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शुक्रवार, अप्रैल 04, 2014

"मिथकों में प्रकृति और पृथ्वी" (चर्चा अंक-1572)

आज की चर्चा में मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।

राजीव कुमार झा 


साहित्य में रूपक या प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहने की शैली पाई जाती है.साहित्य में जिसे रूपक या प्रतीक कहा जाता है,वही आदिम लोक-साहित्य में समानांतर बिंब प्रस्तुत करते हुए मिथक के नाम से प्रसिद्द रहे हैं. यह भी एक आश्चर्यजनक संयोग की बात है कि मिथक में जो कल्पनाएँ संजोयी गयी हैं, वे ही प्रतीकात्मक स्वरूप में ऋग्वेद में पायी जाती हैं,और बाद में उन्हीं का रोचक स्वरूप पुराण में मिलता है.
श्याम कोरी 'उदय'
जब जी-हुजूरी और चमचागिरी ही मकसद था 'उदय' 
तो जरुरत क्या थी उन्हें, कवि या लेखक बनने की ? 
… 
उन्ने प्रचार की जगह दुस्प्रचार को तबज्जो दी है 
अब 'खुदा' ही जाने, कैसे हो पक्की जीत उनकी ?
मै पथ्थर हो चूका हूँ, बेसबब तूं आसरा देखे 
तेरी हसरत अधूरी है मुझे तूं टूटता देखे

किसी की ज़िन्दगी उनसे अधिक खुशहाल कैसे है 
बहुत से लोग हमने इसलिए भी गमजदा देखे
उदय वीर सिंह 
तीरगी से खौफ क्या
सहर हुई तो क्या हुआ-
मंजिलों की बात है
न मिली तो क्या हुआ -
अन्नपूर्णा वाजपेई 
तेरी आँखों मे वो नूर है साई 
जब भी विकल हो शरण मे आई 
तूने संभाला है मुझको मेरे साईं 
गले से हर बार तूने लगाया है साईं 
मेरे साईं ............

साधना वैद


चाहे जितना आजमा लो तुम हमें
हर कसौटी पर खरे उतरेंगे हम !

चाहे जितनी आँधियाँ चलने लगें
दीप की लौ को प्रखर रखेंगे हम !
यशोदा अग्रवाल 
आपका मत 
अनिवार्य है....
महिला हों या
पुरुष, आप
चुनावों के जरिये
चुनी जाने वाली
सरकार....
प्रतिभा वर्मा 
वो मुझे छोटी - छोटी बातें समझाना
परेशां होने पर मेरा हाँथ पकड़कर 
ये कहना सब ठीक हो जाएगा। 
हर वक्त मेरे साथ रहना 
मेरा साथ निभाना
वंदना गुप्ता 
मन के पनघट सूखे ही रहे 
सखि री ,बस नैनों से नीर बहे 

न कोई अपना न कोई पराया 
जग का सारा फ़ेरा लगाया
पुण्य प्रसून वाजपेयी 
2014 के आम चुनाव में उतने ही नये युवा वोटर जुड़ गये हैं, जितने वोटरों ने देश के पहले आमचुनाव में वोट डाला था। यानी 1952 का हिन्दुस्तान बीते पांच बरस में वोट डालने के लिये खड़ा हो चुका है। 2014 में 2009 की तुलना में करीब साढ़े दस करोड नये वोटर वोट डालेंगे। और 1952 के आम चुनाव में कुल वोट ही 10 करोड 59 हजार पड़े थे।
शिवम् मिश्रा 
सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (३ अप्रैल १९१४ - २७ जून २००८) भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ था।


कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
तेरी चिलमन की बंदिशें हटा ना सके,
है चाँद छुपा इसमें,खुद को बता ना सके।।

है इंतजार हवा के झोंके का मुझको,
खुद तो उलझन सुलझा ना सके।।
सतीश सक्सेना
आज कल राजनीतिक नेताओं के झंडेबरदार ,बहुत अधिक क्रियाशील हैं , देश में ४-५ प्रमुख पार्टियों के प्रचार के लिए,नेताओं के इन एजेंटों को, आप फेसबुक पर, मुंह से झाग निकालते हुए, विपक्षी नेता को गालियाँ देते देख सकते हैं ! जबतक किसी विशेष पार्टी की आप बुराई न कर रहे हों तब तक ठीक हैं अगर आपने कोई खामी बता दी तो ये तुरंत आपको विपक्षी पार्टी का आदमी बताकर, गाली गलौज पर उतर आयेंगे !
वीरेन्द्र कुमार शर्मा 
कंप्यूटर पर देर तक काम करते बीच बीच में अपने हाथों को आगे फैलाकर स्ट्रेच कीजिये ,कलाइयों को घुमाइये ताकि Carpal tunnel syndrome से आप बचे रहें।
शरद सिंह 
Children forget why ...
महेश्वरी कनेरी
सुबह जल्दी जल्दी काम निपटा कर जैसे ही चाय का गिलास लिए आँगन में बैठी ही थी कि पडोस के शर्मा जी के घर से आवाज सुनाई देने लगी- “जल्दी करो,शाम की तैयारी भी करनी है और पड़ोसियों को भी तो खबर देनी है... 
प्रतिभा कटियार 
कितनी सुबहें दहलीज पर रखे-रखे मुरझाने को हुई हैं....कि वो वक्त पे आती हैं....मुस्कुराती हैं...हाथ आगे बढ़ाती हैं....लेकिन जल्द ही उन्हें समझ में आ जाता है कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं. किसी को अब सुबहों का इंतजार नहीं....रातें जब तक विदा नहीं होतीं सुबहों का कोई अर्थ नहीं...मुट्ठी भर उजास को सुबह मानने का वक्त अब जा चुका...अब तो रोशनी का समंदर चाहिए...
रेखा जोशी 
मै खामोश हूँ
भीतर हलचल 
शांत सागर

इक हूक जो
है सीने में उठती 
ज्वालामुखी सी
कैलाश शर्मा
हर आती सांस 
देती एक ऊर्जा व शांति 
तन और मन को, 
जब निकलती है सांस 
दे जाती मुस्कान अधरों को.
सुनील दीपक 
पेस्कारा, इटलीः सागर तट पर सुबह सैर करते हुए पेस्कारा नदी पर बने सागर‍पुल तक पहुँचा जो केवल पैदल सैर करने वालों तथा साइकल चलाने वालों के लिए ही बना है.
                      
सुशील कुमार जोशी 

कैसे बनेगा कुछ नया 
उस से जिसके 
शब्दों की रेल में 
गिनती के होते हैं 
कुछ ही डब्बे 
और उसी रेल को
लेकर वो सफर
आपका दिन मंगलमय हो,धन्यबाद 
"अद्यतन लिंक"

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

-- 
ढाई आखर प्रेम का, पढ़ती बारम्बार| 
मक्कारी की बाड़ है, कैसे जाऊँ पार...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
-- 
छम्मक्छल्लो बहुत दिन बाद मुखातिब हो रही है 
अपने ही ब्लॉग से। 
कोशिश रहेगी नियमित आपके सामने आने की। 
इरावती और शब्दांकन मे छपी कहानी 
फिर से आपके लिए है। 
पढिए- "रंडागिरी।" 
और हाँ, अच्छी लगे तो एक कमेंट 
ज़रूर मार दीजिएगा...
विभा रानी 
--

क्या चुनाव आते-आते नरेंद्र मोदी  

'पिंक रेवोलुशन' पर बोलकर 

सांप्रदायिक भाषणबाज़ी पर उतर आए हैं ?  

एबीपी न्यूज़ पर आज कि 'बड़ी बहस' में  

दिखाया गया मेरा यह कार्टून 

IRFAN 
--

"गीत-तुमने सबका काज सँवारा" 

भूल कर भी, अब तुम यकीं, नहीं करना 

भूल कर भी, अब तुम यकीं, नहीं करना 
बात सच हो, जो अब कहीं, नहीं करना... 
हालात-ए-बयाँ पर अभिषेक कुमार अभी 
--

"लिखना-पढ़ना सिखला दो"

भैया! मुझको भी,
लिखना-पढ़ना, सिखला दो।
क.ख.ग.घ, ए.बी.सी.डी,
गिनती भी बतला दो।।

पढ़ लिख कर मैं,
मम्मी-पापा जैसे काम करूँगी।
दुनिया भर में,
बापू जैसा अपना नाम करूँगी...

कार्टून :-  

तुम गरीब लोग,  

न काम के न काज के दुश्‍मन अनाज के 

15 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आज के लिए पर्याप्त सुन्दर सूत्र पढ़ने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  2. मेहनत दिख रही है राजेंद्र जी की आज की चर्चा को देखकर । उलूक भी आभारी है उसके सूत्र 'सवाल सिस्टम और व्यवस्था का जब बेमानी हो जाता है' को शामिल किये जाने पर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात भाई राजेन्द्र जी
    अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
    मुझे मान दिया
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात भाई राजेन्द्र जी
    अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
    मुझे मान दिया
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन लिंक्स से सुसज्जित सुंदर सार्थक चर्चामंच ! मेरी रचना को शामिल किया आभारी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सूत्र एवं बेहतरीन चर्चा ! राजेंद्र भाई.
    मेरे पोस्ट को शामिल कर शीर्षक पोस्ट बनाने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया व बेहतर प्रस्तुति , धन्यवाद !
    ऐसे ही लिखते रहें.
    शुभ हो आपके लिए.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. राजेंद्र कुमार जी बहुत बहुत धन्यवाद चर्चा मंच में शामिल करने के लिए | इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं|
    आज की चर्चा वाकई कुछ अलग हट कर है और कई आयाम समेटे अच्छी चर्चा है|

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  10. बहुत सुन्दर और विस्तृत सूत्र...रोचक चर्चा...आभार

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  11. मिथकों में चर्चा बहुत अच्छी लग रही है।
    उपयोगी लिंकों को उपलब्ध करवाने के लिए राजेन्द्र कुमार जी आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं

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