आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
स्वतंत्र भारत की नारी स्वतंत्र नहीं , इससे बड़ा कलंक भारत पर ओर क्या हो सकता है । सुंदर होना उसका गुनाह है और देश के दरिन्दे उनके इस गुनाह की सजा उनकी अस्मत लूट कर देते हैं और सभ्यजन खामोश देख रहे हैं , धिक्कार है हमारे ऐसे जीवन पर !
स्वतंत्र भारत की नारी स्वतंत्र नहीं , इससे बड़ा कलंक भारत पर ओर क्या हो सकता है । सुंदर होना उसका गुनाह है और देश के दरिन्दे उनके इस गुनाह की सजा उनकी अस्मत लूट कर देते हैं और सभ्यजन खामोश देख रहे हैं , धिक्कार है हमारे ऐसे जीवन पर !
चलते है चर्चा की ओर
हर ख़ुशी तेरे नाम करते हैं
औरत ( एक छंद विहीन रचना )
देश तुम्हारे साथ है
पापा खुशियाँ मनाइए आप
इंसान बना जानवर
टिप्पणी साहित्य
समय का पहिया
हर ख़ुशी तेरे नाम करते हैं
औरत ( एक छंद विहीन रचना )
देश तुम्हारे साथ है
पापा खुशियाँ मनाइए आप
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समय का पहिया
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आज एक चुनौती है वक़्त के साथ चलने की
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बीडी जला
********
आज की चर्चा में इतना ही
धन्यवाद
********
दिलबाग विर्क
भाई दिलवाग विर्क जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत उम्दा चर्चा की है!
आज की चर्चा के लिंक देखकर दिल बाग-बाग हो गया!
बड़े ही पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा है भाई दिलवाग जी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन्………बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंयहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर अपना आक्रोश व्यक्त करें ………और खुद को इस क्रांतिकारी आन्दोलन का हिस्सा बनायें ताकि आँखें खुद से तो मिला सकें
http://www.change.org/petitions/union-home-ministry-delhi-government-set-up-fast-track-courts-to-hear-rape-gangrape-cases#
दिलबाग सर अच्छे लिंक्स लाये हैं आज की चर्चा में...
जवाब देंहटाएंआदरणीया संगीता जी एवं श्री दिलबाग जी सहित सभी मंच संयोजक को प्रणाम ,
जवाब देंहटाएंआपने आक्रोश और अभिव्यक्ति को मंच देकर जो मतैक्य व प्रोत्साहन किया उसको धन्यवाद से अधिक अव्यक्त ही प्रेषित करता हूँ , सभी नवोदित रचनाकारों व सरस्वती पुत्रों की और से बहुत बहुत शुभेच्छाए ।
चर्चा को मंच मिले , मिले मंच को चर्चा ।
मंच से मंच तक पहुचे हो चर्चा की चर्चा ।।
शुभकामना , आभार ...
जय हिन्द !
सुन्दर चर्चा पठनीय सूत्र बधाई दिलबाग जी
जवाब देंहटाएं@बीडी जला----ऐसे नवयुवको के गाल पर एक बढ़िया तमाचा है जो गाँव में सब कुछ छोड़कर अपने खेतों को संभालने की बजाय शहरी बनने की धुन में अपना सुख चैन ,आत्मसम्मान सब गँवा बैठते हैं उनके लिए बढ़िया सुझाव दिया है बीडी जला फूंक अपना कलेजा
जवाब देंहटाएंसरजी बेहतरीन गजल है हरअशआर बोलता है :देख करके जईफ लोगों को
जवाब देंहटाएंहम अदब से सलाम करते हैं
ज़िन्द्ग़ी चार दिन का खेला है
किसलिए कत्लो-आम करते हैं
हर ख़ुशी तेरे नाम करते हैं
जवाब देंहटाएंऔरत क्यों सुरक्षित नहीं, आज भी घर बाहर
बाहर दरिन्दे लूटते, घर में अपनों का डर ।
घर में अपनों का डर, कहीं जला न दे कोई
दहेज़ दानव हुआ, ये कैसी किस्मत हुई ।
भ्रूण-हत्या, बलात्कार, विर्क हो रहे यहाँ नित्त
उपर से दुःख यही , औरत को सताए औरत ।
प्रासंगिक अर्थ पूर्ण रचना हमारे वक्त से मुखातिब .
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
बृहस्पतिवार, 20 दिसम्बर 2012
Rapist not mentally ill ,feel they can get away'
'Rapist not mentally ill ,feel they can get away'
माहिरों के अनुसार बलात्कारी शातिर बदमॉस होतें हैं जो सोचते हैं उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है वह साफ़
बच
निकलेंगें .इस नपुंसक व्यवस्था के हाथ उस तक नहीं पहुँच सकते
.http://veerubhai1947.blogspot.in/
तस्दीक की जानी चाहिए यह बात कि बलात्कार एक इरादतन अदबदाकर किया गया हिंसात्मक व्यवहार है
प्रासंगिक अर्थ पूर्ण रचना हमारे वक्त से मुखातिब .
जवाब देंहटाएंTUESDAY, DECEMBER 18, 2012
रुको मैं आती हूँ , तुम्हारी जगदम्बा !
मैं तो
"उस" कुत्ते को
वहीं ढेर कर दूंगी
छक्के कानून से
मेरे पापा निबट लेंगे
- भारत की बेटी
अब रोने की बारी उनकी है ,
जो बलात्कार करते है ,
जो उन्हें संरक्षण देते है ,
जो मेरी आवाज दबाते है ,
लकवे वाले कानून का
डर
भीतर से भोतरे समाज का
डर
मैं स्त्री
सब पर घासलेट डाल
तीली दिखाती हूँ
मैं स्वयं शक्तिरूपा
जन्म ही नहीं देती
देखो कैसे
कोख के कलंको को
चुन चुन मिटाती हूँ
कायर कापुरुषों
मेरे प्रतिकार से
जब धरा लाल हो जाए
तुम
छुप जाना
अपने बनाए
नपुंसक संविधान के
भूमिगत बिलों में
रुको
नराधमों लिए त्रिशूल
मैं आती हूँ ...
तुम्हारी जगदम्बा !
- जय माता दी !
"आई प्राउड ऑफ यू लाडो - पापा "
"बहन उसे वही मार देना , बाकी मैं देख लूंगा , मुझे तुझ पर नाज है" - भाई
"तुम्हारे भविष्य और केरिअर की जिम्मेदारी मेरी , लड़ जाना लाडो " - स्कूल
"तुम उसे मार कर ऑफिस आना , प्रमोशन मैं दूंगी " - तुम्हारी प्राउड बॉस
लड़ना और मारना सीखो बहनों देश तुम्हारे साथ है ।
--
Posted by tarun_kt at 9:55 PM
एक नै पहल का आवाहन करती रचना .आक्रोश को स्वर /दिशा देती .
ReplyDelete
बुधवार, दिसम्बर 19, 2012
जवाब देंहटाएंखुशियाँ मनाइये कि मेरा रेप नहीं हुआ!!!
पापा,
आप खुशियाँ मनाइये
एक उत्सव सा माहौल सजा
कि आपने मुझे खत्म करवा दिया था
भ्रूण मे ही
मेरी माँ के
वरना शायद आज मैं भी
जूझ रही होती....
जीवन मृत्यु के संधर्ष में...
अपनी अस्मत लुटा
उन घिनौने पिशाचों के
पंजों की चपेट में आ..
रिस रिस बूँद बूँद
रुकती सांस को गिनती
ढूँढती... इक जबाब
जिसे यह देश खोजता है आज
असहाय सा!!!
कितना अज़ब सा प्रश्न चिन्ह है यह!!
कोई जबाब होगा क्या कभी!!
कि निरिह मैं..
छोड़ दूँगी अंतिम सांस अपनी
एक जबाब के तलाश में!!!
और तुम कहते
बेटी तेरा देश पराया
बाबुल को न करियो याद!!
-समीर लाल ’समीर’
एक ही दंश है आज भारत देश का उसी को मुखातिब है आज चर्चा मंच .बेहतरीन रचना ,हालाकि हम इस बात से सहमत नहीं है ,आपकी प्रस्तावना ,गर्भपात करवाओ गर्भस्थ कन्या का वरना बड़े होने पर बलात्कृत हो सकती है .क्यों सोच सके आप ऐसा .तीस साल पहले एक डॉ .ने कुछ ऐसे ही उदगार प्रकट किये थे आज आप समीर लाल ....
उम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन,पठनीय सूत्र बधाई दिलबाग जी.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा..दिलबाग जी....
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा..दिलबाग जी
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