मित्रों!
जून का महीना है। भीषण गर्मी पड़ रही है।
ऐसे में मेरे सहयोगी चर्चाकारों को भी
किसी ठण्डे स्थान पर जा कर
अवकाश मनाने का पूरा अधिकार है।
रविवार की चर्चा में देखिए मेरी पसंद के लिंक।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"मृगतृष्णा"
.....अब वही काम मोदी भी कर रहे हैं ! बड़ी बड़ी रैलियां कीं ! शहजादे , वाड्रा और सोनिया के भ्रष्टाचार का पुराण खोला ! पाकिस्तान के खिलाफ ज़हर उगलकर जनता का वोट बटोरा ! अब जब सत्ता हाथ आ गयी तो वाड्रा समेत नवाज़ शरीफ को भी माफ़ कर दिया ! प्यार एवं भाईचारा बरसने लगा ! पाकिस्तान से अमरीका तक , काठमांडू से कांग्रेस तक सभी अपने हो गए...
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लो कर लो बात :-)
गांव वाले पहली बार हेलिकॉप्टर में बैठे हैं
तो जैसे ही उन्हें बचाव क्षेत्र में छोड़ कर आते हैं,
वे फिर तैर कर वापस यहीं पहुंच जाते हैं।
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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आत्ममुग्ध मौन साधक
आँख का आपरेशन होना है । नन्हे हाइकु ने चश्मा न तोड़ दिया होता तो पता ही नहीं चल पाता कि मोतियाबिन्द विस्तार पा चुका है । अच्छा ही हुआ जो चश्मा टूटा और आँखों का भ्रम भी । सुबह –सुबह अन्तिम मेल देखी ....
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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chhand salila: geeta chhand -sanjiv
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पचमढ़ी की वादियों में
जब सूरज की प्रचण्ड गर्मी से हवा गर्म होने लगी, तो वह आग में घी का काम कर लू का रूप धारण कर बहने लगी। सूरज के प्रचण्ड रूप को देखकर पशु पक्षी ही नहीं, वातावरण भी सांय-सांय कर अपनी व्याकुलता व्यक्त करनी लगी तो प्रसाद जी की पंक्तियां याद आयी- "किरण नहीं, ये पावक के कण, जगती-तल पर गिरते हैं।" लू की सन्नाटा मारती हुई झपटों से तन-मन आकुल-व्याकुल हुआ तो मन पहाड़ों की ओर भागने लगा....
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वृंदावन के भिखारी और भिखारिनें -
इनका दरद न जाने कोय
समयचक्र पर mahendra mishra
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'छोड़ दे अब टिमटिमाना भोर का तारा है तू -
नशे में फंसती युवा पीढ़ी
! कौशल !पर Shalini Kaushik
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शेर का सवाल (काव्य-कथा)
जंगल में एक शेर था रहता
वह था उस जंगल का राजा।
एक भेड़ जब राह से गुजरी
बोला जरा इधर तो आजा...
Kailash Sharma
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क्रांति स्वर में ललकारें
छोड़ विवशता वचनों को
व्यवस्था -धार पलट डालें ;
समर्पण की भाषा को तज
क्रांति स्वर में ललकारें...
shikha kaushik
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है कशिश ऐसी
उन्मीलित अँखियाँ
मन मोहिनी अदाएं
बारम्बार आकृष्ट करतीं
दूरी उनसे न हो पाती
Akanksha पर Asha Saxena
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पागल बुढ़िया
उड़ान पर Anusha
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जन गण में हो खौफ, देश कुछ बिगड़े ऐसे-
कैसे होव दुर्दशा, कैसे होव मौत ।
आशंका होवे सही, विभीषिका तू न्यौत...
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कर ले भोग विलास, आधुनिकता उकसाये--
थाने में उत्कोच दे, कोंच कोंच कंकाल ।
तन मन नोंच खरोच के, दे दरिया में डाल....
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जहान ए अर्श का बन्दा है,
बार ए अन्जुमन होगा,
मसाइल पेश कर देगा,
नशा सारा हिरन होगा.....
Junbishenपर Munkir
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बरफ का गोला
बाल कहानी
स्कूल के गेट से बाहर निकलते ही रंजीता की नजर ठेले पर बिक रहे बर्फ के रंग बिरंगे गोलों पर पड़ी ।गर्मी से बेहाल रंजीता का दिल भी उसे खाने को मचल उठा। उसने अपनी सहेली विपमा से कहा देख लड़कियाँ कैसे चुसकी ले ले कर बर्फ के गोले खा रही हैं ,चल आज अपन भी खाते हैं...
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दिल से दिल तक के रस्ते पर...
दिल से दिल तक के
दिल से दिल तक के
रस्ते पर
भारी,ट्रैफिक जाम लगा है.……
हर्ष-विषादों की
जमघट है,
सही-गलत की
तख्ती है,...
mridula's blog
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मॉर्निग वॉक -
कमला निखुर्पा
सुबह सुबह ताजी हवा के झकोरों से बात करते हुए मैं हरे-भरे घास के मैदान से मिलने जा रही थी । सड़क के दोनों तरफ अमलतास और गुलमोहरों ने कलियाँ बिखेरकर रंग-बिरंगा कालीन बुना था । पंछियों की चहचहाती चुहल अलसाई भोर को झकझोर रही थी । सड़क पर मॉर्निग वॉक करने वालों की चहलकदमी शुरू हो गई है...
त्रिवेणी
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टूटे सपने
कुछ टूटे हुए सपने
मन के तहख़ाने में
रख दिए हैं महफ़ूज़
गाहे-ब-गाहे
चली जाती हूँ सँभालने...
मन के तहख़ाने में
रख दिए हैं महफ़ूज़
गाहे-ब-गाहे
चली जाती हूँ सँभालने...
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कार्टून :-
पांव छुए बिना ना मानूं
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सुंदर सूत्रों के साथ प्रस्तुत आज की रविवारीय चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
जवाब देंहटाएंसुन्दर पठनीय सूत्रों से सजा है आज का चर्चा मंच |
पढने में सुखानुभूति होगी आएगा आनंद \
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
आशा
एक से एक बेहतरीन रचना के साथ हमारी रचना साझा करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा काफी अच्छे पठनीय लिंक मिले , समयचक्र की पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंbahut achche links.......aur saath men main,aabhari hoon....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मुझे शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स.मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए धन्यवाद शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी! मेरे मुक्तक '' ताउम्र कराहों की न .... '' को अपने मंच पर लेने का
जवाब देंहटाएंsabhi links bahut achchhe sanjoye hain .meri rachna ka link yahan lagane ke liye aabhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
हमारी रचना साझा करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंएक से एक बेहतरीन रचना .