मित्रों।
प्रस्तुत है सोमवार की चर्चा।
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जिसके बाबूजी वृद्धाश्रम में.. है सबसे बेईमान वही.
बरगद पीपल नीम सरीखे, तेज़ धूप में बाबूजी“मां” के बाद नज़र आते हैं , “मां” ही जैसे हैं बाबूजी .
मिसफिट Misfit
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गाँव छोटा सा
ग्राम छोटा सा
मरकत डिब्बे सा
अभिनव था |...
Akanksha पर Asha Saxena
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"पितृदिवस पर विशेष"
तिरेसठ वर्ष की आयु में भी मैं
अपने आपको बच्चा ही समझता हूँ।
क्योंकि मेरे माँ-बाप अभी जीवित हैं।
मैं खुशनसीब हूँ कि माता-पिता जी का साया
आज भी मेरे सिर पर है...
--जिसके बाबूजी वृद्धाश्रम में.. है सबसे बेईमान वही.
बरगद पीपल नीम सरीखे, तेज़ धूप में बाबूजी“मां” के बाद नज़र आते हैं , “मां” ही जैसे हैं बाबूजी .
मिसफिट Misfit
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पिता
गाँव छोटा सा
ग्राम छोटा सा
मरकत डिब्बे सा
अभिनव था |...
Akanksha पर Asha Saxena
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जब तक मौत नहीं आती
साथ हर दुःख को हम सह जाते हैं;
आंसू अपने पी जाते हैं ;
जब तक मौत नहीं आती
जीवन का साथ निभाते हैं ...
shikha kaushik
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doha salila: sanjivdoha sdoha salila:
sanjiv
श्वास पिता की धरोहर, माँ की थाती आस
हास बंधु, तिय लास है, सुता-पुत्र मृदु हास ....
पिताजी पर
divyanarmada.blogspot.in
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पितृ दिवस !
आज के दिन सब लोग
पितृ दिवस के रूप में
अपने अपने पिताओं को याद कर रहे हैं
और वे भाग्यशाली पिता हैं
जिनके बच्चे उन्हें श्रद्धा और सम्मान से
याद करते हैं और आज का दिन
उनके लिए यादगार बना देते हैं...
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
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विलुप्त होता आयुर्वेद
अथर्ववेद के उपवेद "आयुर्वेद" का निरंतर हश्र हो रहा है ! सृष्टि की उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी के मुख से निकली और वेदों में वर्णित इस चिकित्सा पद्धति को निरंतर तिरस्कृत किया जा रहा है ! सरकार चाहे कितनी भी क्यों न बदल जाएँ , आयुर्वेद को नहीं उठाया जाता ! सभी को मात्र २०० वर्ष पुरानी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का ही विकास करना होता है...
ZEAL
अथर्ववेद के उपवेद "आयुर्वेद" का निरंतर हश्र हो रहा है ! सृष्टि की उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी के मुख से निकली और वेदों में वर्णित इस चिकित्सा पद्धति को निरंतर तिरस्कृत किया जा रहा है ! सरकार चाहे कितनी भी क्यों न बदल जाएँ , आयुर्वेद को नहीं उठाया जाता ! सभी को मात्र २०० वर्ष पुरानी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का ही विकास करना होता है...
ZEAL
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बेटी का पिता के नाम पत्र
पिताजी आपने मुझमे और भैया में कभी किसी बात को लेकर भेद नहीं किया सो आज भी नहीं करना। मैं एक नयी परम्परा डालना चाहती हूँ जिसमे पिता बेटी के यहाँ भी पूरे मान सम्मान के साथ रह सके..
'दि वेस्टर्न विंड' (pachhua pawan) पर
PAWAN VIJAY
पिताजी आपने मुझमे और भैया में कभी किसी बात को लेकर भेद नहीं किया सो आज भी नहीं करना। मैं एक नयी परम्परा डालना चाहती हूँ जिसमे पिता बेटी के यहाँ भी पूरे मान सम्मान के साथ रह सके..
'दि वेस्टर्न विंड' (pachhua pawan) पर
PAWAN VIJAY
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बाबुल में ही जानिए संबल का आधार ,
बाबुल में ही मानिेए, अम्बर सा विस्तार|अम्बर सा विस्तार, सहज ही हम पा जाते,कदमों में विश्वास, निडर बन के ले आते|हाथ सदा हो माथ, हिंद हो या हो काबुल,बरगद जैसी छाँव, डगर पर देते बाबुल...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
बाबुल में ही मानिेए, अम्बर सा विस्तार|अम्बर सा विस्तार, सहज ही हम पा जाते,कदमों में विश्वास, निडर बन के ले आते|हाथ सदा हो माथ, हिंद हो या हो काबुल,बरगद जैसी छाँव, डगर पर देते बाबुल...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
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क्या बता है सर पिताजी का साया स्वार्थहीन छाता होता है जबतक मिले खुश रहे आदमी निश्चिन्त बालवत बना रहे.पितृ दिवस पर अनुपम भेंट सभी के लिए।
जवाब देंहटाएंतिरेसठ वर्ष की आयु में भी मैं
अपने आपको बच्चा ही समझता हूँ।
क्योंकि मेरे माँ-बाप अभी जीवित हैं।
मैं खुशनसीब हूँ कि माता-पिता जी का साया
आज भी मेरे सिर पर है...
उच्चारण
पिता का स्वार्थ हीं छाता जितना मिले सेवो। सुन्दर प्रस्तुति प्रासंगिक सारगर्भित।
जवाब देंहटाएंDeendayal sharma पर दीनदयाल शर्मा
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' पिता '
जैसे किसी बगिया की फुलवारी का बाग़बान रखता है ध्यान ,वैसे ही पिता के साये में बच्चों के होठों पर खिलती है मुस्कान...
हैं कैसे नहीं पिताजी आपकी परवरिश में हैं आपकी विरासत हैं पिताजी ,आप स्वयं हैं पिताजी का अक्श।
जवाब देंहटाएंफादर्स डे पर विशेष
Deendayal sharma पर दीनदयाल शर्मा
फादर्स डे पर विशेष
पिताजी कहते थे
जल्दी उठो
वे खुद जल्दी उठते थे
वे कहते थे
मेहनत करो
वे खुद मेहनती थे
वे कहते थे
सच बोलो
वे खुद सच के हामी थे
वे कहते थे
ईमानदार रहो
वे खुद ईमानदार थे
मैं उनके बताए
क़दमों पर चला
आज सब कुछ है
मेरे पास .....
लेकिन पिताजी नहीं हैं..
दीनदयाल शर्मा
15 जून 2014
उम्दा लिंक्स सर |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संकलन...
जवाब देंहटाएंसुंदर पितृ दिवस चर्चा । 'उलूक' का आभार ' पिताजी आइये आपको याद करते है आज आप का ही दिन है' को भी स्थान मिला ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति..आभार!
जवाब देंहटाएंKYAA BAAT HAI !! HAM TO DARTE THE APNE PITA SHRI SE , OR AAJ BHI DARTE HI HAIN , LEKIN UNKO PYAAR BHI HAM KARTE HAIN ISKA EHSAAS HAMEN AAJ HO RAHA HAI . AAPKI RACHNAYEN PADH KAR . DHANYWAAD MERE BLOG KI POST LAGANE PAR !! SUNDAR CHARCHA HAI JI !!
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस पर सुन्दर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस पर सभी पिताओं को समर्पित सुन्दर लिंक्स...सादर आभार :)
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत अच्छे लिंक्स हम कुछ तक पहुंचे |
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स पर मेरी रचना शामिल करने के लिए डॉ. मयंक जी का हार्दिक आभार...
जवाब देंहटाएंआज खटीमा में हूँ-
जवाब देंहटाएंगुरु जी के माता-पिता के दर्शन किये -
आदरणीय रूप चंद शास्त्री "मयंक" के लिए यह दोहा सादर प्रस्तुत है-
वृद्धाश्रम क्योंकर बने, हैं "मयंक" से लाल |
मातु-पिता का रख रहे, बच्चों जैसा ख्याल ||
सुंदर पितृ दिवस चर्चा.........आदरणीय शास्त्री जी मेरी रचना 'पिता का त्याग ' को भी आप ने इस चर्चा में स्थान दिया ख़ुशी हुयी आभार
जवाब देंहटाएंसभी कर्मठ प्रेमी पिताओं को नमन
जय श्री राधे
भ्रमर ५