मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
आज देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ये एक गरम दिन था
ये एक गरम दिन था
जिसमें सूरज ने उड़ेल दिया
अपना सम्पूर्ण प्रेम
और धरा
उस प्रेम में तप कर
निर्वाक जलाती रही खुद को
आँख मीचे...
बावरा मन पर
सु..मन(Suman Kapoor)
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पुकार...
लम्बे होते हैं घंटे दोपहर के
नवतपा में जलती धरा लू के थपेड़ों संग
मृत- जीवन आओ बादलों बरसो रिमझिम
बचा लो तृण तनिक
अब सूरज ले विश्राम
मिले आराम...
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कुछ कहने के लिये
बस कुछ कह लेना है
जो होना है वो तो होना है
होगा ही होने देना है
किसी से कहने से कुछ होगा
किसे इस पर कुछ पता होना है
उनकी यादों की यादों को सोने ही देना ...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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"कुछ प्यार की बातें करें"
ज़िन्दगी के खेल में, कुछ प्यार की बातें करें।
प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।।
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" राही मनवा दुःख की चिन्ता क्यूँ सताती है ,
दुःख तो अपना साथी है " ???-
पीताम्बर दत्त शर्मा ( विश्लेषक-विचारक )
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गंगा-गीत
सुनो हे माँ मेरे उर की तान
क्यों मुँह फेरी गैर नहीं हूँ , तेरी हूँ संतान,
सुनो हे.....
दुखिता बनकर जीती आई
पतिता बनकर शरण में आई
मुझ पर कर एहसान,
सुनो हे......
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मुझे अमरत्व की चाह है
सेठ बने है, जब फ़िक्र में थे तो लामलेट हो रहें थे |
जिसके भाग्य में लिखा वो बेफिकर होकर झेले...
हमें तो इन्तजार है उस सूरज का ,
जो चमके मेरे प्रताप से ......
जिसके भाग्य में लिखा वो बेफिकर होकर झेले...
हमें तो इन्तजार है उस सूरज का ,
जो चमके मेरे प्रताप से ......
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लेखक बेचारा क्या करे?
पिछले वर्ष मैंने
में एक लेखक की ज़िम्मेदारी और
उसकी मानसिक हलचल को
समझने का प्रयास किया था।
उस पोस्ट पर आई टिप्पणियों से जानकारी में वृद्धि हुई।
पिछले दिनों इसी विषय पर
कुछ और बातें ध्यान में आयी,
सो चर्चा को आगे बढ़ाता हूँ।
पिट्सबर्ग में एक भारतीय पर Smart Indian
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वह संवेदनशील, पराये अपने जाने-
दासी सा बर्ताव भी, नहीं दिलाता ताव |
किन्तु उपेक्षा से मिलें, असहनीय से घाव...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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दोहे [वीर रस ]
उठो देश के सपूतो, भारत रहा पुकार ।
भारत पर तुम मर मिटो ,हो जाओ तैयार ॥
आन बान पर देश की ,लाखों हुये शहीद ।
सीमा पर उत्सव मने ,क्या होली क्या ईद ॥
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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झील
नगुना रही थी झील
एक बंदिश राग भैरवी की
कि पानी में झलक रहा था अक्स
उसके ललाट की बिंदी का...
मेरे दिल से सीधा कनेक्शन. पर expression
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कैसे मुस्काऊँ सज़ना के भर आएं अँखियाँ
आपका ब्लॉग पर निभा चौधरी
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अमीर यु हीं अमीर नहीं होता
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तुम्हारा स्वागत है
vandana gupta
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"निम्बौरी अब आयीं है नीम पर"
पहले छाया बौर, निम्बौरी अब आयीं है नीम पर।
शाखाओं पर गुच्छे बनकर, अब छायीं हैं नीम पर।।
मेरे पुश्तैनी आँगन में खड़ा हुआ ये पेड़ पुराना,
शीतल छाया देने वाला, लगता हमको बहुत सुहाना,
झूला डाल बालकों ने भी पेंग बढ़ाई नीम पर...
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स-
आभार स्वीकारें -
सादर
pyaar bharaa aabhaar swikaar karen !! bahut sundar vicharon wale lekhak mitron se milwaya aapne dhanywaad !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपका संकलन बेहतरीन होता है .एक से बढ़कर एक रचना सब है .धन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मित्रों , आभार हम अब ज्यादा सक्रियता से आपके साथ अपने कार्य साझा करेंगे |
जवाब देंहटाएंबढ़िया परस्तुति व लिंक्स , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
nice links and presentation .thanks to give honour my post .
जवाब देंहटाएंबहोत बहोत धन्यवाद इतने सारे बेहतरीन रचनाओं के बीच हमारी रचना साझा करेने के लिए
जवाब देंहटाएंThanks Dr Shastri for puting my composition amidst so many great Poets. http://niveditadinkar.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, बढ़िया कड़ियाँ, आभार!
जवाब देंहटाएंपिछ्ले दस अंक छूट गये यात्रा में होने के कारण । सुंदर चर्चा सुंदर सूत्रों के साथ बहुत दिनों के बाद देखने को मिल रही है । आभारी हूँ 'उलूक' के सूत्र 'कुछ कहने के लिये बस कुछ कह लेना है' को स्थान देने के लिये ।
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