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मंगलवार, जुलाई 03, 2012

मंगलवारीय( चर्चा --९२९) हमने तुमसे प्यार, क्यों किया


आप सब को राजेश कुमारी का नमस्कार मेरे साथ इस गणेश वंदना को पढ़ते हुए आगे बढ़ें 
वक्रतुण्ड महा काय सूर्य कोटि समप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु में देव !सर्व कार्येषु सर्वदा ||
आप सब का दिन मंगलमय हो चलिए अब घूम के आते हैं आप सब के सुन्दर- सुन्दर ब्लोग्स पर 
"ढाई आखर प्रेम का" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') *ढाई आखर प्रेम का, देता है सन्ताप।*** *हार-जीत के खेल में, बढ़ जाता है ताप।१।... 
मेरे
अनुभव (Mere Anubhav)
पहली फुहार - टपकता पसीना 
प्यास लगी है - एक दिन दोपहर के वक़्त गरमी से परेशान खदे
gazal - सब से अपने गम छुपाते
रुकी हुई ज़िंदगी - ठहरे हुए 
शान्तनु के देश में - *शान्तनु के देश में*** *श्याम
Mridula Harshvardhan at Naaz –
 शिखा कौशिक at भारतीय नारी -
पर न जाने बात क्या है
 (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् 
by "दीप फर्रूखाबादी" at "यादें" – 
अब मेरे ब्लॉग पर बारिश में भीग आइये 
 Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR 
अंत में काजल कुमार जी के कार्टून से कुछ हास्य रस का आनंद उठाइये 
इसी के साथ विदा लेती हूँ आपसे अगले मंगल वार फिर मिलूंगी तब तक के लिए शुभ विदा |
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30 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा!
    आज पढ़ने के लिए व्यापक लिंक मिले।
    अभी तो चुनावप्रचार में सितारगंज जा रहा हूँ। शाम को आराम से बैठकर सब पढ़ूँगा।
    आभार!

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  2. लिंक्स ही लिंक्स....
    बढ़िया लिंक्स...
    इनके बीच हमारी रचना का भी लिंक......

    आपका बहुत शुक्रिया राजेश जी.....
    सादर
    अनु

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. विविध रंग समेटे बहुत ही खूबसूरत चर्चा राजेश कुमारी जी ! 'सुधीनामा' से मेरी कविता व 'तराने सुहाने' से मेरी पसंद के बेहद मधुर गीत के चयन के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !

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  5. नादानी बच्चों की देखी
    वीर-बहूटी पर-

    बघारते रहते हैं शेखी
    खलल हरदम डालते हैं
    उम्मीद फिर भी पालते हैं -जिंदगी की शाम में |
    अक्ल कोई तो सिखाये -
    आइना इनको दिखाए
    मजबूरियों से भेंट होगी-जिंदगी की शाम में |

    जवाब देंहटाएं
  6. स्त्री की जय जयकार लिखो !-

    मातृ-शक्ति की जय-जय बोलो, जय माता दी |
    वाणी में सच्चाई घोलो, जय माता दी |
    स्वस्ति-मेधा आगे बढती, नईं उंचाई हर दिन चढ़ती |
    मनु की मंजिल, शक्ति तोलो, जय माता दी ||

    जवाब देंहटाएं
  7. "पहचान कौन"
    Sushil
    "उल्लूक टाईम्स "
    भूसा भरा दिमाग में, छोटी मोटी बात ।
    शर्म दिखा के छुप गई, आज हमें औकात ।

    आज हमें औकात, कटी पॉकेट शरमाये ।
    लेकिन पॉकेट-मार, ठहाके बड़े लगाए ।

    हुआ रेप मर गई, बिचारी शरमा करके ।
    हँसे खड़ा रेपिस्ट, चौक पर दारु ढरके ।।

    जवाब देंहटाएं
  8. * An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
    चुटकी भर सिन्दूर - कल

    विश्लेषण उत्कृष्ट अति, साधुवाद गंभीर |
    सजना सजना के लिए, पे बढ़िया तकरीर |
    पे बढ़िया तकरीर,बिबिधता को समझाया |
    पुरुष पराई पीर, समझ अब तक न पाया |
    सौन्दर्य उपासक मर्म, करे खुद नव अन्वेषण |
    हो नारी पर गर्म, नकारे निज विश्लेषण ||

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  9. ऐसा भी होता है कभी-कभी ...
    Pallavi saxena
    मेरे अनुभव (Mere Anubhav)

    विषय बड़ा गंभीर है, गृहणी का सम्मान |
    धन अर्जन से जोड़ के, देखे शिशु नादान |

    देखे शिशु नादान, चलो मूल्यांकन करते |
    बिस्तर बस्ता केश, रोज ड्रेस टिफिन संवरते |

    ममतामयी स्पर्श, व्यवस्थित कमरा पाता |
    होमवर्क बिग-मार्ट, जरुरत पर लिपटाता ||

    जवाब देंहटाएं
  10. पहली फुहार
    Asha Saxena
    Akanksha


    वर्षा पर प्रस्तुति गजब, बड़ा मनोहर रूप |
    त्राहिमाम करवा गई, तीखी-जलती धूप |

    तीखी-जलती धूप, बदन का सूखा पानी |
    सर सरिता नल कूप, करें नित गलत-बयानी |

    सूखे अरब शरीर, बने वो पानी बदरा |
    हरे हमारी पीर, नहीं वो खारा सगरा ||

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी कविताएं या तुम?????
    my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....


    छलिया को पहचान के, होते क्यूँ मजबूर ?
    शंका की गुंजाइशें, है भैया भरपूर |

    है भैया भरपूर, लगे रचना निज प्यारी |
    किन्तु हकीकत क्रूर, विरह में रचती सारी |

    ले सुकून की सांस, ढूँढ़ते गोकुल गलियां |
    मिल जाता वो काश, वही तो असली छलिया ||

    जवाब देंहटाएं
  12. –हमने तुमसे .... प्यार, क्यों किया ??

    by Point at poit -

    उत्कृष्ट भाव -

    मिली हजारों राह |
    कम नहीं थी चाह-
    पर आप्सन बहुत थे -
    क्या करते ?
    भटक गए -
    भूलभुलैया में अटक गए |

    जवाब देंहटाएं
  13. मेरे घनश्याम सलोने--

    घनश्याम बरसते जाते-
    मन-गोपी हरसे हरसाते |
    विरह वियोगी काया-
    जग-जीव भीग अब पाते |

    जवाब देंहटाएं
  14. शानदार चर्चा मंच
    बढिया लिंक्स
    आकर्षक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  16. I read your post interesting and informative. I am doing research on bloggers who use effectively blog for disseminate information.My Thesis titled as "Study on Blogging Pattern Of Selected Bloggers(Indians)".I glad if u wish to participate in my research.Please contact me through mail. Thank you.

    http://priyarajan-naga.blogspot.in/2012/06/study-on-blogging-pattern-of-selected.html

    जवाब देंहटाएं
  17. I read your post interesting and informative. I am doing research on bloggers who use effectively blog for disseminate information.My Thesis titled as "Study on Blogging Pattern Of Selected Bloggers(Indians)".I glad if u wish to participate in my research.Please contact me through mail. Thank you.

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  18. शानदार चर्चा मंच
    बढिया लिंक्स...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार..राजेश जी..

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  20. बढ़िया चर्चा ...बढ़िया लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  21. चर्चामंच को हिला रहा है
    रविकर टिपिया टिपिया कै
    भूचाल यहाँ ला रहा है ।

    जवाब देंहटाएं
  22. काफी दिनों बाद चर्चा मंच में शामिन हो रहा हूँ | व्यस्तता के चलते समय नहीं मिल पा रहा | अच्छे लिंक को सजाया है आपने अपनी चर्चा में | मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए धन्यवाद |

    क्या आप अपने ब्लॉग पर लगाये गये पेज नंबर लिंक से अपनी इच्छा अनुसार किसी भी एक पेज पर अपनी पोस्ट के लिंक देख सकते हैं ?

    जवाब देंहटाएं
  23. बढिया प्रस्तुति ..........काफी मेहनत से सजायी गयी

    जवाब देंहटाएं

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