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बुधवार, दिसंबर 05, 2012

जब जागो, तभी सबेरा (बुधवार की चर्चा-1084)

आज की चर्चा में आप सबका तहेदिल से स्वागत है | कुछ मित्रों के सुझाव के बाद हर लिंक के साथ अपनी तरफ से दो पंक्तियाँ रख रहा हूँ | मेरा यह प्रथम प्रयास कैसा रहा जरूर बताएं |
तो शुरू करते हैं आज की चर्चा:-

जब से जागो तभी से सबेरा
- विशाल चर्चित
काव्य का संसार

जब जागो तुम नींद से,
जानो तभी सवेरा है ।
जाग के भी गर आँख बंद,
चारो तरफ अँधेरा है ।।
तुम जो आए
- prritiy
PRRITIY .... प्रीति

तुम जो आये है खिला,
मन का ये संसार ।
चहक रहा है अंग-अंग,
आया है बहार ।।
ऑक्टोपस
- धीरेन्द्र अस्थाना
अन्तर्गगन


ऑक्टोपस हैं हर जगह,
चूस रहें हैं खून।
मानव बीच हरवक्त छुपे,
अक्टूबर या जून ।।
MAUT KI AAHAT
- Markand Dave
@ M.K.TVFilms - HINDI ARTICLES

आहट है ये मौत की,
बूझ सको तो बूझ ।
जो इसको है बूझ गया,
रहा स्वयं से जूझ ।।
लड़कियां
- रश्मि
@ रूप-अरूप

बेटियाँ महकाती हैं,
घर-आँगन सब एक-सा ।

चंचल मन रिझाता सबको,
हृदय होता नेक-सा ।।
आधी रात
- शांतनु सान्याल
@ अग्निशिखा

झिझक ये कैसी पूछता,
आईना आधी रात ।

आँखे खुद ही बोलती,
हर राज की बात ।।
गोलगप्पे वाला
-Vandana
@ तितली

देखो देखो आया है,
मनभावन गोलगप्पे वाला ।

खट्टा-मीठा स्वाद चखाता,
है इसका अंदाज निराला ।।
रिश्तों की जमींन
- Mamta Bajpai
@ Man ki Dunia

रिश्तों की जमीन को,
सींचों तुम बस प्यार से ।

अटूट-सा रिश्ता बन जाता,
दोस्त से हो या यार से ।।
नारी सर्वत्र पूजिते..
- Anu

@ my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन..

एक तरफ हैं पूजते,
बना के दुर्गा काली ।
कोख में ही हैं मारते,
मानवता को गाली ।।
माँ -बेटी / सास-बहू
- Archana

@ अपना घर



हैं छुपे कई भाव हैं,
एक ही है तस्वीर ।
प्यार झलकता दूर से,
हंसमुख, नहीं गंभीर ।।
जरूरी तो नहीं देव उठाने की रस्म हमेशा मैं ही निभाऊँ- vandana gupta
@ ज़िन्दगी...एक खामोश सफर

जीवन स्त्री का नहीं, परिचय की मोहताज |
वो समाज का कल है, वो समाज का आज ||
जीवन का अर्थ
(मीनाक्षी पंत)

- रश्मि प्रभा
वटवृक्ष

जिंदगी ही पूछ रही,
जीवित हैं क्या हम |
श्वास लेना ही नहीं,
जीवन का है मर्म ||
क्यों न तुम भी गीत गाओ
- Suman
Main aur Meri Kavitayen


रे मन गाओ गीत तुम,
कलियों संग मुसकाओ |
दुनिया ही जब डोल रही,
तुम भी संग में डोल जाओ ||
कुछ तैयारियां ...
- उपासना सियाग
nayee udaan

देख डायरी के पन्ने,
मन में उठे हिंडोले ।
क्या-क्या था हमने लिखा,
देख के फिर मन डोले ।।

सेहतनामा
- वीरू भाई
ram ram bhai

स्वस्थ कैसे रहोगे,
बता रहे हैं भाय |
नुस्खों को आजमा लो,
लाभ ही लाभ मिल जाय ||
फिर तेरी कहानी याद आई
- Amit Chandra
ehsas

याद आई है फिर,
तेरी मेरी वही कहानी |
गुजरे हुए वो शाम सुहाने,
रेत पे बनी निशानी ||
उनको शिकायत है
- Rekha Joshi
Ocean of Bliss


नोक-झोंक तो अंग हैं,
प्यार का, उद्गार का |
रिश्तों को सुदृढ़ करे,
खुशनुमा संसार का ||
वो सफ़र
- Rajesh Kumari

HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

सुंदर सफर ये रेल का,
देता मन को हर्ष |
जगह एक-एक गुजर गए,
देख अर्श से फर्श ||
डर मत मन
- Amrita Tanmay
Amrita Tanmay



मेरे मन न हार तू,
डरना नहीं तू जान लें |
पीड़ा नहीं है व्यर्थ मिलते,
सत्य को तू पहचान ले ||
Organic Search Results क्या हैं और इसका महत्व
- Vinay Prajapati
@ Tech Prévue Labs

अहम् ज्ञान हैं देते आप, करते मदद भरपूर ।
सीख रहे सब आपसे, पोस्ट आपकी नूर ।।
वक्त का तकाज़ा है
- मन के - मनके
मन के - मनके



वक्त का तकाजा है,
रिश्तों का हो आकलन |
बही खाते में लिखे,
कहता है ये आज मन ||
शुभ विवाह
- अरुण कुमार निगम

@ अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

सुयश व सोनिया को मिले,
सबका नेह-आशीष |
जीवन भर खुशहाल रहे,
कृपा बनाए ईश ||
देखना पहली बार किसी महिला कण्डक्टर को
विष्णु बैरागी
एकोऽहम्

महिलाएं हैं हर जगह, पांव रही पसार ।
हर क्षेत्र में जम रहीं, हर और विस्तार ।।
बेवफा है जिंदगी इसको नहीं ज्यादा पढो अब -
- रविकर
"लिंक-लिक्खाड़"



जिंदगी तो है बेवफा, एक दिन ठुकराना है |
रविकर बांधे कुंडलियाँ, टिप्पणियाँ लगाना है ||
अब कांग्रेस को कौन बचा पाएगा?
- IRFAN
@ ITNI SI BAAT


पैसे और शराब से, मिल जाते हैं वोट |
लोकतन्त्र में आज कल, उड़ते नोट पे नोट ||
ब्लोग"दीप":कृपया अपनी राय दें

आज की चर्चा यही पर इति करता हूँ | अब प्रदीप को आज्ञा दीजिये | मिलते हैं अगले बुधवार को कुछ और लिंक्स के साथ |
तब तक के लिए अनंत शुभकामनायें |

आभार |

कमेंट बाई फ़ेसबुक आई.डी.

34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत आभार प्रदीप जी,
    मेरी रचना शामिल करने के लिए ...बहुत सुन्दर लिंक्स दिए है
    जरुर पढूंगी ....फिर से आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. @ काव्य संसार :
    समय चक्र पर है किसका बस
    तेरा है ना मेरा है
    सिर्फ हाथ में 'कोशिश करना'
    जागे तभी सवेरा है ||

    जवाब देंहटाएं
  3. @ लडकियाँ
    आन बान और शान है बेटी
    ईश्वर का वरदान है बेटी ||

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझे विस्‍तारित करने के लिए कोटिश: आभार। आपने मेरा सम्‍मान भी बढाया। कृतज्ञ हूँ। आपकी इस कृपा के कारण ही आज मेरी 'मार्निंग गुड' हो गई - माननीय सिध्‍देश्‍वरसिंहजी ने प्रशंसा करते हुए मुझे थपथपा कर उठाया।

    जवाब देंहटाएं
  5. @ अग्नि शिखा ..
    खुद से मुलाकातें करो
    मत व्यर्थ यूँ रातें करो
    आइना कहता है आओ,
    मुझसे भी बातें करो ||

    जवाब देंहटाएं
  6. @ गोलगप्पेवाला

    गोलगप्पे चार खा ले
    जायका मुँह का बना ले
    मूड होगा फ्रेश तेरा
    बात मेरी आजमा ले ||

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रिय श्रीप्रदिपजी,

    मेरी रचना और पोस्ट लिंक सामेल करने के लिए, आपका और इस सुंदर चर्चा मंच का अनेकानेक धन्यवाद-शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  8. @ रिश्तों की जमीन

    फास्ट-फूड के दौर में , डिब्बे मानो खेत
    प्रेम - भूमि बंजर हुई , रिश्ते - नाते रेत
    रिश्ते - नाते रेत , महक वह सोंधी खोई
    मन की बगिया बेल,विषैली नित नित बोई
    बन कर एक रोबोट , भटकते बिना मूड के
    सब सुख मटियामेट , दौर में फास्ट-फूड के ||

    जवाब देंहटाएं
  9. @ बेवफा है जिंदगी इसको , नहीं ज्यादा पढ़ो अब

    बेवफा है जिंदगी इसको , नहीं ज्यादा पढ़ो अब
    प्रेम - मिट्टी गूँथ कर , छोटी सही-मूरत गढ़ो अब |
    कुछ तो होगा बोझ हल्का , मान लो अपनी खताएँ
    मत किसी मासूम के सर,गलतियाँ सारी मढ़ो अब |
    क्या पता कि पायदानें , खत्म होंगी किस ठिकाने
    उम्र की सीढ़ी जरा-सी,सम्हल कर इस पर चढ़ो अब |

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
    आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने ... आभार इस प्रस्‍तु‍ति के लिये

    जवाब देंहटाएं
  12. आपकी पंक्तियों ने तो चर्चा को और भी रोचक बना दिया …………बहुत खूबसूरत लिंक संयोजन

    जवाब देंहटाएं
  13. सच कहा वंदना जी ने लिंक तो रोचक हैं ही आपके काव्यात्मक विश्लेषण ने और चार चाँद लगा दिए बहुत उम्दा चर्चा में मेरे सफ़र को भी शामिल करने के लिए दिल से आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत बढ़िया -
    पंक्ति-युग्म ने सुन्दरता बढ़ा दी |
    प्रभावी चर्चा -
    शुभकामनायें प्रदीप जी ||

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत बढ़िया चर्चा प्रदीप जी.
    बेहतरीन लिंक्स....
    मेरी रचना को शामिल करने का शुक्रिया.
    आभार
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  16. सुंदर लिंक्स के संकलन में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. आपकी परिचयात्मक टिप्पणियां शानदार रहीं (कृपया बूझ सको ,बूझ ,पूछना कर लें )बढ़िया सेतु संजोने हमें जगह देने खपाने के लिए आभार .

    जवाब देंहटाएं
  18. सेहत /सेहतनामा /आरोग्य को कैसे छोड़ गए ज़नाब .एक तंदरुस्ती हजार नियामत

    ब्लोग"दीप":कृपया अपनी राय दें

    जवाब देंहटाएं
  19. नारी सर्वत्र पूजिते.....
    (ई पत्रिका "नव्या" में प्रकाशित)

    दृढ़ है

    अट्टालिका है
    दुर्गा है
    कालिका है
    जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
    वो नारी है.....

    सीता है
    शक्ति है
    मीरा है
    भक्ति है
    जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
    वो नारी है......

    सुकोमल है
    सहृदया है
    भगिनि है
    संगिनी है
    जो हर रिश्ते पर वारी है
    वो नारी है.......

    क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......

    मनोहर भाव संजोये है यह रचना सत्य का अंश भी -

    है कौन वह करती -

    कैट वाक (वाल्क ),

    "स्लिपड्रेस "का -

    रॉक .

    अन्तरिक्ष की पहरे दारी ,

    अब तो कंडक्टर भी है नारी .


    जवाब देंहटाएं

  20. सेहत /सेहतनामा /आरोग्य को कैसे छोड़ गए ज़नाब .एक तंदरुस्ती हजार नियामत

    ब्लोग"दीप":कृपया अपनी राय दें

    आज की चर्चा यही पर इति करता हूँ | अब प्रदीप को आज्ञा दीजिये | मिलते हैं अगले बुधवार को कुछ और लिंक्स के साथ |
    तब तक के लिए अनंत शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं
  21. वीरुभाई

    आपकी परिचयात्मक टिप्पणियां शानदार रहीं (कृपया बूझ सको ,बूझ ,पूछना कर लें )बढ़िया सेतु संजोने हमें जगह देने खपाने के लिए आभार .

    जवाब देंहटाएं
  22. वीरुभाई

    आपकी परिचयात्मक टिप्पणियां शानदार रहीं (कृपया बूझ सको ,बूझ ,पूछना कर लें )बढ़िया सेतु संजोने हमें जगह देने खपाने के लिए आभार .

    सेहत /सेहतनामा /आरोग्य को कैसे छोड़ गए ज़नाब .एक तंदरुस्ती हजार नियामत


    Tuesday, December 4, 2012
    नारी सर्वत्र पूजिते.....
    (ई पत्रिका "नव्या" में प्रकाशित)

    दृढ़ है

    अट्टालिका है
    दुर्गा है
    कालिका है
    जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
    वो नारी है.....

    सीता है
    शक्ति है
    मीरा है
    भक्ति है
    जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
    वो नारी है......

    सुकोमल है
    सहृदया है
    भगिनि है
    संगिनी है
    जो हर रिश्ते पर वारी है
    वो नारी है.......

    क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......

    मनोहर भाव संजोये है यह रचना सत्य का अंश भी -

    है कौन वह करती -

    कैट वाक (वाल्क ),

    "स्लिपड्रेस "का -

    रॉक .

    अन्तरिक्ष की पहरे दारी ,

    अब तो कंडक्टर भी है नारी .

    अब और क्या करें टिपण्णी , इधर लिखो उधर गप्प ,ब्लेक होल बन गया है स्पेम बोक्स .


    जवाब देंहटाएं
  23. बेहतर लिंक्स है. मेरी रचना को जगह देने के लिये आभार.

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत बढ़िया चर्चा प्रदीप जी.
    बेहतरीन लिंक्स....
    मेरी रचना को शामिल करने का शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  25. डायलिसिस पर देश, डाक्टर खोता आला -


    कौड़ियों के मोल जान- मेरा भारत महान !
    पी.सी.गोदियाल "परचेत"
    अंधड़ !
    आला अधिकारी लड़ें, नेता भी मशगूल |
    शर्मिंदा है मेडिकल, करते ऊल-जुलूल |
    करते ऊल-जुलूल, हजारों बन्दे मारो |
    मातु-पिता को जेल, नार्वे में फटकारो |
    रविकर यह दुर्दशा, पड़ा सत्ता से पाला |
    डायलिसिस पर देश, डाक्टर खोता आला ||
    बहुत बढ़िया तंज किया है इस देश की हीज़ू व्यवस्था पे .

    जवाब देंहटाएं

  26. बहुत बढ़िया तंज किया है एक विलुप्त प्राय एक वंशीय शासन पर .कास्केट तैया करो .

    बहुत बढ़िया तंज किया है एक विलुप्त प्राय एक वंशीय शासन पर .कास्केट तैया करो .



    - IRFAN
    @ ITNI SI BAAT


    पैसे और शराब से, मिल जाते हैं वोट |
    लोकतन्त्र में आज कल, उड़ते नोट पे नोट ||

    जवाब देंहटाएं
  27. एक ज़माने में जनसत्ता भाषा के मामले में शीर्ष पर था ,कालान्तर में नव भारत ने वह स्थान हथियाया लेकिन जल्दी ही इसे अंग्रेजी की छूत लग गई .शुरू में हमें "रिसर्चरों ने पता लगाया प्रयोग" अटपटा लगा .कालान्तर में हम भी इसके ग्रास बन गए .साइंसदान नहीं लिखेगें ये लोग साइंटिस्ट लिखेगे .विज्ञानी नहीं लिखेंगे ,स्साला इस अखबार का तो नाम ही NBT हो गया है जैसे यह भी तपेदिक की कोई किस्म हो .बढ़िया मुद्दे उठाए हैं आपने .

    देखना पहली बार किसी महिला कण्डक्टर को
    - विष्णु बैरागी
    @ एकोऽहम्

    महिलाएं हैं हर जगह, पांव रही पसार ।
    हर क्षेत्र में जम रहीं, हर और विस्तार ।।

    जवाब देंहटाएं
  28. वाह हमें भी रु -ब -रु करवाया आपने इस शख्शियत से .सजीव चित्रण यात्रा का जो भूले न भूले .


    देखना पहली बार किसी महिला कण्डक्टर को
    - विष्णु बैरागी
    @ एकोऽहम्

    महिलाएं हैं हर जगह, पांव रही पसार ।
    हर क्षेत्र में जम रहीं, हर और विस्तार ।।

    जवाब देंहटाएं

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