जंगली धूप अब कुछ कुनकुनाने
लगी है
शायद कोई किरण यहाँ आने लगी
है |
पुराना खेल मदारी का रोज
चलता है
अब यह पिटारी हमें बहुत
भाने लगी है |
ये होंठ चुप थे और जुबान भी
गूंगी थी
यह जिंदगी अब तो मर्सिया
गाने लगी है |
जिस ‘जिंस’ से रहता है
जिंदा आदमी
वही आदमी को आज खुद खाने
लगी है |
नदी जब उफनती है किनारे
तोड़ती है
यह आवाज तो कहीं से आने लगी
है |
मैं तो नगरी अपनी की बात
करता हूँ
पत्थरों से वह खुद को सजाने
लगी है |
(साभार : राजेंद्र निशेश)
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मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक : 1580 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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इस जमीं के बागवाँ भी, क्या करें ?
बिन बुलाये खामखां भी,क्या करें ?
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नीरज पाल
घर से कुछ दूर चलने पर भी,
वह नहीं मिला, न ही उसकी कोई यादें थी वहाँ, सपाट फैला हुआ, |
पूजा उपाध्याय
वे शब्द बड़े जिद्दी थे. उस लड़की की ही तरह. अपनी ही चाल चलते, मनमानी। कलम की निब के साथ भी दिक्कत थी थोड़ी, जरा सी बस उत्तर अक्षांश की ओर झुकी थी, जैसे धरती चलती है न डगमग डगमग, वैसे ही कलम भी चलती थी उसकी, जरा सी नशे में झूमती। |
संशय से निकलते हुए राहुल
रविश कुमार
नरेंद्र मोदी, मायावती के बाद राहुल गांधी की रैली से आ रहा हूँ । टीवी पर राहुल के सपाट भाषणों को सुना है मगर ज़माने बाद या शायद पहली बार सामने से सुन रहा था । राहुल गांधी का भाषण बदल रहा है । शुरू में जिस तरह का अबोध लगता था अब बहुत बेहतर तो नहीं लेकिन पहले से सुधरा हुआ लग रहा है ।
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अनिता
ईश्वर की ओर चलना आरम्भ तो करें सारी सृष्टि सहायक हो उठती है. जो जगत का नियामक है, नियंता है, आधार है उसे अपना मान लें तो जगत का विरोध स्वतः समाप्त हो जाता है,
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प्रस्तुति-पंकज गोयल
कहीं चांद राहों में खो गया कहीं चांदनी भी भटक गई
मैं चराग़ वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई
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तरक्की का दस्तावेज है भाजपा घोषणापत्र
हर्षवर्द्धन त्रिपाठी भारत गांवों का देश है। और ये बात हम भारतीयों के दिमाग में ऐसे भर गई है कि अगर कोई गलती से भी शहर की बात करने लगे तो लगता है कि ये भारत बिगाड़ने की बात कर रहा है। लेकिन, उसी का दूसरा पहलू ये है कि शायद ही नई उम्र का और काफी हद तक पुरानी उम्र का कोई भारतीय हो जो पूरे मन से सिर्फ गांव में ही रहना चाहता हो। |
मनु त्यागी
कांगडा का किला देखने के बाद आधा दिन बचा था और हमें मैक्लोडगंज के भागसू नाग झरने को देखने जाना था । वहीं हमें शाम को धर्मशाला से दिल्ली की बस में बैठना था तो हमें वापस राकेश के कमरे से आने जाने में समय लगता । इससे बचने के लिये हमने अपना सामान उठा लिया साथ में ही और कमरे को बंद करके मैक्लोडगंज की ओर चल पडे ।
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I write my longings
on the river every noon
When I bathe
And they snake to the sea
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तेरे लिये कुछ नहीं उसके लिये खुशी हो रही होती है
सुशील कुमार जोशी
किसी को उड़ती
हुई चीज पसंद नहीं होती है उसकी सोच में |
ए-दोस्त
चाँद तुम्हें भी नज़र आता है न
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दांतों का एक बहुत ही प्रचलित रोग है पायरिया। पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है जो दाँतों के आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें हानि पहुँचाती है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक कारणों से होती है, और सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्याओं तक सीमित नहीं होतीं।
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मार्कंडेय दवे
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मीना पाठक
सुन कर द्रोपदी की चित्कार
कलेजा धरती का फटा क्यों नहीं देख उसके आँसुओं की धार अंगारे आसमां ने उगले क्यों नहीं |
जीवन के आपाधापी में
यह सोच न पाया कि जीवन क्या है?क्या बुरा किया क्या भला किया कैसे बीत गए पल सारे |
शांतनु सान्याल
रख जाओ कभी, कुछ महकते ख्वाब,
दिल के क़रीब, मुद्दतों से खुली हैं चाहतों की खिड़कियाँ, |
कुछ अनोखे पल
महेश्वरी कनेरी
झुक कर आसमां जब
धरती के कंधे पर सर रख देता है |
भारती दास
आर्य-श्रेष्ठ द्रोणाचार्य थे
शस्त्र-विद्या के आचार्य थे
शास्त्र में भी निपुण बड़े
लेते थे निर्णय खड़े-खड़े |
"दर्पण असली 'रूप' दिखाता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जीवन बहते पानी जैसा,
चरैवेति का पथ सिखलाता।
धन्यवाद !
-- शक्ति पीठ रहस्य
पौराणिक कथा है कि दक्ष के यज्ञ मे शिव का निमंत्रण न होने से व उनका अपमान होने से सती ने योगबल से अपनी देह को त्याग कर तत्पश्चात हिम पुत्री पार्वती के रूप मे जन्म ले कर सदा शिव की पत्नी होने का निश्चय किया था । समाचार विदित होने पर शिव को दक्ष पर बड़ा क्रोध और सती पर मोह हुआ । वे दक्ष यज्ञ को नष्ट करके सती के शव को अपने कंधे पर डाल कर घूमते रहे । श्री विष्णु ने शिव के मोह की शांति एवं जग कल्याण हेतु सती के श्री अंगों को काट काट कर भिन्न भिन्न स्थानों पर गिरा दिया , वे ही इक्यावन पीठ बने । ज्ञातव्य है कि योगिनी हृदय एवं ज्ञानर्णव के अनुसार ऊर्ध्व भाग के अंग जहां गिरे वहाँ वैदिक और दक्षिणमार्ग की और हृदय से निम्न भाग के अंगो के पतनस्थलों मे वाममार्ग की सिद्धि होती है । सती के विभिन्न अंग कहाँ कहाँ गिरे और वहाँ कौन कौन से पीठ बने , वे निम्न लिखित है...
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आओ प्रिये ! आओ
दिल की हर धड़कन
तुम्हें पुकारे...
मेरी नन्हीं उड़ान-- राम ,बुद्ध ,दुष्यंत ये क्या क्या नहीं .... -- जिन लोगों ने आज तक कभी सच नहीं बोला आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma -- किताबों की दुनिया -- किसे ?
एक लम्बी सी चिट्ठी लिखना चाहती हूँ
बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ
पर कोई ऐसा नाम जेहन में नहीं
जिससे धाराप्रवाह सब कुछ कह सकूँ …
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...-- मेरा बस्ता कितना भारी। बोझ उठाना है लाचारी।। मेरा तो नन्हा सा मन है। छोटी बुद्धि दुर्बल तन है... |
आज की खूबसूरत शनिवारीय चर्चा के सुंदर सूत्रों के साथ 'उलूक' का सूत्र 'तेरे लिये कुछ नहीं उसके लिये खुशी हो रही होती है' को भी शामिल करने के लिये आभार राजीव ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, आज के इस शनिवारीय चर्चा के सभी लिंक्स बहुत ही बेहतरीन और पठनीय हैं। इस श्रमसाध्य चर्चा के लिए आप सब का हार्दिक आभार। मेरे स्वास्थ्य आर्टिकल को चर्चा में जगह देने के लिए आपका आभार राजीव जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और चहकती-महकती चर्चा।
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजीव कुमार झा जी आपका आभार।
बहुत ही सुन्दर चर्चा.. मुझे शामिल करने के लिये आभार राजीव जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा-मंच.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढियाँ संकलन ,मेरी रचना को भी शामिल किया आपने ,इसके लिए बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbahut sundar charchaa !! badhiya lagaa padh - dekh kar !!
जवाब देंहटाएं" 5th pillar corruption killer " THE BLOG - SERCH DAILY - www.pitamberduttsharma.blogspot.com. by - PITAMBER DUTT SHARMA ( SAMEEKSHAK ) MO.NO. 9414657511. I AM ALSO IN , FACE - BOOK , PAGE , GOOGLE+ AND FB GRUPS. READ , SHARE AND GIVE YOURS VELUABLE COMMENTS ON IT DAILY . THANKS MY DEAR FRIENDS !!
Very Nice..! Shri Rajiv kumar ji , Thanks a lot..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सूत्र संकलित रवैया इख्तियार रखते हुए बेहतरीन चर्चा , मंच व राजीव भाई को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
very nice presentation .thanks to give place to my post here.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंबड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंरविवार है । आज की चर्चा आ रही होगी इंतजार करते हैं :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति है सरजी !नारी विशेषांक कहना इस अंक को समीचीन रहेगा। स्तुत्य प्रयास स्तरीय रचनाएँ परोसने का।
जवाब देंहटाएंThought provoking allegory:
Every morning as I stroll
I write my longings
on the clear blue of the sky
but soon the blanket of darkness
hides them
And with the break of dawn
the letters melt and drip down
in the sun’s heat
But I don’t write my longings
on the walls of the mind
in the night
in a moment’s drama of dreams
enacted on the mind’s walls
I see my fulfillments
all celebrities
of a king
attend on me.
बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र।मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति है सरजी
जवाब देंहटाएंhttps://www.gyanmanthan.net/shocking-secrets-story-from-mahabharata/