मित्रों।
सोमवार के लिए मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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मुस्कुराती मदिर मन में मेंहदी मधुर

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इक अरसे बाद
बिना पटकथा के संवाद कर गया कोई
दिल धड़कन रूह तक उत्तर गया कोई
अब धमकती है मिटटी मेरे आँगन की
जब से नज़रों से जिरह कर गया कोई...
दिल धड़कन रूह तक उत्तर गया कोई
अब धमकती है मिटटी मेरे आँगन की
जब से नज़रों से जिरह कर गया कोई...
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अजनबी
ज़िन्दगी के सफर मे मिल जातें है कई लोग ,
कुछ दिल से जुड़ जाते है
कई बस यूँ ही कुछ पल साथ रहते हैं...
Love पर Rewa tibrewal
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"बाल कविता-तरबूज"

जब गरमी की ऋतु आती है!
लू तन-मन को झुलसाती है!!
तब आता तरबूज सुहाना!
ठण्डक देता इसको खाना...
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रूपांतरण
स्त्री के भीतर
उग आती हैं और एक स्त्री
या अनेक स्त्रियाँ.....
जब वो अकेली होती है
और दर्द असह्य हो जाता है |
फिर सब मिल कर बाँट लेती हैं दुःख ...
उग आती हैं और एक स्त्री
या अनेक स्त्रियाँ.....
जब वो अकेली होती है
और दर्द असह्य हो जाता है |
फिर सब मिल कर बाँट लेती हैं दुःख ...
मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....पर expression
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श्रीमद्भगवद्गीता-चिंतन
मंत्रोच्चारण में निम्नलिखित पंक्तियों का
स्मरण करते हुए हम सभी मिल कर
श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन,मनन और
चिंतन करने का पुनः पुनःप्रयास करते रहेंगें.
अद्धैतामृतवर्षिणीम् भगवतीमष्टादशाध्यायिनीम्
अम्ब त्वामनुसंदधामि भगवद्गीते भवद्वेषनीम् l l
मनसा वाचा कर्मणा पर Rakesh Kuma
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सान्निध्य तेरा
...यादों का पिटारा खोलता हूँ
उन मधुर पलों को
जीने के लिए
कठिन प्रयत्न करता हूँ
सफलता पाते ही
पुनः जी उठता हूँ
तेरे सान्निध्य की यादों में
Akanksha पर Asha Saxena
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सच्चे लोग चले जाते हैं,
रेणु कुमारी
सच्चे लोग चले जाते हैं,
कदमों के निशाँ नहीं मिलते।
उनकी धड़कन में बसे हुए,
यादों के जहाँ नहीं मिलते
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लम्हों में जीती रही....

- पत्तों के हिलने मे तेरे आने की आहट सुनूँ
तुम मेरे शहर मे आये
तुमसे मिलने का ख्वाब बुनूं ||
शाम ढलने लगी चिरागों से बात करने लगी ....
कविता

- पत्तों के हिलने मे तेरे आने की आहट सुनूँ
तुम मेरे शहर मे आये
तुमसे मिलने का ख्वाब बुनूं ||
शाम ढलने लगी चिरागों से बात करने लगी ....
कविता
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रच नहीं पाती मैं .......
बेबाक,बिंदास,तुकांत,
अतुकांत,
'तहलका' मचानेवाले
शब्दों के सौजन्य से,
कोई एक कविता.....
mridula's blog
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ठंडा ठंडा - कूल कूल : कितना घातक ?
२१ मरीज अंधेपन और सिरदर्द की शिकायत लेकर पहुंचे। पता चला कि वे सभी लगभग दस वर्षों से या उससे लम्बे समय से सिर पर नियमित रूप से ठंडा तेल लगाते चले आ रहे थे। जब उनका टेस्ट करवाया गया तो पता चला - कोटेक्स और पेरिबेलम नस गल चुकी थी . ऐसे लोगों के सामने आने के बाद वहां पर ३०० सिरदर्द के मरीजों पर अध्ययन शुरू किया गया, जो पिछले पाँच वर्षों से ठण्डे तेल का प्रयोग कर रहे थे। इनमें ३० प्रतिशत लोगों को मिर्गी और शेष में माइग्रेन तेजी से बढ़ रहा था।
उनका इलाज न्यूरोलॉजी विभाग में चल रहा है...
मेरा सरोकार
२१ मरीज अंधेपन और सिरदर्द की शिकायत लेकर पहुंचे। पता चला कि वे सभी लगभग दस वर्षों से या उससे लम्बे समय से सिर पर नियमित रूप से ठंडा तेल लगाते चले आ रहे थे। जब उनका टेस्ट करवाया गया तो पता चला - कोटेक्स और पेरिबेलम नस गल चुकी थी . ऐसे लोगों के सामने आने के बाद वहां पर ३०० सिरदर्द के मरीजों पर अध्ययन शुरू किया गया, जो पिछले पाँच वर्षों से ठण्डे तेल का प्रयोग कर रहे थे। इनमें ३० प्रतिशत लोगों को मिर्गी और शेष में माइग्रेन तेजी से बढ़ रहा था।
उनका इलाज न्यूरोलॉजी विभाग में चल रहा है...
मेरा सरोकार
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badhiya charcha ....
ReplyDeleteसुंदर सूत्र संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा । जन्मदिन मुबारक सत्यम । 'उलूक' के सूत्र 'कुछ दिन के लिये ही मान ले हाथ में है
ReplyDeleteऔर एक कीमती खिलौना है ' को जगह दी आभार ।
बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा.
ReplyDeleteचर्चा मंच में मेरे ब्लॉग मनसा वाचा कर्मणा को भी शामिल
करने के लिए हार्दिक आभार.
बढ़िया चर्चा
ReplyDeleteसुन्दर सूत्रों से सजी बहुत बढ़िया चर्चा.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा,आभार आदरणीय।
ReplyDeleteहर बार की तरह बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
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आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी
सादर प्रणाम !
मेरे ब्लॉग और मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद
सभी मित्रों को मेरे ब्लॉग पर आने का स्नेहिल आमंत्रण है...
हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सुंदर लिंक्स
ReplyDeleteइस लेख चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! मेरा इस जानकारी को लिखने का मात्र इतना उद्देश्य है कि इस ठन्डे तेल की लत के शिकार लोग अभी भी सावधान हो जाएँ।
ReplyDeletebahut sunder......man khush,dhanyvad aapko.....ki mujhe bhi liye.
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