आज एक दिसम्बर की चर्चा में आपका स्वागत है………मीठी मीठी ठंड ने दस्तक दे दी है तो हाथ पाँव जल्द गरम हो जायें इसलिये हम सजा लाये हैं आपके लिये चर्चा मंच पर रंग खास खास ………अरे भाई भागेगी सर्दी बस जैसे ही लिंक्स पढने के लिये क्लिक करोगे या कमेंट करने के माउस पकडोगे भूल जाओगे सर्दी ने दी है दस्तक ………तो हाजिर हैं आपके लिये आज के लिंक्स
लघुकथा : फूल और काँटे ...
साथ साथ चलते हैं
भगवानने आकर मुझसे कहा
मैं हूँ ना …………अगर समझे तो
फेसबुक वालों से इतनी दुश्मनी क्यों ?-- कानून अथवा तानाशाही ?
बिना तानाशाही कौन सा कानून लागू हुआ है
श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४०वीं कड़ी)
एक तू ही तू समाया है
लव पैरालल्स ऑन ए ट्रैम्पोलीन
यूँ भी बयाँ होती है मोहब्बत
इसमे क्या शक है
दानदाता का नाम..
क्यों बतायें
पाठकों को पोस्ट सुझाएँ Facebook Recommendation Bar से
पाठकों की हो गयी बल्ले बल्ले
लघुकथा : फूल और काँटे ...
साथ साथ चलते हैं
परिकल्पना का तीसरा सार्थक कदम
बढे चलो बढे चलोभगवानने आकर मुझसे कहा
मैं हूँ ना …………अगर समझे तो
फेसबुक वालों से इतनी दुश्मनी क्यों ?-- कानून अथवा तानाशाही ?
बिना तानाशाही कौन सा कानून लागू हुआ है
श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४०वीं कड़ी)
एक तू ही तू समाया है
दिन के अंतिम मुहाने पर रखा तेरी चाहत का तिलिस्म
देख तिलिस्म तोडते तोडते मज़ार के दिये भी बुझ गयेहटाओ धूल ये रिश्ते संभाल कर रक्खो
आखिर ज़िन्दगी की तिज़ोरी की यही तो कीमती कुंजी हैंनज़्म : मर्द और औरत
दो ध्रुव ही रहेगीतों में कभी कहीं धुप तो कहीं छांव ...
तभी तो मिलेगी ठाँवदिल से कुछ दूर न हो ...
और तुम पास रहोचिंतन ...
जरूरी हैलव पैरालल्स ऑन ए ट्रैम्पोलीन
यूँ भी बयाँ होती है मोहब्बत
कविता की सही समालोचना
ऐसे भी होती हैकार्टून कुछ बोलता है- अहम् बैठक
इसमे क्या शक है
दानदाता का नाम..
क्यों बतायें
दुखी हो लेना ही पर्याप्त नहीं है.
तो फिर ?पाठकों को पोस्ट सुझाएँ Facebook Recommendation Bar से
पाठकों की हो गयी बल्ले बल्ले
सुनो! मृगांका:27: तारे सब बबुना, धरती बबुनिया
सुन रही है ………तुम कहोhow to setup google analytics
तकनीक के दर्शनअब किसी काम नहीं आयेगी
क्यों?अशोक कुमार पाण्डेय
अहसासों की पोटली और अपनेपन का स्पर्शगुस्ताखियों को कहो ज़रा
गुस्ताख होना छोड दें2012 में इस दुनिया के अंत की संभावना हकीकत है या भ्रम ??(पहली कडी)
अब तो बता ही दीजिये
अच्छा स्कैच है...
आज की चर्चा को अब विराम ……अगले हफ़्ते फिर मिलते हैं ।
हेमंत सी सुंदर चर्चा और अच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें वंदना जी .....
Vandana ji thanks for providing great links.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा | कार्टूनिस्ट मयंक खटीमा के द्वारा डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का बनाया स्कैच बहुत भाया | कार्टून कुछ बोलता है- अहम् बैठक भी पसंद आया |
हटाएंइसके साथ ही मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद }
टिप्स हिंदी में : कोई तो बता दे मेरी पहचान क्या है ?
चर्चा और चर्चा में मेरा कार्टून शामिल करने हेतु आपका आभार वंदना जी !
जवाब देंहटाएंबड़ी ही रोचक चर्चा..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya charcha ... abhar
जवाब देंहटाएंवंदना जी , आपका आभार . शुक्रिया मेरी नज़्म को शामिल करने के लिए. चर्चा मंच बहुत अच्छा बन पड़ा है .. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंदुखी हो लेना ही पर्याप्त नहीं है.
जवाब देंहटाएंप्रतिभा सक्सेना
लालित्यम्
राहें चुन विध्वंस की, मस्त आसुरी शक्ति ।
धर्म रूप अंकुश कहाँ, जो कर सके विरक्ति ।
जो कर सके विरक्ति, चाटुकारों की टोली ।
इर्द-गिर्द थे जमा, एक से थे हमजोली ।
तोड़ केंद्र बेजोड़, दिया इतिहासिक आहें ।
चलिए रखें समेट, आज तक पड़ी कराहें ।।
चर्चा में शामिल होकर चारों ओर के हाल-चाल मिले ,आराम से बैठ कर पढ़नेवाले - धन्यवाद वंदना जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार इस प्रस्तुति के लिये
जवाब देंहटाएंसादर
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स
sarthak charcha v sundar links hetu aabhar . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सार्थक चर्चा । अच्छे लिंक्स का संयोजन ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संयोजन .....!!
जवाब देंहटाएंमीठा और ठंडा दिसम्बर में आपका स्वागत है :)
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त टिप्पणियों के साथ बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
अच्छा लगा. शुक्रिया.
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