आज के इस चर्चा मंच पर मैं राजेन्द्र कुमार हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।इस सन्देश पर विचार करते हुए आगे चर्चा की तरफ बढ़ते हैं।
लंबे समय तक देश को बेहतर नीतियां देने, सुरक्षा की भावना का संचार करने, राष्ट्र की गरिमा और शक्ति को बढ़ावा देने, कर्ज के जाल में से निकलने, बजट को संतुलित बनाने, सभी लोगों तक विकास के लाभ पहुंचाने, रोजगार के अवसर सृजित करने, आधारभूत ढांचे का विस्तार करने, सभी के लिए सुरक्षा सेवाएं, शिक्षा एवं कौशल सुनिश्चित करने की गारंटी केवल हमारा वोट ही है। सबसे ज्यादा यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे खून-पसीने की कमाई भाड़ में न चली जाए या कोई इसे चुरा न ले। इसलिए हम में से प्रत्येक को सम्पूर्ण जिम्मेदारी की भावना से मतदान करना होगा। यह देश के भविष्य, अपनी संतानों के भविष्य के लिए मतदान है। हम सभी अपने बच्चों से प्यार करते हैं और अपनी मातृभूमि से भी।इसलिए आएं, अब की बार हम यह प्रतिबद्धता व्यक्त करें कि हम में से कोई एक भी मतदान करने के अपने पवित्र कर्तव्य से चूकेगा नहीं।यदि हम घरों, चौपालों में बैठकर या सोशल मीडिया के माध्यम से व्यवस्था को कोसते रहेंगे तो इससे भला नहीं होगा। इसलिए खुद वोट दें और दूसरों को भी प्रेरित करें !!
अब चलते हैं आपके कुछ चुने हुए लिंको की तरफ ……
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आशा शंर्मा जी की प्रस्तुति
दो शब्दों में मिटा दिया सब
हमतो तुम्हे खुदा से भी उपर
समझ बैठे थे
तुम खुदा न सही
इंसान तो बन सकते थे
अभिलेख दिवेदी जी की प्रस्तुति
आज़ाद भारत में एक व्यवस्था बनायी गयी है,
जनता अपना प्रतिनिधि खुद चुने ऐसी प्रणाली दी गयी है।
जनता का वो विश्वसनीय देश का कर्णधार है,
जिसके इशारों पर राजनीति का होता व्यापार है।
♣♣२♣♣
सुषमा 'आहुति' जी की प्रस्तुति
उन पलो को सम्हाल कर रखना है....
जिन पलों में..
मैंने तुम्हे हँसते मुस्कारते देखा...
जिन पलों में...
♣♣३♣♣
नीरज द्विवेदी जी की प्रस्तुति
तुझको जीतूँ लक्ष्य है मेरा, तुझसे जीत नहीं चहिए,
तेरी जीत में जीत हमारी, तेरी हार नहीं चहिए,
तू मेरा प्रतिमान किरन है, जो मैं सूरज हो जाऊँ,
तू मेरा सम्मान किरन है, जो मैं सूरज हो जाऊँ,
♣♣४♣♣
आशा सक्सेना जी की प्रस्तुति
तरसती है
तपती दरकती
प्यासी धरती |
♣♣५♣♣
राजीव कुमार झा जी की प्रस्तुति
-फैशन और सौंदर्य के दिखावे के कारण आज मानव इतना निर्दयी हो गया है कि उसको किसी भी प्राणी को बेरहमी से मारने में कोई हिचक नहीं होती.‘फर’ और ‘मखमली’ कोटों,सुगंधित शैम्पू,खाल से बने पर्स आदि की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.यह सब अनेक मूक प्राणियों को बर्बरतापूर्वक वध करके प्राप्त किया जाता है.आख़िर इन मूक और बेजुबान पशुओं का कसूर क्या है?
♣♣६♣♣
राजेश कुमारी जी की प्रस्तुति
चुपके-चुपके मुखड़ा ढक के कल रात सखी घर से निकली ,
गरजे बदरा धड़का जियरा दमकी घन बीच मुई बिजली||
♣♣७♣♣
गुंज झाझारिया जी की प्रस्तुति
फितरत में बसा है,
लड़ना मानुष के।
जैसे जन्म के समय,
माँ लड़ी थी दर्द से,
♣♣८♣♣
बसंत खिलेरी जी की प्रस्तुति
आज मैँ आपके लिए विण्डोज 7 का डाउनलोड लिँक लेकर आया हु। जेसे आप सभी को पता है कि लगभग उपयोगकर्ता विण्डोज 7 का इस्तेमाल करते है। विण्डोज 7 को एक बेहतरीन ओपरेटिँग सिस्टम माना जाता है
♣♣९♣♣
कैलाश शर्मा की प्रस्तुति
पाने को अपनी मंज़िल
चलना होता है स्वयं
अपने ही पैरों पर,
दे सकते हैं साथ
केवल कुछ दूरी तक
क़दम दूसरों के.
♣♣१०♣♣
फ़िरदौस खान जी की प्रस्तुति
कहते हैं कि टूटते तारे को देखकर कोई ’विश’ मांगी जाए, तो पूरी ज़रूर होती है... छत पर देर तक जागकर चांद-तारों को निहारना भला तो लगता है... लेकिन टूटते तारे को देखकर मन दुखी हो जाता है...
♣♣११♣♣
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी की प्रस्तुति
♣♣१२♣♣
शशिप्रकाश सैनी जी की प्रस्तुति
न रूठ रही न मान रही
हमें पे छलकीं मुस्कान नहीं
धड़कन मेरे खाते नहीं
प्यार भरी कोई बातें नहीं
♣♣१३♣♣
हितेश राठी जी की प्रस्तुति
प्रतियोगिता परीक्षा से सम्बंधित सामग्रियों के लिए मैं अक्सर नयी-नयी वेबसाइट के बारे में बताता रहता हूँ, जिससे की विधार्थियों को सामान्य ज्ञान, रीजनिंग, मैथ के सवालों के जवाब के लिए ज्यादा परेशान न होना पड़े. परीक्षायों की विविधता को देखते हुए सामान्य ज्ञान से लेकर जीवन से जुडी
♣♣१४♣♣
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ जी की प्रस्तुति
भैंस हमारी बहुत निराली।
खाकर करती रोज जुगाली।।
इसका बच्चा बहुत सलोना।
प्यारा सा है एक खिलौना।।
♣♣१५♣♣
शरद सिंह जी की प्रस्तुति
♣♣१६♣♣
शारदा अरोड़ा जी की प्रस्तुति
सड़क पर गुजरते हुए कुछ अठारह-बीस साल के लड़कों को बातें करते सुना। वो अपनी भाषा में गालियों का प्रयोग बड़ी हेकड़ी के साथ कर रहे थे ; जैसे ये उनकी शान बढ़ा रही हों। कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ सभ्य बुद्धि-जीवी कहे जाने वाले लोग भी कम उद्दण्ड नहीं हैं। हमारे फिल्म-जगत ने ऐसे किरदारों को भी पर्दे पर उतारा है। व्याकरण की त्रुटियाँ या भाषा की समृद्धि की बात तो दूर रही ; गालिओं का इस तरह धड़ल्ले से प्रयोग समाज को क्या सन्देश दे रहा है। भाषा का गिरता स्तर चिन्ता का विषय है।
♣♣१७♣♣
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की प्रस्तुति )
रोज लिखता हूँ इबारत, मैं नदी के रेत पर
शब्द बन जाते ग़ज़ल मेरे नदी के रेत पर
जब हवा के तेज झोकों से मचलती हैं लहर
मेट देती सब निशां मेरे, नदी के रेत पर
♣♣१८♣♣
अंजु चौधरी जी की प्रस्तुति
टिमटिमाती रोशनियाँ
और जंगल की आग का
धुआँ
सड़कों से गुजरती गाड़ियाँ
और इन सबका शोर
♣♣१९♣♣
आशीष भाई जी की प्रस्तुति
*बुद्धिवर्धक कहानियाँ* *-* भाग *-* ६ पे आप सबका हार्दिक स्वागत है ,
तुषार राज जी की प्रस्तुति
रे मुसाफ़िर चलता ही जा -
नहीं तो राहों से चूक
"अद्यतन लिंक"
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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बार्बी डॉल मैं असली ...
स्पंदन पर shikha varshney
♣♣♣♣नरेंद्र मोदी बनें पीएम
तो दिल्ली सख्त पाकिस्तान मस्त
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आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
♣♣♣♣फिल्मों में गब्बर,
चुनाव में मोदी

Randhir Singh Suman
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''भोलू का भोलापन''
अब भोलू के सभी मित्र शहरी हो गये थे/
और जब वो गाँव आते तो
भोलू उनके ठाट-बाट से मोहित हो जाता/
जिस से उसका मन गाँव से उचटने लगा।
शहर जाके कमाने की इच्छाएँ प्रबल आवेग से
उसके मन में विचरने लगी...
हालात-ए-बयाँ पर अभिषेक कुमार अभी
♣♣♣♣कुछ दिन और चलना है ये बुखार
सपने देखेंगे
खरीदेंगे बेचेंगे
इस बार नहीं
तो अगली बार
कोई रोक नहीं
कोई टोक नहीं
जब होता है
अपने पास
अपना ही एक
सपनों का व्यापार .....
खरीदेंगे बेचेंगे
इस बार नहीं
तो अगली बार
कोई रोक नहीं
कोई टोक नहीं
जब होता है
अपने पास
अपना ही एक
सपनों का व्यापार .....
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
♣♣♣♣अंतहीन समर
गले हुए कंकालो के हड्डियों की
गिनतियाँ बतलाती है उन्हें
बलिष्ठ काया की गाथा।
और नहीं तो कुछ सच्चाई से मुँह मोड़ना भी तो
कुछ पल के लिए श्रेस्कर है...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
सुप्रभात
ReplyDeleteवैविध्य पूर्ण सूत्र लिए है आज का चर्चा मंच |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बहुत ही बढ़िया लिंक्स हैं..... आभार
ReplyDeleteविविध आयामी, उपयोगी और कुछ बहुत ही सुन्दर भावों को सहेजे इतने सरे लिनक्स देने के लिए बहुत आभार।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत मेहनत से लगाई है आज की चर्चा राजेंद्र जी । 'उलूक' का सूत्र 'कुछ दिन और चलना है ये बुखार ' शामिल किया आभार ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार!
आपने मेरी पोस्ट Download windows 7 चर्चा मंच पर दिखाई इसके लिए आपका आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
ReplyDeletebadhiya rajendra bhai mera kavita chunne ke liye aabhar...
ReplyDeleteसुंदर व सार्थक प्रस्तुति , पोस्ट को स्थान देने हेतु राजेंद्र भाई व मंच को धन्यवाद !
ReplyDelete~ ज़िन्दगी मेरे साथ -बोलो बिंदास ! ~( एक ऐसा ब्लॉग जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता हैं )
बहुत विस्तृत और रोचक सूत्र...बहुत सुन्दर चर्चा...आभार
ReplyDeleteराजेन्द्र भाई साहब बहुत सुन्दर प्रस्तुति...चर्चामंच में स्थान देने के लिए आभार
ReplyDeletebadhiya sootr. abhaar .
ReplyDeleteबढ़िया लिंकों के साथ स्तरीय चर्चा।
ReplyDeleteआपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक चर्चा
आज की चर्चा मे हर तरह के लिंक्स को संजो कर अपने बहुत सार्थक बना दिया है।
बहुत बधाई इस सफ़ल श्रम हेतु भाई साहब राजेंद्र जी और मयंक सर ज़ी
हालात-ए-बयाँ : ''भोलू का भोलापन'' को स्थान देने के लिये सादर आभार
सुन्दर पठनीय सूत्रों से सजा चर्चामंच ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत- बहुत आभार राजेंद्र जी को.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स हैं..... आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा...
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार ....