जनहित के इस काम में, काहे का विश्राम।
चर्चा में होता नहीं, कोई कभी विराम।।
दिन-प्रतिदिन के काम में, लगे हुए हैं पंच।
नम्बर-वन है आपका, प्यारा चर्चामंच।।
सबसे पहले यह लिंक देखिए!
क्योंकि कल शनिवार के टिप्पणी पुरोधा यही थे।
रविवार के लिए कुछ मोती चर्चा में टाँक रहा हूँ!
लिंक-0
लिंक-00
लिंक-000
लिंक-1
लिंक-2
शिक्षा व्यापार
शिक्षण उगाही है
भविष्य काला .
********
नील गगन
शांत श्वेत चाँद है
भू ज्वलित सी .. .
लिंक-3
सच कहूँ मगर है बहुत प्यारी जिंदगी ...
लिंक-4
मैं अपने ही घर में कैद हूँ
मुझे अपनों से ही आजादी चाहिए
रोती बिलखती सर पटकती रही मैं
अब मेरी आवाज को एक आवाज चाहिए
जी रही हूँ कड़वे घूँट पीकर
न मेरी राह में कांटे उगाइये...
लिंक-5
लिंक-6
तुम्हारे वादे ,
तुम्हारी कसमें !
कितनी गहराई छुपी हैं न इनमें ?..
लिंक-7
समस्यायों पर पाठक का ध्यान केन्द्रित करने का
प्रयास करती डॉ अरविन्द श्रीवास्तव की कवितायें..
निगाह ए बागबान अधूरा सफ़र ज़िन्दगी का,
लाख चाहो मंज़िल नहीं आसां,
हर मोड़ पे नयी चाहत,
हर पल आँखों से ओझल कारवां,
न मैं वो जिसकी तुझे तलाश,
न तूही वो जिसकी है आस...
लिंक-9
कांटों से भरी शाख पर खिलते गुलाब को.
हमने क़ुबूल कर लिया कैसे अज़ाब को.
लिंक-10
कन्या का नामकरण
कौशल्या दशरथ कहें, रुको और महराज |
अंगराज सह वर्षिणी, ज्यों चलते रथ साज ||
राज काज का हो रहा, मित्र बड़ा नुक्सान |
चलने की आज्ञा मिले, राजन हमें विहान ||...
लिंक-11
मैं बहुत परेशान हूँ अपने देश के हालत पर,
कोई लड़ रहा भाई- भतीजा कोई जातिवाद पर..
लिंक-12
मौत कितनी आसान होती
अगर हम जिस्म के साथ दफ़न कर पाते यादों को भी...
लिंक-13
अब के सावन मेघा रे ,
जो तूँ ना आयी उनके साथ
तो मेरी प्यास तेरे आने से भी , बुझ ना पायेगी |
और किसी झरोखे से .... उ
न्हें खोजती मेरी नज़र ...
आँसुओं में भीगकर,
मायुसी में कहीं खो जायेगी...
लिंक-14
नहीं आसान इस लोक में दुर्गम मार्ग से जाना
सकरी बीथिका में कंटकों से बच पाना
पर एक लक्ष्य एक ध्येय देता संबल मुझे तुझ तक पहुँचने का...
लिंक-15
सूर्य से पहले आँखों की पुतली खोले.
पहली ही किरण से मिला कर नजरें,
इरादों के भाव तोले.
शुन्य में भी जो करोड टटोले,
उसे मिलती है, शोहरत ...
लिंक-16जो भी कारण रहा हो पर जिसे भी उर्वशी की कथा सुनायी,
उसके लिये वह नयी थी। पुस्तक पढ़ने के बाद,
पात्रों को समझने के बाद,
कथा कहना और भी सरल हो जाता है, और भी...
लिंक-17इरादा जो करोगे तुम, सफलता क़दम चूमेगी |
रोशनी चाँद-सूरज की तुम्हारें गिर्द घूमेगी ||
यत्न करना न् छोड़ो तुम भले तूफ़ान ही आयें-
कुदालें जतन की ही तो,खान हीरे की खोदेंगी ...
लिंक-18
तुम तो बावरी नदी सी हो
कभी तो होती हो शांत फूलों की पंखुड़ियों सी,
और कभी हो जाती हो चंचल,
जैसे शाम में समुद्र की लहरें...
लिंक-19
लिंक-20
अँधेरी रात की काली चादर को चीर
भोर की पहली किरण जब धरती पर आई
सारी धरती सुंदूरी रंग में रंगी नव वधु सी शरमाई...
लिंक-21
पीपल के पत्ते दिखे , लत्ते बिना शरीर ।
सुन्दरता मनभावनी, पी एम् सी के तीर ।
पी एम् सी के तीर, पीर लेकर हैं लौटे ।
कितने रांझे-हीर, यहीं पर छुपे बिलौटे । ...
आज के लिए केवल इतना ही-
नमस्ते जी!!
बढ़िया चर्चा,सुन्दर लिंक्स ......
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया शास्त्री जी.
सादर
अनु
बहुरंगी लिंक्स से सजा है चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंघूम घूम कर देखिये कोई नहीं प्रपंच
कोई नहीं प्रपंच यहाँ सब अपने लगते
जो इसमें शामिल होता
आनन्द कुछ और ही होता |
आशा
धन्यवाद मेरी शोहरत को स्थान देने के लिए..
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें मन-मोहक हैं...
बेहतरीन लिंक्स की दिलचस्प प्रस्तुति....मेरी रचना शामिल कर प्रोत्साहित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंरमजान स्पेशल के अलावा भी बड़े फलक की चर्चा है मेहनत से सजाई है आपने .शुक्रिया इतने पठनीय लिंक्स मुहैया करवाने के ली एक से बढ़के एक .बहुत बढ़िया समीक्षा उर्वशी की और कई उत्कृष्ट लिंक आपने परोसें हैं .
जवाब देंहटाएंलिंक-21
जवाब देंहटाएंम्याऊं के सर-ताज, सिंह का डॉग दौर है
रविकर कुछ ऎसा टिपिया जाता है
उसके टिपियाने के बाद पोस्ट
एक टिप्पणी और उसकी टिप्पणी
जैसे असली पोस्ट हो हो जाता है !
लिंक-20
जवाब देंहटाएंभोर की पहली किरण
बहुत खूबसूरत भोर दिखाई है
मेरी आँखे अभी भी अलसाई हैं !
रविवार को कुछ नहीं है चर्चा में ...और इतनी खास चर्चा ..सुन्दर सुन्दर लिंक्स..आभार ...
जवाब देंहटाएंलिंक-19 ...जब भगवान कृष्ण भी
जवाब देंहटाएंअपने ही परिजनों के सामने असहाय हुए..
बहुत सुंदर
आज के लिये वाकई में बहुत सटीक है
जरूरत है समाज को भी और हमारे देश के
कर्णधारों को भी इस चीज को समझने की
कि
"जरूरत है, इस विषम परिस्थिति में अधर्म रुपी आत्महत्या, हिंसा के अलावा समाधान की आवश्यकता है।"
लिंक-18
जवाब देंहटाएंबावरी सी हो तुम..
जय हो !
बावरी पगली पतंग बना के उड़ा दिया
कुछ नहीं बोलेगी करके अपने को भी
कविता के अंत में आवारा बादल दिखा दिया ।
अच्छी है !
लिंक-17
जवाब देंहटाएंकुछ मुक्तक
वाह !
ये तो अब हर जगह
ही नजर आता है
दूर जाने की
जरूरत भी नहीं है
मेरे खुद के घर से
ही ये शुरु हो जाता है
कि
"वह घर तवाह नहीं वीरान होता है |
शानीचर ही उसका निगह्वान होता है||
काना बाँट करता जो फ़र्क की तराजू से -
जिस घर का बुजुर्ग बेईमान होता है ||"
लिंक-16
जवाब देंहटाएंउर्वशी, एक परिचय
घर में एक नारी
बहुत मुश्किल से
समझ में आती है
आपने तो गजब
ही कर दिया
आपकी एक बहुत
छोटी सी पोस्ट
एक एक करके
पाँच नारियों को
समझाती है
मजे कि बात है
हमारे सम्झ में
भी आ जाती हैं
आभार !!
लिंक-15
जवाब देंहटाएंशोहरत
खूबसूरत रचना
सुंदर अभिव्यक्ति !
शून्य में करोडो़
टटोलता है
उसका पता
बहुत कम
चलता है
शोहरत उसी को
मिलती है
जो बहुत कम
बोलता है !!
लिंक-14
जवाब देंहटाएंध्येय मेरा
बहुत सुंदर भाव
साक्षात्कार हो तुझसे
है बस यही ध्येय मेरा |
शुक्रिया शास्त्री जी,आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र सजाये हैं चर्चामंच में हार्दिक आभार हरियाली तीज की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंलिंक-13
जवाब देंहटाएंअब के सावन मेघा रे ..
बहुत सुंदर !
सावन और मेघ को
हम भी डाँठ लगायेंगे
देखते हैं कैसे नहीं
इस बार वो उनको
भी लेकर आयेंगे!!
लिंक-12
जवाब देंहटाएंमौत
जिसकी किसी की याद नहीं आती
उसे क्यों याद आप दिलाती हो
हम जैसे डरपोक भी हैं यहाँ
खाली में हमें क्यों डराती हो।
वैसे अच्छी लिखी है बहुत "मौत"
लिंक-11
जवाब देंहटाएंचांदनी रात
बहुत सुंदर
परेशान बहुत से लोग हैं
इसीलिये लिख जाते हैं
परेशान इंसान उस को
पढ़ भी जाते हैं
अच्छा लिखा है बहुत
कह कर भी जाते हैं
थोड़े से इससे भी तो
कभी परेशान हो जाते हैं
चुपचाप मुँह बना ले जाते हैं !
लिंक-10
जवाब देंहटाएंभगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-9
खुद ही लिख डाला है
अब कौन कुछ कहने वाला है?
रविकर का अंदाज, लगेगा झटका कर्रा ।
बर्रा प्राकृत दर्प, बदल देगी तब ढर्रा ।।
लिंक-9
जवाब देंहटाएंरखते हैं लोग जिल्द में दिल की किताब को
बेहतरीन !
एक बात खुली
कहीं अब भी
है हिजाब
पता चली !
लिंक-8
जवाब देंहटाएंनिगाह ए बागबान अधूरा सफ़र ज़िन्दगी का
कृपया लिंक खोलें
तभी कुछ हम भी बोलें !!
लिंक अभी तक नहीं खुला
हटाएंफिर ना कहियेगा किसी ने
अभी तक इसपर कुछ नहीं बोला !!
रमज़ान का इस्तक़बाल हिंदी ब्लॉग जगत में
जवाब देंहटाएंDR. ANWER JAMAL
Blog News
दुनिया में हो शांती, आपस का विश्वास ।
महिना यह रमजान का, बड़ा मुबारक मास ।
बड़ा मुबारक मास, बधाई सबको भाई ।
भाई चारा बढे, ख़त्म होवे अधमाई ।
रविकर धर्मम चरति, धर्म में कहाँ खराबी ?
करे धर्म कल्याण, सुधारे जीवन- भावी ।
"ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंउच्चारण
नीति-नियम व्याकरण का, सबसे अधिक महत्त्व ।
बिन इसके समझे नहीं, सार तत्व सा सत्व ।
सार तत्व सा सत्व, दृष्टि सम्यक मिल जाती ।
मिट जाते सब भरम, प्रेम रसधार सुहाती ।
नीति नियम लो जान, जान के दुश्मन बन्दे ।
सुन आशिक नादान, बड़े जालिम ये फंदे ।।
लिंक-7
जवाब देंहटाएंपेश है 'राजधानी में एक उज़बेक लड़की '
की टाईटल कविता
एक से बढ़कर एक रचनाऎं!!
लिंक-6
जवाब देंहटाएंअनिश्चितता के बादल !
बहुत सुंदर !!
अमेरिका के मौसम विभाग
का साफ्टवेयर डलवा लीजिये
जब जैसा मौसम चाहे
उनके मूड में डलवा लीजिये !!
लिंक-5
जवाब देंहटाएं"ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए"
बहुत सुंदर !!
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
जो नहीं सीख पाये आप वो बात यहाँ बता गये
ये व्याकरण ही तो हमें कोई भी नहीं सिखा गये
लिंक-4
जवाब देंहटाएंमुझे आजादी चाहिए
जरूरी है सोचना भी
सवाल भी बहुत से हैं
रचना खूबसूरती से ये सवाल
उठा रही है !!
अपने घर के लोग ही
गुलाम बना रहे हैं
बहाना विलायती बहू
पर ना जाने क्यों लगा रहे हैं
कुछ तो सोचें घर वाले
एक अरब से ज्यादा
अब हो जा रहे हैं
क्या बात होगी एक का
मुकाबला भी नहीं
कर पा रहे हैं
अपनी नाकामी के झंडे
उसके सर पे जा जा
कर लगा रहे हैं।
लिंक-3
जवाब देंहटाएंकभी मीठी तो, कभी है खारी जिंदगी
वाह !
बहुत सुंदर तरीके से
शब्दों में संवारी है जिंदगी !!
माहे रमज़ान का इस्तक़बाल हिंदी ब्लॉग जगत में ,करते हुए आज चर्चा मंच ने रमज़ान का महीना है इसलिए कुछ रमजान स्पेशल- व्रत उपवास में मधुमेही क्या खाएं न खाएं.के बारे में काफी जानकारी भरे लिंक सजाये.माहे रमजान की वजह से आजकल समय का काफी अभाव हो गया है.ऑफिस में भी ५ घंटे गुजारकर चले जाते हैं.लेकिन ब्लोग्स पर रोजाना मेरा आना जाना लगा हुआ है,खास कर चर्चा मंच पर.चर्चा को जारी रखें.कुछ नए कुछ पुराने लिनक्स के साथ.सभी चर्चाकारों को शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
लिंक-2
जवाब देंहटाएंहाइकू !
बहुत गहरे हैं
डूब सकते हैं!
बहुत खूब !!
लिंक-1
जवाब देंहटाएंसत्संगति दुर्लभ संसारा .....
समय की माँग है
कुछ कोई तो
समझाये कहीँ !!
बहुत सुंदर !
लिंक-000
जवाब देंहटाएंरमजान स्पेशल- व्रत उपवास में मधुमेही क्या खाएं न खाएं.
बहुत सुंदर
रमजान का विज्ञान !
लिंक-00
जवाब देंहटाएंरमज़ान का महीना है
बहुत सुंदर प्रस्तुति
रमजान के अवसर पर !!
लिंक-0
जवाब देंहटाएंरमज़ान का इस्तक़बाल हिंदी ब्लॉग जगत में
सबको रमजान पर शुभकामनाऎ
और अंत में आभार चर्चाँमंच का
कुछ नहीं को कुछ बना देने के लिये !!!
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
कमाल - धमाल के लिंक्स
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा मंच...
:-)
बढ़िया चर्चा,सुन्दर लिंक्स ......
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने का शुक्रिया शास्त्री जी....आभार
बड़ी रंगीन चर्चा
जवाब देंहटाएंरमज़ान का इस्तक़बाल हिंदी ब्लॉग जगत में
जवाब देंहटाएंसबको रमजान पर शुभकामनाऎ
और अंत में आभार चर्चाँमंच का
रविवार के दिन इतने सारे पठनीय लिंक्स देने के लिए.
रविकर जी के काव्य ने इसे रसदार भी बना दिया है.
जवाब देंहटाएंitne sare posts.. wo bhi itne ache..acha tarika hai motivate karne ka..keep it up/
जवाब देंहटाएंपढने के लिए सुदर लिंक मिले ..
जवाब देंहटाएंआभार !!
अच्छे लिंक्स ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंइतने सारे लिंक और वह भी एक से एक बढ़ कर रचनाएँ , आप की मेहनत का फायदा हम उठा रहे हें और आपको दे रहे है दिल से धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं--
चर्चा के इस मंच पर बहुत ही सुन्दर सूत्र संजोये हैं..
जवाब देंहटाएंइतने लिंक्स हैं.. कहाँ कहाँ पढ़ा जाए
जवाब देंहटाएंसबसे अग्रणी लिंक-
जवाब देंहटाएंकहने को कुछ है नहीं, फिर भी कुछ है खास।
जोशी जी की पोस्ट में, मीठी तरल सुवास।।
बहुत अच्छा लगा अपने ब्लॉग की चर्चा यहाँ देखकर... बाकी के लिनक्स भी अछे हैं... धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंलिंक - ५
जवाब देंहटाएंनियम नीति के साथ,याद रखो व्याकरण
इसके बिना लेखनी का,न सुधरे आचरण,,,,,,
लिंक - १२
जवाब देंहटाएंमौत तो एक दिन सबकी होनी ही है
यह जानते हुए भी ,मौत से क्यों डरना,,,,,
बहुत सुन्दर चर्चा लगे है काफी पठनीय लिंक मिले ... समयचक्र को स्थान देने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
जवाब देंहटाएंमुझे यहाँ प्रस्तुत किया आपने
आभारी हूँ
सादर