मित्रों!
रविवार के लिए चर्चा कथा का आनन्द लीजिए। देखिए आपका लिंक इस कथा में ही कहीं होगा।
शुरूआत करते हैं ईशोपनिषद के द्वितीय मन्त्र .... के प्रथम भाग ... ' कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतम समा |.... के काव्य-भावानुवाद ....से।....
मंकी बोले तो मन की बात...फिर भी ...."दर्द की छाँव में मुस्कराते रहे"... लेकिन " कायम हैं आज तलक ,वो अदृश्य दीवारेँ ,जो लैला-मजनु ,हीर-राँझा ,ससि-पुन्नू और शीरी-फरहाद के समय में खड़ीं थी "!...परन्तु...तुम इस शहर में सुकूँ ढूँढते हो.....इसीलिए तो...गैरों के हाथों में—पथिकअनजाना...। आजकल तो लोग गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे हैं ...अगर रंग बदलने वाला पक्षी ही अपना रंग बदले तो क्या हुआ?..."स्वप्न" तो हमेशा ही हसीन लगते हैं और मन भटकने लगता है। क्योंकि मन का उच्छवास ही ऐसा होता है।
राजनीति को लेकर अंतहीन प्रश्न चिन्ह ? सबके दिमाग में हैं। तभी तो किसी ने अपने ब्लॉग पर लिखा है- मोदी सरकार मतलब तानाशाही सरकार....! मगर उल्लूक टाइम्स तो बोलता है कि हमेशा होता है जैसा उससे कुछ अनोखा नहीं होगा....। हमारी बदकिस्मती - बताएं क्या हमारी दास्ताँ है बड़ी दर्दीली , हमें बेदर्द किस्मत ने ,बहुत ज्यादा सताया है...। पात झरे यूँ यही तो हैंलम्हों का सफ़र।
'इनायत का कलाम..' - ... "जाने कब क्या समझ सकूँगी.. जो न समझी परतों की परत.. गम-ए-दरीचा कैसे समझ सकूँगी..तुम्हारी खामोशियों की सतह पर....... ....... छूट दे रखी है मैंने, अपने प्रश्नों को बैठने की…… । यह जीवन किसका? - पाराम्परिक भारतीय सोच के अनुसार अक्सर बच्चों को क्या पढ़ना चाहिये और क्या काम करना चाहिये से ले कर किससे शादी करनी चाहिये, सब बातों के लिए कुछ नियम कानून भी तो होंगे। पायल की छम - छम हमें भाती नही है । ये शब्दों की लुका - छिपी हमें आती नही है । पल - पल में बदल जाना जान लेती है कई मर्तबा ...। रात आँसू बहाती रही - दिल करे लोभ, दुनिया लुभाती रही हम फँसे जाल में, ये फँसाती रही | इस चमन में जहाँ गूँज मातम रहा देख बुलबुल वहीँ गीत गाती रही...।अन्त में राम-राम भाई...।
बहुत बढ़िया सूत्र व रचना के साथ प्रस्तुति , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
बहुत खूब आदरणीय!
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात भाई जी
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
सादर
बहुत सुंदर पर्चा है आज की चर्चा का 'उलूक' का खर्चा भी निकल गया 'हमेशा होता है जैसा उससे कुछ अनोखा नहीं होगा' को ले लिया ।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुतीकरण की सुन्दर विधा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मयंक साब..!!
जवाब देंहटाएंसादर आभार..!!
BHAYI SAAHIB WAAH AAPKE GYAAN NE RACHNAON KE SHEERSHKON KI BHI KAVITA BANADI KAMAAL HAI !! TAARIF KE KAABIL . AAPKA AASHIRWAD AISE HI BANAA RAHE !! DHANYWAAD !! BAHUT BADHIYA SANKALAN !
जवाब देंहटाएंMY DEAR FRIENDSgood-luck and good wishes from"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",SERCH http://www.pitamberduttsharma.blogspot.com .read,share and comment on it daily.
bahut-bahut dhanyvad.......aur links to hain hi khoobsurat.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti .meri post ko sthan dene ke liye aabhar .
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सजा चर्चा मंच |
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