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बुधवार, अप्रैल 16, 2014

गिरिडीह लोकसभा में रविकर पीठासीन पदाधिकारी-चर्चा मंच 1584

गिरिडीह : नक्सल समस्या चुनाव में बड़ी चुनौती
By Ranchi Express, 08 Apr 2014 12:00 AM

(8 Apr) बोकारो, गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र का अधिकांश इलाका नक्सल समस्या से ग्रस्त है। गिरिडीह संसदीय सीट का गिरिडीह, डुमरी, टुंडी, बाघमारा, बेरमो तथा गोमिया विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में नक्सलियों का बोलबाला है। बोकारो जिले का झुमरा पहाड़ और गिरिडीह जिले की पारसनाथ पहाड़ी गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में ही है, जो नक्सलियों के प्रशिक्षण स्थल के रूप में पूरे देश में चर्चित रहा है। इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से लोकसभा का चुनाव कराना पुलिस व प्रशासन के लिए एक कठिन चुनौती है। पुलिस के लगातार आपरेशन के बाद भी नक्सली बार-बार विध्वंसक घटनाओं को अंजाम देकर सरकार व प्रशासन को अपनी मजबूत उपस्थिति का एहसास कराते रहे हैं।
प्रतिभा सक्सेना

Randhir Singh Suman

"शिशु कविता-चले देखने मेला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

मैं चलूँगी साथ, प्रियतम !

Jai Bhardwaj 

रोज़ की व्यथा

Misra Raahul

Manu Tyagi 
 

kamakhya temple , Assam ,( 51 Shaktipeeth ) योनि की पूजा , अदभुत कामाख्या मंदिर , गुवाहटी , आसाम

Manu Tyagi 


प्यार मेरे लिए तुम.......................फाल्गुनी

yashoda agrawal 

मेरी प्रथम पच्चीसी : छठवी किस्त

Ankur Jain 
"अद्यतन लिंक"

आज का प्रेम 

मनुष्य (इस संसार का सबसे अद्भुत प्राणी), 
जिसका प्रेम प्रत्येक छण ! 
कलेंडर से जल्दी बदलता है, 
और समय से भी तेज चलता है !! 
औरत (संसार की सबसे रहस्यमय प्रजाती), 
को देखते ही प्रेम में पड़ जाता है...
कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला 
--
एक शब्द अर्थ अनेक 
सब के विश्लेषण सटीक 
जब सोचा समझा उपयोग किया 
कितने ही पीछे छूट गए...
Akanksha पर Asha Saxena
--

कल---एक घर देखा 

पत्थरों की दीवारों में शीशों की खिडकियां 
खिडकियों के पीछे लोहे की जालियां 
इन जालियों में जंग खाती,अनुभूतियां, 
देखीं कल...
--
अम्मा भूखी है, 
बच्चे बिलख रहे हैं, 
काका रो रहा है, 
अंगारे सुलग रहे हैं 
सिसकती रूह को चुप कराने के लिए, 
अंधेरे में उजाले चमकाने के लिए 
आओ मतदान करें...

अमित बैजनाथ गर्ग 'जैन'

जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
--

"गीत-दरबान बदलते देखे हैं" 

इंसानों की बोली में, ईमान बदलते देखे हैं।
धनवानों की झोली में, सामान बदलते देखे हैं...
--

दर्द लिक्खूँ मैं या दवा लिक्खूँ 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--

कल की चिंता क्यों 

मनुष्य हमेशा 
अपने भविष्य के लिए चिंतित रहता है। 
वह अतीत की सोचता है, 
भविष्य की सोचता है, 
क्योंकि डरता है वर्तमान से...
Yatra पर Kb Rastogi
--

चैत की चंदनिया

चादर सी ,चूनर सी-       चैत की चंदनिया
झांझर सी,झूमर सी -   चैत की चंदनिया...

12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    अच्छा चयन
    अच्छी रचनाएँ
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    विभिन्न लिंक्स समसामयिक विषयों पर |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद रविकर जी।
    अपना ख्याल रखिए।
    --
    आशा है स्वस्थ और सानन्द होंगे।

    जवाब देंहटाएं
  4. बुधवारीय चर्चा रविकर जी और मयँक जी की जुगलबंदी की चर्चा । निखरी हुई आज की चर्चा में 'उलूक' का सूत्र कहीं जला रहा है रगड़ रगड़ कर माचीस की तीलियाँ । बहुत बहुत आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छा रहा रविकर जी,विविध रंगों की चर्चा के चुनाव खूब रुचिकर रहे -आभार आपका!

    जवाब देंहटाएं
  6. लोकतन्त्र के महायज्ञ में आपका भी योगदान हो रहा है, प्रसन्नता है।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार

    जवाब देंहटाएं

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