6:42 PM (10 hours ago)
| ||||
Hindi
English
Translate message
Turn off for: Hindi
प्रश्न 1 चर्चा मंच में लाकर आप लोगों के ब्लाग के बारे में बताते हैं आप का उद्देश्य क्या है ?
लोग अपना अपना ब्लाग देखते हैं आभार कहते हैं चले जाते हैं उनका इतना ही उद्देश्य है क्या?
चर्चा मंच आप क्यों लगा रहे हैं? किस के लिये लगा रहे हैं?
मेरा प्रश्न क्या आप कल की चर्चा में लगा रहे हैं?
लोग अपना अपना ब्लाग देखते हैं आभार कहते हैं चले जाते हैं उनका इतना ही उद्देश्य है क्या?
चर्चा मंच आप क्यों लगा रहे हैं? किस के लिये लगा रहे हैं?
मेरा प्रश्न क्या आप कल की चर्चा में लगा रहे हैं?
नए सदस्य
खुशियों की बरसात सदा हो, नव-विहान मंगलमय होवे |
समय-माल में यह विहान नित, उपलब्धि के पुष्प पिरोवे || प्रथम जन्म-दिन आज मनाकर, ब्लॉगर सभी ख़ुशी से फूले- चिरंजीव आनंद बांटता, अभ्युदय भाई में खोवे || |
हिंदी तो उनका कुत्ता भी लिख लेता है .,फ़ेसबुक .....चेहरों के अफ़साने
हिंदी को दी गालियाँ, उर्दू पर क्या ख्याल ।
लिपि का अंतर है मियाँ, करते अगर बवाल ।
करते अगर बवाल, भूल जाते मक्कारी ।
रहते ना महफूज, डूब जाती मुख्तारी ?
अंग्रेजी में छपो, हमेशा फेरो माला ।
तन-मन का ये मैल, निगल खुद बना निवाला ।।
|
स्मृति शिखर से – 18 : सावन
करण समस्तीपुरी
नाटक नौटंकी ख़तम, ख़तम पुरानी सूझ | ख़तम पुरानी सूझ, उलझ कर जिए जिंदगी | अपने घर सब कैद, ख़तम अब दुआ बंदगी | गुड़िया झूला ख़त्म, बची है राखी बहना | मेंहदी भी बस रस्म, अभी तक गर्मी सहना || |
अनशन: टीम अन्ना का टीवी प्रेम ...
महेन्द्र श्रीवास्तव
मुखिया की निंदा करें, तोड़े घर परिवार ।
ऐसे लोंगों की यहाँ, हर घर में भरमार ।
हर घर में भरमार, मार दम भर अब इनको ।
पूज राष्ट्रपति रूप, नहीं अब ज्यादा बहको ।
करो देश बदनाम , आज दे दे के गाली ।
मर्यादायें भूल, सड़क के बने मवाली ।।
अब वे हमारे राष्ट्रपति हैं ।। |
उपहार कहाँ से लाऊँ ?डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) |
कतय स्वतंत्रता-दिवस गेल........mridula pradhan |
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 6 :राकेश कुमार ‘अयोध्या’ की कहानी - आहुति
पती पुरोहित पाप को, वह स्त्री नादान ।
कायर सा क्यूँ भोगती, यह सारा अपमान ।
यह सारा अपमान, जुबाँ पर जड़ के ताले ।
सह ली धुर अपमान, पका के पाप निवाले ।
द्रुपद-सुता तो द्यूत, भागवत का यह मसला ।
पापी पंडित दुष्ट, पती शंकालू पगला ।।
|
काव्य मंजूषा
चाह संग हमराह जहाँ, हैं वहीँ निकलती राहें |
डाह मगर गुमराह करे, बस बरबस बाहर आहें ||
प्रतिस्पर्धी नही युगल ये, पूरक अपने सपने के-
पले परस्पर प्रीति पावनी, नित आगे बढ़ें सराहें || |
मनजौकी भौजी और गुछून परसाद(सतीश पंचम)सफ़ेद घर |
तुम कभी तो प्यार से बोला करो।
राज़ दिल के तो कभी खोला करो।।
हम तुम्हारे वास्ते घर आये हैं,
मत तराजू में हमें तोला करो। |
यह भी जाने
स चीज़ें दस चीज़ों को खा जाती हैं (नेक नसीहत)
हज़रत सय्यदना अली हिजवेरी दाता गंज बख्श रहमतुल्लाह अलैह
ने फ़रमाया है कि दस चीज़ें दस चीज़ों को खा जाती हैं-
1. तौबा गुनाहों को खा जाती है।
2. ग़ीबत (पीठ पीछे बुराई) नेक आमाल को खा जाती है।
3. ग़म उम्र को खा जाता है।
4. सदक़ा (दान) बलाओं को खा जाता है।
5. पशेमानी सख़ावत को खा जाती है।
6. नेकी बदी को खा जाती है।
7. झूठ रिज़क़ को खा जाता है।
8. ग़ुस्सा अक्ल को खा जाता है।
9. तकब्बुर (घमंड) इल्म को खा जाता है।
10. अद्ल (न्याय) ज़ुल्म को खा जाता है।
अच्छी लिंक्स अच्छी चर्चा |नसीहत सबसे अच्छी |
जवाब देंहटाएंआशा
achi links ravi bhayi
जवाब देंहटाएंचलिए हिंदी तो अंग्रेजों का कुत्ता भी लिख लेता है इससे हिंदी की बोध क्षमता सारल्य का ही बोध होता है .सबकी अपनी अपनी समझ है थरूर साहब ने भी केटिल क्लास इकोनोमी क्लास में सफर करने वालों के लिए कहा था .सबका अपना अपना कोम्प्लेक्स है आप क्या करिएगा ?
जवाब देंहटाएंमहफूज़ अली साहब बस इतना जान लीजे हिंदी की सहोदरी उर्दू और उसका साहित्य अपनी रूमानियत में अंग्रेजी साहित्य से कहीं आगे है .भाषा को लेकर कैसा कोम्प्लेक्स ये तो अनुराग का विषय है जितनी भाषाएँ आप सीख लें ,उतनी ही कम आपकी सोच का दायरा सूचना का मुहावरों का दायरा विकसित ही होगा -
चलिए दो हलके फुलके शैर सुन लीजिए -
इतने शहरी हो गए लोगों के ज़ज्बात ,
हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात .
और बस एक और -
एक गज़ल कुछ ऐसी हो ,बिलकुल तेरे जैसी हो ,
मेरा चाहे जो भी हो ,तेरी ऐसी तैसी हो .
रही बात पारिश्रमिक की तो ज़नाब हमने तो रेडिओ से बतौर वार्ताकार २५ रूपये लेकर भी बोला है (१९७० -७१ )में २५० और ५०० भी १९९० के दशक में .ये संस्थान हमारा प्रशिक्षण स्थल थे पारिश्रमिक मानद ही रहा है हमारे लिए लक्ष्य नहीं ,(हाँ हिंदी पत्रकारिता दारिद्र्य लिए हुए है ,हिंदी गुलामों की भाषा है ऐसा आज भी कुछ लोग सोचते हैं .)चाहे वह अखबार में छपे लेख रहें हों या रेडिओ से वार्ताएं .लक्ष्य निज भाषा में खुद को अभिव्यक्त करना रहा है जन -जन, जन मन तक पहुंचना रहा है न की पैसा .हिन्दुस्तान के हर हिंदी रिसाले के लिए लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखें हैं .पैसे के लिए नहीं एक सनक को एक मिशन को पूरा करने को .अली साहब का पाना ख्याल है .ख्याल अपना अपना पसंद अपनी अपनी .
कुत्ते हो तो लिखकर दिखाइए।
हटाएंहम इंसान हैं इसीलिए लिख लेते हैं।
पता है हमको सीख लिये हैं
हटाएंबहुत से हिन्दी लिखना
पर उनको मजा आता है
आता है अंग्रेजी में भौंकना
अंग्रेजी में ही भौकवाइये
लिखने लगेंगे कुत्ते भी अगर
पढ़ने वाले कुत्ते तो पहले
कहीं से और ढूंड के लाइये ।
महफूज़ अली साहब को पढवाया आपने बड़ा एहसान किया है हम पे .बौद्धिक भकुए एक ढूंढोगे हज़ार मिलेंगे .
जवाब देंहटाएंमहफूज़ अली साहब को पढवाया आपने बड़ा एहसान किया है हम पे .बौद्धिक भकुए एक ढूंढोगे हज़ार मिलेंगे .और फिर अपनी ही माँ को गाली देना तो हमारी राष्ट्रीय परम्परा है .दिल पे न ले यार .ये मेरा इंडिया ,आई लुव माई इंडिया ...
जवाब देंहटाएंहर हिन्दुस्तानी एक दूसरे की हिंदी करता है ,डेमोक्रेसी करता है महफूज़ साहब ने कौन नया काम कर दिया ,आम आदमी हो गए अब हिन्दुस्तान के .
जवाब देंहटाएं"“रूप” को छूकर नहीं मैला करो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंउच्चारण
वाह ! सलाह अच्छी है !
आँख से देखो-सराहो दूर से,
“रूप” को छूकर नहीं मैला करो।
करने वाले अगर मान लेंगे
छूकर नहीं फिर देख कर
आँख से भी मैला करेंगे !
मनजौकी भौजी और गुछून परसाद
जवाब देंहटाएं(सतीश पंचम)
सफ़ेद घर
बहुत सुंदर अभी पूरी होनी है तब कुछ कहा जाये !!
ब्लागर साथियों से हर संभव मदद चाहिए -सतीश सक्सेना
जवाब देंहटाएंमेरे गीत !
सरवत जमाल जी की सलामती के लिये दुआ करेंगे !
विहान का उदय हुआ, सदन में हर्ष छा गया।
जवाब देंहटाएंसमेट लो बधाइयाँ, खुशी का वर्ष आ गया।।
विहान को उसके जनमदिन की ढेरों बधाइयाँ और आप सभी परिजनों को शुभकामनाएँ!
लिंक-3
जवाब देंहटाएंसावन आया झूम के, पड़ती सुखद फुहार।
तन-मन को शीतल करे, बहती हुई बयार।।
लिंक-4
जवाब देंहटाएंपढ़े लिखों को ठग रहे, युक्ति करत हजार।
जालजगत पर हो रहा, माया का व्यापार।।
काव्य मंजूषा
जवाब देंहटाएंशादी की शर्त
सम्बल साथ का
जितना मजबूत होगा
आदमी तेरा तभी तो
कुछ वजूद होगा !
लिंक-5
जवाब देंहटाएंऐ शहीदों तुम्हें कोटि-कोटि नमन।
प्राण देकर बचाया तुम्हीं ने चमन।।
देश-रक्षा की खातिर जो ली थी कसम,.
कारगिल हो या पंजाब या हो असम,.
तुमने लौटा दिया वादियों का अमन।
ऐ शहीदों तुम्हें कोटि-कोटि नमन।।
लिंक-6
जवाब देंहटाएंटीवी और बीबी से सभी को प्रेम होता है।
फिर अन्ना की तो बीबी भी नहीं है,
टाइमपास तो टीवी से ही करेंगे न।
आधा सच,,,,
हटाएंबेईमानी की नीव,बात इमानदारी की होय
अन्ना टीम बिगाड़ती, अपना आपा खोय
अपना आपा खोय,मंच से दे रहे है गाली
तभी जनता नदारत, और मैदान है खाली
संसद की अपनी गरिमा,देश का है क़ानून
जबरन बात मनवाने का,चढ़ा हुआ जूनून,,,,,
(159) राह बनाते रहिये
जवाब देंहटाएंS.N SHUKLA
MERI KAVITAYEN
अच्छी कविताऎं !!
कतय स्वतंत्रता-दिवस गेल........
जवाब देंहटाएंmridula pradhan
mridula's blog
सुंदर स्टाईल है !
उपहार कहाँ से लाऊँ ?
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
Mushayera
कुछ लिखकर चुप बैठूँ, या अन्तर्मन में कुछ गाऊँ!
अपनी व्यथा-कथा को, कैसे जग को आज सुनाऊँ!!
बहुत ही सुंदर !
प्राचीन भारत में गणित विज्ञान की प्रगति
जवाब देंहटाएंहिन्दू - हिंदी - हिन्दुस्थान...
भारतीय गणित पर एक सारगर्भित लेख !
रोज़े का महत्वपूर्ण उद्देश्य आत्म प्रशिक्षण है |
जवाब देंहटाएंS.M.MAasum
हक और बातिल...
रोजे रखने के उद्देश्य बताता एक अच्छा लेख !
मेजर चंद्रभूषण द्विवेदी एवं
जवाब देंहटाएंअन्य शहीदों को सलाम
haresh Kumar
information2media
आज का दिन, 26 जुलाई, कारगिल विजय दिवस
बहुत सुंदर
किसी को तो याद
आती है शहीदों की
इस देश में !
timesjobs.com का गोरख धंधा
जवाब देंहटाएंAlok Mohan
युवा पहल
ठगी को कानूनी मान्यता मिले
इस देश के संविधान में पारित हो
ठगों को भारत रत्न सबसे पहले मिले
ठगी एक उद्योग बनकर खड़ा हो जाये
फिर ठग रहें और ठगी करते चले जायें!
स्मृति शिखर से – 18 : सावन
जवाब देंहटाएंकरण समस्तीपुरी
मनोज
प्रस्तुति जानदार है
अब किकेटवा होता तो कुछ होता
बाँसुरी की तान में का रखा है?
हिंदी तो उनका कुत्ता भी लिख लेता है .,
जवाब देंहटाएंफ़ेसबुक .....चेहरों के अफ़साने
चलिये कुत्तों पर लिखते हैं कुत्ता मंच बनाते हैं
काहे फालतू में कुत्तों को चर्चा मंच में लाते हैं ?
उत्तर नहीं दिया प्रश्न लटका दिया
जवाब देंहटाएंरविकर अरे अरे ये तूने क्या किया?
आभार ! है उत्तर का इंतजार है
और अंत में :
विहान के जन्मदिन पर
Kailash Sharma
बच्चों का कोना
चिरंजीव विहान को
आशीर्वाद और शुभकामनाएँ!!!
नाना -नानी को बधाई !!
कहाँ है मिठाई !!!
dhanybad.......bahut achche links.
जवाब देंहटाएंरविकर फैजाबादी जी !
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति जानदार है.
सरवत जमाल जी की सलामती के लिये दुआ करेंगे !
अच्छी यादों को सदा, दुहराते हम लोग |
जवाब देंहटाएंहंसी ख़ुशी उत्साह का, सर्वोत्तम उद्योग ||
बहुत शानदार लिंक्स और प्रस्तुति आभार रविकर भाई जी
जवाब देंहटाएंमन को भाती सुन्दर चर्चा ....
जवाब देंहटाएंबलिहारी हम हिंदी पर
जवाब देंहटाएंजो कुत्तों को भी अपनाए
पर उसी थाली में छेद करें
जिस थाली में स्वान खाय
बहुत अच्छे लिंक..
मेरी प्रविष्टी को शामिल किया, आपका आभार..!
ravikar ji mere mail par aap apna mobile no. de,urgent hai, ya fcbk par contact kare
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक..
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा.....
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरविकर जी,ने खूब सजाई,आज की चर्चामंच
जवाब देंहटाएंखोज खोज कर लिंक है,लाये २४ कैरेट टंच,,,,,
सन्नाट व्यंग मारा है..
जवाब देंहटाएं1. तौबा गुनाहों को खा जाती है।
जवाब देंहटाएं2. ग़ीबत (पीठ पीछे बुराई) नेक आमाल को खा जाती है।
3. ग़म उम्र को खा जाता है।
4. सदक़ा (दान) बलाओं को खा जाता है।
5. पशेमानी सख़ावत को खा जाती है।
6. नेकी बदी को खा जाती है।
7. झूठ रिज़क़ को खा जाता है।
8. ग़ुस्सा अक्ल को खा जाता है।
9. तकब्बुर (घमंड) इल्म को खा जाता है।
10. अद्ल (न्याय) ज़ुल्म को खा जाता है।
नेक नसीहतों का यहां शामिल करने के लिए शुक्रिया !
इन नसीहतों पर अमल किया जाए तो ख़याल और ज़ुबान क़ाबू में रहेंगे।
जानवर अपनी बोली बोलते हैं। उनकी बोली को कोई नाम देना नादानी महज़ है।
अच्छे लिक्स
जवाब देंहटाएंकल बाहर था, मंच पर आ नही सका
कलरफुल बैकग्राउंड और फॉण्ट में सजी बढ़िया चर्चा ...
जवाब देंहटाएंSanskrit Men Prachalit Svaron Ki Sankhyaa Kul 13 Hai..,
जवाब देंहटाएंHindi Men Prachlit Svaron Ki Sankhyaa Kul 11 Hai..,
Urdu men Svaron Ki Sankhyaa Kul 1O Hai..,
English Men Svaron Ki Sankhyaa Kul 5 Hai..,
Snskrit Ka Vyaakaran Samriddh
Hindi Ka Vyaakaran Ati Vikasit
Urdu Ka Vyaakaran Vikasit
Va Engalish Ka Vyaakaran Vikaasshil Hai....
Saath Hi Do Ayogavaah, Anusvaaar Va Visarg Ka Prayog
जवाब देंहटाएंHindi va Sanskrit Dono Men Hi Hotaa Hai..,
English Bhaashaa Men Maatraa Ka Abhaav Hai Jabaki
Sanskrit Va Hindi Bhaashaa Maatraatmak Hai
Urdu men Maatraa Avikasit Rup Men Hai.....
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
जवाब देंहटाएंस्वरों में कोमल
निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम
इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में
पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री
भी झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत
वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में
चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
Here is my web site खरगोश