मंगलवारीय चर्चा में राजेश कुमारी का आप सब को नमस्कार ,सुप्रभात,गुड मार्निंग
आपका दिन मंगलमय हो |
(आज का विचार) आज कल लड़कियों का अनुपात इतना तेजी से घटता जा रहा है कि आने वाले समय में लड़की वाले नहीं लड़के वाले दहेज़ देंगे
अब चलते हैं आप के प्यारे-प्यारे ब्लोग्स पर
अब चलते हैं आप के प्यारे-प्यारे ब्लोग्स पर
--------------------------------------------------
मौन का जंगल - सफर के
समयचक्र
समयचक्र
प्रणय के स्रोत का अनवरत कल-कल - *प्रणय के स्रोत का
गज़ल - आजकल जी. मेल मे पता नही क्या
कैसे बचा जाए मधुमेह में नर्व डेमेज से - कैसे बचा
मनोहर लतिका ( सेदोका) - *डॉ**0 मिथिलेश दीक्षित
मेरे अरमान.. मेरे सपने..
मेरे अरमान.. मेरे सपने..
एक शाम गंगा के नाम - बहुत
लम्हों का सफ़र
लम्हों का सफ़र
हरियाली तीज - हरियाली तीज 1. शिव-सा
posted by Anita at डायरी के पन्नों से -
posted by उदय - uday atकडुवा सच ...
posted by Mridula Harshvardhan at अभिव्यक्ति
posted by डा. श्याम गुप्त at भारतीय नारी
posted by sunil deepak at Chayachitrakar - छायाचित्रका
posted by रवीन्द्र प्रभात at वटवृक्ष -और अब अंत में मेरे ब्लॉग पर भी टहल आइये
posted by Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN
इसी के साथ ही आप सब से विदा लेती हूँ फिर मिलूंगी अगले मंगलवार इसी जगह बाय बाय आपका दिन शुभ हो
------------------------------------------
बहत सुन्दर चर्चा!
ReplyDeleteब्रॉडबैण्ड नहीं चल रहा है 2 दिन से!
स्लो कनेक्शन से नेट रो-रोकर चल रहा है।
बहुत सुंदर चर्चा ...
ReplyDeleteआभार..
राज कुमारी जी आपने सही कहा है लडकियों की घटती संख्या चिंता का विषय है |पर आज भी समाज में कितने लोग हैं जो कन्याओं का महत्त्व समझते हैं |
ReplyDeleteबहुरंगी लिंक्स का चुनाव बहुत कुशलता से किया है आपने बधाई |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बढ़िया लिंक्स मेहनत करके सजाये आपने उत्कृष्ट रचनाएं ,प्रासंगिक रचनाएं पढवा दीं आपने .सेहत को भी तवज्जो दी आपने शुक्रिया .
ReplyDeleteatisundar ...
ReplyDeletejay ho ! vijay ho !!
ReplyDeleteबहुत आकर्षक चर्चामंच सजाया है राजेश कुमारी जी ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित किया आभारी हूँ ! नागपंचमी की आपको व सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDelete1 दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
एक तरफ कुछ कुछ
दूसरी तरफ भी कुछ बहुत कुछ !!
एक तरफ दुनिया भली, भलटी रविकर ओर।
Deleteभलमनसाहत गैर हित, मुझको मार-मरोर ।।
बरस रहे हैं जमकर बादल, धरा हुई है मतवाली।
ReplyDeleteशुरू हुए रमजान मुकद्दस, आई तीजो हरियाली।।
lajawab charcha.
2.Safarnaamaa... सफ़रनामा...
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
मिल भी लीजिये
नहीं मरेंगे खुशी से
हम रखेंगे खयाल आपका
कैसे रहेंगे दूर जिंदगी से !
बहुत बहुत आभार है, नहीं हमसफ़र आप ।
Deleteसाथ अगर मिलता कहीं, रस्ता लेता नाप ।।
3.अमन का पैग़ाम
ReplyDeleteमानसिक विकृतियों का नाम आजादी हरगिज़ नहीं हो सकता |
बहुत सुंदर लेख !
महसूस होती है विकृति
कभी कभी पूरे ही समाज में
इलाज केवल एक का कर के
क्या ठीक हो जायेगी !
पोर्नोग्राफी विकृती, बड़ा घिनौना कर्म ।
Deleteस्वाभाविक जो कुदरती, कैसे सेक्स अधर्म ?
कैसे सेक्स अधर्म, मानसिक विकृत रोगी ।
होकर के बेशर्म, अनधिकृत बरबस भोगी ।
नर-नारी यह पाप, जबरदस्ती का सौदा ।
शादी सम्मति बिना, जहाँ मन-माफिक रौंदा ।।
4.Kashish - My Poetry
ReplyDeleteशब्द क्यों गुम हो गये
शब्द निकल तो रहें हैं
खूबसूरत से बहुत
कहाँ गुम हुऎ हैं
इतना कुछ कह गये आप
फिर ऎसा कैसे कह रहे हैं!!!
5. नीम-निम्बौरी
ReplyDeleteकरो हिफाजत आप, शाप जीवन पर तेरे -रविकर -
अंधेरगर्दी चौपट राजा !!
अपनी अपनी हिफाजत में लगे है सरकारी लोग
देख देख कर मस्त हैं बचे हुवे बाकी लोग
अंधेर गर्दी की हो गयी है चारों ओर मौज
महिला आयोग भी कर रहा यात्रा का उपयोग
गोहाटी जा कर कुछ दिन पहले ही आया है
इस बार पटना से निमंत्रण उसने बनवाया है !!
6. रूप-अरूप
ReplyDeleteमौन का जंगल - सफर के
वाह !
बहुत सुंदर !!
पहले खुशियों की
कस्तूरी बनायेंगी
फिर तुमको मृग बना
उसे ढूँढने में
लगायेंगी !!
7. समयचक्र
ReplyDeleteरामचरितमानस से : कुसंग/ कुसंगति के बारे
कुसंगति से हानि मानस की कहानी है
बहुत सुंदर है जुबानी जुबानी है
कर्णधार देश के कहाँ मानते इसको
जिसको कुसंगति से सरकार चलानी है!!
तुम्हें ढूंढने के क्रम में ...
ReplyDeleteसदा
SADA
बड़े पुन्य का कार्य है, संस्कार आभार ।
तपे जेठ दोपहर की, मचता हाहाकार ।
मचता हाहाकार, पेड़-पौधे कुम्हलाये ।
जीव जंतु जब हार, बिना जल प्राण गँवाए ।
हे मूरत तू धन्य , कटोरी जल से भरती ।
दो मुट्ठी भर कनक , हमारी विपदा हरती ।।
8.Sudhinama
ReplyDeleteजाग जाओ
बहुत सुंदर !!
जरूरत अब इसी आह्वाहन की है
जागना ही है तुझे अब सोच ले
राम बन मौत पक्की रावण की है !!
बहुत सुंदर चर्चा ...
ReplyDeleteआभार..
9.Akanksha
ReplyDeleteथा उसका कैसा बचपन –
बहुत खूब !!
उसका बचपन
खुले आसमान
का एक पक्षी
इसका बचपन
पिंजरें में जैसे
हो कोई पक्षी !!
10. श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा..
ReplyDeleteनागपंचमी के निहितार्थ..... डा श्याम गुप्त -
बहुत सुंदर !!
जरूरी हैं कुछ किताबें
अब भी सब के लिये
पढ़ लेते सुन लेते
समझ लेते कुछ
पुरानी हैं पर अभी
भी आत्मसात कर लेंते
तो जो हो रहा है
हर तरफ चारों ओर
कम से कम नहीं सहते
आगे भी बढ़ते और खुश रहते !!!
11. वटवृक्ष
ReplyDeleteऔर खाने की गुंजाइश नहीं रही -
बहुत सुंदर लघुकथा !
कौन बुला रहा है
कौन जा रहा है
खाना हर कोई
अपना आपना
खा रहा है !!
12. Ganga ke Kareeb
ReplyDeleteचन्द्रेश्वर महादेव मंदिर, ऋषिकेश
बहुत मनमोहक चित्र तथा सजीव वर्णन !
13.कर्मनाशा
ReplyDeleteछुट्टी कुछ दिन और अभी -
सलाम !
हुक्का-पानी बंद की, चिंता रही सताय ।
Deleteडाक्टर साहब इसलिए , रहे हमें भरमाय ।
रहे हमें भरमाय, नदी के तीर जमे हैं ।
प्राकृतिक परिदृश्य, मजे से मस्त रमे हैं ।
एक मास का समय, दिया रविकर ने पक्का ।
सीधे हों सिद्धेश, नहीं तो छीनें हुक्का ।।
14. मेरी कविताओं का संग्रह
ReplyDeleteमेरे मन का दर्द
दर्द ही दर्द है
बड़ा ही बेदर्द है !
15.जाले
ReplyDeleteक्रोध - काम, क्रोध, मद, और लोभ
सुंदर !!
मार का डर ही तो
रास्ता दिखाता है
मार पचा जाये अगर
फिर रास्ते में
कहां आ पाता है!!
16.मनोज
ReplyDeleteप्रणय के स्रोत का अनवरत कल-कल - *प्रणय के स्रोत का
बहुत ही मनमोहक गीत !
(आज का विचार) आज कल लड़कियों का अनुपात इतना तेजी से घटता जा रहा है कि आने वाले समय में लड़की वाले नहीं लड़के वाले दहेज़ देंगे.
ReplyDeleteमाँ के कदमो तले जन्नत है.
और बीवी जिन्दगी की गाड़ी का दूसरा पहिया है.
तो फिर बेटी क्यूँ नही ? बढती भ्रूण हत्याएं ,दहेज़ के नाम पर किये जाने वाले कत्ल ,बहुत ज्यादा दहेज़ की मांग करके इन बच्चियों को जिन्दगी भर कुंवारी रहने को मजबूर कर देना,ये भी बेटी की हत्या ही है.बस फर्क ये है की एक कोख में मारी जाती है,और दूसरी समाज में जीते जी.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बजे बाँसुरी बेसुरी, काट फेंकते बाँस ।
Deleteयही मानसिकता करे, कन्या भ्रूण विनाश ।
कन्या भ्रूण विनाश, लाश अपनी ढो लेंगे ।
नहीं कहीं अफ़सोस, कुटिल कांटे बो देंगे ।
गर इज्जत की फ़िक्र, व्याह करते हो काहे ?
नारी पर अन्याय, भरोगे आगे आहें ।।
बहुत सुन्दर चर्चा लगे है काफी पठनीय लिंक मिले ... समयचक्र को स्थान देने के लिए आभार ...
ReplyDeleteचाँद को इतने प्यार से बांटने के लिए आभार
ReplyDeleteसभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं
दिन भर में पढूंगी धीरे धीरे लुत्फ़ ले कर
आभार
नाज़
चर्चा मंच में मेरी पोस्ट 'चन्द्रेश्वर महादेव मंदिर ,ऋषिकेश' को शामिल करने के लिए आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा ...............
ReplyDeleteराजेश कुमारी जी,
ReplyDeleteचर्चामंच बहुत सुन्दर लगा.
मेरी पोस्ट को इसमें स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद!
बहुत सुन्दर लिंक्स...सुन्दर चर्चा ...आभार
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स ...
ReplyDeleteआभार !
आमिर दुबई जी बहुत बहुत शुक्रिया काश सभी के विचार आप जैसे हो जाएँ तो हमारे देश में यह समस्या दम तोड़ देगी हार्दिक आभार आपके विचारों को जान कर बहुत ख़ुशी हुई
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत लिंक संयोजन ………सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स से सजी चर्चा मंच..
ReplyDelete:-)
रविकर जी और सुशील जी आपकी टिप्पणियाँ चर्चामंच में चार चाँद लगा देती हैं आप दोनों को कोटि कोटि आभार और सभी टिप्पणीकारों को हार्दिक आभार .
ReplyDeleteपर तुमने-?
ReplyDeleteपर जमने से पहले ही काट डाला
शरीर में जान-?
पड़ने से पहले ही मार डाला,
आश्चर्य है.?
खुद को खुदा कहने लगे हो
प्रकृति और ईश्वर से
बड़ा समझने लगे हो
तुम्हारे पास नहीं है।
कोई हमसे बड़ा सबूत,
हम बेटियां न होती-?
न होता तुम्हारा वजूद......
आज की सुंदर प्रस्तुति के लिए,,,,,राजकुमारी जी, बधाई
सुंदर मंच सजाया है आपने , छांट छांट कर रचनाओ को लगाया है आपने
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स, सुन्दर चर्चा, मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आभार.
ReplyDeleteधीरेन्द्र जी आपकी प्रतिक्रिया बहुत प्रभाव शाली है
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग को यहाँ शामिल करने के लिए बहुत आभार.
ReplyDeleteGREAT CHARCHA...Rajesh ji....thanks.
ReplyDelete