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रविवार, अप्रैल 20, 2014

''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588)

रविवारीय चर्चा में आप सभी का हार्दिक स्वागत
आइये आज सीधे सीधे ''शब्दों के बहाव में'' बहते हैं 
====
आदरणीय ''वीरेन्द्र कुमार शर्मा'' जी द्वारा 

प्रेस से जतन पूर्वक बटोरी कतरनें

--१--
आदरणीय ''दिव्या शुक्ला'' जी द्वारा 

तुम इतना भी नहीं समझते ?

--२--
आदरणीय ''डॉ जेन्नी शबनम'' जी द्वारा 
--३--
आदरणीय ''नीरज कुमार'' जी द्वारा 

मरे हुए आदमी की नैतिकता

--४--
आदरणीय ''कल्पना रामानी'' जी द्वारा 
--५--
आदरणीय ''कैलाश शर्मा'' जी द्वारा

परछाइयां

--६--
आदरणीय ''अपर्णा बोस'' जी द्वारा 
--७--
आदरणीय ''सुनील कुमार जोशी'' जी द्वारा 
--८--
आदरणीय ''सविता मिश्रा'' जी द्वारा 
--९--
--१०--
आदरणीय ''अनुलता राज नायर'' जी द्वारा 
--११--
आदरणीय ''संजीव चौहान'' जी द्वारा 

वो इंडिया टीवी छोड़ देंगे मुझे करीब एक महीने पहले पता था !

आदरणीय ''सिया सचदेव'' जी द्वारा 
--१३--
आदरणीय ''हिमकर श्याम'' जी द्वारा 
--१४--
आदरणीय ''शालिनी रस्तोगी'' जी द्वारा 
--१५--
और अंत में इतनी सी इल्तिज़ा है कि जहाँ मतदान नहीं हुआ है, वहाँ के मतदाता ज़रूर अपने मताधिकार का प्रयोग करें। 
सादर 
--अभिषेक कुमार ''अभी''
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"अद्यतन लिंक"
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अंक बताए मन की बात 

अंक बताए मन की बात अंक हमारे जीवन के सभी हिस्सो को प्रभावित करते हैं कई बार अंक हमारे ऐसे कई सवालो के जवाब देने मे सक्षम होते हैं जिनका जवाब हम अन्य लोगो से जानना चाहते हैं इस लेख मे हमने कुछ ऐसे ही मजेदार सवालो के जवाब जानने के एक तरीके का उल्लेख किया हैं जिसकी मदद से आप अपने व दूसरों के कई सवालो के जवाब आसानी से जान जाएँगे...
ANALYSE YOUR FUTURE पर Kishore Ghildiyal
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ये मेरा शहर ! 

पी.सी.गोदियाल "परचेत"

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गाँव वैसे नहीं बदला 

पिछले हफ्ते अरसो बाद अपना गाँव देखा। 
सोचा था पूरा बदल गया होगा 
मगर पाया वही बचपन का गाँव 
कुछ नए जेवर पहने...
कविता मंच पर Pankaj Kumar
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उठती टीस एक मन में. 

काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
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रोशनी है कि धुआँ..... (7) 

अपने नाम को सार्थक करती तेजस्वी लौटी अपने शहर , 
उसकी सहेली सीमा की जिंदगी में आये तूफ़ान से रूबरू हो रही है , 
झिझकते , सिसकते , रोते सीमा सुना रही है अपनी दास्तान ....
ज्ञानवाणी पर वाणी गीत 
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इंसानियत 

हालात-ए-बयाँ पर अभिषेक कुमार अभी
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जाने किस खुदा का करम हो रहा है 

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"मेरी गइया"

सारा दूध नहीं दुह लेना,
मुझको भी कुछ पीने देना।

थोड़ा ही ले जाना भइया,
सीधी-सादी मेरी मइया।
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कार्टून :-  

हम तुम्‍हें क्‍या डंकी लगती हैं 

कि‍ वाल-पुट्टी नहीं दि‍खती ? 

18 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा।
    आपका आभार भाई अभिषेक अभी जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर लिंक्स से आज की चर्चा सजाई है .. फुर्सत से पढ़ता हूँ .. आभार ..

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर सूत्र संयोजन अभिषेक । 'उलूक' का सूत्र 'गजब की बात है वहाँ पर तक हो रही होती है' शामिल किया आभारी हूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर सूत्र ।रचना शामिल करने के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आकर्षक लिंक्स ! दिन भर के लिये पर्याप्त सामग्री उपलब्ध कराने के लिये धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  6. कार्टून को भी चर्चा में सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आभार जी.

    जवाब देंहटाएं
  7. पठनीय सामग्री के ये लिंक्स देखकर हिंदी ब्लॉग जगत में लेखन कम किये जाने की शिकायत जायज़ नहीं लगती। पढ़ने वाले की जरुरत है !
    श्रम पूर्वक सजाई गयी इस चर्चा का बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. अहिल्या तो हूँ ko shamil karne ke liy dhanyvaad abhi bhai .....bahut sundar link hai padhte hai samay nikaal

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार..

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन लिंकों के साथ बहुत सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा, आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  11. अभी जी, अच्छे लिंक्स...सुन्दर चर्चा...मेरी रचना को इसमें शामिल करने के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  12. पठनीय सामग्री..शुक्रिया।।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजाया है आपने यह मंच . रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

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