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बुधवार, दिसंबर 19, 2012

मुक्ति की भाषा (बुधवार की चर्चा-1098)

आप सबको प्रदीप का नमस्कार !!
बुधवार की चर्चा में आप सबका एक बार फिर स्वागत है |
आज देश में सबकी निगाह दो इंसानों पे ही टिकी है | एक मोदी ( 20 दिसंबर को क्या ये हेट्रिक लगा पाएंगे ) और दूसरा सचिन ( क्या ये सन्यास लेंगे ) |
साथ ही हर किसी के मन में एक आह, एक रोष है दिल्ली में घटित सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर |

तो अब हमलोग शुरू करते हैं आज की चर्चा |
झांसी का किला बना गुजरात-मोदी की दिलचस्प लड़ाई
- ravish kumar

सबकी अपनी राय है,
सबके अपने तर्क |
कौन पास कौन फेल है,
किसमे कितना फर्क ||
पिया के घर
Rekha Joshi

एक अलग है अनुभव इसका,
एक अलग एहसास |
एक अलग है रिश्ता बनता,
रहता दिल के पास ||
वे उधार लेने वाले :-(
- Arvind Mishra


सब रिश्तों को तोड़ता,
होता ऐसा उधार |
आदत जिसको लग जाती,
करता बारम्बार ||
नई कवयित्री मोनिका कुमार की दो कविताएं
- Anurag

हैं अनंत शुभकामना,
नित बने नए आयाम |
सेवा करे साहित्य की,
हो शुभ ही परिणाम ||
राँची-सिमदेगा चाईबासा
- प्रत्यक्षा सिन्हा


देस-वीराना में कथाकार, कवयित्री, चित्रकार प्रत्यक्षा की यादों का कोलाज। रांची के सिमडेगा, चाईबासा का परिदृश्य किसी स्लोमोशन चित्र श्रृंखला की तरह प्रत्यक्ष होता है ।
- Arun Dev
घने मेघ के मध्य कहीं जो दिखती एक रजत रेखा.......
Devendra Dutta Mishra


आशा की बस एक किरण, हृदय को देती संचार ।
मन को देती हौसला, आगे बढ़ने का विचार ।।
मेरा शहर देहरादून
Maheshwari kaneri

आधुनिकता की दौड़ में,
खो रहा सर्वस्व ।

चोटिल होती प्रकृति,
अनैतिकता का वर्चस्व ।।
"भींगी कविता !"
- किरण श्रीवास्तव "मीतू"


भींगा भींगा ये मन है,
भींगी उनकी याद ।
एक अदद सानिध्य मिले,
रब से यही फ़रियाद ।।
चिड़िया उड़ाते थे...
- पुरुषोत्तम पाण्डेय
फलों में पोषक तत्व
- सुज्ञ
मत डालो पानी..उलटे घड़े पर...
- Aruna Kapoor


सही दिशा में न हो तो, मेहनत है बेकाम ।
किस्मत का रोना रोते, कुछ न बनता काम ।।
भ्रूण हत्या
- पूनम भाटिया

पूजते हैं हम नारी का,
कई विभिन्न स्वरुप ।
जन्म पूर्व ही मारते,
नारी का प्रथम जो रूप ।।
मुक्ति की भाषा
- रंजना भाटिया

गीत, कविता होते हैं,
हृदय के उदगार ।
किसी के रोके रुके नहीं,
भावनाओं की धार ।।
"रिश्ते-नाते प्यार के"
- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'


सुख अलग ही देते हैं, रिश्ते-नाते प्यार ।
जीवन को चल रखे सदैव, अपनत्व की बौछार ।।
फांसी दो बलात्कारियों को !
avanti singh
दिल्ली तुझ पर थू थू थू
- Dr Kavita Vachaknavee
मर्दानगी की ख़ुदकुशी
यशवन्त माथुर

नर रूप में घूम रहे,
आज कई पिशाच |
मर रही है मानवता,
व्याघ्र रहे हैं नाच ||
रेप रेप रेप, अब ब्रेक
- Kulwant Happy


झेल रहे हैं आम जन,
नेता रोटी सेंके |
कानून साथ देता उसका,
जो रुपैया फेंके ||
यहाँ शहीद आपस में बतिया रहे हैं
- आशीष दशोत्तर

गजलों के जरिये अपनी बात पुख्‍तगी और बेहद खूबी से कहनेवाले, आनेवाले वक्‍त के मकबूल शायर आशीष दशोत्‍तर रतलाम में रहते हैं। कुछ महीनों पहले, साप्‍ताहिक 'उपग्रह' में प्रकाशित उनका यह लेख सम्‍पादित रूप में देने की अनुमति उन्‍होंने सहर्ष प्रदान की।
- विष्णु बैरागी
"बैठकर के धूप में मस्ताइए"


आज की चर्चा यहीं पर समाप्त करता हूँ | अगले बुधवार को फिर लेकर आऊँगा कुछ नए लिंक्स |
तब तक के लिए अनंत शुभकामनायें |
आभार |

30 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा करने के लिए आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या आपने कभी सूचना मांगी है और क्या वो आपको मिल गयी है एक युद्ध लडने से कम नही सूचना मांगना इसका तो उपयोग नही हो पा रहा तो दुरूपयोग कया होगा पर हां अगर अधिकारी मजबूत हो तो वो सूचना मांगने वाले को फंसा जरूर सकता है और अगर माफिया बडा हो तो जेल भिजवा सकता है इसलिये सूचना के ​अधिकार के दुरूपयेाग की बात करने वालो को कुछ सूचनाये मांगकर देखनी चाहियें

    वैसे बढिया चर्चा इंजीनियर साब इस बार टैकनोलोजी की बढिया पोस्ट थी

    जवाब देंहटाएं
  3. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) की रचना "रिश्ते-नाते प्यार के" बेहद पसंद आई | समय के आभाव में सभी पोस्ट पर नहीं जा पाया हूँ | बाकि पोस्ट शाम को देखेंगे | मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद |

    टिप्स हिंदी में की नयी पोस्ट : गूगल वेब फॉण्ट का प्रयोग अपने ब्लॉग पर कैसे करें ?

    जवाब देंहटाएं
  4. व्यवस्थित और विस्तारित चर्चा, मर्म को छूती हुयी।

    जवाब देंहटाएं
  5. कार्टून :- सन 2052 का भारतीय क्रि‍केट''
    ये बड़ा अच्छा लगा.इस कार्टून को देख आज सुबह सुबह ही काफी हंसी आई.यानि २०५२ में भी सचिन ही बेटिंग करेंगे.
    खैर , शुक्रिया मास्टर्स टैक की पोस्ट को अपनी चर्चा में शामिल करके इसे सम्मान देने के लिए.
    शास्त्री जी की रचना भी बेहद सुन्दर लगी.

    जवाब देंहटाएं
  6. पोस्ट अच्छी है कई ,पर अभी मन इन सब को पढ़ कर ख़ुशी या सुकून अनुभव नहीं कर रहा ,इस एक बहन एक बेटी अपनी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है ,दरिंदों ने लहू लुहान किया है उसके तन मन और आत्मा को तब हम कैसे अपने फ़र्ज़ को भूल सकते है जो की उस के प्रति हमारा है ,क्या हमारे घर की बहन बेटी की ऐसी हालत होती तो हम उस के अलावा कुछ सोच पाते या लिख पाते नहीं कभी नहीं ,खुद को सवेदना शुन्य नहीं होने देना चाहिए हमे ,और इस विषय पर काफी लिखा जाना चाहिए ,इतना के समाज का ध्यान आकर्षित हो और इस समस्या को गम्भीरता से ले देश और समाज ,इतना भी यदि हम न कर पाए तो ये याद रखना होगा हमे के अगला No. हमारी बेटी या बहन का भी हो सकता है (किसी के दिल को ठेस पहुचे इस बात से तो क्षमा प्रार्थी हूँ )

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर लिंक्स सजाये हैं………बढिया चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रदीप भाई चुनिन्दा लिंक्स से सजाया है चर्चा मंच को आपने बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रदीप जी बहुत सी रचनाएँ पढ़ी और कार्टून भी देखे .....चर्चा मंच पर
    विभिन्न ज्वलंत विषयों को पेश करना सराहनीय कार्य है .....मेरी रचना
    भ्रूण हत्या ' को यहाँ स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतर चर्चा लेखन !!

    जवाब देंहटाएं
  11. बढ़िया चर्चा अवन्ती जी की टिप्पणी का अनुमोदन करती हूँ

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बहुत धन्यवाद हमारी पोस्ट को यहाँ जगह देने के लिये


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रेम के न रहने का
    दोस्ती के छूट जाने का
    पहला संकेत वही रहता
    दिए हुए छोटे नाम का बेदावा
    और मुझे लौटना होता
    नाम के ऐसे उच्चारण पर
    जैसे कोई पढ़ रहा हो
    टेलिविज़न पर
    भूकम्प के उत्तरजीवियों की सूची
    जिन्हें अब तक कोई लेने नहीं आया है
    ***
    बिलकुल नए आस्वाद बिम्ब अर्थ और भाव की रचना ,सुन्दर मनोहर .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    बुधवार, 19 दिसम्बर 2012
    खबरें ताज़ा सेहत की

    http://veerubhai1947.blogspot.in/


    नई कवयित्री मोनिका कुमार की दो कविताएं
    - Anurag

    हैं अनंत शुभकामना,
    नित बने नए आयाम |
    सेवा करे साहित्य की,
    हो शुभ ही परिणाम ||

    जवाब देंहटाएं

  14. काजल के कार्टून जो कह जाते हैं वह कोई कह नहीं सकता .एक खदबदाहट को वाणी दे जाते हैं .चित्र व्यंग्य तनाव घटाते हैं सामयिक विमर्श का खुलासा करतें हैं .

    जवाब देंहटाएं

  15. अति महत्व पूर्ण उस दौर में जहां हमें मालूम हो पोटेशियम ब्लड प्रेशर के विनियमन के लिए ज़रूरी है और केल्शियम हर उम्र के लिए जिसे शरीर खुद नहीं बना सकता बाहर से ही लेना पड़ता है .

    जवाब देंहटाएं
  16. आपने जो लिखा है वह गहरे सामाजिक सरूकारों से जुड़ा है वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा कोई सीधा हल नहीं है इस सामाजिक विकृति की .दोषियों को तो सख्त सज़ा हो ही साथ ही सरकार को भी फांसी पे लटकाया जाए .भले प्रतीक स्वरूप .सामाजिक हस्तकक्षेप को पुनर जीवित किया जाए .

    हमारे समय की एक विकृति की कराह अनुगूंज और ललकार आपकी रचना में है .

    मर्दानगी की ख़ुदकुशी
    - यशवन्त माथुर

    नर रूप में घूम रहे,
    आज कई पिशाच |
    मर रही है मानवता,
    व्याघ्र रहे हैं नाच ||

    जवाब देंहटाएं
  17. आपने जो लिखा है वह गहरे सामाजिक सरूकारों से जुड़ा है वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा कोई सीधा हल नहीं है इस सामाजिक विकृति की .दोषियों को तो सख्त सज़ा हो ही साथ ही सरकार को भी फांसी पे लटकाया जाए .भले प्रतीक स्वरूप .सामाजिक हस्तकक्षेप को पुनर जीवित किया जाए .

    हमारे समय की एक विकृति की कराह अनुगूंज और ललकार आपकी रचना में है .

    बेशक व्यभिचार पहले भी था ,परदे के पीछे था ,अब चैनलिए उसे ग्लेमराइज़ करतें हैं .एक लड़की बिना किसी प्रतिबद्धता के एक मर्द के साथ रहती है ,पांच साल बाद कहती है मेरे साथ रैप हुआ

    ,कानूनी

    स्वीकृति प्राप्त है लिविंग इन को .ये सब हमारे दौर की विकृतियाँ हैं .

    युवा संगठन सिर्फ वोट लूट के लिए बनें हैं ,मौज मस्ती के लिए बनें हैं ऐसे मामलों में इनका कोई सामाजिक हस्तकक्षेप दिखलाई नहीं देता होता तो अब तक युवा राजकुमार दिल्ली में प्रदर्शन करते .

    रेप रेप रेप, अब ब्रेक
    - Kulwant Happy

    झेल रहे हैं आम जन,
    नेता रोटी सेंके |
    कानून साथ देता उसका,
    जो रुपैया फेंके ||

    जवाब देंहटाएं

  18. वाह शास्त्री जी एक ही रचना में जोश खरोश भी सौन्दर्य और कोमलता भी भाषिक कोमलता भी .

    बरसें बादल-हरियाली हो, बुझे धरा की प्यास यहाँ,
    चरागाह में गैया-भैंसें, चरें पेटभर घास जहाँ,
    झूम-झूमकर सावन लाये, झोंके मस्त बयार के।
    देते हैं आनन्द अनोखा, रिश्ते-नाते प्यार के।।

    एक बात और शास्त्री जी इस रचना को -इस धुन में गाके देखी मीटर पूरा आता है -

    आओ बच्चो तुम्हें दिखाएँ झांकी हिन्दुस्तान की ,इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की .

    जवाब देंहटाएं
  19. बाँझ व्यवस्था देख ,तमाशा थू थू करती दिल्ली में ,

    शीला और सोनिया दोनों रहतीं दिल्ली में ,

    सरे आम फटती अंतड़ियां औरत की अब दिल्ली में .

    दिल्ली तुझ पर थू थू थू
    - Dr Kavita Vachaknavee

    जवाब देंहटाएं
  20. शीला और सोनिया रहतीं दोनों दोनों दिल्ली में ,

    माँ बहन बेटी कोई भी सुरक्षित नहीं है इस व्यवस्था में .

    युवा संस्थाएं तो इस दरमियान बहुत बनी हैं लेकिन सब की सब वोट

    बटोरने के लिए ,मौज मस्ती के लिए .चरित्र निर्माण की बात करने वाला

    श्रवण कुमार की बात करने ,देश निर्माण की बात कहने करने वाला इस

    देश में साम्प्रदायिक हो जाता है और गिलानी जैसों को पाकिस्तान के राष्ट्र पति के पास अपने विरोधी के पास भेजने वाला हो

    जाता है सेकुलर .भारत धर्मी समाज साम्प्रदायिक ,"वैष्णव जन

    तो तैने कहिये " तथा "रघुपति राघव राजा राम "गाने वाला इस देश में साम्प्रदायिक घोषित और मुसलमानों का मसीहा सेकुलर हो

    जाता है .मुसलमानों का वोट का अधिकार एक बार अवरुद्ध करके देखो .पता लगाओ इसके बाद कितने मुलायम और ललुवे बचते हैं

    इनके हिमायती ,कथित सेकुलर .


    कोंग्रेस से पूछा जाए उसने 65 सालों में कैसा भारत निर्माण

    किया ऐसा

    जहां औरत के जो किसी की बेटी किसी की प्रेमिका किसी की माँ है उसकी अंतड़ियां सरे आम बलात्कृत करके फाड़ दी जाती हैं .

    बलात्कारियों के साथ इस सरकार को भी फांसी दी जानी चाहिए भले

    प्रतीकात्मक हो इसके पुतले को फांसी के फंदे पे चढ़ाया जाए .

    शीला और सोनिया रहतीं दोनों दोनों दिल्ली में ,

    सरे आम फटतीं अंतड़ियां औरत की अब दिल्ली में .


    भारत निर्माण

    कैसा भारत निर्माण करना चाहतें हैं हम .शिक्षा सेहत को लेकर हमारे क्या विचार हैं धारणाएं हैं ?कुछ हैं भी या

    नहीं .सात सौ सांसद है इस देश में और किसी को नहीं मालूम वह चाहते क्या हैं ?

    सिर्फ वोट बैंक ?स्विसबैंक एकाउंट ?खुद अपनी और सिर्फ अपनी वी आई पी सुरक्षा .

    दिल्ली के रंगा बिल्ला काण्ड के बाद आज भारत फिर विचलित है .उन्हें तो सातवें दिन फांसी दे दी गई थी .अब

    सरकार हर मामले में इतना कहती है क़ानून को अपने हाथ में मत लो .क़ानून को अपना काम करने दो .तुम

    हस्तक्षेप मत करो .क़ानून

    अपना काम


    करेगा .

    यदि औरतों को आप हिफाज़त नहीं दे सकते तो रात बिरात उनके बाहर न निकलने का क़ानून बना दो .या फिर

    उन्हें घर से ले जाने और वापस छोड़ने का जिम्मा उनसे काम लेने वाले लें .शीला

    दीक्षित ऐसी हिदायत एक मर्तबा दे भी चुकीं हैं .रात बिरात घर से बाहर न निकलने की .जब घाव हो जाता है तो

    सांसद मरहम तो लगाने आ जातें हैं

    लेकिन ये क़ानून बनाने वाले ऐसी व्यवस्था नहीं कर पाते कि घाव ही न हो .

    किसी फिजियो की अंतड़ियां बलात्कारी क्षति ग्रस्त न कर सकें .

    इस दरमियान इन्होनें हमारे सांसदों ने एक सामाजिक हस्तक्षेप को ज़रूर समाप्त करवा दिया यह कह कह कर:

    किसी को भी कानून अपने हाथ में न लेने दिया जाएगा .

    वह जो एक तिब्बत था वह चीन के हमलों से भारत की हिफाज़त करता था .ऐसे ही सामाजिक हस्तक्षेप एक

    बफर था .काला मुंह करने वाले शातिर बदमाशों को मुंह काला करके जूते मारते हुए पेशी पे ले जाना चाहिए .जूते

    बहु बेटियों से ही लगवाने चाहिए शातिर मांस खोरों को .ताकि इन्हें कुछ तो शरम आये .

    .आज स्थिति बड़ी विकट है . सवाल बड़े गहरे हैं सामाजिक सरोकारों के औरत को सरे आम कुचलने वाले रफा

    दफा

    कर दिए जातें हैं कुछ ले देके छूट जाते रहें हैं .

    व्यवस्था ने पुलिस को नाकारा बना दिया है अपनी खुद की चौकसी में तैनात कर रखा है .ज़ेड सेक्युरिटी लिए

    बैठें हैं सारे वोट खोर .बेटियाँ ला वारिश बना दी गई हैं अरक्षित कर दी गईं हैं .खूंखार दरिन्दे छुट्टे घूम रहें हैं .अब

    तो इन्हें भेड़िया कहना भेड़िये को अपमानित करना है .हैवानियत में ये सारी हदें पार कर गएँ हैं .

    सारी संविधानिक संस्थाएं तोड़ डाली गईं हैं .संसद निस्तेज है .निरुपाय है .उसके पास भारत निर्माण का कोई

    कार्यक्रम कोई रूप रेखा नहीं है .सी बी आई का काम सत्ता पक्ष के इशारे पर माया -मुलायम मुलायम को

    संसद तक घेर के लाना रह गया है .

    अब तो इस तालाब का पानी बदल दो सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,

    सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं है ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .

    फांसी दो बलात्कारियों को !
    - avanti singh

    जवाब देंहटाएं
  21. बाँझ व्यवस्था देख ,तमाशा थू थू करती दिल्ली में ,

    शीला और सोनिया दोनों रहतीं दिल्ली में ,

    सरे आम फटती अंतड़ियां औरत की अब दिल्ली में .

    दिल्ली तुझ पर थू थू थू
    - Dr Kavita Vachaknavee

    जवाब देंहटाएं
  22. शासन सीधा और सोनिया का चलता जब दिल्ली में ,

    सरे आम अब रैप से फटतीं अंतड़ियां अब दिल्ली में .

    दिल्ली तुझ पर थू थू थू
    - Dr Kavita Vachaknavee

    जवाब देंहटाएं
  23. उम्दा,लिंकों की बढ़िया प्रस्तुति,,,प्रदीप जी बधाई,,,,

    जवाब देंहटाएं
  24. दोस्त!'मन की भूख' का,'डिनर','सपर'औ 'लंच' |
    है कितना 'स्वादिष्ट'यह, अपना 'चर्चा मंच' ||

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत…बढिया चर्चा..मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार आप का प्रदीप जी

    जवाब देंहटाएं
  26. माननीय साहनीजी,
    'चर्चामंच' पर बच्चनजी पर मेरे संस्मरण की चर्चा करने के लिए आभारी हूँ! संस्मरण के ये सारे प्रसंग वर्षों से मन के निभृत एकांत में दबे पड़े थे और कभी चुभते थे, कभी गुदगुदाते थे तथा कभी-कभी उद्विग्न कर देते थे, लेकिन उन्हें लिखने का साहस नहीं जुटा पाता था. आज वह सारा कुछ लिखकर भार-मुक्त और उऋण हुआ महसूस कर रहा हूँ.
    सप्रीत--आ.

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"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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