नीरसता कम हो गयी, गद्-गद् हृदय अपार।
टिप्पणियाँ जो दे रहे, उनका है आभार।।
टिप्पणी करने के लिए
पोस्ट के शीर्षक के ठीक नीचे
....comments पर क्लिक कीजिए!
पोस्ट के शीर्षक के ठीक नीचे
....comments पर क्लिक कीजिए!
अब आज की चर्चा का सिलसिला शुरू कर रहा हूँ!
(०)
हरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र-
चश्मे का पड़ता फरक, दरक जाएगा चित्र ।
हरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र ।
भागे भगवा मित्र, छीन कर कागज़-कूँची ।
हालत बड़ी विचित्र, सोंच दोनों की ऊंची...
(०)
हरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र-
चश्मे का पड़ता फरक, दरक जाएगा चित्र ।
हरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र ।
भागे भगवा मित्र, छीन कर कागज़-कूँची ।
हालत बड़ी विचित्र, सोंच दोनों की ऊंची...
(००)
अक्स दर अक्स
जब गुजरे तंग गलियों से ,
शराफत याद आती है-
*पनाहे - दर - रकीबा में
हिफाजत याद आती है -
लिया सौदा...
(०००)
"बहुत कम होते हैं "
अक्स दर अक्स
जब गुजरे तंग गलियों से ,
शराफत याद आती है-
*पनाहे - दर - रकीबा में
हिफाजत याद आती है -
लिया सौदा...
(०००)
"बहुत कम होते हैं "
अपने ही बनाये
पोस्टर का दीवाना हो जाना
बिना रंग भरे भी
क्योंकि कूची अपनी..
(१)
सुरसा राक्षसी
बढ़ते चरण मंहगाई के
जीना दुश्वार कर रहे
आज है यह हाल जब
कल की खबर किसे रहे
यादें सताती है
कल के खुशनुमा दिनों की...
(२)
ख़ामोशी...बेजुबां होकर भी कितना कुछ कह जाती है...
अनेकों रंग हैं इसके भी ,
कभी नाराजगी जता जाती है ये,
तो कभी दिल में मच रही हलचल का द्योतक है ..
कभी दिल के चैन का जरुरत ये बनती है ,
तो कभी बेचैनी और और बेताबी का सबब ये है...
(३)
सर्ग-2 शिशु-शांता भाग-2 सम गोत्रीय विवाह फटा कलेजा भूप का, सुना शब्द विकलांग | राजकुमारी ठीक कर, जो चाहे सो मांग || भूपति की चिंता बढ़ी, छठी दिवस से बोझ | तनया की विकृति भला, कैसे होगी सोझ || रात-रात भर देखते, उसकी दुखती टांग | सपने में भी आ जमे, नटनी करती स्वांग... (४)
पानी गिरा कर मेह के रूप में
अन्न उगाते कभी अभिराम हैं !
शोभा दिखाते हमें अपनी जो ऐसी
फिर विद्युत रूप कभी वे ललाम हैं...!
|
(१०)
चीखती है चीखती है कब नदी कब बदलती है धार
कौन सी नाव किधर ले जाती है
माझी ही केवल जानता है नदी का बहाव...
(११)
विभांशु दिव्याल दयानंद पांडेय के सद्य: प्रकाशित कहानी संग्रह
‘फ़ेसबुक में फंसे चेहरे’ में संकलित
उनकी ताजा प्रकाशित कहानियों से गुज़रते हुए
मिश्रित प्रतिक्रिया पैदा होती है।
वह अपने परिवेश पर गहरी नज़र...
(१२)
गुड़िया के बाल का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा
कुछ लोग इसे बुढ़िया के बाल के नाम से भी जानते हैं
अर्थात इसे दोनों नामों से जाना जाता है।
क्यूंकि वो देखने में बिलकुल गुड़िया के और बुढ़िया के...
(१३)
पर्वत से चलकर आते हैं,
कलकल नाद सुनाते हैं।
बाधाओं से मत घबड़ाना,
निर्झर हमें सिखाते हैं....
(१४)
विचारों का बादल सा होता है मन में,
हम उसे एक स्थूल रूप दे देते हैं,
शब्दों के माध्यम से,
संगीत के माध्यम से,
कला के माध्यम से...
(१५)
इला जोशी एक मल्टीनेशनल में बिज़नेस मैनेजमेंट प्रोफेश्नल हैं
और स्वतंत्र लेखन और कविता करती हैं
नैतिकता के नामर्द सिपाहियों को गौर से देख लीजिए
चलती सड़क, देश के "व्यस्त शहरों" में से एक,
आस पास मौजूद पढ़े लिखे ज़िम्मेदार "नौजवानों की फौज"
और फ़िर भी नोच फेंके गए उसके शर्म, लज्जा और लिहाज के गहने.
वही गहने जो उसकी माँ ने पैदा होते ही
तन पर पहले कपडे के साथ उसे पहना दिए...
(१६)
|
मेरी पोस्ट को स्थान के लिए दिल से धन्यवाद | आज की चर्चा को बहुत खूबसूरत ढंग से सजाया है |
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर स्थापित चित्र को आकषर्क कैसे दिखाएँ
अच्छी सजी चचा में कई लिंक्स पढ़ने को मिले हैं |बहुरंगी चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
विस्तृत सुंदर लिंक्स और सुंदर प्रस्तुतिकरण ....बहुत अच्छी लगी आज की चर्चा ...आभार शास्त्री जी ..यहाँ मेरी रचना को स्थान मिला...!!
जवाब देंहटाएं@"बहुत कम होते हैं "
जवाब देंहटाएंचश्मे का पड़ता फरक, दरक जाएगा चित्र ।
हरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र ।
भागे भगवा मित्र, छीन कर कागज़-कूँची ।
हालत बड़ी विचित्र, सोंच दोनों की ऊंची ।
किन्तु संकुचित दृष्टि, दिखाए खूब करिश्मा ।
कितना भी बदरंग, बदल पाते ना चश्मा ।।
(२९)
जवाब देंहटाएंधरती-धरती चलो चिदंबरम, आसमान की छाती न फाड़ो
आइस मिलती फ्री में, चिदंबरम को रोज ।
व्हिस्की का पैसा लगे, दो हजार का भोज ।
दो हजार का भोज, गरीबी वो क्या जानें ।
आइसक्रीम का रेट, प्रेस में खूब बखाने ।
पानी बोतल अगर, गरीबी पी पंद्रह में ।
राशन कैसे आय, बताओ फिर सत्तरह में ??
लिंक न० - २९
हटाएंअपने हाथों कर रहे, अपना भंडा फोड
सफाई देते फिर रहे, लगीहै सबमे होड,,,,,,
(२४)
जवाब देंहटाएंकबीरा खडा़ बाज़ार में
राजनीति सिर्फ अ -नीति है
वंश-वाद |
सब बर्बाद-
एक आध मिले साधु-
बाकि व्याधि और विवादु ||
(८)
जवाब देंहटाएंजरूरी तो नहीं मानसून की आहटों से
सबके शहर का मौसम गुलाबी हो
पूरब में अब बाढ़ ने , ढाया कहर अजीब |
वर्षा रानी से हुआ, ज्यादा त्रस्त गरीब |
पश्चिम में सावन घटा , ठीक ठाक संतोष |
कवि हृदयों में है बढ़ा, ज्यादा जोश-खरोश ||
मेरे यहाँ अथाह जल, जल ना दिल्ली वीर |
दिल ही की तो है कही, तेरी मेरी पीर ||
(१३)
जवाब देंहटाएं"कलकल नाद सुनाते हैं"
निर्झर झरने गिर रहे, नीचे नीचे नीच ।
फिर भी निर्मल कर रहे, सब कुछ आँखें मीच ।
सब कुछ आँखें मीच, सींचते हैं जीवन को ।
जाते सबके बीच, खींच मन-कलुष मगन हो ।
बाँध अगर शैतान, रास्ता रोके उसका ।
ऊर्जा करे प्रदान, तनिक रो-के फिर मुस्का ।।
लिंक न०- १३
हटाएंनिर्झर राग सुना रहे, ये सुन्दर सा चित्र
बाधाओं से मत घबराओ, बता रहेहै मित्र,,,,,,,
(३२)
जवाब देंहटाएंमौन और मौन !
रेखा श्रीवास्तव at hindigen
मौन रहे निर्दोष गर, दोष सिद्ध कहलाय ।
अपराधी खुब जोर से, झूठे शोर मचाय ।
झूठे शोर मचाय, सुने जो हल्ला गुल्ला ।
मौन मान संकेत, फैसला देता मुल्ला ।
पर काजी की पहल, शर्तिया करे फैसला ।
मौन तोड़ ऐ सत्य, तोड़ मत कभी हौसला ।।
'उन्मना' से मेरी माँ की रचना के चयन के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद शास्त्री जी ! सभी लिंक्स बहुत मनमोहक हैं ! साभार !
जवाब देंहटाएं1.(३३)पूरन भगत
जवाब देंहटाएंइछरा लूणा पूरन भगत की कहानी
एक राजा की दो दो थी रानी
लीजिये प्रस्तुत है नवज्योज की जुबानी
बहुत अच्छी है कहानी !
2.(३२) मौन और मौन !
जवाब देंहटाएंमौन है और बहुत कुछ कह गया है !
3.(३१)क्या आप मानते है कि ?
जवाब देंहटाएंइंसान हो लिया जाए
बस इंसान होने के लिए .
जी हम मानते हैं और कोशिश भी करते हैं
पर कितना हो पाते हैं इंसान भगवान जानते हैं
इंसान जानते हैं या नहीं ये पता नहीं ।
4. (३०)औरत पर गीत...(अली शोएब सैय्यद)
जवाब देंहटाएंसच है और जरूरत है
उसके सम्भलने की
और मोम की गुडि़या
को फौलाद में बदलने की!
5. (२९)धरती-धरती चलो चिदंबरम, आसमान की छाती न फाड़ो
जवाब देंहटाएंआँखे बंद है आसमान फाड़ने वालो की
जमीन में चलने वाले भी सो रहे हैं
राम राज्य इसी को कहते हैं होंगे
मौन रख लिया सब गूँगे हो रहे हैं।
सार्थक विश्लेषण!
6. (२८)
जवाब देंहटाएंभारतीय शिक्षा पद्धति, यहां की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत
मैकाले जानता था और इसी लिये उसने भारत की रीढ़ उसकी शिक्षा पद्यति पर वार किया और उसे हम आज भी ढो रहे हैं बार बार खुद ही तोड़ रहे हैं ।
7. (27)तू बरसता जा.
जवाब देंहटाएंभरता जा नमी तू भीतर,
अंदर गुब्बार तू बनता जा,
खूबसूरत अहसास !
8.(२६) टिप्स हिंदी में
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ है सीखने के लिये इस ब्लाग में ।
9. (२५)राम-राम भाई
जवाब देंहटाएंवीरू भाई आज बहुत ही
काम की चीज लाये हैं
सौन्दर्य की बाते हैं
इसलिये श्रीमति जी
को हम दे आये हैं ।
10. (२४)कबीरा खडा़ बाज़ार में
जवाब देंहटाएंअनीति बनती जा रही है जितनी
उतनी प्रीति भी बढ़ रही है राजनीति से ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं(२६)
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
ब्लोगिंग स्कुल है ये ब्लॉग ''टिप्स हिंदी में '' जहाँ पर हिंदी ब्लोगर्स के लिए जानकारियों का खज़ाना है.इतना ज्ञान यहाँ पर मिल जायेगा ,की एक नया ब्लोगर अपनी ब्लॉग को काफी बेहतरीन बना सकता है.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
11. (२३)मधुर गुंजन सत्य का तेज
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव
सत्य को आवरण में
डाल भी दो तब भी
अनावृत हो जाता है
सत्य का तेज
कहाँ सहा जाता है !!
आज की चर्चा को काफी अच्छे लिनक्स के साथ सजाया गया है.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की चर्चा को यूँ ही सजाते रहना ,
कभी अलविदा ना कहना ,कभी अलविदा ना कहना.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
12 (२२)" जीवन की आपाधापी "
जवाब देंहटाएंअंधे को अब नहीं
चाहिये दो आँखें
वो करना चाहता है
सब की आँखें भी बंद
और सब कहना
मान ले रहे हैं
बहुत आसानी से ।
13. (२१)पुरुष आये मंगल से तो स्त्री कौन से देश से आई..
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति !!
14.
जवाब देंहटाएंलिंक 20 का लिंक नहीं मिल रहा है ।
भूल हो गयी थी!
हटाएंअब सुधार कर दिया है।
याद दिलाने के लिए आपका आभार!
धन्यवाद !
हटाएं20.
बहुत सटीक व्यंग !
15.(१९)आम्रपाली…
जवाब देंहटाएंजरूर आयेगी वो अगली बार आम के नये बाग में !
16. (18)हम प्रतिदिन जहर पी रहे हैं तो प्रेम कहाँ से उपजेगा?
जवाब देंहटाएंशिव भी तो नहीं आता अब
जो पीले जहर के प्याले
और हो जाये नीला खुद
बहुत सुंदर प्रस्तुति !
17.(१७)एक कली...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !!
कली को खिलना
भी तो पड़ता है
आज नहीं तो कल
एक फूल बनना
भी पड़ता है
नई कली के आने
के लिये खाली
करनी ही पड़ती
है डाल !
18. (१६)स्वाति मेरे इस जग से
जवाब देंहटाएंसुंदर भावनाऎं !!
क्या गजब
कर लेती है
चुपके से
छू लेती है
शब्दों को।
19.तुम बहुत दिनों तक बनी दीप कुटिया की...
जवाब देंहटाएंमरी आत्माऎं जागती नहीं है !
20.(१४)विचारों के बादल
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
हमारे पास जो ऊपर की मंजिल में खाली स्थान है वहाँ आ जाते हैं कभी कभी उधार के विचार पर वो बादल नहीं होते लोटा भर होते हैं बस छिड़कने के लायक !!!!
21. (१३)"कलकल नाद सुनाते हैं"
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना का झरना कल कल बह रहा है ।
22.(१२)गुड़िया के बाल उर्फ केंडी फ्लॉस
जवाब देंहटाएंवाह!!
बचपन याद आ गया
मुँह में पानी ला गया ।
23. (११)कु-व्यवस्था तंत्र में फंसे आदमी की छटपटाहट
जवाब देंहटाएंउम्दा समीक्षा !
24.(१०)उदयभान मिश्र की कविताएँ
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
25.(९)पानी गिरा कर मेह के रूप में
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव !
26..(८)जरूरी तो नहीं मानसून की आहटों से सबके शहर का मौसम गुलाबी हो
जवाब देंहटाएंमानसून कष्टकारी भी हो जाता है
जब भी बर्बादी अपने साथ ले आता है ।
27. (७)भुवन की मैं हूँ नीली सी धरा ....
जवाब देंहटाएंरंग दो मुझे इस सावन हरा ...
पंच तत्व से बनी ...
भुवन की मैं हूँ नीली सी धरा ..
सुंदर भावनाऎं !
28.(६)गुवाहाटी की उस लड़की के नाम :
जवाब देंहटाएंब्रह्मपुत्र आज सिसक सिसक कर रो रही है !!!
सार्थक लेख के साथ सार्थक बहस जो जारी है !!
29.(५)ब्लॉगर ने दिया नेवबार छुपाने के विकल्प
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे !!
छुपाना बहुत कुछ है
कहाँ तक छुपायेंगे ?
30.(४)सदा खिलाना गुल नया, नया कजिन मुसकाय
जवाब देंहटाएंये लो अब ये भी कर लिया
लाल में नीला भर लिया ।
लिंक न० - ४
हटाएंपकाना खिलाना छोड़कर,शुरू किया ये काम,
मिलना जुलना कुछ नही,कमा रहे हो नाम,,,,,,
लिंक न०- १
जवाब देंहटाएंकही अजीरण हो रहा, कही सताए भूख
चिंतन करना चाहिए, कहाँ हो रही चूक,,,,,,
31.(३)भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-8
जवाब देंहटाएंगजब की रविकर ने रच डाली
पढि़ये जरूर वो दोहावली ।
32. (2) बहुत ही खामोश है ये खामोशी !
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव !
33. (१)बढ़ते चरण महगाई के
जवाब देंहटाएंमहंगाई पर सटीक अभिव्यक्ति !
34. (००)
जवाब देंहटाएंअक्स दर अक्स
गजब का लिखते हैं
उदय वीर जी !!!
35. (०)
जवाब देंहटाएंहरे रंग का है अगर, भागे भगवा मित्र-
रविकर को बस पढ़
उस पर कुछ ना लिख
नहीं तो फिर शुरू हो जायेगा
कुछ ना कुछ कहीं भी लिख आयेगा ।
36,
जवाब देंहटाएंऔर अंत में
चर्चामंच 941 के
चर्चाकार मयंक जी का
तहे दिल से आभार
36 सुंदर लिंक्स तक
पहुँचाने के लिये आज ।
लिंक - न० १४
जवाब देंहटाएंविचारों के बादल जब मन में आ जाते है,
सृजनशीलता से लिखकर,मन की खुशिया पा जाते है,,,,,,,,
सुसील जी पोस्ट -न० ०००
जवाब देंहटाएंबना रहे है पोस्टर, बिना भरे ही रंग
बिन चश्मे के देखते,लगते है बदरंग,,,,,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण...ढेर सारे लिंक्स...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!
टिप्पणी के लिए आभार !!