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शनिवार, जुलाई 21, 2012

"मंजर बदल गए .." (चर्चा मंच-९४७)

अरे वाह...!
इतनी जल्दी शनिवार आ गया!
अब शनीचर आ ही गया है 
तो देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक!
सबसे पहले शुक्रिया अदा करता हूँ,
निम्न टिप्पणीपुरोधाओं का
जिन्होंने कल शुक्रवार को
सर्वाधिक टिपियाया था "चर्चा मंच" को!
डॉ. सुशील जोशी


अब शुरू करता हूँ चर्चा के सिलसिले को-
(०)
जलें दीप , 
उत्सव मनाएं बार , 
अब तो दुआओं में, कसीना है , 
थे दुश्मन के , 
इंतजामात कभी 
अब खुशहाली का नगीना हैं..
(०१)

तेरे जहान में बेफल शजर नहीं मिलता

बस एक अश्क है जिसका समर नहीं मिलता..
(०२)
यह विषय था इस बार शब्दों की चाक पर ...
इस विषय पर लिखी है हास्य व्यंग कविता .
पढ़ कर बताये की कैसा लगा यह प्रयास...
(०३)
अनवरत बहते हैं इन आखों से ये आंसू 
फिर भी तेरी एक मुस्कान मुझसे ,
मेरी ही जिंदगी की खाहिश किये जाती हैं ,
मुझे कहे जाती हैं ।
अनु !
मेरी अनु !
तुम मेरे लिएजी लो....
(०४)
नहीं मिलता यहाँ पर, अब हुनर तालीमख़ानों में। 
पढ़ाई बिक रही अब तो, धड़ल्ले से दुकानों में।। 
कहें हम दास्तां किससे, सुनेगा कौन जनता की?
दबी आवाज तूती की, यहाँ नक्कारखानों में...
(०५)
कार्तिक सुदी दशमी को नन्दबाबा ने एकादशी व्रत किया 
द्वादशी मे व्रत का पारण करने हेतु पहर रहते यमुना मे प्रवेश किया 
वरुण देवता के दूत पकड कर ले गये 
इधर सुबह हुयी तो नन्दबाबा ना कहीं मिले 
सारे मे हा-हाकार मच गया...
(०६)
१. मेघ गरजा 
टिप टिप बरसा 
मन हरषा| 
२. पानी बरसा 
सोंधी खुशबू उड़ी 
धरती धुली|...
(०७)
सिलवट पर पिसता रहा, याद वाद रस प्रेम । 
ऐ लोढ़े तू रूठ के, भाँड़ रहा है गेम...
(०८)
पिछले आलेख के साथ वादा था कि गज़ल पूरी सुनाऊंगा 
तो पढ़िये पूरी…और हाँ. मेरी आवाज में सुनना हो तो कमेंट करो..
अगली पोस्ट में गा कर सुनायेंगे एक अलग अंदाज में..
(०९)
*डिवोर्स* 
सपनों का घरौंदा 
चांद, तारे, शबनम, कुहरा... 
सब का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा 
जोड़ कर बनता है एक पूरा आसमां 
और कभी किसी रात के 
सन्नाटे में बिखर जाता है चाँद...
(१०)
द लास्ट माईल 
मेरे जिस्म के पिंजर से एक रोज़, 
उड़ जाएगा मेरी रूह का पंछी! 
जब होगा मुझे विसाल-ए-यार! 
मौला! क्या वो मंज़र होगा! 
जब मौत की आग़ोश में सोऊंगा, 
गेसूओं में ऊँगली पिरोऊंगा! 
जब मिलेगा मुझसे मेरा यार,...
(११)
किसी बुलबुल का अपने ही गीतों को मानो भूल जाना 

किसी घायल चिरइया का अपने बचे हुए पंख गिनना 

प्यासे राही का मरीचिका के भ्रम में छाले कमाना ..
(१२)
इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेंगे 
उस सबसे बड़े शिक्षक के बारे में 
जिसने इस अस्त होते भारत को 
एक नयी ज्योति दिखाई और भारत को 
अपने ज्ञान के सहारे उस मुकाम तक ले गया 
जहाँ उसे सोने की चिड़िया का दर्जा दिया गया...
(१३)
आज हमारा समाज हर तरह से तरक्की की राह पर है। 
अगर हम तुलना करें तो, पहले से बेहतर, 
शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधायें आम जनों को उपलब्ध होने लगी है। 
लेकिन हम उतने ही संवेदनहीन होते जा रहे हैं। 
आखिर इसका क्या कारण है? 
कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जब कहीं ना कहीं 
किसी ना किसी मासूम या गरीब की इज्जत से खिलवाड़ किया जाता है 
और हम चुपचाप एक तमाशाई की तरह देखते रहते हैं...
(१४)
शायद हमारा प्रेम ईश्वर ने अपनी कलम से लिखा है 
तभी तो ये है उसी की तरह पावन, उसी की तरह कोमल...
और भावनाएँ भी इस तरह अश्रु के रूप में झरती हैं 
मानों प्रभु खुद अपने भक्त के लिए रो रहा हो...
(१५)
अब अगर उल्टी आती है 
तो कैसे कहें उससे कम आ 
पूरा मत निकाल थोड़ा सा छोटे छोटे हिस्सों में ला 
पूरा निकाल के लाने का कोई जी ओ आया है क्या  ...
यही सदियों से होता है
यही सदियों तलक होगा
कि परवाना तड़पता है
शमा का दिल भी जलता है...
(१७)
सुर है लेकिन ताल नहीं है बाबाजी 
पॉकेट है पर माल नहीं है बाबाजी 
क्योंकर कोई चूमे हमको सावन में 
अपने चिकने गाल नहीं है बाबाजी...
(१८)
(१९)

उम्मीदों का कोना

My Photo
लहू से लथपथ,  उम्मीदों का कोना है,

कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है...
(२०)
"लेखन एक अनवरत यात्रा है - 
जिसका न कोई अंत है न मंजिल ", और यह सच भी है। 
निरंतर अपने भावों को कलम बद्ध करना ही 
इस यात्रा की नियति होती है।...
(२१)
ताक रहे फिर रोम, सकल कुल नेहरु गाँधी
करे खुदाई कुछ नहीं, खड़े देवगण व्योम । 
एक बार दिल्ली तकें, ताक रहे फिर रोम । 
ताक रहे फिर रोम, सकल कुल नेहरु गाँधी । 
ब्रह्मलोक हथियाय, नियन्ता-मेधा बाँधी...
(२२)
सत्यमेव जयते आज की तारीख में यह एक बहू चर्चित कार्यक्रम है। 
जिसमें दिखाये जाने वाले सभी विषय हमारे समाज के लिए कोई नये नहीं है...
जब भी मिलता है बड़े तपाक से मिलता है ...
(२४)
बस चंद पल और यहाँ
फिर डेरा डंडा
समेटना होगा
फूल जो उगा है मस्ती में
शाम होते ही उसे
झर जाना होगा..
(२५)
My Photo
बहुत कुछ छुपाना चाहा है, ज़िदगी के पन्नों में, 
पर छिपता नहीं, बात अपने हिसाब की, किताब की है, 
उधार लिया भी अपनों से , उधार दिया भी अपनों ने...
(२६)
इस बार झूम कर आया है....ये सावन.......!!!

ये बारिश से भीगा मौसम... 
और तुम्हारे प्यार से भीगा मेरा मन...... 
इस बार झूम कर आया है....ये सावन....... 
कुछ मैंने की थी ख्वाइश, 
कुछ बूंदों ने की हैं साजिश.......
-0-0-0-
आज के लिए केवल इतना ही।

कल फिर मिलूँगा कुछ लिंकों के साथ।

58 टिप्‍पणियां:

  1. अब शायद प्रत्युत्तर का विकल्प आ गया होगा!

    जवाब देंहटाएं
  2. इस बार झूम कर आया है....ये सावन.......!!!

    सुंदर प्रस्तुति :

    मन तो उसके प्यार में भीग रहा है
    सावन अपना बीच में झूम रहा है !!

    जवाब देंहटाएं
  3. (२५)
    सूद.....!
    उम्दा ऱचना :

    जिंदगी
    हिसाब किताब
    मूल सूद
    सब छिप गया
    क्या स्विस बैंक
    यहाँ भी खुल गया?

    जवाब देंहटाएं
  4. बस चंद पल और यहाँ
    बहुत सुंदर रचना :
    बायोटेक्नोलोजी वालों को समझाना होगा
    एक बीज ऎसा ही बनवाना होगा

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन लिंक्स ...
    हल्का -फुल्का लुक अच्छा लग रहा है !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति :
    दूर रह कर भी चोट कर जाते है
    गले मिल कर मल्हम लगाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  7. (२२)
    सत्यमेव जयते

    एक सार्थक और उम्दा आलेख :

    थोड़ा बदलाव तो आया है
    कोई तो बात को उठाया है
    इंसान है इंसानियत भी है
    ले चलें कारवाँ उस दिशा
    नया सवेरा सुना है
    कहीं एक घ्रर बनाया है ।

    जवाब देंहटाएं
  8. (२१)
    ताक रहे फिर रोम, सकल कुल नेहरु गाँधी

    नजर पड़ते ही जड़ देता है
    रविकर देता है तो खींच कर देता है !!

    जवाब देंहटाएं
  9. (२०)
    एक अनवरत यात्रा.
    सुंदर लेखन !!

    जिंदगी के रंग ही रंग है
    पता चलता है कब कहाँ
    कौन सा रंग कब तक रंग है
    और होता कब वो बेरंग है !!!

    जवाब देंहटाएं
  10. (१९)
    उम्मीदों का कोना
    बहुत खूब !!
    सोना रोना धोना खोना चलता रहता है
    संजोना इनमें सब से अच्छा रहता है

    जवाब देंहटाएं
  11. (१८)
    ऐसे नबंरो पर कॉल ना करे..
    पढ़ें और शेयर जरूरी.....सुगना फाऊंडेशन
    अच्छी जानकारी !
    जिसके पास है उसको बता देंगे !!
    अच्छा है अपुन के पास फोन ही नहीं है !

    जवाब देंहटाएं
  12. (१७)
    जिनके सर पर बाल नहीं है बाबाजी

    बहुत सुंदर है रंग जमाया
    होली का नहीं बबाल बाबा जी !!

    जवाब देंहटाएं
  13. (१६)
    यही सदियों तलक होगा
    शायद नहीं बिल्कुल
    पसंद आयी है
    नज्म बहुत ही
    उम्दा बनाई है !

    जवाब देंहटाएं
  14. (१५)
    "मान भी जाया कर इतना मत पकाया कर "
    कहाँ सुनता है पकाता जाता है
    किसी ने खा लिया तो ठीक
    नहीं तो खुद ही खाता जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  15. (१४)
    हमारा प्रेम ईश्वरीय है...!
    बहुत सुंदर !

    महसूस करने की ही तो बात होती है
    ईश्वर की दी हुई हर चीज ईश्वरीय होती है !!

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुन्दर लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. क्या खूब चर्चा है, अपना भी पर्चा है.
    बेहतरीन रचना, मेरा पोस्ट शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  18. आज तो काफी रंग बिरंगे लिनक्स चर्चा मंच की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं.
    कुछ धार्मिक ,और कुछ मौसम की हलकी हलकी खुशबु लुटा रहे हैं.
    मयंक जी का प्रयास आज भी कुछ रंग लाया ,
    देश से हो या विदेश से हर कोई चर्चा मंच पर आया.



    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  20. मेरी"ऐसे नबंरो पर कॉल ना करे..
    पढ़ें और शेयर जरूरी.....सुगना फाऊंडेशन " पोस्ट शामिल करने के लिए शुक्रिया ...श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्रीजी

    जवाब देंहटाएं
  21. विभिन्नता लिये सुंदर लिंक्स, आभार मुझे शामिल करने के लिये...

    जवाब देंहटाएं
  22. सार्थक सुंदर लिंक्स...हाइकु वाली वर्षा शामिल करने के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  23. "मान भी जाया कर इतना मत पकाया कर "
    सुशील
    "उल्लूक टाईम्स "

    लम्बे लम्बे फेंकते, लम्बी लम्बी भाँज ।
    आज उन्हीं को खल गई, शिकायती अंदाज ।

    शिकायती अंदाज, करे सब वायदे लम्बे ।
    बिजली गुल हो जाय, दीखते लम्बे खम्बे ।

    मलिका लम्बी भली, खले पर कविता लम्बी।
    लम्बे से बीमार, खाइए छिली मुसम्बी ।।

    जवाब देंहटाएं
  24. (१३)
    संवेदनहीन पुलिस और हमारा समाज


    सहमत हैं ||

    जवाब देंहटाएं
  25. 'ग़ज़लों के खिलते गुलाब' की महक यहाँ तक लाने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  26. सुंदर लिंक्स का संयोजन ..
    अच्छी चर्चा ...
    साभार !!

    जवाब देंहटाएं
  27. (०)
    माहे रमजान मुबारक

    दुनिया में हो शांती, आपस का विश्वास ।
    महिना यह रमजान का, बड़ा मुबारक मास ।

    बड़ा मुबारक मास, बधाई सबको भाई ।
    भाई चारा बढे, ख़त्म होवे अधमाई ।

    रविकर धर्मम चरति, धर्म में कहाँ खराबी ?
    करे धर्म कल्याण, सुधारे जीवन- भावी ।

    जवाब देंहटाएं
  28. लिंक - २६


    रिमझिम बारिश ऐसी आई, भीगा मोरा मन
    ऐसेमें तोरी याद सतावे ,झूमके आया सावन,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  29. लिंक - १९


    सच कहना है इनका,बस है यह अनमोल खजाना
    जीवन की हर खुशियाँ तज कर,यह दौलत है पाना,,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  30. लिंक न० - २२


    आज हमारे देश में, मुददा बना व्यापार
    आमिर कोशिश कर रहे, हो जाये सुधार,,,,

    जवाब देंहटाएं
  31. लिंक न० - २३


    बेदर्दी यह दर्द नहीं सबको,ऐसे मिला जाता
    प्यार करोगे तब जानोगे,कैसे है यह आता,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  32. बहुत ही सुन्दर लिंक्स आज सुबह से कई बार कोशिश की चर्चा मंच ठीक से खुल ही नहीं रहा था अभी खुला तो देख रही हूँ अब सबके ब्लोग्स पर जाऊँगी आपका हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  33. सवेरे आधा टिपियाये थे
    14 लिंकों में होकर आयए थे
    शाम को बचा काम पूरा करके जायेंगें
    बचे हुऎ लिंक में जाकर किसी का भेजा खायेंगे
    कुछ ना कुछ लिख के आयेंगें
    चर्चा का परचम लहरायेंगे !!


    (१३)
    संवेदनहीन पुलिस और हमारा समाज
    समाज संवेदन हीन हुआ है
    इसलिये तो ये सब हुआ है
    हर शाख पर उल्लू बैठा है
    इधर वाला उधर को देखा है !

    जवाब देंहटाएं
  34. बहुत ही खुबसूरत लिनक्स दिए है आपने....मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  35. (१२)
    परिचय बुद्ध की शिक्षा से
    सुंदर आलेख !
    बुद्ध को समझने के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  36. सुन्दर चर्चा सजा के, सारे चर्चाकार |
    पात्र सजा के सिद्ध हों, ऐसा धूर्त विचार |

    ऐसा धूर्त विचार, अगर मानस में आये |
    एक "वाद" का भूत, अगर सिर चढ़े नचावे |

    दे हमको तू बख्स, झड़ा ले अपना माथा |
    चुनते रचना श्रेष्ठ, उसी की गाते गाथा ||

    जवाब देंहटाएं
  37. (११)
    अपने आप में खुद को खोजना

    सुंदर !
    अपने आप को खोजने
    अपने में ही तो जाना है
    पढ़ के लगा एसा जैसे
    भूलभुलैया में जाकर
    तो नहीं भटक जाना है !!

    जवाब देंहटाएं
  38. (१०)
    इन लव विद......... डैथ!!!
    कैमिस्ट्री जब दिखाई दी
    ब्लाग शुरू होते ही
    देखते ही पता चल गया
    नीचे लिखा हुआ जरूर
    कोई जलजला होगा
    प्यार की कैमिस्ट्री
    वाकई गजब की है
    लिखने वाला मेरे
    हिसाब से कैमिस्ट्री
    से कहीं ना कहीं
    जुड़ा होगा !!!

    जवाब देंहटाएं
  39. (०९)
    दो कवितायें
    *डिवोर्स*
    सुंदर रचनाऎं !!

    जवाब देंहटाएं
  40. ०८)
    वो वाली गज़ल..
    इंसान के भीतर भी इक इंसान होना चाहिये.

    बहुत खूबसूरत रचना :
    अब जो रहा नहीं भीतर
    वह होना चाहिये ही तो
    हो जाता वहाँ है
    मजे की बात है नहीं
    क्या जिसको जहाँ होना
    चाहिये वो अब वहाँ
    जाता कहाँ है!!!

    जवाब देंहटाएं
  41. (०७)
    ऐ लोढ़े तू रूठ के, भाँड़ रहा है गेम

    रविकर के हाथ लग गया
    किसी जिन्न का चराग
    घिसता चला जा रहा है
    पैन लगता है लिखती
    जा रही है उसके लिये
    सब कुछ अपने आप !!

    जवाब देंहटाएं
  42. (०६)
    हाइकु में उतरी वर्षा रानी

    मन हर्षा
    हाईकू की
    देख कर वर्षा!!

    जवाब देंहटाएं
  43. (०४)
    "सियासत ख़ानदानों में"

    एक ही बहुत वजनदार है सबसे :
    वाह !!
    पढ़े लिक्खों के सिर पर, कौन अब दस्तार बाँधेगा?
    सियासत जब सिमट कर, रह गयी हो ख़ानदानों में।

    जवाब देंहटाएं
  44. (०३)
    मेरे माधव !
    इस रूह से इन लबो पे तुम खिला करते हो..

    सुंदर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  45. (०२)
    परिवर्तन का बोझ
    सुंदर है !
    आँख में
    मोती या
    जो है !

    जवाब देंहटाएं
  46. (०१)
    तेरे जहान में बेफल शजर नहीं मिलता

    वाह !

    जवाब देंहटाएं
  47. (०)
    माहे रमजान मुबारक
    अच्छा तो मोहब्बतनामा यहाँ है
    मैं सोच ही रहा था दिख नहीं रहा है
    पता नहीं आज छुपा कहाँ है !!
    मुबारक !

    जवाब देंहटाएं
  48. (००)
    मंजर बदल गए ..
    उदय‌वीर जी जो भी लाते हैं
    बेहतरीन लाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  49. संख्या बल का खेल है,गुणवता का बस नाम
    जितना अधिक टिप्पियाईये, मिले उसे इनाम,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  50. सभी लिंक्स तो अभी नहीं पढ़ पाई हूँ लेकिन जितने भी पढ़े सभी बहुत अच्छे और उम्दा हैं
    आदरणीय शास्त्री जी इतने सुंदर लिंक्स के साथ मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये धन्यवाद !!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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