आज की शुक्रवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते आप सब का दिन मंगलमय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
त्रिवेणी at त्रिवेणी, *माहिया**
* *डॉ ज्योत्स्ना शर्मा*
*1* *रुत बदली बदली है*
*अपना राज लगे**
* *अपनी** -सी ढपली है ।*
*2* *हम फिर से गा**एँगे*
*बीत गए बरसों** -------इस गुलाबी सर्दी में ज्योत्स्ना जी के माहिया को गुनगुनाइए और मजा उठाइये
छत्तीसगढ़ी घनाक्षरी :
*हेमंत ऋतु*
(1) शरद ला बिदा देके ,
आये हे हेमंत ऋतु कँपकपासी लागथे ,
भुर्री ला जलावौ जी धान के मिंजाई होगे,रबी के बोवाई होगे नवा मूंगफल्ली आगे, भूँज के खवावौ जी | -----हेमंत ऋतु में अरुणकुमार जी कितना मजा करते हैं कुछ आपको भी सलाह दे रहे हैं ऋतु का भरपूर आनंद उठाइये।
एक मिसाल -मलाला
जो इतनी सी उम्र में नारी शक्ति के लिए एक बहादुरी की मिसाल बन गई उस मलाला को आज कौन नहीं जानता पढ़िए उसके विषय में बटवृक्ष पर
विदाई गुडिया की ... सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना at मेरे गीत------सतीश जी ने अपनी गुड़िया की विदाई पर उमड़े अहसासों से हमारी यादें भी ताजा कर दी और आँखे नम हो गई
मलाल है जिंदगी
से ,.....
udaya veer singh at उन्नयन (UNNAYANA) - हमारे समाज की ये एक ऐसी तस्वीर है जिसे देख कर शर्म आती है अपने प्रशासन पर और ऊपर वाले से भी शिकायत होती है |
मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य)(झ)ऊँचे रिश्ते ‘प्यार’ के | (४) भरें ‘प्रीति’ से ‘प्रान’ रे ! (प्रसाद तथाओज गुण का समन्वय)
Devdutta
Prasoon at प्रसून -
प्रीत बिना जीवन सूना प्रीत बिना जग नाही रे ----कुछ ऐसा ही समझा रहे हैं प्रसून जी चलिए पढ़ते हैं
"उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी का निधन"
दुखद सूचना पर जीवन का अंतिम सच यही है ।
बीकानेर-जूनागढ़ किले के संग्रहालय में अनमोल चित्रकारी व शस्त्रों का जखीरा Bikaner-The
great painting and old weapon in Junagarh fort
संदीप पवाँर
(Jatdevta) at जाट देवता का सफर-------संदीप भाई नई- नई जगह ही नहीं दिखा रहे हैं वहां की कलाकृतियों से भी परिचय करा रहे हैं जरा देखिये तो सही !!
उपस्थित की उपेक्षा : अनुपस्थित की तलाश
हाँ सच में ऐसा होता है मैंने भी कई बार महसूस किया शादी ब्याह जन्मदिन आदि के आयोजनों में मेजबान सीधे पूछते हैं अरे फंला क्यूँ नहीं आया जैसे हमने आके तो गुनाह ही कर दिया क्या आपको भी कभी ऐसा महसूस हुआ ??
लो !!! टूट के बिखर गई ...मेरी भी माला ...
यादें....ashok
saluja . at यादें.
ये मोती बहुत कीमती होते हैं हर कोई चाहता है की प्रेम रुपी माला में एक साथ रहें यही माला टूट जाएँ मोती बिखर जाएँ तो दिल पर क्या बीतती है आइये पढ़ें
राधा जानती है
swati at swati -
राधा साँवले के भाल को सोहे ऐसा चन्दन घिसती है , कभी पन्ना,तो कभी कैनवस पकड़ती है बिरह के गीत गाती
इस अलौकिक प्रेम के क्या कहने जिसमे एक दूसरे के मन की बात एक दूसरे का दिल पहले से जानता हो राधा कृष्ण के इस प्रेम के सम्मुख नतमस्तक दुनिया सारी |
हमको रखवालो ने लूटा,
जब अपने ही लूटने लगे रक्षक ही भक्षक बन जाएँ तो किस पर विश्वास करें ।विचारणीय है
कहो ज़िंदगी...
जिंदगी कभी हंसाती कभी रुलाती क्या क्या भेद छुपाती कभी कभी जिंदगी से गुफ्तगू करना अच्छा लगता है पढ़िए जेन्नी शबनम जी जिंदगी से क्या पूछ रही हैं |
क्या आप 31 दिसंबर 2012 की रात को 10 बजे
मुझे एक मिनट का समय
देंगे?
Prabodh Kumar Govil at Kehna Padta Hai/कहना पड़ता है
प्रबोध कुमार गोविल जी काफी वक़्त दे रहे हैं सोचने का सोच समझ कर उत्तर दीजिये कहना पड़ता है एक एसा ब्लॉग जो फल की इच्छा किये बिना निःस्वार्थ अपनी मंथर गति से आगे बढ़ता रहता है अपने कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाते हैं गोविल जी मुझे उनका ब्लॉग बिना किसी अपेक्षा के पढ़ना अच्छा लगता है आप भी पढ़ कर देखिये |
Mayka
Neelima sharrma at WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION - मायका एक ऐसा शब्द जिसको सुनकर ही एक स्त्री की आँखों में चमक आ जाती है और अपनी पुरानी यादों में जीने लगती है देखिये नीलिमा शर्मा जी भी क्या अपने अतीत में खो गई हैं ??
गूंगा गांव कैसे कहे
रघुनाथसिंह ''यादवेन्द्र'' at मेरे काव्य संग्रह - शहरों की सूरत बदली तो गाँव भी बदले पहली सी सूरत पहली सी आवाज़ कहाँ
" कहाँ है आचरण?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ अगले मंगल वार मिलूंगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय-बाय!
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी आपका आभार।
मुझे नहीं लगता मेरी कवितायेँ /लेख कब , कहाँ, कैसे उधृत /प्रकाशित हुए ,जानने की ललक या जरुरत नहीं समझी | परन्तु आप ने मेरे जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने वाले द्रश्य को देख, प्रतिक्रिया देने वाले मेरे उद्दगारों को प्रबुद्ध वर्ग के समक्ष रख मेरी संवेदना को बल दिया है ....जिसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूँ ....शेष आप की प्रतिभा व प्रतिष्ठा के क्या कहने .....
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सुसज्जित बढ़िया चर्चा |
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स के साथ दी गयी आपकी टिप्पणिया प्रभावशाली हैं राजेश जी !
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
आभार आपका राजेश कुमारी जी ...
जवाब देंहटाएंखुश रहें!
फल अगम तप तपन खींच बदरा जार बरसाए ।
जवाब देंहटाएंसरद सिर हेमंत सींच सीतल सिसिर सुहाए ।।
फल अगम तप तपन खींच बदरा जर बरसाए ।
जवाब देंहटाएंसरद सिर हेमंत सींच सीतल सिसिर सुहाए ।।
मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिये आभार,,,राजेश कुमारी जी,,,
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग को यहॉं देख अच्छा लगा। उपकृत हुआ। आभार और धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर और सुनियोजित चर्चा | अच्छे लिंक्स लेकर आई हैं आप |
जवाब देंहटाएं@ मलाल है ज़िंदगी से......
जवाब देंहटाएंशब्द दिए हैं पीर को, मर्म छू रहे भाव
तूफानों से किस तरह, लड़ पाएगी नाव ||
@ मलाल है ज़िंदगी से......
जवाब देंहटाएंशब्द दिए हैं पीर को, मर्म छू रहे भाव
तूफानों से किस तरह, लड़ पाएगी नाव ||
@ लो ,टूटके बिखर गई मेरी भी माला.............
जवाब देंहटाएंकब मोती लेकर भला , आया था इस देश
जो मेरा था ही नहीं, उसपर क्यों हो क्लेश ||
Aapne to yah kar tareef kar dee ki "fal" ki ichchha rakhe bina aage badhne waala blog ...lekin yahan to falon se lade ped khade hain, samajh me nahin aa raha,kise chhoden, aur kise padhen? Shukriya.
जवाब देंहटाएंराजेश कुमारी जी .....मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिये आभार...........देर से आने के लिए क्षमा पार्थी हूँ . बहुत सुन्दर लिंक्स पढने को मिले . तहे दिल से आभारी हूँ
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