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Friday, December 07, 2012

अन्दर मेल-मिलाप, बना सत्ता का तोता : चर्चा मंच 1086

मुलायम-माया के प्रदेश में प्रवास पर 29 दिसंबर तक -रविकर फैजाबादी  (झारखंडी)

1

बीस बरस का छह दिसंबर : यादों से एक चेहरा

Ashok Kumar Pandey 

2

अक्स दिखाता आइना

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 
3

RISKY SEX DOING US IN

Virendra Kumar Sharma 

Asha Saxena 

वाणी गीत 

7

डिम्पल तुम्हारे साथ पूरा हिंदुस्तान है !

डॉ शिखा कौशिक ''नूतन '' 

कौशलेन्द्र 

9

बदलते बच्चे बिखरता बचपन

kanupriya 

10

हिन्‍दु मंदिर मामला - बिल्‍डर जीत गया, मैं हार गई

Kulwant Happy "Unique Man" 

17

यू पी माया विकट, मुलायम मूषक होता -

A

रंगे सियार ..

  ZEAL  
होता पर्दाफाश है, खा खरबूजा खाज ।
 हुक्कू हूँ डट के किया, जोर-शोर का राज ।
जोर-शोर का राज, ऊँट किस करवट बैठे ।
बड़े मतलबी दोस्त, रहे बाहर से ऐंठे ।
अन्दर मेल-मिलाप, बना सत्ता का तोता ।
यू पी माया विकट, मुलायम मूषक होता ।

B

कौड़ियों के मोल जान- मेरा भारत महान !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
 आला अधिकारी लड़ें, नेता भी मशगूल |
शर्मिंदा है मेडिकल, करते ऊल-जुलूल |
करते ऊल-जुलूल, हजारों बन्दे मारो  |
मातु-पिता को जेल, नार्वे में फटकारो |
रविकर यह दुर्दशा, पड़ा सत्ता से पाला |
डायलिसिस पर देश, डाक्टर खोता आला ||

होंगे ख़त्म बिचौलिया, भरे माल में माल ।
खेतिहर मालामाल हो, ग्राहक भी खुशहाल ।
 ग्राहक भी खुशहाल, मिले मामा परदेशी ।
ईस्ट-इंडिया काल, लूट करते क्या वेशी ?
रविकर बड़े दलाल, बटोरेंगे अब ठोंगे ।
दस करोड़ बदहाल, आप भी इनमें होंगे ।।

महेन्द्र श्रीवास्तव  
संसद से चालू सड़क, धड़क धड़क गिरि जाय |
कुत्तों से ही अनगिनत, रविकर झुण्ड दिखाय  |
रविकर झुण्ड दिखाय, इन्हें भी सिंह कहे हैं-
होकर राजा श्रेष्ठ, शेरनी-जुल्म सहे हैं |
रहे बोलती बंद, प्रफुल्लित हम हैं बेहद |
जारी है दृष्टांत, देखनी यह भी संसद ||

34 comments:

  1. रविकर जी!
    आप 29 दिसम्बर तक प्रवास पर उत्तरप्रदेश जा रहे हैं। चर्चा तो आपकी आती ही रहेगी न!
    यदि किसी शुक्रवार को चर्चा करना सम्भव न हो तो मुझे फोन पर बता दीजिएगा। मैं लगा दूँगा!
    आज की चर्चा में आपने बढ़िया लिंकों का समावेश किया है!
    आभार आपका!
    आपकी यात्रा मंगलमय हो!

    ReplyDelete
  2. अच्छी लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    ReplyDelete
  3. रविकर भाई, आपने हमेशा की तरह उपयोगी और सार्थक लिंक उपलब्‍ध कराए हैं! तस्‍लीम की पोस्‍ट को यहां पर स्‍थान देने के लिए आभार।
    ...........

    एक रोचक बाल उपन्‍यास...

    ReplyDelete
  4. अच्छी चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत आभार !

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  5. बहुत ही सुन्दर सूत्र..

    ReplyDelete
  6. रविकर भाई बहुत सुन्दर चर्चा सभी पठनीय सूत्र आपकी यात्रा मंगलमय हो बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर चर्चा हेतु

    ReplyDelete
  7. सुन्दर लिंक्स …………बढिया चर्चा

    ReplyDelete
  8. रविकर सर नमस्कार बेहद खूबसूरती से सजाया है चर्चामंच सभी लिंक्स शानदार हैं, मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहे दिल से शुक्रिया.

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर चर्चा, अच्छे लिंक्स
    मुझे स्थान देने के लिए आभार

    ReplyDelete
  10. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

    ReplyDelete
  11. अच्‍छे लिंक्‍स ... बेहतरीन प्रस्‍तुति.

    ReplyDelete

  12. सबसे पहला काम पहले :शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया हमें चर्चा में बिठाने के लिए .

    सेतु सजाये हैं जतन से ,अर्थ पूर्ण सभी .मेहनत है अकूत की आपने .

    ReplyDelete


  13. पीपल के जर जर उम्र दराज़ वृक्ष का जबरजस्त मानवीकरण ,उम्र के निशाँ छिपाए न छिपे यह निखार है काव्य में बिम्बों का जो एक बूढ़े को ला बिठाएं हैं पीपल की छाँव तले जहां अब छाँव कहाँ .

    अक्स दिखाता आइना
    अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)
    अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

    ReplyDelete
  14. बहुत खूब इस रंग बदलती कायनात में जी जितना जे सके तू .जी .

    कदम बढाए साथ साथ
    आसमान में जीवन के
    हैं प्रसन्न वर्तमान मैं
    कल की किस को खबर |

    तुम्हें न आने की जिद ,

    हमें रोज़ आ जाने की जिद ,

    तुम अपनी जिद पे रहो

    हम अपनी पे रहे आयेंगे ,

    कभी तो मंजिल पायेंगे ,

    एक टिपण्णी खोज के लायेंगे .

    ReplyDelete

  15. बढ़िया बिम्ब सजाएं हैं भाव जगत को शब्दों ढालने के लिए ,तस्वीर है की बनती नहीं निर्माण ज़ारी है .अन्वेषण भी खुद का .

    ReplyDelete
  16. बहुत खूब है सर .

    सबसे पहला काम पहले :शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया हमें चर्चा में बिठाने के लिए .

    सेतु सजाये हैं जतन से ,अर्थ पूर्ण सभी .मेहनत है अकूत की आपने .

    पीपल के जर जर उम्र दराज़ वृक्ष का जबरजस्त मानवीकरण ,उम्र के निशाँ छिपाए न छिपे यह निखार है काव्य में बिम्बों का जो एक बूढ़े को ला बिठाएं हैं पीपल की छाँव तले जहां अब छाँव कहाँ .

    बहुत खूब इस रंग बदलती कायनात में जी जितना जे सके तू .जी .

    कदम बढाए साथ साथ
    आसमान में जीवन के
    हैं प्रसन्न वर्तमान मैं
    कल की किस को खबर |

    तुम्हें न आने की जिद ,

    हमें रोज़ आ जाने की जिद ,

    तुम अपनी जिद पे रहो

    हम अपनी पे रहे आयेंगे ,

    कभी तो मंजिल पायेंगे ,

    एक टिपण्णी खोज के लायेंगे .

    बढ़िया बिम्ब सजाएं हैं भाव जगत को शब्दों ढालने के लिए ,तस्वीर है की बनती नहीं निर्माण ज़ारी है .अन्वेषण भी खुद का .

    अब क्या करें टिपण्णी जा रही हैं शाश्वत स्पेम बोक्स में .

    ReplyDelete
  17. "हम साथ-साथ हैं" (कार्टूननिस्ट-मयंक)
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
    कार्टूनिस्ट-मयंक खटीमा (CARTOONIST-MAYANK) - अजी कल इधर थे आज उधर ,लोक सभा से राज्य सभा तक का सफर कितना मुख्त्सार है Ms Maya Vatiji .

    ReplyDelete
  18. मगर उनके बिना जाहिद हमें जीना नहीं आता ,

    मरना नहीं भाता .
    उन्हें सुनना नहीं आता, हमें गाना नहीं आता।
    उन्हें चलना नहीं आता, हमें ढोना नहीं भाता।।

    ReplyDelete
  19. बढ़िया लगा जांचना परम्परा गत उपायों का ,अब तो सिलिकोन प्रत्यारोप लगातें हैं पता नहीं चलता कौन बडवा कौन पीन्स्तनी है .(पीन स्तनी ).ब्रेस्ट इम्प्लांट गोलमाल किये रहते हैं सब .

    ReplyDelete
  20. सुंदर चर्चा लगाई है आज आपने | अच्छे लिंक्स के साथ अच्छी टिप्पणियाँ |

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  21. लो कल्लो बात लोकसभा से राज्य सभा तक का सफर कितना मुख़्तसर निकला सब राम की माया ,मुलायम का साया जो बच्चा कल तक पूतना से डरे था आज उसी का दूध पी रहा है .

    बोले माधुरी वाणी ,त्रिगुण फांस लिए करी डोले ,बोले माधुरी वाणी ,माया महा ठगनी हम जानी ....

    "हम साथ-साथ हैं" (कार्टूननिस्ट-मयंक)
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)

    ReplyDelete
  22. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुत की है आपने .आभार

    ReplyDelete
  23. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार

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  24. ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस

    पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं :

    सत्ता जीती संसद हारी ,

    हारा जनमत सारा है ,

    चार उचक्के दगाबाज़ दो ,

    मिलकर खेल बिगाड़ा है .

    एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :

    11
    रंगे सियार है ये राजनीति के
    Virendra Kumar Sharma
    कबीरा खडा़ बाज़ार में एवं
    A
    रंगे सियार ..
    ZEAL

    होता पर्दाफाश है, खा खरबूजा खाज ।
    हुक्कू हूँ डट के किया, जोर-शोर का राज ।
    जोर-शोर का राज, ऊँट किस करवट बैठे ।
    बड़े मतलबी दोस्त, रहे बाहर से ऐंठे ।
    अन्दर मेल-मिलाप, बना सत्ता का तोता ।
    यू पी माया विकट, मुलायम मूषक होता ।

    ReplyDelete

  25. एक गुलामी का प्रतीक ढहाने पर इतना बावेला .प्रतीकों को ध्वस्त करने की दीक्षा इस्लाम ने ही दी है चीज़ें बूम्रांग करतीं हैं भाई साहब .बहर सूरत आप लिखते अच्छा हैं .आदाब .

    1
    बीस बरस का छह दिसंबर : यादों से एक चेहरा
    Ashok Kumar Pandey
    जनपक्ष

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  26. उत्कृष्ट लेखन !!

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  27. यौन शिक्षा के महत्व को नजर अंदाज़ नहीं किया जा सकता .स्कूल से उम्मीद रखना तो एक दिवा स्वप्न हैं माँ बाप ही शुरू से दोस्त बनके यह काम करते रह सकतें हैं .उम्र के अनुरूप निरंतर शिक्षा और खिलंद ड़ी के गुणदोष तद्जन्य बीमारियों के बारे में बताएं खुद जानें यौन संचारी रोग हैं क्या ?क्या दुष्परिणाम हैं इनके .
    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    शुक्रवार, 7 दिसम्बर 2012
    चर्चा :यौन संचारी रोग

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    बदलते बच्चे बिखरता बचपन
    kanupriya
    parwaz परवाज़.....

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  28. लिखते अच्छा हैं .आदाब .

    'गिर अभय आरण्य शेर ही शेर '

    बहुत बढ़िया विवरण .अजी शेरों की क्या मजाल चैनालियों से आँख मिलाये .फिर शेर शेर है रंगा सियार नहीं है मुलायम सा माया सा जिसके व्यवहार की प्रागुक्ति न की जा सके .

    गीर अभ्यारण : शेर ही शेर
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...
    संसद से चालू सड़क, धड़क धड़क गिरि जाय |
    कुत्तों से ही अनगिनत, रविकर झुण्ड दिखाय |
    रविकर झुण्ड दिखाय, इन्हें भी सिंह कहे हैं-
    होकर राजा श्रेष्ठ, शेरनी-जुल्म सहे हैं |
    रहे बोलती बंद, प्रफुल्लित हम हैं बेहद |
    जारी है दृष्टांत, देखनी यह भी संसद ||

    ReplyDelete
  29. लोकबंधु राजनारायण अस्‍पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 सुरेश सिंह तथा डॉ0 डी0सी0 पाण्‍डेय का मानना है कि दिन में सिर्फ एक बार सरसों अथवा नारियल के तेल से मालिश करने से बच्‍चे के शरीर हष्‍ट-पुष्‍ट रहता है। उसके शरीर की हड्डियां मजबूत रहती हैं और उसका हाजमा भी दुरूस्‍त रहता है।
    प्रासंगिक अति उपयुक्त जानकारी अनुकरणीय सराहनीय .
    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    शुक्रवार, 7 दिसम्बर 2012
    चर्चा :यौन संचारी रोग

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    शरीर को हष्‍ट-पुष्‍ट बनाती है मालिश
    DrZakir Ali Rajnish
    TSALIIM

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  30. बहुत अच्छी चर्चा ..........

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  31. रविकर जी सादर प्रणाम सबसे पहले आपने मुझे यहाँ स्थान दिया ः-------
    आपका बहुत आभार आपने हमको मान दिया।
    ज्ञानेश दे सके कुछ आपने उसे जो सम्मान दिया।।
    काम आते रहैं हम जगत के यही है केवल इच्छा।
    स्वस्थ रहैं सब इस जगत में यही तो है आयुर्वेद शिक्षा।।
    लेकर आयुर्वेद से आयु देते रहैं सबको हम।
    दुखियों के दर्द मिटे रोगियों के मिटा दे सब गम।।
    प्रभु से करते है केवल यही प्रार्थना ।
    .यही है मेरी साधना और प्रभु से मेरी आराधना।।

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  32. रविकर जी व अन्य पाठकों से भी अनुरोध है कि वे मेरे अन्य ब्लागो पर भी आयें जो ब्लाग आपको अच्छे लगें आप आराम से यहाँ से ही जा सकते हैं।
    http://ayurvedlight1.blogspot.in नाम है AYURVEDA -The Most Ancient Medical Science दूसरा है http://ayurvedlight.blogspot.in/नाम है THE LIGHT OF AYURVED तीसरा है http://gyankusum.blogspot.in नाम है ज्ञानकुसुम चौथा है http://rastradharm.blogspot.in/ नाम है RASTRDHARM An Indian nationalism magazine.सब अपने आप में अलग व अनुपम हैं।लेकिन आप अगर चाहैं तो हमारे ब्लागो को स्थान दें

    ReplyDelete
  33. आज कि चर्चा से ताउ जि के पास गया दिल खुश हो गया

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