आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
मैं लाचार हूँ--आपका सहयोग चाहिए--- क्या दे सकेंगे आप सब सहयोग ??
ZEAL
और कैसे होगा लोकतंत्र का बलात्कार ?---- कोई संवेदनशीलता ,इंसानियत बाकी नहीं रही है
इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता--
सब भूल गएक्या से क्या बना डाला इस धरती को ,खुद विधाता भी मूक बना है कहीं कोई चमत्कार नहीं होने वाला |
बलात्कार और आत्मा _ अंजू शर्मा----आत्मा भी कहाँ रह जाती है
जीवित बलात्कार के बाद शोभा मिश्रा at फर्गुदिया
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जीवित बलात्कार के बाद शोभा मिश्रा at फर्गुदिया
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दिल्ली गैंगरेप- आंदोलन नहीं पागलपन----माफ़ कीजिये अरुणेश जी जिस पर बीतती है या जिसका हृदय इस घटना से जरा भी संवेदन शील है वो पागल ही हो जाएगा इससे अधिक मैं और आपको क्या कहूँ |
Arunesh c dave at अष्टावक्र –
बेमिसाल सचिन... चलिए इस वक़्त में मन के बहलाव के लिए
एक दूसरी मुख्य खबर भी पढ़ें
Atul Shrivastava at सत्यमेव जयते ! ... (?)
अरे वो अधर्मी !
इतनी चीत्कार है जन जन बेहाल है पर वो कहाँ छुपा है, उसके कानों में आवाज क्यूँ नहीं जा रही |
गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु कुछ आयुर्वेदिक उपचार !!---- कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी बातें भी जानिये
न्याय की माँग में !!!---- देखते हैं कब तक पूरी होती हैं ये मांगें
कुछ लावारिश बच्चे !--- जिनसे शायद भगवान् भी नाराज है |
लो फिर आया नया साल----आगाज़ तो देख रहे हैं अंजाम खुदा जाने!! पर शुभ-शुभ
Anita at डायरी के पन्नों से -
किताबों की दुनिया - 77---जो मुझे भी बहुत भाती है आप सब की तरह ।
पुराने ज़माने की माँ---जिसके संस्कारों की छाँव में जिंदगियां सुरक्षित थी रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष
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हर गली दिल्ली बने, ताकि फिर ‘दिल्ली’ न हो----ये आवाज सिर्फ एक दिल्ली की नहीं हर गली की है क्यूंकि ये घटनाएं भी गली गली की है
सर्दी-----कितने भी कपडे पहन लो ये तो कंप कंपाएगी
गरम चाय की प्याली---हाँ इसकी बहुत जरूरत है ।
वो चांदनी रात....-- जो सोने नहीं देती ??
भाषण तेरा सस्ता है .... ये पब्लिक है सब जानती है ,अब तेरी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाली
udaya veer singh at उन्नयन
(UNNAYANA)
क्रिसमस---क्रिसमस आ गया है मैं तो भूल ही गई इस बार ,आप सभी को मेरी भी शुभकामनाएं
29.Madhu Singh
:Pata Jindagi Ka---मुझे भी नहीं पता कहाँ से आई कहाँ जायेगी ये जिंदगी
madhu singh at Benakab
मेरे सर पे चढो तब हीं----विश्व दीपक जी का अंतर्नाद सुनिए ,किससे कह रहे हैं
नारी महज एक
शरीर नहीं--वो जगत जननी है वो नहीं रहेगी तो तुम कहाँ बचोगे
री तू क्यूँ जिन्दा है ??----- व्यथित हृदय से निकले शब्द पढ़िए और देखिये डेल्ही रेप काण्ड के विरुद्ध प्रदर्शन में भाग लेते हुए एक छोटा सा प्रयास ,मेरी एक विडियो क्लिप
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ दोस्तों 15 दिनों के लिए बाहर जा रही हूँ वापस आने पर फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
समसामयिक चर्चा है आज की राज कुमारी जी |पुराने जमाने की मी ,क्रिसमस अभी पढ़ी हैं |
जवाब देंहटाएंबाकी दोपहर के लिए |सब को क्रिसमस पर हार्दिक शुभकामनाएं |
चर्चा मंच को बहुत बहुत बधाईयाँ ..सार्थक सकारात्मक चर्चा का मुखर प्रवाह .... सतत कायम रहे |
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लिँक संयोजन ..।
जवाब देंहटाएंराजेश जी, सुंदर चर्चा...आपकी यात्रा के लिए तथा क्रिसमस व नए वर्ष के लिए शुभकामनायें..आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद राजेश कुमारी जी वटवृक्ष से मेरी रचना के चयन के लिए ! आज सभी सूत्र बहुत सार्थक एवं सारगरभित हैं ! आपका आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा पस्तुति .. क्रिसमस के साथ ही नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!!
जवाब देंहटाएंआभार,राजेश कुमारी जी ! चर्चा में सम्मिलित लिंकों पर आपने "टीका" भी बेहतर सजाया है ! क्रिसमस पर हार्दिक शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा | अच्छे लिंक्स लगाए आपने | आभार |
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की शुभकामनाएँ !!
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जवाब देंहटाएं@ इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता--
'बीड़ा' लेकर 'पान' का ,करते थे सत्कर्म
वहाँ 'सुपारी' चल रही , मिटी आँख से शर्म
मिटी आँख से शर्म , लगाते हैं सब 'चूना'
'झूठ-हाट' में भीड़,'सत्य' का आंगन सूना
कोई ऐसा नहीं , सुनायें जिसको पीड़ा
करने को सत्कर्म , उठायें आओ बीड़ा ||
आपकी टिप्पणियों से सजे अच्छे लिंक !!
जवाब देंहटाएंसारगर्भित आलेख विचार ऊर्जा को जगाता है .नारी सिर्फ योनी और वक्ष प्रदेश नहीं है यह तो उसकी देहयष्टि है लैंगिक असमानता है स्त्री पुरुष के बीच .हैं दोनों होमोसेपियन .कब तक गंवार बना रहेगा पुरुष?
जवाब देंहटाएंअपने ही अर्द्धांग, सम्पूरण के साथ बद - सुलूकी करता रहेगा ?अपनी ही माँ की कोख को लजाता रहेगा .बलात्कार आधी
दुनिया की कोख का अपमान है .डंडे से मानेगा या इंसानियत से अपराध तत्व ?परिंदों के पर भी तोड़े जातें हैं , जब वह बाज़
बन जाते हैं .पक्षी जगत की "निर्भय " उड़ान के लिए खतरा बन जाते हैं .
आज 'निर्भय 'फिर उड़ना चाहती है नील गगन में इसीलिए यह जद्दोजहद है ,आन्दोलन है ,मिस्टर टिंडे ,युवा भीड़ नक्सली
नहीं है .आपकी सत्ता की कोफीन में आखिरी कील थोकेगी यही भीड़ आने दो 2014 लोकसभा चुनाव .
बढ़िया आलेख प्रासंगिक ललकार लिए .
नारी महज एक शरीर नहीं--वो जगत जननी है वो नहीं रहेगी तो तुम कहाँ बचोगे
शालिनी कौशिक at ! कौशल !
उम्दा लिंक्स,,सुंदर चर्चा,,,क्रिसमस की शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंrecent post : समाधान समस्याओं का,
Behatrin charcha..
जवाब देंहटाएंआदरणीया आभार देरी से पहुंचा हूँ चर्चा मंच पर बढ़िया चर्चा है मेरी रचना को स्नेह दिया यहाँ शामिल किया तहे दिल से आभार.
जवाब देंहटाएंRajesh kumari ji, thanks.
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