सावन का एक दोहा और भी है, जो रविकर जी को समर्पित है-
ReplyDeleteचपला चमके व्योम में, बादल करते शोर।
रिमझिम पानी बरसता, मन में उठे हिलोर।।
aabhaar guru ji
गुरुवर के प्रसाद सा, सावन दोहा आय |
तन-मन रविकर आत्मा, धन्य धन्य कर जाय ||
शतक के लिए आभार
ReplyDeleteचर्चामंच की हर पोस्ट पर बने ये शतक
सचिन की तरह चर्चामंच बनाए महाशतक
कर रहे हम इंतजार ।
चर्चा मंच वो हुआ, जो हुआ न था अब तक
ReplyDeleteसुझाव सफल रहा,लगा टिप्पणियों का शतक,,,,,
शास्त्री जी,,,,,शतक लगाने के लिए बहुत२ बधाई,,,,आभार
विर्क जी बहुत-बहुत बधाई 105 टिप्पणियों से सजी यह चर्चा एक रिकर्ड बना गयी...पुनः बधाई
ReplyDeleteकृषि कार्य में लगा हूँ नही मिलता है वक्त
ReplyDeleteबिजली से परेशान हूँ ,नेट भी चूसता रक्त,,,,,
दिलबाग जी,,,,चर्चामंच के शतकीय टिप्पणी भरी पोस्ट के लिए बधाई,,,,
शतक लगा के आप, लगता भूले गिनती
ReplyDeleteगिनिए फिर से-108 है,ये है मेरी विनती,,,,,
चर्चामंच में १०८ टिप्पणियों के रिकार्ड बनने की बहुत२ बधाई,,,,,
प्रस्तुति शानदार है और कमेंटस की भी भरमार है.
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार- हमारी लिंक औरों तक और औरों की हम तक पहुंचाने के लिए।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर चर्चा..
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