Followers


Search This Blog

Monday, June 16, 2014

"जिसके बाबूजी वृद्धाश्रम में.. है सबसे बेईमान वही." (चर्चा मंच-1645)

मित्रों।
प्रस्तुत है सोमवार की चर्चा।
--

"पितृदिवस पर विशेष" 

तिरेसठ वर्ष की आयु में भी मैं 
अपने आपको बच्चा ही समझता हूँ। 
क्योंकि मेरे माँ-बाप अभी जीवित हैं। 
मैं खुशनसीब हूँ कि माता-पिता जी का साया 
आज भी मेरे सिर पर है...
--
जिसके बाबूजी वृद्धाश्रम में.. है सबसे बेईमान वही. 

बरगद पीपल नीम सरीखेतेज़ धूप में बाबूजीमां” के बाद नज़र आते हैं , “मां” ही जैसे हैं बाबूजी .
मिसफिट Misfit
--

पिता 

उन्नयन पर udaya veer singh 
--
गाँव छोटा सा 

ग्राम छोटा सा
मरकत डिब्बे सा
अभिनव था |...
Akanksha पर Asha Saxena

--

जब तक मौत नहीं आती 

साथ हर दुःख को हम सह जाते हैं; 
आंसू अपने पी जाते हैं ; 
जब तक मौत नहीं आती 
जीवन का साथ निभाते हैं ...
shikha kaushik 
--
--
--

"अमलतास के पीले झूमर"

तपती हुई दुपहरी में, झूमर जैसे लहराते हैं।
कंचन जैसा रूप दिखाते, अमलतास भा जाते हैं...
--
--

doha salila: sanjivdoha sdoha salila: 


sanjiv 

श्वास पिता की धरोहर, माँ की थाती आस
हास बंधु, तिय लास है, सुता-पुत्र मृदु हास ....
divyanarmada.blogspot.in
--

पितृ दिवस ! 

आज के दिन सब लोग 
पितृ दिवस के रूप में 
अपने अपने पिताओं को याद कर रहे हैं
 और वे भाग्यशाली पिता हैं 
जिनके बच्चे उन्हें श्रद्धा और सम्मान से 
याद करते हैं और आज का दिन 
उनके लिए यादगार बना देते हैं...
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
--
--
--
--
पहला प्यार 

Love पर Rewa tibrewal
--
--
--
“हम उस माँ को करते प्यार!” 
तस्वीर
जिसने दिया हमें आकार!
हम उस माँ को करते प्यार..
सृजन मंच ऑनलाइन
--
विलुप्त होता आयुर्वेद 

अथर्ववेद के उपवेद "आयुर्वेद" का निरंतर हश्र हो रहा है ! सृष्टि की उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी के मुख से निकली और वेदों में वर्णित इस चिकित्सा पद्धति को निरंतर तिरस्कृत किया जा रहा है ! सरकार चाहे कितनी भी क्यों न बदल जाएँ , आयुर्वेद को नहीं उठाया जाता ! सभी को मात्र २०० वर्ष पुरानी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का ही विकास करना होता है...
ZEAL
--
बेटी का पिता के नाम पत्र 

पिताजी आपने मुझमे और भैया में कभी किसी बात को लेकर भेद नहीं किया सो आज भी नहीं करना।  मैं एक नयी परम्परा डालना चाहती हूँ जिसमे पिता बेटी के यहाँ भी पूरे मान सम्मान के साथ रह सके..
'दि वेस्टर्न विंड' (pachhua pawan) पर 
PAWAN VIJAY
--
बाबुल में ही जानिए संबल का आधार ,
बाबुल में ही मानिेए, अम्बर सा विस्तार|अम्बर सा विस्तार, सहज ही हम पा जाते,कदमों में विश्वास, निडर बन के ले आते|हाथ सदा हो माथ, हिंद हो या हो काबुल,बरगद जैसी छाँव, डगर पर देते बाबुल...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
--
फादर्स डे पर विशेष 

Deendayal sharma पर दीनदयाल शर्मा
--
' पिता ' 
जैसे किसी बगिया की फुलवारी का बाग़बान रखता है ध्यान ,वैसे ही पिता के साये में बच्चों के होठों पर खिलती है मुस्कान...
पिताजी पर sonal 

16 comments:

  1. क्या बता है सर पिताजी का साया स्वार्थहीन छाता होता है जबतक मिले खुश रहे आदमी निश्चिन्त बालवत बना रहे.पितृ दिवस पर अनुपम भेंट सभी के लिए।

    तिरेसठ वर्ष की आयु में भी मैं
    अपने आपको बच्चा ही समझता हूँ।
    क्योंकि मेरे माँ-बाप अभी जीवित हैं।
    मैं खुशनसीब हूँ कि माता-पिता जी का साया
    आज भी मेरे सिर पर है...
    उच्चारण

    ReplyDelete
  2. पिता का स्वार्थ हीं छाता जितना मिले सेवो। सुन्दर प्रस्तुति प्रासंगिक सारगर्भित।

    Deendayal sharma पर दीनदयाल शर्मा
    --
    ' पिता '
    जैसे किसी बगिया की फुलवारी का बाग़बान रखता है ध्यान ,वैसे ही पिता के साये में बच्चों के होठों पर खिलती है मुस्कान...

    ReplyDelete
  3. हैं कैसे नहीं पिताजी आपकी परवरिश में हैं आपकी विरासत हैं पिताजी ,आप स्वयं हैं पिताजी का अक्श।
    फादर्स डे पर विशेष

    Deendayal sharma पर दीनदयाल शर्मा
















    फादर्स डे पर विशेष

    पिताजी कहते थे
    जल्दी उठो
    वे खुद जल्दी उठते थे

    वे कहते थे
    मेहनत करो
    वे खुद मेहनती थे

    वे कहते थे
    सच बोलो
    वे खुद सच के हामी थे

    वे कहते थे
    ईमानदार रहो
    वे खुद ईमानदार थे

    मैं उनके बताए
    क़दमों पर चला

    आज सब कुछ है
    मेरे पास .....
    लेकिन पिताजी नहीं हैं..

    दीनदयाल शर्मा
    15 जून 2014

    ReplyDelete
  4. उम्दा लिंक्स सर |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    ReplyDelete
  5. खूबसूरत संकलन...

    ReplyDelete
  6. सुंदर पितृ दिवस चर्चा । 'उलूक' का आभार ' पिताजी आइये आपको याद करते है आज आप का ही दिन है' को भी स्थान मिला ।

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति..आभार!

    ReplyDelete
  8. KYAA BAAT HAI !! HAM TO DARTE THE APNE PITA SHRI SE , OR AAJ BHI DARTE HI HAIN , LEKIN UNKO PYAAR BHI HAM KARTE HAIN ISKA EHSAAS HAMEN AAJ HO RAHA HAI . AAPKI RACHNAYEN PADH KAR . DHANYWAAD MERE BLOG KI POST LAGANE PAR !! SUNDAR CHARCHA HAI JI !!

    ReplyDelete
  9. पितृ दिवस पर सुन्दर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा...आभार

    ReplyDelete
  10. पितृ दिवस पर सभी पिताओं को समर्पित सुन्दर लिंक्स...सादर आभार :)

    ReplyDelete
  11. बढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में प्रकार की जानकारियाँ )

    ReplyDelete
  12. बहुत अच्छे लिंक्स हम कुछ तक पहुंचे |

    ReplyDelete
  13. उम्दा लिंक्स पर मेरी रचना शामिल करने के लिए डॉ. मयंक जी का हार्दिक आभार...

    ReplyDelete
  14. आज खटीमा में हूँ-
    गुरु जी के माता-पिता के दर्शन किये -
    आदरणीय रूप चंद शास्त्री "मयंक" के लिए यह दोहा सादर प्रस्तुत है-

    वृद्धाश्रम क्योंकर बने, हैं "मयंक" से लाल |
    मातु-पिता का रख रहे, बच्चों जैसा ख्याल ||

    ReplyDelete
  15. सुंदर पितृ दिवस चर्चा.........आदरणीय शास्त्री जी मेरी रचना 'पिता का त्याग ' को भी आप ने इस चर्चा में स्थान दिया ख़ुशी हुयी आभार
    सभी कर्मठ प्रेमी पिताओं को नमन
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।