मित्रों!
सभी पाठकों और ब्लॉगरों को “मयंक” शास्त्री का नमस्कार! प्रस्तुत हैं रविवार के लिए कुछ रचनाधर्मियों की पोस्टों के लिंक!
|
एफ डी आई लागू करने में बुराई नहीं
मित्रों मेरा स्पष्ट मानना रहा है कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश राष्ट्र के लिए विनाशकारी है, मेरी ऐसी धारणा के अनेकानेक कारण रहे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न प्रकार से हैं, 1. मेरी सबसे बड़ी आशंका यह है कि बड़े विदेशी व्यापारी आकर हमारी अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर सकते हैं, इसका कारण यह कि 51 फीसदी विदेशी निवेश के कारण आधिपत्य विदेशी कम्पनियों का ही रहेगा, जाहिर है *विदेशी कम्पनियां यहां जनकल्याण हेतु नहीं वरन मुनाफाखोरी के लिए ही आ रही हैं…
|
लिखने को बेकरार
*-* लिखने को बेकरात लेखनी रुक न पाएगी पुरवैया के झोंकों सी बढती जाएगी सर्द हवा के झोंकों का अहसास कराएगी जब कभी गर्मीं होगी प्रभाव तो होगा मौसम के परिवर्तन की अनुभूति भी होगी बारिश की बूंदाबांदी कभी भूल न पाएगी वे सारे अनुभव उन बूंदों के स्पर्श को सब तक पहुंचाएगी | यहाँ वहाँ जो हो रहा छुंअन उसकी महसूस होगी प्रलोभन भी होगा पर वह बिकाऊ नहीं है बिक न पाएगी | अपने निष्पक्ष विचारों का बोध कराएगी यही है धर्म उसका जिस पर है गर्व उसे वह है स्वतंत्र अपना धर्म निभाएगी | आशा
|
(क) ..सत्ता जीती संसद हारी ,
ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं : सत्ता जीती संसद हारी , हारा जनमत सारा है , चार उचक्के दगाबाज़ दो , मिलकर खेल बिगाड़ा है . प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
(ख)...सेहतनामाअमरीकियों की लार्ज पोर्शन खाने की आदत उन्हें मोटापे की और ले जा रही है अब धीरे धीरे स्माल पोषण की और आ रहे हैं .प्लेट का साइज़ भी छोटा किया जा रहा है .मिशिगन अमरीका मोटापे की राजधानी हैं . अब पता चला है लार्ज पोर्शन कम खाने की आदत डालने से निरंतर ऐसा ही करते जाने से खून में घुली चर्बी का स्तर कम हो जाता है .खासकर महिलाओं के मामले में यह मोटापे को और बढ़ने से रोकने में कारगर रहा है .इसी के साथ इनके लिए दिल की बीमारियों की ज़द में आने के खतरे का वजन भी कम होता जाता है . |
-तुमने स्वीकारा अपना प्रेम
और छोड दिया एक प्रश्न मेरी तरफ़ …
मेरी स्वीकार्यता मेरे जवाब का इंतज़ार
तुम्हारे लिये शेष रहा ……
|
BIKANER- Desnok Karni Mata's Rats Temple बीकानेर- दशनोक करणी माता का चूहे वाला मन्दिररामदेवरा बाबा के यहाँ से जब चले तो शाम का समय हो रहा था। उस समय बीकानेर के लिये कैसी भी मतलब सवारी गाड़ी या तेजगति वाली एक्सप्रेस गाडी भी नहीं मिलने वाली थी। इस कारण हमने बीकानेर जाने के लिये बस से आगे की यात्रा करने की ठान ली। वहाँ से बीकानेर १५० किमी से ज्यादा दूरी पर है। यहाँ आते समय जिस बस अड़डे पर उतरे थे हम वहीं पहुँच गये, वहाँ जाकर मालूम हुआ कि इस समय यहाँ से बीकानेर की बस मिलनी मुश्किल है अगर आपको बीकानेर जाने वाली बस पकड़नी है तो आपको लगभग एक किमी आगे हाईवे पर जाना होगा। हाईवे से होकर जानेवाली बसे जैसलमेर/पोखरण से सीधी बीकानेर चली जाती है। हम सीधे पैदल ही हाई-वे पहुँच गये... | सात ताल , उत्तराखंड का सफरyatra (यात्रा ) मुसाफिर हूं ..............अब नम्बर था सातताल का क्योंकि मुझे केवल सवा घंटा हुआ था और मै भीमताल और नौकुचियाताल दोनो जगह देख चुका था । मैं वापस भीमताल पहुचा और वहां पर एक आदमी से रास्ता पूछा सातताल का उसने बताया कि यहां से भुवाली वाले रास्ते पर चलते रहो आगे जाकर एक तिराहा आयेगा जिससे थोडा आगे चलते ही तुम्हे बोर्ड लिखा मिल जायेगा । मैने यही किया और यहां पर आगे चलकर एक तिराहा आया और उससे थोडा लगभग दो या तीन किलोमीटर चलकर ही रास्ता कट रहा था सातताल के लिये.. |
घुघूतीबासूती आदमियों की सम्भाल पति को अकेले छोड़ बिटिया के पास जाना है उससे पहले कामवाली को उनके योग्य खाना बनाना सिखाना है लो सोडिअम, लो फैट, लो ग्लाइसिमिक इन्डैक्स, लो कार्बोहाइड्रेट के... | रूप-अरूप दिसंबर के दिन...बस वे दिन सर्दियों के दिन....कोहरे-कुहासों के दिन...गुनगुनी धूप की गर्माहट लिए गुजरे यादों के दिन...वे दिन...बस वे दिन... |
" जीवन की आपाधापी " हाँ .. हाँ ... हाँ .... मैं भ्रष्टाचारी हूँ ( व्यंग्य ) ........>>> संजय कुमार जब देखो , जहाँ देखो , जिसे देखो आज मेरे पीछे हाँथ धोकर नहीं बल्कि नहा -धोकर पीछे पड़ा है ! कहीं मेरे खिलाफ जुलुस निकाले जाते हैं तो कहीं नारे लगाये जाते हैं... | न दैन्यं न पलायनम् मन है, तनिक ठहर लूँ - मन फिर है, जीवन के संग, कुछ गुपचुप बातें कर लूँ । बैठ मिटाऊँ क्लेश, रहा जो शेष, सहजता भर लूँ ।। देखो तो दिनभर, दिनकर संग दौड़ रही, यश प्रचण्ड बन... |
अजित गुप्ता का कोना राजा के दरबारियों की वर्दी एक युवा किसान था, अपने गाँव में खेती करता था और अपने माता-पिता के साथ प्रसन्नतापूर्वक रह रहा था। एक बार गाँव में राजा आए, उनके साथ उनका पूरा लाव-लश्कर .. | खामोश दिल की सुगबुगाहट...shekhar suman... ये सर्दियां और तुम्हारे प्यार की मखमली सी चादर... -आज मौसम ने फिर करवट ली है, ज़रा सी बारिश होते ही हवाओं में ठण्ड कैसे घुल-मिल जाती है न, ठीक वैसे ही जैसे तुम मेरी ज़िन्दगी के द्रव्य में घुल-मिल गयी हो...... |
An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय * कितना पैसा कितना काम - आलेख - *(अनुराग शर्मा)* वेतन निर्धारण एक जटिल प्रक्रिया है। भारत में एक सरकारी बैंक की नौकरी के समय उच्चाधिकारियों द्वारा जो एक बात बारम्बार याद दिलाई जाती थी... | ब्लॉग"दीप" कृपया अपनी राय दें इस ब्लॉग में संकलन के लिए मैंने ब्लोग्स को विभिन्न श्रेणियों में बांटा है । - ब्लॉग संकलक, - पोस्ट चर्चा, - महिलाओं के ब्लॉग से, - गद्य रस से,... |
मास्टर्स टेक टिप्स WinRar फुल वर्जन सोफ्टवेयर डाऊनलोड करें | शीर्षक : उम्मीदों को छोड़ो - हकीकत को मानो । पथ को पहचानो। उस पथ पर चलाना सीखो । खुद की उमीदो को छोड़ो । बात मानो तो , खुद को पहचानो… | Tech Prévue · तकनीक दृष्टा Google Adsense Approval के बारे में आवश्यक बातें -RequirementsGoogle Adsense मुफ़्त है, यह आनलाइन आमदनी का एक सरल तरीक़ा है |
फैंसी एनीमेटिड बटन अपने ब्लॉग पर कैसे स्थापित करें ]आज की पोस्ट में पेश है कूल फैंसी ऐनीमेटिड . | सैमसंग ने भारत में जारी की विण्डोज़ ८ टचस्क्रीन अल्ट्राबुक – सीरीज ५ अल्ट्रा टच - एटिव स्मार्ट पीसी तथा स्मार्ट पीसी प्रो के साथ सैमसंग ने भारत में सीरीज ५ अल्ट्रा टच नामक विण्डोज़ ८ अल्ट्राबुक भी लॉञ्च की है….। | म्हारा हरियाणा तलाश ...इस मन की -आज दिन में आमिर खान ,रानी मुखर्जी और करींना कपूर खान अभिनीत तलाश फिल्म देखी ,फिल्म अच्छी थी ,धीमी गति से चलती हुई सी |
वटवृक्ष शूर्पणखा:एक शोध!(हास्य रस)- पक्ष मौन का भी पक्ष शोर का भी पक्ष आतंक का भी ..... शोध उर्मिला,मानवी है तो शूर्पनखा भी !!! | बोलता सन्नाटा अमर प्रेम सूरज अब तू अपने घर जा साँझ लगी ढलने मैं भी धीरे-धीरे पहँुचँू घर आँगन अपने। सुबह सवेरे फिर आ जाना उसी ठिकाने पर पंक्षी जब नीड़ों से निकलें फैला अपने पर तब ... | कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली...... त्रिवेणी - सुनकर चौंक से गये हैं कान *रस हवाओ में घोल रहा है.. *जाने किस दर्द में परिंदा बोल रहा ! |
ठाले बैठे उस पीर को परबत हुए काफ़ी ज़माना हो गया – नवीन हैं साथ इस खातिर कि दौनों को रवानी चाहिये, पानी को धरती चाहिए धरती को पानी चाहिये, ऐ जाने वाले कुछ अलग तस्वीर देता जा, तेरी सब कुछ भुलाने के लिए कुछ तो निशानी चाहिए... | "मेरे भाव मेरी कविता" कुछ अलग कर देखे तमन्ना मन में है यह उठी, खुद से रूबरू हो कर आज, एक खूबसूरत ख्वाब देखे, निगाहों से धोखे खाए कई, मगर आज निगाहों से ही, एक धोखा कर कर देखें.. | मेरे मन की खुशनुमा मौसम... *फ़िर सुहाना मौसम आया है हर ओर बहुत खूबसूरत नजारा है खुश्बू से मैं जान पाई हूँ इस मौसम को अहसास पाई हूँ तुम्हारा साथ था तो… |
Mausam सूखे पत्ते - कई साल पहले एक सपना देखा था जो टूट गया लेकिन उसके टुकड़े अबतक दिल में धंसे हुए हैं। ये टुकड़े ऐसे ही है जैसे की कोई बम का गोला फटे आपके बगल में और… | मेरी कविता संकलन-1 जब जागो तुम नींद से, जानो तभी सवेरा है । जाग के भी गर आँख बंद, चारों तरफ अँधेरा है ।। तुम जो आये है खिला, मन का ये संसार… । | परिकल्पना मौन को सुरक्षित कर लिया *छीनना तुमने अपना अधिकार बना लिया* *पर यथासंभव मैंने अपने मौन को सुरक्षित कर लिया *यह मौन - मेरा अस्तित्व मेरा व्यक्तित्व है.. |
एफडीआई पर जनतंत्र हार गया राजनीति के सामने !!शंखनादएफडीआई पर संसद में जिस तरह की राजनितिक कलाबाजियां दिखाई गयी उसको देखकर जनता के मन में नेताओं के प्रति जो अविश्वास का भाव था उसमें और इजाफा ही हुआ है ! उसको देखकर ऐसा लगा कि जनता के सरोकार इन राजनितिक पार्टियों के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं और इनकी राजनीति जनता के सरोकारों से ज्यादा जरुरी है ! देशहित की बड़ी बड़ी बातें इनके लिए केवल कहने भर को रह गयी है जबकि इनके व्यवहार से ऐसा लगता है कि इनके निजी हित देश हित से भी बड़े हो गये हैं !! जिन पार्टियों ने संसद में एफडीआई का विरोध किया उन्ही ने एफडीआई के विरुद्ध संसद में मतदान नहीं किया तो जनता कैसे मान लें कि वो पार्टियां विरोध में है .. |
आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ादअसफल तो अपराध .कानूनी ज्ञान*आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध .* * * * * * भारतीय दंड सहिंता की धारा ३०९ कहती है -''जो कोई आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा ओर उस अपराध को करने के लिए कोई कार्य करेगा वह सादा कारावास से ,जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा .''* सम्पूर्ण दंड सहिंता में ये ही एक ऐसी धारा है जिसमे अपराध के होने पर कोई सजा नहीं है ओर अपराध के पूर्ण न हो पाने पर इसे करने वाला सजा काटता है.ये धारा आज तक न्यायविदों के गले से नीचे नहीं उतरी है क्योंकि ये ही ऐसी धारा है जिसे न्याय की कसौटी पर खरी नहीं कहा जा सकता है |
मैं इतना सोच सकता हूँ - 10My Poems - meri kavitayen...51 मैं अंधों को दिखाकर रास्ता संतुष्ट होता हूँ मगर इन स्वस्थ आँखों की व्यथा पर रुष्ट होता हूँ नहीं उपलब्ध साधन साध्य फिर भी व्योम छूना है मैं इतना सोच सकता हूँ नहीं संतुष्ट होता हूँ 52 मैं अक्सर रात को उठ बैठकर सपने सुलाता हूँ भरी आँखों से सारी स्रष्टि की रचना भुलाता हूँ मेरी हर थपथपाहट पर वो सपना मुस्कराता है… |
आह्वान ...दिल की बातेंचलो उठो उठाओं फावड़े खोदो कब्र कुछ जिन्दा लाशों को दफनाना हैं । धरती का बोझ कुछ कम करना हैं । |
सिराज-उद- दौलाह और मीर कासिम की इस हार के मायने? -एक तुलनात्मक लेखा-जोखा !अंधड़ !क्या सचमुच अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के बैनर तले प्लासी और बक्सर का युद्ध एक बार पुन: जीत लिया है?सवाल कुछ लोगो के लिए मामूली सा, कुछ के लिए गंभीर और कुछ के लिए हास्यास्पद भी हो सकता है, किन्तु अठारह्वीं सदी (सन 1754-1764)और इक्कीसवी सदी( सन 2004-2014) के इन दो महत्वपूर्ण युद्धों के बीच मुझे तो अनेक समानताएं नजर आ रही है… |
हे आमिर! उल्लू नहीं है पब्लिकचौराहा*ज़रूरी सलाह बनाम खीझ* *- चण्डीदत्त शुक्ल* *आमिर खान साहेब नहीं आए।* बुड़बक पब्लिक उन्हें `तलाश' करती रही। सिर्फ पब्लिक नहीं, बांग्ला मिजाज़ में कहें तो भद्रजन भी। पुलिसवाले और लौंडे-लपाड़ियों के अलावा, शॉर्ट सर्विस कमीशन टाइप पत्रकार, रिक्शा-साइकिल-मोटरसाइकिल स्टैंड वाले भी। चौंकिएगा नहीं, शॉर्ट सर्विस बोले तो कभी-कभार ये धंधा कर लेने वाले |
बात न करो इस वीराने में बस्ती बसाने की बात न करो, समुन्दर में कागज की कस्ती चलाने की बात न करो! -0-0-0- "दोहे-समझ गया जनतन्त्र" दाँव-पेंच के खेल को, समझ गया जनतन्त्र।। लोकतन्त्र के पर्व में, असर करेगा मन्त्र।१। सभी दलों के सदन में, थे प्रतिकूल विचार। संसद में फिर भी हुई, लोकतन्त्र की हार।२।... |
अन्त में देखिए कुछ कार्टून! Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून कार्टून :- FDI का साइड इफ़ेक्ट गुड़ हुए गुलफ़ाम हुए, फिर भी न तमाम हुए |
कार्टूनिस्ट-मयंक खटीमा (CARTOONIST-MAYANK) "जय हो FDI..." (कार्टूननिस्ट-मयंक) *परदेशी-परदेशी जाना नहीं!* * * |
Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA FDI का ऊंट पर असर - |
ऍफ़.डी.आई के रंगों से सराबोर है आज की चर्चा .सही भी है जब देश पर इसका कला धुंआ छाने जा रहा हो तो चर्चा मंच इसकी छाया से कैसे बच सकता है .मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंप्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध [कानूनी ज्ञान ] और [कौशल ].शोध -माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता .पर देखें और अपने विचार प्रकट करें
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुत की है आपने .आभार सोनिया जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुरंगी लिंक्स के साथ उम्दा चर्चा है |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
उम्दा चर्चा है
जवाब देंहटाएंचर्चा तैयार करने की मेहनत झलक रही है।
जवाब देंहटाएंरविवारीय चर्चा के लिए तैयार चर्चा मंच पर अच्छी रचनाओं और लेखों को शामिल किया है आपने और चर्चा मंच में मेरा लेख शामिल करने के लिए आपका आभार !!
जवाब देंहटाएंअभी भारत को आजाद हुए मात्र 65 वर्ष हुए हैं हमने फिर भी वोही गल्ति कर ली है जो 16वीं सदी में की थी। http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा....विस्तृत चर्चा....
जवाब देंहटाएंलिंक्स बारी बारी देखती हूँ...
सादर
अनु
बहुआयामी पोस्ट बड़े करीने सी सजी मुक़द्दस मुकामो पयाम के साथ.....कार्टूनों के क्या कहने ....सुन्दर समीचीन चर्चा सर ! बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावी सूत्र संजोये हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत ही रंग बिरंगी चर्चा.. खामोश दिल की सुगबुगाहट को शामिल करने का शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री सर सतरंगी चर्चा काफी माल इकठ्ठा है आज की चर्चा में
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स सहेजे हैं …………………शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया चर्चा | FDI पर काफी लिंक संजोएं है | अपनी चर्चा में टिप्स हिंदी में को स्थान देने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी चर्चा है खास कर FDI पर, जो की ज्वलंत समस्या है या हल हर भारतीय उसी गुत्थी में उलझा है|
जवाब देंहटाएंमेरी काव्य रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आभार|
Thanks Mayank ji
जवाब देंहटाएं---
Top Commentators Widget in a New Design
विजेट- किसने लिखे सबसे ज़्यादा कमेंट?
शास्त्री जी सादर प्रणाम, मेरे ब्लाग को प्रमुखता से स्थान देने हेतु मैं हृदय से आभारी हूं, एफ डी आई एक ज्वलंत समस्या है, परन्तु दूसरी तरफ लोकतंत्र एवं संसदीय प्रणाली देश का आधार स्तम्भ, तो क्या हुआ यदि हमें यह लगता है कि एफ डी आई देश के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकती है, लोकतंत्र के मंदिर ने बहुमत के आधार पर जब इसे स्वीकार किया है तो हमें थोड़ा भरोसा देश के नीति नियंताओं पर भी रखना चाहिए,
जवाब देंहटाएंशालिनी जी, अखिलेश जी और सभी मित्रों का सादर आभार जिन्होंने मेरे ब्लाग पर पधार कर मुझे गौरवान्वित किया,
कार्टूनों को भी सम्मिलित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंमयंक जी धन्यवाद। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुत की है आपने....मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंWelcome Shastri ji , Masters tach post shamil karne ke liye Thanks.and bahut achi charcha sjai hai hmeshan ki tarah.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक आलेख भाईसाहब .संसद का नीति गत आधार ढह चुका है .सत्ता के दल्ले दल्लियाँ नीतियाँ लागू करवा रहें हैं
,डी आई जी के हाथ से पान खा रहें हैं .सोने चांदी में खुदको तुलवा रहें हैं .चांदी की जूती और सोने का जूड़ा बांधतीं हैं एक
दलित देवी .जिधर सीरा मिले खिसक लो .
एफडीआई पर जनतंत्र हार गया राजनीति के सामने !!
शंखनादएफडीआई पर संसद में जिस तरह की राजनितिक कलाबाजियां दिखाई गयी उसको देखकर जनता के मन में नेताओं के प्रति जो अविश्वास का भाव था उसमें और इजाफा ही हुआ है ! उसको देखकर ऐसा लगा कि जनता के सरोकार इन राजनितिक पार्टियों के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं और इनकी राजनीति जनता के सरोकारों से ज्यादा जरुरी है ! देशहित की बड़ी बड़ी बातें इनके लिए केवल कहने भर को रह गयी है जबकि इनके व्यवहार से ऐसा लगता है कि इनके निजी हित देश हित से भी बड़े हो गये हैं !! जिन पार्टियों ने संसद में एफडीआई का विरोध किया उन्ही ने एफडीआई के विरुद्ध संसद में मतदान नहीं किया तो जनता कैसे मान लें कि वो पार्टियां विरोध में है ..
मनोज भाई बहुत सटीक तर्क जुटाए हैं .अर्थ शास्त्र समझाया है जो अनर्थ करने जा रहा है सेल्स बोइज /गर्ल्ज़ गढ़ने जा रहा है
जवाब देंहटाएंदसवीं पास .कल को मुक्त होम सप्लाई का लालच भी दे सकतें हैं .
एफ डी आई लागू करने में बुराई नहीं
आइये, कुछ बातें करें ! (Let's Talk)
मित्रों मेरा स्पष्ट मानना रहा है कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश राष्ट्र के लिए विनाशकारी है, मेरी ऐसी धारणा के अनेकानेक कारण रहे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न प्रकार से हैं, 1. मेरी सबसे बड़ी आशंका यह है कि बड़े विदेशी व्यापारी आकर हमारी अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर सकते हैं, इसका कारण यह कि 51 फीसदी विदेशी निवेश के कारण आधिपत्य विदेशी कम्पनियों का ही रहेगा, जाहिर है *विदेशी कम्पनियां यहां जनकल्याण हेतु नहीं वरन मुनाफाखोरी के लिए ही आ रही हैं…
गीतकार का भाव बोध ,गीत का विधान ,शब्द आयोजन ,भाव अर्थ सबसे बड़ा है इस गीत में .कहीं कहीं सायास प्रयास भी हैं पर भावना का निश्छल आवेग प्रबल है .
जवाब देंहटाएंन दैन्यं न पलायनम्
मन है, तनिक ठहर लूँ - मन फिर है, जीवन के संग, कुछ गुपचुप बातें कर लूँ । बैठ मिटाऊँ क्लेश, रहा जो शेष, सहजता भर लूँ ।। देखो तो दिनभर, दिनकर संग दौड़ रही, यश प्रचण्ड बन.
जवाब देंहटाएंथके मांदे इंसान की हौसला अफजाई करती है यह रचना .
"दोहे-समझ गया जनतन्त्र"
दाँव-पेंच के खेल को, समझ गया जनतन्त्र।।
लोकतन्त्र के पर्व में, असर करेगा मन्त्र।१।
सभी दलों के सदन में, थे प्रतिकूल विचार।
संसद में फिर भी हुई, लोकतन्त्र की हार।२।...
लिंग तो दुरुस्त कर लो ये हथनी सदैव सत्ता के साथ रहती है घोषित नीति है यह "बसपा" की .अनिश्चय कुछ भी नहीं है इस बाबत .अलबता बातें देश हित की कर लेती है .हाथियों की ईमानदारी और सहजता को बदनाम किया है इस दलित देवा ने .
जवाब देंहटाएंCartoon, Hindi Cartoon,
Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
FDI का ऊंट पर असर -
जवाब देंहटाएंदेखा कैसी बांछें खिल रही हैं मम्मीजी के लाडले की .
कार्टूनिस्ट-मयंक खटीमा (CARTOONIST-MAYANK)
"जय हो FDI..." (कार्टूननिस्ट-मयंक)
*परदेशी-परदेशी जाना नहीं!* * *
लिखने को बेकरार
जवाब देंहटाएंलेखनी रुक न पाएगी
पुरवैया के झोंकों सी
बढती जाएगी
सर्द हवा के झोंकों का
अहसास कराएगी
जब कभी गर्मीं होगी
प्रभाव तो होगा
मौसम के परिवर्तन की
अनुभूति भी होगी
बारिश की बूंदाबांदी
कभी भूल न पाएगी
वे सारे अनुभव
उन बूंदों के स्पर्श को
सब तक पहुंचाएगी |
यहाँ वहाँ जो हो रहा
छुंअन उसकी महसूस होगी
प्रलोभन भी होगा
पर वह बिकाऊ नहीं है
बिक न पाएगी |
अपने निष्पक्ष विचारों का
बोध कराएगी
यही है धर्म उसका
जिस पर है गर्व उसे
वह है स्वतंत्र
अपना धर्म निभाएगी |
पर आशा टिपण्णी करने कहीं नहीं जायेगी .श्रेष्ठी बोध रचाएगी .
9 दिसम्बर 2012 5:14 pm
लिखने को बेकरार
Akanksha
जवाब देंहटाएंअजी प्रधान मंत्री क्या इस देश में तो ऐसे राष्ट्रपति भी हैं जिन्हें लिफ्ट से उठाकर विमान में लादना पड़ता था .अच्छा है पहले ही बीमार होलें वरना .........छुटभैयों की तरह बाद में तिहाड़ जाना पड़ेगा .सटीक प्रहार रिमोटिया लोकतंत्र पर .
गुड़ हुए गुलफ़ाम हुए, फिर भी न तमाम हुए
बढ़िया प्रस्तुति है भाई साहब (हमदर्द को मिलाके लिखें हम दर्द अलग अलग न लिखें ).
जवाब देंहटाएंबात न करो
इस वीराने में बस्ती बसाने की बात न करो,
समुन्दर में कागज की कस्ती चलाने की बात न करो!
-0-0-0-
जवाब देंहटाएंमैं अँधा हो चूका हूँ देखकर अंधी हुई दुनिया
(हो चुका हूँ )
मेरी आंखें भी ढूँढें हैं कोई क्रेता कोई बनिया
नयी सी रौशनी लेकर कोई बालक बुलाता है
मैं इतना सोच सकता हूँ मेरे कंधे तेरी दुनिया
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .बेहतरीन अर्थ छटा लिए हुए .
मैं इतना सोच सकता हूँ - 10
My Poems - meri kavitayen...
51 मैं अंधों को दिखाकर रास्ता संतुष्ट होता हूँ
मगर इन स्वस्थ आँखों की व्यथा पर रुष्ट होता हूँ
नहीं उपलब्ध साधन साध्य फिर भी व्योम छूना है
मैं इतना सोच सकता हूँ नहीं संतुष्ट होता हूँ 52
मैं अक्सर रात को उठ बैठकर सपने सुलाता हूँ
भरी आँखों से सारी स्रष्टि की रचना भुलाता हूँ
मेरी हर थपथपाहट पर वो सपना मुस्कराता है…
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .बेहतरीन अर्थ छटा लिए हुए .
जवाब देंहटाएंआत्म ह्त्या के मानवीय पहलू को मुखर करता है यह आलेख .कई मानसिक रोगों में आत्म हत्या करने की प्रवृत्ति
रहती है ऐसे में रोग के लक्षण को अपराध कैसे माना जा सकता है यहाँ तो ज़रुरत इलाज़ की है इमदाद की है .तथ्यों
और तर्कों की कसौटी पर खरा उतरता है यह आलेख .बहुत बढ़िया रहा है इस चर्चा मंच
आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ाद
असफल तो अपराध .
कानूनी ज्ञान
*आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध .* * * * * * भारतीय दंड सहिंता की धारा ३०९ कहती है -''जो कोई आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा ओर उस अपराध को करने के लिए कोई कार्य करेगा वह सादा कारावास से ,जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा .''* सम्पूर्ण दंड सहिंता में ये ही एक ऐसी धारा है जिसमे अपराध के होने पर कोई सजा नहीं है ओर अपराध के पूर्ण न हो पाने पर इसे करने वाला सजा काटता है.ये धारा आज तक न्यायविदों के गले से नीचे नहीं उतरी है क्योंकि ये ही ऐसी धारा है जिसे न्याय की कसौटी पर खरी नहीं कहा जा सकता है
बहुत सुन्दर लिंक्स संयोजन…………………शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंमंच में मेरी रचना को जगह देने के लिए शुक्रिया,,,शास्त्री जी,,,
बहुत बढ़िया चर्चा लगाई है आज आपने | मेरा काव्य-पिटारा और ब्लॉग"दीप" को जगह देने के लिए हार्दिक आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स.............
जवाब देंहटाएं