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बुधवार, जून 25, 2014

सेत-मेत में सेतु, ब्लॉग ने जहर पिलाया; चर्चा मंच 1654

अपने माता-पिता की, देखभाल अविराम । 
ब्लॉग-जगत की भी करें, गुरु चर्चा निष्काम । 
गुरु चर्चा निष्काम, राम-केवल धमकाया । 
सेत-मेत में सेतु, ब्लॉग ने जहर पिलाया । 
दुष्ट सिद्ध कर हेतु, लगे जब ज्यादा तपने । 
रविकर होते स्वयं, तीर से घायल अपने ॥ 
उच्चारण

"आज से ब्लॉगिंग बन्द" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')

निःशब्द क्षमा

प्रतुल वशिष्ठ 
 

जन - गण -मन

pratibha sowaty 


पावन है गुल...
भाषाओं को लेकर टकराव का ज़माना गया
दुख - सुख
धर्म ----- एक यंत्र ?

कार्टून :- बचाओ बचाओ बजट आ रहा है...




8 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी को लगी ठेस दुख:द है । चर्चामंच का योगदान ब्लागिंग और ब्लागर्स के लिये अनमोल है। पुन: सभी के आग्रह को शास्त्री जी ने माना और मान दिया हम सब आभारी हैं । बस यही कहूँगा क्षमा बड़न को चाहिये छोटन को उत्पात ।

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  2. कार्टून मजेदार |उम्दा लिंक्स |

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  3. तुलसी बुरा न मानिए जो गंवार कह जाय।

    उच्चारण
    "आज से ब्लॉगिंग बन्द" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')

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  4. पहले तो आज की आपकी कुंडली समझ ही नहीं आई , लेकिन फिर जब पूरा माजरा समझ आया तो अर्थ भी सहज हो गया .. बड़े सुन्दर लिंक्स दिए हैं आज की चर्चा में .. आभार मेरे पोस्ट को शामिल करने हेतू ..

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  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति.
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , आ. रविकर सर , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

    जवाब देंहटाएं

  7. रविकर जी, आपको साष्टांग। आपकी कविताई न केवल सुलझी प्रतिक्रिया करती है अपितु छंद और काव्य का रसपान भी कराती है।

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  8. सुन्दर चर्चा, हमेशा की तरह .

    सादर
    कमल

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