चलिये चर्चा धर्म निभाया जाये कुछ लिंक्स का आनन्द लिया जाये
आज फिर मुझे मौका मिला है चर्चा लगाने का तो लीजिये आनन्द
फिर हो मिलन मधुमास में
जो तुम आ जाओ प्रिये ………
उठाना ही पडेगा आखिर कब तक सहोगे?
हाँ एक दिन सबके लिये सुरक्षित रखना जरूरी है
इसमें क्या शक है
एक युगचरित्र
चुनिए अपनी पसंद के २० सर्वश्रेष्ठ गीत वर्ष २०१२ के
जरूर कोशिश करेंगे
निशब्द हूँ
किधर जा रहें हैं .............क्या खो रहें हैं हम ..............
यही तो पता नहीं …………
एक पोस्ट ख़ास चिट्ठा चर्चा ब्लॉगों के लिए
ये भी ध्यान देना जरूरी है
आज फिर मुझे मौका मिला है चर्चा लगाने का तो लीजिये आनन्द
फिर हो मिलन मधुमास में
जो तुम आ जाओ प्रिये ………
नाम की महिमा
बस इसी का तो सारे जगत में गुणगान है
प्रथम स्वेटर
कब बुना और कौन सा ?
जहाँ उसूल दांव पर लगे वहां उठा धनुष
उठाना ही पडेगा आखिर कब तक सहोगे?
"मानवाधिकार दिवस"--इस रस्म की भस्म आज जगह -जगह गोष्ठी -सैमीनार में चाटी जायेगी ...
हाँ एक दिन सबके लिये सुरक्षित रखना जरूरी है
लिखने की सार्थकता समीक्षा में है
इसमें क्या शक है
काटजू, भारतीय और गणित
सबका अपना अपना गणित
सावित्री-3
एक युगचरित्र
चुनिए अपनी पसंद के २० सर्वश्रेष्ठ गीत वर्ष २०१२ के
जरूर कोशिश करेंगे
मधुशाला .... भाग --10 / हरिवंश राय बच्चन
निशब्द हूँ
वाह रे कंप्यूटर !
तेरे क्या कहने !!!!!!किधर जा रहें हैं .............क्या खो रहें हैं हम ..............
यही तो पता नहीं …………
एक पोस्ट ख़ास चिट्ठा चर्चा ब्लॉगों के लिए
ये भी ध्यान देना जरूरी है
राजेश कुमारी जी की अनुपस्थिति में आपने बढ़िया चर्चा की है।
जवाब देंहटाएंचर्चाकारों की इसी सदभावना और सहयोग के कारण ही तो चर्चा मंच बुलन्दियों पर पहुँचा है!
धन्यवाद वन्दना जी!
आपका आभार!
बहुत अच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स समेटे हैं वंदना...
आभार आपका.
सस्नेह
अनु
बहुत ही सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अशआर हैं जनाब के .
जवाब देंहटाएंजहाँ उसूल दांव पर लगे वहां उठा धनुष
बहुत उम्दा अशआर हैं जनाब के .
जवाब देंहटाएंव्यंग्य विनोद की चुटकियाँ लेते रहे लिखते रहे बिंदास वह ,(महेंद्र सिंह श्रीवास्तव नाम है ),उनको हमारा सलाम है .हाँ एक दौर था हिंदी पत्रकारिता दारिद्र्य का प्रतीक थी .चैनलों ने आके स्थिति बदल दी .अब हर लड़का लड़की अंग्रेजी के साथ हिंदी भी सीखना चाहता है .पत्रकार इल्केट्रोनी ज्यादा ग्लेमर लिए है .प्रिंट वाले अभी भी बेक सीट पर हैं .हिंदी पत्रकारिता के शीर्ष पुरुष प्रभाष जोशी जी ता -उम्र पोलिश पेंट उड़ी गाड़ी में घूमें .अब वक्त बदल रहा है सत्रह सालों में सरयू में काफी पानी बह चुका है .
बधाई आपकी सालगिरह की ,जन्म दिन की आपकी पत्नी श्री के (भाभी श्री के ).हास्य कवियों के दिन भी बहुरे हैं अब गाड़ियों में घूम रहें हैं .
कस्टम इन्स्पेक्टर का प्रसंग बड़ा रोचक रहा .
अन्तरंग झांकी जीवन की सांझा की आपने .आभार .बधाई पुनश्चय :
शादी की सालगिरह : जो कहूंगा सच कहूंगा
जवाब देंहटाएंखुदरा व्यापारी जायेंगे, परदेशी व्यापार करेंगे,
आम आदमी को लूटेंगे, अपनी झोली खूब भरेंगे,
दलदल में फँस गया सफीना, धारा तो गुमनाम हो गई।
जीवन को ढोनेवाली अब, काया भी नाकाम हो गई।
नंगई मुलायम माया की देखो कितनी आम हो गई .
जवाब देंहटाएंSUNDAY, DECEMBER 9, 2012
काटजू, भारतीय और गणित
भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष काटजू साहब को बहुत-बहुत बधाई। उन्होंने वह काम पलक झपकते ही चुटकियों में कर दिखाया जो भारतीय जनगणना से जुड़ी सारी मशीनरी दस साल में भी नहीं कर पाती। लाखों कार्यकर्त्ता देश भर में कागज़ पैन लेकर बस्ती-बस्ती घूमते रहते हैं फिर भी यह नहीं पता लगा पाते कि भारत में "भारतीय" कितने हैं, और उनमें किस की जाति कौन सी है।
काटजू साहब ने आनन-फानन में किसी सुपर कंप्यूटर की शैली में यह खड़े-खड़े पता लगा लिया कि एक सौ बीस करोड़ भारतीयों में कितने मूर्ख या बेवकूफ हैं।
अब तक तो सब सुभीते से हो गया, लेकिन उलझन अब आ रही है। अब हर भारतीय अफरा-तफरी में काटजू साहब से संपर्क करना चाहता है। आखिर ये तो सब जानना ही चाहेंगे न कि वे 'दस' में हैं या "नब्बे" में?क्योंकि काटजू साहब के मुताबिक़ सौ में से दस समझदार हैं, बाकी नब्बे मूर्ख।
यदि अपना नंबर नब्बे में आ गया, तो कोई चिंता नहीं है। अपनी चिंता सरकारें करेंगी ही। आरक्षण, रियायत, छूट, सब्सिडी आदि तमाम तरह की सुविधाएं हैं। हाँ, अगर कोई दस में रह गया,तो उसकी आफत है। वह कैसे अपने दिन गुज़ार पायेगा बेचारा।
खैर, यह तो आम आदमी की अपनी चिंता है, हम तो काटजू जी का नाम गणित के किसी बड़े पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करते हैं।
प्रस्तुतकर्ता Prabodh Kumar Govil पर 8:17 PM
इसे कहते हैं तेल और तेल की धार .तंज और तंज की मार ,नाक भी कट जाए नकटे की और खबर भी न हो .बेहतरीन व्यंग्य .
बढ़िया पढ़ने को मिला - पते की बातें भी.
जवाब देंहटाएंआभार!
.
जवाब देंहटाएंजीवन मृत्यु का यह शाश्वत चित्रण और कहाँ मिलेगा .यह फलसफा देती है तेरी मधुशाला .
क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिट्टी का प्याला,
भरी हुई है जिसके अंदर कटु-मधु जीवन की हाला,
मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शत-शत कर फैला,
काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।।७३।
यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला,
पी न होश में फिर आएगा सुरा-विसुध यह मतवाला,
यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है,
पथिक, प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला।८०।
क्रमश:
मधुशाला .... भाग --10 / हरिवंश राय बच्चन
जीवन मृत्यु का यह शाश्वत चित्रण और कहाँ मिलेगा .यह फलसफा देती है तेरी मधुशाला .
जवाब देंहटाएंक्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिट्टी का प्याला,
भरी हुई है जिसके अंदर कटु-मधु जीवन की हाला,
मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शत-शत कर फैला,
काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।।७३।
यम आयेगा साकी बनकर साथ लिए काली हाला,
पी न होश में फिर आएगा सुरा-विसुध यह मतवाला,
यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है,
पथिक, प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला।८०।
क्रमश:
मधुशाला .... भाग --10 / हरिवंश राय बच्चन
GOOD JOB BUDDY .
जवाब देंहटाएंएक पोस्ट ख़ास चिट्ठा चर्चा ब्लॉगों के लिए
ये भी ध्यान देना जरूरी है
बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ...
जवाब देंहटाएंआभार
बढिया मंच सजा हुआ है..
जवाब देंहटाएंयहां मुझे शामिल करने का शुक्रिया
आपकी बधाई के लिए आभार
तहे दिल से शुक्रिया वंदना जी
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देकर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए मै आपका शुक्रगुजार हु
बढ़िया लिंक संयोजन...प्रथम स्वेटर को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक सार्थक चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक को संजोये हुवे बहुत बढ़िया चर्चा .. :))
जवाब देंहटाएंबेतुकी खुशियाँ
प्रिय वंदना जी सबसे पहले तो आपका हार्दिक धन्यवाद कहूँगी की आज की चर्चा की जिम्मेदारी आपने बखूबी निभाई दिल से शुक्रिया तीन दिनों से फोन और इंटरनेट की लाइन कटी हुई थी कोलोनी में कुछ रिनोवेशन चल रहा है अतः मजदूरों ने गलती से फावड़े से अंडर ग्राउण्ड केबल ही काट दी थी अब क्या करें ऐसे लोगों का एक काम ठीक करते हैं दूसरा बिगाड़ देते हैं आज ही ठीक हुई है बहुत अच्छे लिंक्स शामिल किये हैं चर्चा में बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंइस मंच पर मेरी रचना शामिल करने के लिए आप्नका बहुत बहुत धन्यवाद. सारे सूत्र एक पर एक. बहुत अच्छा संयोजन.
जवाब देंहटाएंनिहार
@CharchaManch, Thanks!
जवाब देंहटाएंविनय जी आपको सूचित नही कर पाती पता नही क्यों आपके ब्लोग पर कमेंट जाते ही नहीं जब से डिस्कस लगाया है आपने कैसे करूँ कृपया बतायें ।
हटाएंबहुत बेहतरीन लिंक्स चयन,,,बधाई वंदना जी,,
जवाब देंहटाएंलिंक्स,रंग,चित्र का अनोखा सन्योजन |एक अलग ही शैली नज़र आई | बधाइयाँ
जवाब देंहटाएंवंदना जी चर्चा मंच पर रचना को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएं............और लिनक्स भी मनभावन हैं ...........बधाई
बहुत सुन्दर प्रयास किया है वंदना जी .सभी लिंक्स सराहनीय .बधाई भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं
जवाब देंहटाएं